MID-TERM EXAMINATION (2025-26) CLASS: XII SUBJECT: SOCIOLOGY (039) IN HINDI
0Team Eklavyaअक्टूबर 11, 2025
MORNING SHIFT
MID-TERM EXAMINATION (2025-26)
CLASS: XII
SUBJECT: SOCIOLOGY (039)
Time Allowed: 3 hours
Maximum Marks: 80
समय: 3 घंटे
अधिकतम अंक 80
सामान्य-निर्देश :
1. प्रश्न पत्र को चार खंडों में बांटा गया है।
2. कुल 35 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
3. खंड क में प्रश्न संख्या 1-16 है। ये बहुविकल्पीय प्रकार के प्रश्न है। प्रश्न के अनुसार, एक उत्तर हो सकता है।
4. खंड ख में प्रश्न संख्या 17-25 है। ये अति लघु उत्तरीय प्रकार के प्रश्न है जिनमें प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 30 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।
5. खंड ग में प्रश्न संख्या 26-32 है। ये लघु उत्तरीय प्रकार के प्रश्न हैं जिनमें प्रत्येक प्रश्न 4 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 80 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।
6. खंड घ में प्रश्न संख्या 33-35 है। ये दीर्घ उत्तरीय प्रकार के प्रश्न, हैं जिनमें प्रत्येक प्रश्न 6 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 200 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।
7. प्रश्न संख्या 33 का उत्तर दिए गए ग्राफिक्स की मदद से देना है।
General Instructions:
1. The question paper is divided into four sections.
2. There are 35 questions in all. All questions are compulsory.
3. Section A includes question No. 1-16. These are MCQ type questions. As per the question, there can be one answer.
4. Section B includes question No. 17-25. These are very short answer type question carrying 2 marks each Answer to each question should not exceed 30 words.
5. Section C includes question No. 26-32. They are long answer type questions carrying marks each Answer to each question should not exceed 80 words each.
6. Section D includes question No. 33-35. They are long answer type questions carrying marks each. Answer to each question should not exceed 200 words each.
7. Question no. 33 is to be answered with the help of the given graphics.
खंड-क
1. निम्नलिखित प्रश्न में, एक कथन "अभिकथन (A)" के रूप में दिया गया है, जिसके बाद एक दूसरा कथन "कारण (R)" के रूप में दिया गया है। नीचे दिये गए विकल्पों में से उचित उत्तर चुनें -
अभिकथन (A): मृत्यु दर के विपरीत, भारत में जन्म दर में तीव्र गिरावट दर्ज नहीं की गई है।
कारण (R) : जन्म दर एक सामाजिक सांस्कृतिक प्रघटना है जिसमें अपेक्षाकृत धीमी गति से परिवर्तन आता है।
(क) A और R दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या है।
(ख) A और R दोनों सत्य हैं लेकिन R, A की सही व्याख्या नहीं है।
(ग) A सत्य है लेकिन R असत्य है।
(घ) A असत्य है और R सत्य है।
2. निम्नलिखित प्रश्न में, एक कथन "अभिकथन (A)" के रूप में दिया गया है, जिसके बाद एक दूसरा कथन "कारण (R)" के रूप में दिया गया है। नीचे दिये गए विकल्पों में से उचित उत्तर चुनें -
अभिकथन (A): पारंपरिक तौर पर जातियाँ व्यवसाय से जुड़ी होती थीं।
कारण (R): एक जाति में जन्म लेने वाला व्यक्ति उस जाति से जुड़े व्यवसाय को ही अपना सकता था, अतः वह व्यवसाय वंशानुगत थे अर्थात् यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होते थे।
(क) A और R दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या है।
(ख) A और R दोनों सत्य हैं लेकिन R, A की सही व्याख्या नहीं है।
(ग) A सत्य है लेकिन R असत्य है।
(घ) A असत्य है और R सत्य है।
3. माल्थस के जनसंख्या वृद्धि के सिद्धांत के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन से कथन सही है?
(I) मानव जनसंख्या ज्यामितीय रूप से बढ़ती है।
(II) भरण-पोषण के साधन (विशेष रूप से भोजन) ज्यामितीय दर से बढ़ते हैं।
(III) अकालों और बीमारियों को जनसंख्या वृद्धि पर 'प्राकृतिक निरोध' (Positive Checks) माना जाता है।
(IV) कृत्रिम निरोधों (Preventive Checks) में बड़ी उम्र में विवाह जैसे स्वेच्छापूर्वक कार्य शामिल हैं।
(क) (I) और (II)
(ख) (II) और (IV)
(ग) (I), (III) और (IV)
(घ) (I), (II), (III) और (IV)
4. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सामुदायिक पहचान के लिए सत्य है?
(क) सामुदायिक पहचान अर्जित उपलब्धियों पर आधारित होती है।
(ख) इसमें परीक्षाएं पास करना या योग्यता प्रदर्शित करना शामिल होता है।
(ग) यह जन्म और 'संबंध' पर आधारित होती है, न कि उपलब्धियों पर।
(घ) इसे व्यक्तिगत प्रयास से आसानी से बदला जा सकता है।
5. अन्य पिछड़े वगों (ओबीसी) के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य नहीं है?
(क) उन्हें संविधान में 'सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग' के रूप में वर्णित किया गया है।
(ख) अन्य पिछड़े वर्ग, दलितों अथवा आदिवासियों की तुलना में अधिक विविधतापूर्ण समूह हैं।
(ग) सभी अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) एक ही जाति श्रेणी से संबंध रखते हैं और समान सामाजिक-आर्थिक स्थिति प्रदर्शित करते हैं।
(घ) बी.पी. मंडल की अध्यक्षता में दूसरे पिछड़े वर्ग आयोग को उनके कल्याण के उपायों पर विचार करने के लिए नियुक्त किया गया था।
6. भारत को जनसांख्यिकीय लाभांश की स्थिति में इसलिए माना जाता है क्योंकि -
(क) जनसंख्या अधिक पारंपरिक हो गई है।
(ख) आयु संरचना में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
(ग) आयु संरचना में बदलाव हुआ है।
(घ) जन्म दर बढ़ रही है।
7. किसने पुणे में महिलाओं के लिए पहला विद्यालय खोला।
(क) विद्यासागर
(ख) पेरियार
(ग) जोतिबाफुले
(घ) विष्णु
8. चाय के बागानों के लिए मज़दूरों की भर्ती के विषय में कौन-सा कथन सत्य है?
(क) अधिकारिक रिपोर्ट से पता चलता है कि औपनिवेशिक सरकार गलत तरीकों से मज़दूरों की भर्ती करती थी और उनसे बलपूर्वक काम लिया जाता था।
(ख) औपनिवेशिक सरकार ने सभी मज़दूरों को उचित वेतन और अच्छी जीवन-शैली सुनिश्चित की।
(ग) चाय बागानों में केवल स्थानीय गाँव के लोग स्वेच्छा से भर्ती होते थे।
(घ) बागान मालिकों को भर्ती के लिए कभी सरकारी सहायता नहीं मिली।
9. 19वीं और 20वीं सदी की शुरूआत में भारत के सामाजिक सुधार आंदोलनों का ध्यान किन मुद्दों पर था?
(क) सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा पुनर्विवाह निषेध तथा जाति भेदवराव
(ख) आर्थिक सुधार और औद्योगिकीकरण
(ग) शहरीकरण और नगरों का विकास
(घ) राजनैतिक सुधार और प्रशासनिक परिवर्तन
10. निम्नलिखित प्रश्न में एक कथन "अभिकथन (A)" के रूप में दिया गया है, जिसके बाद एक दूसरा कथन "कारण (R)" के रूप में दिया गया है। नीचे दिये गए विकल्पों में से उचित उत्तर चुनें -
अभिकथन (A) : संप्रदायवाद की एक प्रमुख विशेषता उसका यह दावा है कि धार्मिक पहचान अन्य सभी की तुलना में सर्वोपरि होती है।
कारण (R) : चाहे कोई गरीब हो या अमीर, चाहे किसी का कोई भी व्यवसाय हो, जाति या राजनीतिक विश्वास हो, धर्म ही सब कुछ होता है, उसी के आधार पर उसकी पहचान है।
(क) A और R दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या है।
(ख) A और R दोनों सत्य हैं लेकिन R, A की सही व्याख्या नहीं है।
(ग) A सत्य है लेकिन R असत्य है।
(घ) A असत्य है और R सत्य है।
नीचे दिया गया गद्यांश पढ़िए-
जब हम यह कहते हैं कि भारत एक महान सांस्कृतिक विविधता वाला राष्ट्र है तो हमारा तात्पर्य यह होता है कि यहाँ अनेक प्रकार के सामाजिक समूह एवं समुदाय निवास करते हैं। यह समुदाय सांस्कृतिक चिह्नों जैसे, भाषा, धर्म, पंथ, प्रजाति या जाति द्वारा परिभाषित किए जाते हैं। जब यह विविध समुदाय भी किसी बड़े सत्व जैसे एक राष्ट्र का भाग होते हैं तब उनके बीच प्रतिस्पर्धा या संघर्ष के कारण कठिनाइयाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
दिए गए गद्यांश के आधार पर प्रश्न 11 और 12 के उत्तर दीजिए -
11. सांस्कृतिक विविधता समाजशास्त्र का महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि
(क) सांस्कृतिक पहचानें बहुत प्रबल होती हैं, वे तीव्र भावावेशों को भड़का सकती हैं और अक्सर बड़ी संख्या में लोगों को एकजुट कर देती हैं।
(ख) सांस्कृतिक अंतरों के साथ केवल आर्थिक और कभी भी सामाजिक असमानताएँ नहीं जुड़ती हैं।
(ग) एक समुदाय द्वारा भुगती जा रही असमानताओं या अन्यायों को दूर करने के लिए किए गए उपाय दूसरे समुदायों में उनके प्रति विरोध को कभी नहीं भड़काते हैं।
(घ) सांस्कृतिक विविधता से कभी कोई संघर्ष उत्पन्न नहीं होता और सामाजिक मामलों में राज्य को कभी हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
12. निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
(क) सांस्कृतिक विविधता असमानताओं के बजाय अंतरों पर बल देती है।
(ख) समुदाय सांस्कृतिक चिह्नों जैसे भाषा, धर्म, प्रजाति या जाति द्वारा परिभाषित किए जाते हैं।
(ग) सांस्कृतिक विविधता हमेशा सामंजस्य की ओर ले जाती है और समाज में किसी भी संघर्ष को रोकती है।
(घ) विविध समुदायों का एक बड़े राष्ट्र का हिस्सा होना प्रतिस्पर्धा या संघर्ष पैदा कर सकता है।
नीचे दिया गया गद्यांश पढ़िए -
"समाजशास्त्री उस व्यवस्था को सामाजिक स्तरीकरण कहते हैं जिसके द्वारा समाज में लोगों की श्रेणियों को एक अधिक्रम में श्रेणीबद्ध किया जाता है। यह अधिक्रम लोगों की पहचान एवं अनुभव, उनके दूसरों से संबंध तथा साथ ही संसाधनों एवं अवसरों तक उनकी पहुँच को आकार देता है।"
दिए गए गद्यांश के आधार पर प्रश्न 13 और 14 के उत्तर दीजिए।
13. सामाजिक स्तरीकरण के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य नहीं है?
(क) सामाजिक स्तरीकरण समाज में व्यापक रूप से पाई जाने वाली व्यवस्था है जो सामाजिक संसाधनों को असमान रूप से बाँटती है।
(ख) तकनीकी रूप से उन्नत समाजों में सामाजिक संसाधन पूर्णतः व्यक्तिगत क्षमताओं के आधार पर वितरित होते हैं।
(ग) अंतर्विवाह प्रथा सामाजिक असमानता के प्रदत पक्ष को और सुदृढ़ बनाती है।
(घ) जो लोग अधिक्रम में सबसे नीचे हैं वे स्तरीकरण व्यवस्था को सबसे ज्यादा चुनौती दे सकते हैं।
14. सामाजिक स्तरीकरण की प्रक्रिया के निम्नलिखिल चरणों को सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए
(I) व्यक्ति की सामाजिक स्थिति जन्म के समय निर्धारित होती है (प्रदत्त स्थिति)।
(II) संपत्ति, शिक्षा और अधिकार जैसे संसाधन परिवारों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होते हैं।
(III) बच्चे अपने माता-पिता की सामाजिक स्थिति को पाते हैं।
(IV) सामाजिक स्तरीकरण पीढ़ी-दर-पीढ़ी बना रहता है।
सही क्रम पहचानिए-
(क) (I), (II), (III), (IV)
(ख) (I), (III), (II), (IV)
(ग) (II), (I), (IV), (III)
(घ) (I), (III), (IV), (II)
15. हमारे देश में स्थापित संसदीय, विधि एवं शिक्षा व्यवस्था किस प्रारूप व प्रतिमानों पर आधारित है।
(क) भारतीय
(ख) विदेशी
(ग) स्वदेशी
(घ) ब्रिटिश
16. निम्नलिखित प्रश्न में, एक कथन "अभिकथन (A)" के रूप में दिया गया है, जिसके बाद एक दूसरा कथन "कारण (R)" के रूप में दिया गया है। नीचे दिये गए विकल्पों में से उचित उत्तर चुनें -
अभिकथन (A): सामुदायिक पहचान जन्म तथा अपनेपन पर आधारित होती है, न कि किसी अर्जित योग्यता या 'उपलब्धि' के आधार पर।
कारण (R) : इस प्रकार की पहचान 'प्रदत्त' कही जाती है, अर्थात् ये जन्म से निर्धारित होती हैं और संबंधित व्यक्तियों की पसंद या नापसंद इसमें शामिल नहीं होती।
(क) A और R दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या है।
(ख) A और R दोनों सत्य हैं लेकिन R, A की सही व्याख्या नहीं है।
(ग) A सत्य है लेकिन R असत्य है।
(घ) A असत्य है और R सत्य है।
खंड-ख
17. जनसंख्या की आयु संरचना से तात्पर्य है कि कुल जनसंख्या में विभिन्न आयु वर्गों में व्यक्तियों का अनुपात क्या है। कभी-कभी इस आयु संरचना में परिवर्तन आता है, जिसे जनसंख्या का वृद्ध होना (जनसंख्या का बूढ़ा होना) कहा जाता है।
आप इस कथन से क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
उत्तर-
जनसंख्या की आयु संरचना से तात्पर्य किसी देश की कुल जनसंख्या में विभिन्न आयु वर्गों (जैसे बालक, युवा, वृद्ध) का अनुपात है।
जनसंख्या वृद्ध होना का तात्पर्य ये है कि वृद्ध आयु वर्ग का अनुपात कुल जनसंख्या में बढ़ रहा है।
18. हम छोटे-छोटे बच्चों को घरेलू नौकर के रूप में काम करते हुए, नगरीय मध्यवर्गीय घरों में बड़े बच्चों के स्कूल बैग उठाते हुए देखते हैं।
सामाजिक असमानता एवं बहिष्कार का यह रोज़मर्रापन इन्हें स्वाभाविक बना देता है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? कारण सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर-
कथन से सहमत है क्योंकि सामाजिक असमानता और बहिष्कार रोज की घटनाओं में कई बार इतने सामान्य दिखते हैं कि स्वाभाविक प्रतीत होते हैं।
बचपन से समाजीकरण, पारिवारिक और सामाजिक व्यवस्थाएँ इसे सामान्य 'नैतिकता' का हिस्सा बना देती है।
अथवा
सपूर्ण विश्व में पत्थर तोड़ना, खुदाई करना, भारी वजन उठाना, रिक्शा या ठेला खींचना जैसे कमरतोड़ काम गरीब ही करते हैं। किर भी वे अपना जीवन शायद ही सुधार पाते हैं।
क्या यह समाज में अवसरों की समान उपलब्धता को दर्शाता है? कारण सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर-
नहीं, यह समाज में अवसरों की समान उपलब्धता को नहीं दर्शाता।
गरीबों के पास शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार के संसाधनों तक सीमित पहुँच होती है, जिससे वे पीढ़ी-दर-पीढ़ी कठिन मज़दूरी वाले कार्य करने के लिए बाध्य रहते हैं।
संसाधनों और अवसरों का विषम वितरण, सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता में बाधा बनता है; परिणामस्वरूप वे अपनी जीवन परिस्थितियाँ मुश्किल से सुधार पाते हैं।
19. अंग्रेज़ी आज भी विशेषाधिकारों की द्योतक है। जिसे अंग्रेज़ी का ज्ञान नहीं होता है उसे रोजगार के क्षेत्र में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन दूसरी और अंग्रेज़ी भाषा का ज्ञान अनेक वंचित समूहों के लिए लाभकारी सिद्ध हुआ है।
क्या आप इस कथन से सहमत हैं? कारण दीजिए।
उत्तर-
अंग्रेजी का ज्ञान आधुनिक रोज़गार के लिए अक्सर आवश्यक है, जिससे श्रेष्ठ अवसर मिलते हैं।
परंतु यह वंचित वर्ग के लिए 'सशक्तिकरण' का साधन भी हो सकता है, जो पारंपरिक रूप से वंचित थे।
20. संस्कृतिकरण की अवधारणा की अनेक स्तरों पर आलोचना की गई है। यह संरचनात्मक परिवर्तन नहीं लाता बल्कि केवल कुछ व्यक्तियों की स्थिति में परिवर्तन लाता है।
संस्कृतिकरण की अवधारणा की दो आलोचनाएँ दीजिए।
उत्तर-
संस्कृतिकरण पारंपरिक जाति/समूह की सामाजिक व शैक्षिक स्थिति बदलता है, संरचना नहीं।
अक्सर केवल सीमित व्यक्तियों/ समूहों की स्थिति में परिवर्तन आता है, पूरी जाति/समाज में नहीं।
21. औपनिवेशिक काल के नगरीकरण में पुराने शहरों का अस्तित्व कमजोर होता गया और उनकी जगह पर नए औपनिवेशिक शहरों का उद्भव और विकास हुआ।
औपनिवेशिक काल के नगरीकरण में पुराने शहरों का अस्तित्व कमजोर होने के कारण लोगों का जीवन कैसे प्रभावित हुआ?
उत्तर-
पहले से जो लोग अपने व्यापार कर रहे थे वो प्रभावित हुए
मशीनों पर निर्भरता बढ़ गई
हाथ से कार्य करने वाले लोगों का काम कम हुआ
लोगों को व्यापारियों के अनुसार काम करने पड़े
22. कोई दो कारण बताये जो क्षेत्रवाद को बढ़ावा देते हैं।
उत्तर-
क्षेत्रवाद का संबंध एक विशेष क्षेत्र ही होता है। इस क्षेत्र में रहने वाले सभी लोग अपने समान लक्षणों, मूल्यों तथा विश्वासों के कारण स्वयं को श्रेष्ठ मानते हैं।
इसका संबंध एक विशेष क्षेत्र के प्रति लगाव तथा प्रतिबद्धता से है, जोकि भाषा, नृजातीयता तथा अन्य विशेषताओं पर आधारित होता है।
अथवा
विशेषाधिकारप्राप्त अल्पसंख्यक कौन होते हैं?
उत्तर-
वो अल्पसंख्यक जिन्हें विशेषाधिकार प्राप्त है।
अल्पसंख्यक समूह जो किसी एक अर्थ में तो सुविधावंचित कहा जा सकता है लेकिन दूसरे अर्थ में नहीं। उदाहरण - पारसियों या सिक्खों जैसे धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग आर्थिक दृष्टि से अपेक्षाकृत सम्पन्न हो सकते हैं लेकिन वे फिर भी सांस्कृतिक अर्थ में सुविधावंचित हो सकते हैं क्योंकि हिंदुओं की विशाल जनसंख्या की तुलना में उनकी संख्या कम है।
23. आधुनिक भारत में स्त्रियों की स्थिति का प्रश्न उन्नीसवीं सदी के मध्य वर्गीय सामाजिक सुधार आंदोलनों के एक हिस्से के रूप में उदित हुआ। इन आंदोलनों का स्वरूप सभी क्षेत्रों में एक जैसा नहीं था। उन्हें अक्सर मध्य वर्गीय सुधार आंदोलनों की संज्ञा दी जाती थी।
उन्नीसवीं सदी के सामाजिक सुधार आंदोलनों को मध्य वर्गीय सुधार आंदोलनों की संज्ञा क्यों दी गई?
उत्तर-
इन सुधारकों में से बहुत से लोग नए उभरते हुए पाश्चात्य शिक्षा प्राप्त भारतीय मध्य वर्ग से थे।
वे अक्सर आधुनिक पश्चिम के लोकतांत्रिक आदर्शों द्वारा और अपने स्वयं के अतीत की लोकतांत्रिक परंपराओं पर गर्व एवं गौरव महसूस करते हुए इन सुधारों के लिए प्रेरित हुए थे।
24. आत्मसात्करण की नीतियाँ - अक्सरनृजातीय, धार्मिक या भाषायी समूहों की पहचानों को एकदम दबा दिया जाता है, समूहों के बीच पायी जाने वाली सांस्कृतिक भिन्नताओं को मिटाने की कोशिश करती हैं।
एकीकरण की नीतियाँ सार्वजनिक और राजनीतिक क्षेत्र से जातीय-राष्ट्रीय और सांस्कृतिक भिन्नताओं को समाप्त करने का प्रयास कर एक एकल राष्ट्रीय पहचान स्थापित करना चाहती हैं।
इन दोनों नीतियों में क्या अंतर है?
उत्तर-
आत्मसात्करण में उपसमूह या अल्पसंख्यक समूह प्रमुख संस्कृति की विशेषताओं को अपनाकर अपनी पारंपरिक पहचान खो देते हैं।
एकीकरण में विभिन्न सांस्कृतिक समूह मिलकर एक समग्र पहचान का निर्माण करते हैं, परंतु कुछ भिन्नताएँ बनी रहती हैं।
25. आज नागरिक समाज संगठनों की क्या प्रासंगिकता है?
उत्तर-
नागरिक समाज सार्वजनिक अधिकार का गैर-राजकीय तथा गैर-बाजारी भाग होता है। इसमें व्यक्ति स्वेच्छा से संस्थाओं तथा संगठनों के निर्माण के लिए एक-दूसरे के साथ जुड़ जाते हैं।
नागरिक समाज सामाजिक मुद्दों को उठाते हैं। सरकार को प्रभावित करने तथा अपनी माँगों को मनवाने की कोशिश करते हैं। अपने सामूहिक हितों को सरकार के समक्ष रखते हैं तथा विभिन्न मुद्दों पर लोगों का सहयोग माँगते हैं।
खंड-ग
26. "कठिनाइयाँ इस तथ्य से भी उत्पन्न होती हैं कि सांस्कृतिक पहचानें बहुत प्रबल होती हैं, वे तीव्र भावावेशों को भड़का सकती हैं और अक्सर बड़ी संख्या में लोगों को एकजुट कर देती हैं।"
प्रबल सांस्कृतिक पहचानें राष्ट्र-निर्माण के लिए कौन सी मुख्य चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है?
उत्तर-
सांस्कृतिक पहचानें लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़ती हैं, जिससे बड़े स्तर पर जबर्दस्त सामाजिक उथल-पुथल हो सकती है।
विविधता के कारण प्रशासन, नीति निर्माण और राष्ट्र निर्माण में बाधाएँ आती हैं: उदाहरण : स्वरूप - भाषा, धर्म या जातीय पहचान पर आधारित आंदोलन/विरोध।
सांस्कृतिक टकराव, अलगाववाद, क्षेत्रीयता की भावना बढ़ती है।
इसका समाधान रचनात्मक राजनीति एवं समावेशी नीति द्वारा किया जा सकता है।
27. इसके विपरीत ब्रितानीउपनिवेशवादपूँजीवादी व्यवस्था पर आधारित था। इसने प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक व्यवसाय में बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप किए जिनसे ब्रितानीपूँजीवाद का विस्तार हुआ और उसे मजबूती मिली।
ब्रिटिश औपनिवेशिक नीतियों ने भारत की कृषि एवं आर्थिक संरचना को कैसे बदल दिया?
उत्तर-
ब्रिटिश भूमि नीति ने जमीनों का स्वामित्व बदल दिया (जैसे: स्थायी बंदोबस्त)।
किस फसल का उत्पादन हो, इसकी निर्धारित नीतियाँ बनाई गई (जैसे, नील, कपास)।
इससे भारतीय किसानों की आर्थिक संरचना पर नकारात्मक असर, कई किसान कर्ज में डूबे।
परंपरागत फसल और पोषण चक्र भी प्रभावित हुए।
28. औपनिवेशिक काल के दौरान सभी प्रमुख सामाजिक संस्थाओं में प्रमुख परिवर्तन आए। उपनिवेशवाद ने जाति व्यवस्था को कैसे रूपांतरित किया, भारतीय अनुभव की चर्चा कीजिए।
उत्तर-
जाति का वर्तमान स्वरूप प्राचीन भारतीय परंपरा की अपेक्षा उपनिवेशवाद की ही अधिक देन हैं।
ब्रिटिश प्रशासकों ने देश पर कुशलतापूर्वक शासन करना सीखने के उद्देश्य से जाति व्यवस्थाओं की जटिलताओं को समझने के प्रयत्न शुरू किए।
इन प्रयत्नों के अंतर्गत देश भर में विभिन्न जनजातियों तथा जातियों की प्रथाओं और तौर-तरीकों के बारे में अत्यंत सुव्यवस्थित रीति से गहन सर्वेक्षण किए गए और उनके विषय में रिपोर्ट तैयार की गई।
जाति के विषय में सूचना एकत्र करने का अब तक का सबसे महत्वपूर्ण सरकारी प्रयत्न जनगणना के माध्यम से किया गया। जनगणना के कार्य को सर्वप्रथम 1860 के दशक में प्रारंभ किया गया था।
29. जिन लोगों को ग्रामीण इलाकों में काम (पर्याप्त काम) नहीं मिलता वे काम की तलाश में शहर चले जाते हैं। गाँवों से नगरों की ओर प्रवसन की गति में इसलिए भी तेजी आई है क्योंकि गाँवों में तालाबों, वन प्रदेशों और गोचर भूमियों जैसे साझी संपत्ति के संसाधनों में बराबर कमी आती जा रही है। पहले साझे संसाधनों से गरीब लोग गाँवों में गुजारा कर लिया करते थे हालांकि, उनके पास जमीन बहुत कम या बिल्कुल नहीं हुआ करती थी।
ग्रामीण-से-नगरीय प्रवसन के इस स्वरूप पर विस्तार से चर्चा करें।
उत्तर-
ग्रामीण इलाकों में रोज़गार के अवसरों की कमी के चलते लोग शहरों की ओर जाते हैं।
गाँवों की साझा संपत्तियाँ (तालाब, जंगल) घटती जा रही हैं।
शहरों में काम व सुविधाएँ उपलब्ध हैं; यही आकर्षण का कारण है।
दुष्प्रभावः झुग्गियों में वृद्धि, प्रतियोगिता, शहरी समस्याएँ।
30. धर्मग्रंथ के सख्त नियमों के अनुसार, सामाजिक तथा आर्थिक प्रस्थिति को निश्चित रूप से अलग रखा जाता था। हालाँकि वास्तविक ऐतिहासिक व्यवहार में सामाजिक तथा आर्थिक प्रस्थिति एक दूसरे के अनुरूप होती थी। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए कि धर्मग्रंथ के सख्त नियमों के अनुसार, सामाजिक तथा आर्थिक प्रस्थिति को किस प्रकार स्पष्ट रूप से अलग माना जाता था। यह भी दर्शाइए कि वास्तविक ऐतिहासिक व्यवहार में किस प्रकार सामाजिक तथा आर्थिक प्रस्थिति एक दूसरे के अनुरूप होती थी।
उत्तर-
उदाहरण के लिए, आनुष्ठानिक रूप से सबसे ऊँची जाति, ब्राह्मण को धन संचय की अनुमति नहीं थी। ब्राह्मण, धार्मिक क्षेत्र में सर्वोपरि होने के बावजूद, क्षत्रिय राजाओं की इह-लौकिक (या धर्म से परे) शक्ति के अधीन होते थे।
दूसरी ओर, उच्चतम चिरकालिक प्रस्थिति एवं शक्ति के बावजूद, राजा आनुष्ठानिक-धार्मिक क्षेत्र में ब्राह्मणों के अधीन होते थे।
स्पष्टतया सामाजिक (जैसे, जाति) और आर्थिक हैसियत में घनिष्ठ संबंध था।
'ऊँची' जातियाँ प्रायः परंपरागत रूप से उच्च आर्थिक प्रतिष्ठा की थीं, जबकि 'निम्न' जातियाँ प्रायः निम्न आर्थिक स्थिति की होती थीं।
31. जाति जन्म से निर्धारित होती है। एक बच्चा अपने माता-पिता की जाति में ही 'जन्म लेता' है। जाति कभी चुनाव का विषय नहीं होती।
इस कथन को विस्तार से समझाये।
उत्तर-
जाति व्यवस्था में किसी व्यक्ति की जाति उसके जन्म से तय होती है।
यह उसके माता-पिता की जाति से निर्धारित होती है।
यह कभी चयन का विषय नहीं होती, यानी व्यक्ति अपनी जाति बदलने या चुनने में स्वतंत्र नहीं होता।
जाति, भारतीय समाज की एक सामाजिक संस्था है जो जन्म आधारित पहचान, सामाजिक स्थिति और व्यावसायिक विभाजन को नियंत्रित करती है।
अथवा
आज जनजातीय पहचानें, उन जनजातियों की आदिम (मौलिक) विशिष्टताओं को जो कि सिर्फ जनजातियों की होती थी के बजाय, इस अंतः क्रियात्मक प्रक्रिया से बन रही हैं।
समकालीन भारत में जनजातीय पहचान निर्माण की प्रक्रिया क्या है?
उत्तर-
जनजातीय पहचान केवल उनकी आदिम (मौलिक) विशिष्टताओं पर आधारित नहीं है।
यह पहचान अन्य सामाजिक समूहों और मुख्यधारा के समाज के साथ अंतःक्रिया के माध्यम से बन रही है।
मुख्यधारा के साथ यह अंतःक्रिया अक्सरजनजातीय समुदायों के लिए अनुकूल परिस्थितियों में नहीं होती।
प्रतिरोध का केंद्र - अनेक जनजातीय पहचानें अब गैर-जनजातीय जगत की दमनकारी शक्ति का प्रतिरोध और विरोध करने के विचारों पर केंद्रित हो रही हैं।
32. पुरुषों और स्त्रियों के बीच जैविक और शारीरिक स्पष्ट अंतरों के कारण अक्सर यहीं समझा जाता है कि लैंगिक असमानता प्रकृति की ही देन है। किंतु, इस बाहरी दिखावट के बावजूद विद्वानों ने यह भी दर्शा दिया है कि पुरुषों और स्त्रियों के बीच असमानताएँ प्राकृतिक नहीं, बल्कि सामाजिक हैं।"
क्या लैंगिक संबंधों में जैविक भिन्नताओं और सामाजिक असमानताओं के बीच यह अंतर उचित है? अपने उत्तर के लिए कारण दीजिए।
उत्तर-
जैविक भेद केवल शरीर की रचनात्मकता से संबंधित है, जैसे - पुरुष-महिलाओं में शारीरिक अंतर।
परंतु लिंग आधारित असमानता - जैसे वेतन, शिक्षा, संपत्ति, अधिकार समाज द्वारा निर्मित होती है।
समाज में परिभाषित भूमिका (उदाहरण सिर्फ महिलाएँ घरेलू कार्य करें) प्राकृतिक नहीं, सामाजिक है।
अतः लिंग भेद सामाजिक असमानता है, जैविक नहीं।
खंड-घ
33. चार्ट में दिए गए डेटा के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें:
(क) 1921 के बाद मृत्यु दर में गिरावट आने के प्रमुख कारण क्या थे?
उत्तर-
अकालों और महामारियों पर नियंत्रण - अकालों की आवृति और प्रभाव कम हुआ, और महामारियों के प्रसार पर रोक लगी।
महामारियों की रोकथाम का महत्व - विभिन्न महामारियों (जैसे ज्वर, प्लेग, चेचक, हैजा) में कमी आई।
1918-19 की इंफ्लुएंजा महामारी का सबक इस महामारी ने करोड़ों लोगों की जान ली। जिसके बाद ऐसी महामारी से बचने के लिए उपाय खोजे गए।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार- बीमारियों के उपचार में सुधार, बड़े पैमाने पर टीकाकरण कार्यक्रम और व्यापक स्वच्छता अभियानों ने रोग नियंत्रण में मदद की।
(ख) 'पैंडेमिक' और 'एपिडेमिक' से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
'पैडेमिक' शब्द एक ऐसी महामारी के लिए उपयोग किया जाता है जो बहुत व्यापक भौगोलिक क्षेत्र को प्रभावित करती है।
'एपिडेमिक' शब्द को सीमित क्षेत्र में फैली महामारी के लिए उपयोग किया जाता है।
(प्रश्न 33. दृष्टिबाधित अभ्यर्थियों के लिए)
नीचे दिए गए गद्यांश के आधार पर प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
जनसांख्यिकीय संक्रमण की अवस्था के प्रभाव के कारण स्थूल जन्म दर और मृत्यु दरें 1921 से 1931 के दशक के बाद एक-दूसरे से भिन्न दिशा में जाने लगी थी। 1931 से पहले, मृत्यु दरें और जन्म दरें दोनों ही ऊँची रही हैं। इस संक्रमण वर्ष के बाद मृत्यु दरो में तेज्जी से गिरावट आई हैं जबकि जन्म दर थोड़ी-सी गिरी है।
(क) 1921 के बाद मृत्यु दर में गिरावट आने के प्रमुख कारण क्या थे?
उत्तर-
अकालों और महामारियों पर नियंत्रण अकालों की आवृत्ति और प्रभाव कम हुआ, और महामारियों के प्रसार पर रोक लगी।
महामारियों की रोकथाम का महत्व विभिन्न महामारियों (जैसे ज्वर, प्लेग, चेचक, हैजा) में कमी आई।
1918-19 की इंफ्लुएंजा महामारी का सबक इस महामारी ने करोड़ों लोगों की जान ली। जिसके बाद ऐसी महामारी से बचने के लिए उपाय खोजे गए।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार बीमारियों के उपचार में सुधार, बड़े पैमाने पर टीकाकरण कार्यक्रम और व्यापक स्वच्छता अभियानों ने रोग नियंत्रण में मदद की।
(ख) 'पैंडेमिक' और 'एपिडेमिक' से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
'पैंडेमिक' शब्द एक ऐसी महामारी के लिए उपयोग किया जाता है जो बहुत व्यापक भौगोलिक क्षेत्र को प्रभावित करती है।
'एपिडेमिक' शब्द को सीमित क्षेत्र में फैली महामारी के लिए उपयोग किया जाता है।
34. स्वतंत्रता के बाद भारतीय परिवार, विवाह और संबंधों में हुए प्रमुख परिवर्तन और उन परिवर्तनों के कारणों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर-
स्वतंत्रता के बाद संयुक्त परिवारों का विघटन, एकल परिवारों का प्रचलन, विवाह के स्वरूप में परिवर्तन।
महिला शिक्षा, रोज़गार के बढ़ते अवसर, शहरीकरण, औद्योगीकरण, कानूनी और संवैधानिक अधिकार, अंतर्जातीयविवाहों में वृद्धि।
सामाजिक गतिशीलता, पारिवारिक रिश्तों में बदलाव, परिवार की भूमिका/आकार में कमी।
मुख्य कारणः शिक्षा, आर्थिक स्वतंत्रता, औद्योगीकरण, शहरी संस्कृति, जागरुकता, महिला अधिकारों की स्वीकृति।
विवाह की उम्र में वृद्धि, विवाह संबंधों का नया दृष्टिकोण (सहयोगात्मक संबंध, कन्यादान आदि प्रथाओं में बदलाव)।
परिणामः स्त्री-पुरुष संबंधों में समता की भावना, बच्चों की परवरिश, पूर्वाग्रह में कमी।
35. सामाजिक भेदभाव के मुद्दों को संबोधित करने में 19वीं शताब्दी से 20वीं शताब्दी के प्रारंभ तक समाज सुधार आंदोलनों का विकास कैसे हुआ?
उत्तर-
19वीं शताब्दी में समाज सुधार आंदोलनों की शुरुआत सामाजिक कुरीतियों, जातिवाद, सती प्रथा, बाल विवाह आदि के विरोध में हुई।
राजा राममोहन राय (सती व बाल विवाह निषेध), ईश्वरचन्द्रविद्यासागर (विधवा पुनर्विवाह), जोतिबाफुले (शिक्षा व महिला अधिकार), स्वामी दयानंद (आर्य समाज), डॉ. भीमराव अंबेडकर (अस्पृश्यता निषेध) आदि अग्रणी रहे।
संगठनों की स्थापना (ब्रह्म समाज, आर्य समाज, सत्यशोधक समाज)।
विधि में संशोधन, शिक्षा का प्रचार, महिला सशक्तिकरण, छूआछूत विरोधी अभियान, समाज में जागरुकता फैलाना।
इन आंदोलनों ने जातीय व लैंगिक असमानता को चुनौती दी।
स्वतंत्रता संग्राम में सामाजिक समानता तथा मानवाधिकारों के विचार का समावेश।
EVENING SHIFT
MID-TERM EXAMINATION (2025-26)
CLASS: XII
SUBJECT: SOCIOLOGY (039)
Time Allowed: 3 hours
Maximum Marks: 80
समय: 3 घंटे
अधिकतम अंक 80
सामान्य-निर्देश :
1. प्रश्न पत्र को चार खंडों में बांटा गया है।
2. कुल 35 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
3. खंड क में प्रश्न संख्या 1-16 है। ये बहुविकल्पीय प्रकार के प्रश्न है। प्रश्न के अनुसार, एक उत्तर हो सकता है।
4. खंड ख में प्रश्न संख्या 17-25 है। ये अति लघु उत्तरीय प्रकार के प्रश्न है जिनमें प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 30 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।
5. खंड ग में प्रश्न संख्या 26-32 है। ये लघु उत्तरीय प्रकार के प्रश्न हैं जिनमें प्रत्येक प्रश्न 4 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 80 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।
6. खंड घ में प्रश्न संख्या 33-35 है। ये दीर्घ उत्तरीय प्रकार के प्रश्न, हैं जिनमें प्रत्येक प्रश्न 6 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 200 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।
7. प्रश्न संख्या 33 का उत्तर दिए गए ग्राफिक्स की मदद से देना है।
General Instructions:
1. The question paper is divided into four sections.
2. There are 35 questions in all. All questions are compulsory.
3. Section A includes question No. 1-16. These are MCQ type questions. As per the question, there can be one answer.
4. Section B includes question No. 17-25. These are very short answer type question carrying 2 marks each Answer to each question should not exceed 30 words.
5. Section C includes question No. 26-32. They are long answer type questions carrying marks each Answer to each question should not exceed 80 words each.
6. Section D includes question No. 33-35. They are long answer type questions carrying marks each. Answer to each question should not exceed 200 words each.
7. Question no. 33 is to be answered with the help of the given graphics.
खंड-क
1. निम्नलिखित प्रश्न में, एक कथन "अभिकथन (A)" के रूप में दिया गया है, जिसके बाद एक दूसरा कथन "कारण (R)" के रूप में दिया गया है। नीचे दिये गए विकल्पों में से उचित उत्तर चुनें -
अभिकथन (A): चयनात्मक गर्भपात की समस्या गरीबी या अज्ञानता या संसाधनों के अभाव के कारण नहीं है।
कारण (R): हम पाते हैं कि सबसे समृद्ध क्षेत्रों में लिंग अनुपात सबसे कम है।
(क) A और R दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या है।
(ख) A और R दोनों सत्य हैं लेकिन R, A की सही व्याख्या नहीं है।
(ग) A सत्य है लेकिन R असत्य है।
(घ) A असत्य है और R सत्य है।
2. निम्नलिखित प्रश्न में, एक कथन "अभिकथन (A)" के रूप में दिया गया है, जिसके बाद एक दूसरा कथन "कारण (R)" के रूप में दिया गया है। नीचे दिये गए विकल्पों में से उचित उत्तर चुनें -
अभिकथन (A) : परिवार कटु संघर्षों, अन्याय और हिंसा का स्थल है।
कारण (R): परिवार गहरे, स्नेह एवं देखभाल का स्थान है।
(क) A और R दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या है।
(ख) A और R दोनों सत्य हैं लेकिन R, A की सही व्याख्या नहीं है।
(ग) A सत्य है लेकिन R असत्य है।
(घ) A असत्य है और R सत्य है।
3. निम्नलिखित में से कौन सी जाति व्यवस्था की विशेषता नहीं है?
(I) जाति, जन्म से निर्धारित होती है।
(II) जाति समूह सजातीय होते है।
(III) जाति की सदस्यता के साथ विवाह संबंधी नियम लचीले होते है।
(IV) इसमें खंडात्मक संगठन होता है।
(क) (II) और (III)
(ख) (II) और (IV)
(ग) (I) और (III)
(घ) केवल (III)
4. प्राकृतिक वृद्धि दर या जनसंख्या संवृद्धि दर का तात्पर्य इनमें से क्या है?
(क) बढ़ती जन्म और मृत्यु दर
(ख) बढ़ती जन्म दर और घटती मृत्यु दर
(ग) जन्म दर और मृत्यु दर के बीच का अंतर
(घ) घटती मृत्यु दर
5. निम्नलिखित में से कौन नागरिक समाज का हिस्सा नहीं है?
(क) दूरदर्शन
(ख) गैर-सरकारी संगठन
(ग) राजनीतिक दल
(घ) धार्मिक संगठन
6. ऐसी प्रक्रिया को क्या कहते हैं, जिसके द्वारा (आमतौर पर मध्य या निम्न) जाति के सदस्य किसी उच्च जाति (या जातियों) की धार्मिक क्रियाओं, घरेलू या सामाजिक परिपाटियों को अपनाकर अपनी सामाजिक प्रस्थिति को ऊँचा करने का प्रयत्न करते हैं?
(क) समाजीकरण
(ख) आधुनिकरण
(ग) विसंस्कृतिकरण
(घ) संस्कृतिकरण
7. भारत की जनगणना के आंकड़ों (2011) के अनुसार, भारत में किस राज्य में बाल स्त्री-पुरुष अनुपात सबसे अधिक है -
(क) केरल
(ख) अरूणाचल प्रदेश
(ग) असम
(घ) पंजाब
8. 'विविधता' शब्द का अर्थ है:
(क) समानता के बजाय असमानताएँ।
(ख) असमानताओं के बजाय अंतर।
(ग) अंतर और असमानता दोनों।
(घ) केवल अंतर।
9. धार्मिक पहचान पर आधारित आक्रामक उग्रवाद को क्या कहते हैं।
(क) जातिवाद
(ख) क्षेत्रवाद
(ग) उग्रवाद
(घ) संप्रदायवाद
10. निम्नलिखित प्रश्न में, एक कथन "अभिकथन (A)" के रूप में दिया गया है, जिसके बाद एक दूसरा कथन "कारण (R)" के रूप में दिया गया है। नीचे दिये गए विकल्पों में से उचित उत्तर चुनें -
अभिकथन (A): सामाजिक बहिष्कार स्वैच्छिक है।
कारण (R) : बहिष्कार उन लोगों की इच्छा की परवाह किए बिना किया जाता है जिन्हें बहिष्कृत किया जाता है।
(क) A और R दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या है।
(ख) A और R दोनों सत्य हैं लेकिन R, A की सही व्याख्या नहीं है।
(ग) A सत्य है लेकिन R असत्य है।
(घ) A असत्य है और R सत्य है।
नीचे दिया गया गद्यांश पढ़िए -
आधुनिकीकरण शब्द का एक लंबा इतिहास है। 19वीं सदी से और विशेषकर 20वीं सदी के दौरान, इस शब्द को सकारात्मक और वांछनीय मूल्यों से जोड़कर समझा जाने लगा। प्रत्येक समाज और उसके लोग आधुनिक बनना चाहते थे। प्रारंभिक वर्षों में आधुनिकीकरण का आशय प्रौद्योगिकी और उत्पादन प्रक्रियाओं में होने वाले सुधार से था।
दिए गए गद्यांश के आधार पर प्रश्न 11 और 12 के उत्तर दीजिए -
11. प्रारंभिक वर्षों में आधुनिकीकरण का आशय क्या था?
(क) प्रौद्योगिकी और उत्पादन प्रक्रियाओं में होने वाले सुधार से था।
(ख) विकास का वो तरीका जिसे पश्चिमी यूरोप या उत्तरी अमेरिका ने अपनाया।
(ग) मशीनों का इस्तेमाल
(घ) उत्पादन के तरीकों में सुधार
12. आधुनिकीकरण की विशेषता इनमें से कौन सी नहीं है?
(क) सार्वभौमिक प्रतिबद्धता और विश्वजनीन दृष्टिकोण
(ख) उपयोगिता, गणना और विज्ञान की सत्यता को महत्व
(ग) व्यक्ति को प्राथमिकता
(घ) व्यक्ति को प्राथमिकता नहीं
नीचे दिया गया गद्यांश पढ़िए -
सामाजिक बहिष्कार उन तरीकों को संदर्भित करता है जिनसे व्यक्ति व्यापक समाज में पूर्ण भागीदारी से कट जाते हैं। यह उन कारकों की एक विस्तृत श्रृंखला पर केंद्रित है जो व्यक्तियों या समूहों को बहुसंख्यक आबादी के लिए उपलब्ध अवसरों से वंचित करते हैं।
दिए गए गद्यांश के आधार पर प्रश्न 13 और 14 के उत्तर दीजिए।
13. सामाजिक बहिष्कार आकस्मिक नहीं बल्कि व्यवस्थित है यह निम्नलिखित संरचनात्मक विशेषताओं का परिणाम है :
(क) संविधान
(ख) अर्थव्यवस्था
(ग) समाज
(घ) पर्यावरण
14. सामाजिक बहिष्कार के विषय में निम्न कथनों को सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए:
(I) व्यक्ति या समूह को समाज में पूरी तरह घुलने-मिलने से रोका जाता है।
(II) व्यक्ति या समूह को उन अवसरों से वंचित करते हैं जो अधिकांश जनसंख्या के लिए खुले होते हैं।
(III) सामाजिक भेदभाव आकस्मिक या अनायास रूप से नहीं बल्कि व्यवस्थित तरीके से होता है।
(IV) यह समाज की संरचनात्मक विशेषताओं का परिणाम है।
सही क्रम पहचानिए -
(क) (I), (II), (III), (IV)
(ख) (I), (III), (II), (IV)
(ग) (II), (I), (IV), (III)
(घ) (I), (III), (IV), (II)
15. कौन सी 'शिक्षा पद्धति' राष्ट्रवादी चेतना का एवं उपनिवेश विरोधी चेतना का माध्यम बनी -
(क) पूर्वी
(ख) पश्चिमी
(ग) उत्तरी
(घ) दक्षिणी
16. निम्नलिखित प्रश्न में, एक कथन "अभिकथन (A)" के रूप में दिया गया है, जिसके बाद एक दूसरा कथन "कारण (R)" के रूप में दिया गया है। नीचे दिये गए विकल्पों में से उचित उत्तर चुनें -
अभिकथन (A): औपनिवेशिक काल के नगरीकरण में पुराने शहरों का अस्तित्व कमजोर होता गया।
कारण (R): कोलकाता ऐसा पहला नया औपनिवेशिक शहर था।
(क) A और R दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या है।
(ख) A और R दोनों सत्य हैं लेकिन R, A की सही व्याख्या नहीं है।
(ग) A सत्य है लेकिन R असत्य है।
(घ) A असत्य है और R सत्य है।
खंड-ख
17. भूमि-सुधारों ने उन ऊँची जातियों के अधिकार छीन लिए जो 'अनुपस्थित यानी दूरवासी जमींदार' थे, इस अर्थ में कि वे कृषि अर्थव्यवस्था में कोई भूमिका नहीं निभाते थे, बस लगान वसूलते थे। वे ज्यादातर कस्बों और शहरों में रहते थे।
इस कथन से आप क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
उत्तर-
भूमि सुधारों ने पहले के दावेदारों से अधिकार छीन लिए थे।
अब ये भूमि अधिकार उस अगले स्तर के दावेदारों को प्राप्त हो गए हैं जो कृषि के प्रबंध में तो शामिल थे पर स्वयं भूमि नहीं जोतते थे।
18. संप्रदायवाद की एक प्रमुख विशिष्टता उसका यह दावा है कि धार्मिक पहचान अन्य सभी की तुलना में सर्वोपरि होती है। चाहे कोई गरीब हो या अमीर, चाहे किसी का कोई भी व्यवसाय हो, जाति या राजनीतिक विश्वास हो, धर्म ही सब कुछ होता है, उसी के आधार पर उसकी पहचान है। सभी हिंदू एक समान होते हैं जैसे, सभी मुसलमान, सिख आदि।
धर्मनिरपेक्षतावाद के विषय में विस्तार से बताये।
उत्तर-
एक राजनैतिक एवं संविधानीसिद्धान्त है।
राज्य के संचालन एवं नीति-निर्धारण में धर्म का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
सभी धर्म के लोग कानून, संविधान एवं सरकारी नीति के आगे समान है। इस प्रकार एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति या राज्य वह होता है जो किसी विशेष धर्म का अन्य धर्मों की तुलना में पक्ष नहीं लेता।
अथवा
अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए कोई दो संवैधानिक प्रावधान लिखें?
उत्तर-
भारत के राज्यक्षेत्र या उसके किसी भाग में निवास करने वाले नागरिकों के किसी वर्ग को, जिसकी अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति हो, उसे संरक्षित रखने का अधिकार होगा।
किसी भी नागरिक को धर्म, मूलवंश, जाति या भाषा के आधार पर राज्य द्वारा पोषित या राज्य निधि से प्राप्त किसी भी शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश से वंचित नहीं किया जाएगा।
19. श्रीनिवास के अनुसार संस्कृतिकरण का तात्पर्य सामान्यतः संबंधित समूह की आर्थिक या राजनीतिक असमानता की स्थिति में सुधार से है। लेकिन भारत एक अत्यधिक असमानता वाला समाज था, इसलिए निम्न जातियों के लिए उच्च जातियों के रीति-रिवाजों को अपनाने में कई बाधाएँ थीं।
संस्कृतीकरण को परिवर्तन की प्रक्रिया के रूप में समझाइए?
उत्तर-
संस्कृतिकरण से तात्पर्य एक ऐसी प्रक्रिया से है जिसके द्वारा एक निम्न जाति समूह अपने रीति-रिवाज, विचारधारा, अनुष्ठान और जीवन के तरीकों को उच्च जाति यानी द्विज जाति की दिशा में बदल देता है।
निम्न जातियाँ उच्च स्तर की जाति के अनुष्ठानों, घरेलू और सामाजिक प्रथाओं को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करती हैं।
20. जब काम करने वाले लोगों का अनुपात काम न करने वालों की तुलना में अधिक बड़ा होता है, तब इसे जनसांख्यिकीयलाभाश कहा जाता है। भारत को "जनसांख्यिकीय लाभांश" से कैसे लाभ होता है?
उत्तर-
भारत की आर्थिक वृद्धि पर जनसांख्यिकीय लाभांश का बहुत प्रभाव है।
जनसांख्यिकीय लाभांश वह आर्थिक लाभ है जो तब उत्पन्न हो सकता है जब किसी जनसंख्या में कार्यशील आयु वर्ग के लोगों का अनुपात अपेक्षाकृत अधिक हो।
यह उनके सशक्तिकरण, शिक्षा और रोज़गार में प्रभावी रूप से निवेश करता है।
21. जिन वनों पर ज्यादातर जनजातीय समुदाय आश्रित थे, उनका छिन जाना एक बड़ा झटका साबित हुआ। ब्रिटिश काल में वनों का व्यवस्थित दोहन शुरू हुआ और वह प्रवृत्ति स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद भी जारी रही।
वनों के छिन जाने से किस प्रकार जनजातीय जीवन प्रभावित हुआ?
उत्तर-
आजीविका पर असर पड़ा
सामाजिक संरचना में बदलाव हुआ
22. क्यों उन्नीसवीं सदी के सामाजिक सुधार आंदोलनों को मध्य वर्गीय सुधार आंदोलनों की संज्ञा दी गई?
उत्तर-
इन सुधारकों में से बहुत से लोग नए उभरते हुए पाश्चात्य शिक्षा प्राप्त भारतीय मध्य वर्ग से थे।
वे अक्सर आधुनिक पश्चिम के लोकतांत्रिक आदर्शों द्वारा और अपने स्वयं के अतीत की लोकतांत्रिक परंपराओं पर गर्व एवं गौरव महसूस करते हुए इन सुधारों के लिए प्रेरित हुए थे।
अथवा
आर्थिक पूँजी और सामाजिक पूँजी से आप क्या समझते है?
उत्तर-
आर्थिक पूँजी - भौतिक संपति एवं आय के रूप में
सामाजिक पूँजी - सामाजिक संगतियों एवं संपर्कों के जाल के रूप में
23. औद्योगीकरण का संबंध यांत्रिक उत्पादन के उदय से है जो शक्ति के गैरमानवीय संसाधन जैसे वाष्प या विद्युत पर निर्भर होता है।
औद्योगिक समाज की विशेषताएँ बताएं?
उत्तर-
यांत्रिक उत्पादन का उदय
औद्योगिक समाजों में ज्यादा से ज्यादा रोज़गारवृत्ति में लगे लोग कारखानों, ऑफिसों और दुकानों में कार्य करते हैं।
कृषि संबंधी व्यवसाय में कमी
अधिक से अधिक लाभ की प्रवृत्ति
24. सत्यशोधक समाज की स्थापना किसने और क्यों की?
उत्तर-
जोतिबाफुले
सत्य की खोज पर बल दिया
25. 'पश्चिमी शिक्षा को भारत में इस उद्देश्य से लाया गया कि उससे भारतीयों का एक ऐसा वर्ग तैयार हो जो ब्रिटिश उपनिवेशवाद को बनाए रखने में सहयोगी हो।'
भारत में अंग्रेजी भाषा का प्रभाव बहुआयामी और विरोधाभासी रहा है। कारण बताइए।
उत्तर-
अंग्रेज़ी भाषा राष्ट्रवाद के विकास में एक प्रमुख योगदानकर्ता रही है क्योंकि इसने भाषाई रूप से विविध लोगों को संवाद करने के लिए एक सामान्य आधार प्रदान किया।
वैश्वीकरण के युग में अंग्रेज़ी भाषा ने भारतीयों को नौकरी के बाजार में दूसरों पर बढ़त दिलाई है।
कभी-कभी इसे सामाजिक प्रतिष्ठा और स्थिति से जोड़ दिया जाता है जिससे इसका प्रभाव अपमानजनक हो जाता है, इस प्रकार अंग्रेज़ी आज भी विशेषाधिकार का प्रतीक बनी हुई है।
खंड-ग
26. सामुदायिक पहचान, जन्म तथा अपनेपनपर आधारित होती है, न कि किसी अर्जित योग्यता या उपलब्धि के आधार पर।
सामुदायिक पहचान क्या है और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर-
सामुदायिक पहचान जन्म पर आधारित होती है अर्थात प्रदत्त पहचान।
प्रत्येक व्यक्ति एक विशेष परिवार और समुदाय में जन्म लेता है जिसकी एक विशेष पहचान होती है।
यह भाषा, धर्म, क्षेत्र आदि पर आधारित हो सकता है।
यह व्यक्ति की पहचान बन जाती है।
सदस्य सामुदायिक पहचान के लिए प्रतिबद्ध हैं।
सामुदायिक संबंधों के विस्तारित और अतिव्यापी दायरे हमारी दुनिया को अर्थ देते हैं।
27. विकास की अनिवार्यत्ताओं ने जनजातियों के प्रति राज्य के रूख या अभिवृत्तियों को शासित किया है और राज्य की नीतियों को आकार दिया है। राष्ट्रीय विकास, के नाम पर विशेष रूप से नेहरू युग में बड़े-बड़े बाँध बनाए गए, कारखाने स्थापित किए गए और खानों की खुदाई शुरू की गई?
राष्ट्रीय विकास और जनजातीय विकास के बीच संबंध स्पष्ट करें?
उत्तर-
नेहरू युग में राष्ट्रीय विकास का मुख्य उद्देश्य बड़े बांधों, कारखानों और खदानों के निर्माण पर केंद्रित था। चूँकि आदिवासी क्षेत्र खनिजों से समृद्ध थे, इसलिए उन्हें विकास गतिविधियों के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ी, जिससे जनजातियों की कीमत पर मुख्यधारा को लाभ पहुँचा।
विभिन्न खनन गतिविधियों और अन्य विकास कार्यों के लिए वन क्षेत्रों का उपयोग करके बांधों और कारखानों की स्थापना के परिणामस्वरूप जनजातियों का विस्थापन हुआ है। अधिकांश आदिवासी समुदाय जिन वनों पर निर्भर थे, उनका विनाश एक बड़ा झटका रहा है।
ज़मीन पर निजी संपत्तिके विचार ने भी जनजातियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला। जिन जनजातियों के पास ज्यादातर सामूहिक समुदाय आधारित स्वामित्व था, वे नई व्यवस्था में नुकसान में रहीं।
कई आदिवासी क्षेत्रों में गैर-आदिवासियों का भारी प्रवास हुआ है। इससे उनकी संस्कृतियों और समुदायों के बिखरने का खतरा है।
28. "माल्थस के जनसंख्या वृद्धि के सिद्धांत" को स्पष्ट करें?
उत्तर-
जनसंख्या वृद्धि का माल्थस सिद्धांत थॉमसरोबर्टमाल्थस द्वारा प्रतिपादित किया गया था।
उनके अनुसार जनसंख्या अनियंत्रित रूप से बढ़ती है। यह "ज्यामितीय श्रेणी" (2,4,8,16,32,...) में बढ़ती है। यह तेज होती है।
मनुष्य के भरण-पोषण केसाधन धीमी गति से बढ़ते है। यह "अंकगणितीय श्रेणी" (2,4,6,8,10.....) में बढ़ती है। यह धीमी होती है। परिणामस्वरूप समाज में असंतुलन पैदा होता है।
जनसंख्या अनियंत्रित रूप से बढ़ रही है, भूमि बड़ी जनसंख्या को सहारा देने में सक्षम नहीं है, जिसके कारण गरीबी, भुखमरी आदि बढ़ रही है।
29. सामाजिक स्तरीकरण को परिभाषित करें? सामाजिक स्तरीकरण के तीन प्रमुख सिद्धांत बताये।
उत्तर-
सामाजिक स्तरीकरण - वह व्यवस्था जो एक समाज में लोगों का वर्गीकरण करते हुए एक अधिक्रमित संरचना में उन्हें श्रेणीबद्ध करती है उसे सामाजिक स्तरीकरण करते हैं।
तीन मुख्य सिद्धांत -
सामाजिक स्तरीकरण व्यक्तियों के बीच की विभिन्नता का प्रकार्य ही नहीं बल्कि समाज की एक विशिष्टता है।
सामाजिक स्तरीकरण पीढ़ी-दर-पीढ़ी बना रहता है।
सामाजिक स्तरीकरण को विश्वास या विचारधारा द्वारा समर्थन मिलता है।
30. जनगणना के कार्य को सर्वप्रथम 1860 के दशक में प्रारंभ किया गया था। इसके बाद 1881 से तो जनगणना ब्रिटिश भारतीय सरकार द्वारा नियमित रूप से हर दस वर्ष बाद कराई जाने लगी।
हरबर्टरिजले द्वारा 1901 में कराई गई जनगणना क्यों महत्त्वपूर्ण थी? विभिन्न जातियों के प्रतिनिधियों की जनगणना पर क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर-
इस जनगणना के अंतर्गत जाति के सामाजिक अधिक्रम के बारे में जानकारी इकट्ठी करने का प्रयत्न किया गया।
किस क्षेत्र में किस जाति को अन्य जातियों की तुलना में सामाजिक दृष्टि से कितना ऊँचा या नीचा स्थान प्राप्त है और तदनुसार श्रेणी क्रम में प्रत्येक जाति की स्थिति निर्धारित कर दी गई।
विभिन्न जातियों के प्रतिनिधियों की जनगणना पर प्रतिक्रिया -
विभिन्न जातियों के प्रतिनिधियों द्वारा जनगणना आयुक्त के पास सैकड़ों याचिकाएँ भेजी गई जिनमें उन्होंने सामाजिक क्रम में अपनी जाति को अधिक ऊँचा स्थान देने की मांग की थी।
अपने दावों के समर्थन में विभिन्न जातियों के प्रतिनिधियों ने अनेक ऐतिहासिक तथा धर्मशास्त्रीय प्रमाण प्रस्तुत किए थे।
31. जब भी भाप छोड़ते पानी के स्टीमर किनारे से लगते, आसपास के बागानों के मालिक अंग्रेज और उनकी मेम जहाज़ से उतरते।
बागान मालिक कैसा जीवन जीते थे? विस्तार से बताये।
उत्तर-
बागान मालिकों के जीवन शैली में भोग विलास की चमक भरपूर थी।
वे विशाल बंगले में रहते थे
बंगले के चारों और मखमली बाग थे
उनके पास माली, बावर्ची और घरेलू कामकाज करने वाले नौकरों की फौज थी
अथवा
औद्योगीकरण का संबंध यांत्रिक उत्पादन के उदय से है जो शक्ति के गैरमानवीय संसाधन जैसे वाष्प या विद्युत पर निर्भर होता है।
ब्रिटिश औद्योगीकरण का भारतीय उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
भारत के कुछ क्षेत्रों में औद्योगिक क्षरण हुआ।
भारत में कुछ पुराने, परंपरात्मक नगरीय केन्द्रों का भी पतन हो गया।
परंपरागत ढंग से होने वाले रेशम और कपास का उत्पादन और निर्यात "मेनचेस्टर प्रतियोगिता" में गिरता चला गया।
भारत के प्राचीन नगर जैसे सूरत और मसुलीपट्नम जहाँ से व्यापार हुआ करता था, का अस्तित्व कमजोर होने लगा।
32. जाति का पदानुक्रमिक क्रम शुद्धता और अशुद्धता के बीच के अंतर पर आधारित है।
जाति एक भेदभावपूर्ण व्यवस्था है। इसके संकेतक बताइए?
उत्तर-
जाति व्यवस्था एक विशिष्ट भारतीय सामाजिक संस्था है जो विशेष जातियों में जन्मे लोगों के विरुद्ध भेदभाव की प्रथाओं को वैध बनाती है और लागू करती है।
भेदभाव की यह प्रथा अपमानजनक, बहिष्कारपूर्ण और शोषणकारी है।
इसने लोगों को उनके व्यवसाय और सामाजिक स्थिति के पदानुक्रम के आधार पर वर्गीकृत किया।
समाज के विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग में मुख्यतः उच्च जाति के लोग होते हैं, जबकि वंचित वर्ग में तथा कथित निम्न जाति के लोग हावी होते हैं।
गरीबी में रहने वाली आबादी का अनुपात विभिन्न जाति समूहों में बहुत भिन्न है।
खंड-घ
33. नीचे दी गई तालिका के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें :
(क) जनसंख्या की आयु संरचना से क्या तात्पर्य है? किस प्रकार आयु संरचना विकास के स्तरों और औसत आयु संभाविता के स्तरों में होने वाले परिवर्तनों के अनुसार बदलती रहती है?
उत्तर-
जनसंख्या की आयु संरचना से तात्पर्य है कि कुल जनसंख्या के विभिन्न आयु वर्गों में व्यक्तियाँ का अनुपात क्या है।
प्रारंभ में निम्न स्तर की चिकित्सा सुविधाओं, रोगों के प्रकोप और अन्य कई कारणों से जीवन अवधि अपेक्षाकृत कम थी।
इसके अलावा, शिशुओं तथा प्रसूताओं की मृत्यु की ऊँची दरें भी आयु संरचना को प्रभावित करती हैं।
विकास के साथ-साथ जीवन स्तर में सुधार होता जाता है और उसके कारण आयु की संभाविता भी बढ़ जाती है। इसके फलस्वरूप आयु संरचना में परिवर्तन आता है।
(ख) गिरता हुआ पराश्रितता अनुपात आर्थिक संवृद्धि और समृद्धि का स्रोत बन सकता है। बताइए कैसे ?
उत्तर-
कार्यशील लोगों का अनुपात काम ना करने वालों की तुलना में अधिक होने से आर्थिक लाभ अधिक होगा।
कार्यशील लोगों के अधिक होने से कार्य क्षमता बढ़ती हैं, जो आर्थिक संवृद्धि को बढ़ाती हैं।
(प्रश्न 33. वृष्टिबाधित अभ्यर्थियों के लिए)
नीचे दिए गए गद्यांश के आधार पर प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
भारत की जनसंख्या बहुत जवान है यानी अधिकांश भारतीय युवावस्था में हैं और यहाँ की आयु का औसत भी अधिकांश अन्य देशों की तुलना में कम है। सारणी दर्शाती है कि देश की संपूर्ण जनसंख्या में 15 वर्ष से कम आयु वाले वर्ग का हिस्सा जो 1971 में 42% के सर्वोच्च स्तर पर था घटकर 2011 में 29% के स्तर पर आ गया है।
(क) जनसंख्या की आयु संरचना से क्या तात्पर्य है? किस प्रकार आयु संरचना विकास के स्तरों और औसत आयु संभाविता के स्तरों में होने वाले परिवर्तनों के अनुसार बदलती रहती है?
उत्तर-
जनसंख्या की आयु संरचना से तात्पर्य है कि कुल जनसंख्या के विभिन्न आयु वर्गों में व्यक्तियों का अनुपात क्या है।
प्रारंभ में निम्न स्तर की चिकित्सा सुविधाओं, रोगों के प्रकोप और अन्य कई कारणों से जीवन अवधि अपेक्षाकृत कम थी।
इसके अलावा, शिशुओं तथा प्रसूताओं की मृत्यु की ऊँची दरें भी आयु संरचना को प्रभावित करती हैं।
विकास के साथ-साथ जीवन स्तर में सुधार होता जाता है और उसके कारण आयु की संभाविता भी बढ़ जाती है। इसके फलस्वरूप आयु संरचना में परिवर्तन आता है।
(ख) गिरता हुआ पराश्रितता अनुपात आर्थिक संवृद्धि और समृद्धि का स्रोत बन सकता है। बताइए कैसे?
उत्तर-
कार्यशील लोगों का अनुपात काम ना करने वालों की तुलना में अधिक होने से आर्थिक लाभ अधिक होगा।
कार्यशील लोगों के अधिक होने से कार्य क्षमता बढ़ती हैं, जो आर्थिक संवृद्धि को बढ़ाती हैं।
34. सत्तावादी राज्य और लोकतंत्रात्मक राज्य से आप क्या समझते है? किस प्रकार एक सत्तावादी राज्य लोकतंत्रात्मक राज्य का विपरीत होता है?
उत्तर-
सत्तावादी राज्य - सत्तावादी राज्य में लोगों की आवाज नहीं सुनी जाती और जिनके पास शक्ति होती है वे किसी के प्रति उत्तरदायी नहीं होते।
लोकतंत्रात्मक राज्य - लोकतंत्रात्मक राज्य में लोगों की आवाज सुनी जाती हैं और जिनके पास शक्ति होती है वे सबके प्रति उत्तरदायी होते हैं।
एक सत्तावादी राज्य का लोकतंत्रात्मक राज्य से विपरीत होना
लोगों के अधिकार भिन्न होते हैं
सत्तावादी राज्य अक्सर भाषण की स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता, राजनीतिक क्रियाकलाप की स्वतंत्रता, सत्ता के दुरुपयोग से संरक्षण का अधिकार, विधि (कानून) की अपेक्षित प्रक्रियाओं का अधिकार जैसी अनेक प्रकार की नागरिक स्वतंत्रताओं को अक्सर सीमित या समाप्त कर देते हैं। जबकि लोकतंत्रात्मक राज्य में ऐसा नहीं होता।
सत्तावादी राज्य की संस्थाएँ भ्रष्टाचार, अकुशलता अथवा संसाधनों की कमी के कारण लोगों की जरूरतों के बारे में सुनवाई करने के लिए अक्षम अथवा अनिच्छुक होती हैं।
एक सत्तावादी राज्य में लोगों की विचारधारा की कोई कीमत नहीं होती पर लोकतंत्रात्मक राज्य में ऐसा नहीं होता।
35. संस्कार और पंथनिरपेक्षीकरण के विषय में विस्तार से चर्चा करें।
उत्तर-
संस्कार व्यक्ति के जीवन में किए जाने वाले वे सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान जो -उसके व्यक्तित्व के निर्माण और समाज में स्वीकार्यता के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
पंथनिरपेक्षीकरण - समाज में धर्म का प्रभाव घट जाना
पंथनिरपेक्षीकरण के सूचकों में मनुष्य का धार्मिक संगठनों से संबंध (जैसे चर्च में उनकी उपस्थिति), धार्मिक संस्थानों का सामाजिक तथा भौतिक प्रभाव और लोगों के धर्म में विश्वास करने की सीमा है। लेकिन यह मान्यता है कि आधुनिक समाज उत्तरोतरपंथनिरपेक्ष हो रहा है, यह भी सही नहीं है।
भारत में किए जाने वाले कुछ अनुष्ठानों में पंथनिरपेक्षीकृत प्रभाव भी रहा है।
अनुष्ठानों में पंथनिरपेक्षता के कई आयाम होते हैं। वे पुरुषों तथा महिलाओं को अपने मित्रों तथा बड़े लोगों से घुलने-मिलने का अवसर प्रदान करते हैं।
वे परिवार की संपत्ति, कपड़े तथा आभूषण को प्रदर्शित करने का भी अवसर प्रदान करते हैं।
पिछले कुछ दशकों से अनुष्ठानों के आर्थिक, राजनीतिक और प्रस्थिति आयामी पक्ष ज्यादा उभरकर सामने आए हैं।