मानव स्मृति Notes in Hindi Class 11 Psychology Chapter-6 Book-1
0Team Eklavyaअगस्त 03, 2025
परिचय
स्मृति हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण और रोचक हिस्सा है। यह हमें यह जानने में मदद करती है कि हम कौन हैं, रिश्ते बनाए रखने में, समस्याओं को हल करने में और फैसले लेने में। कई बार स्मृति हमें उलझन में डाल देती है—जैसे जब हम किसी व्यक्ति का नाम याद नहीं कर पाते, परीक्षा में पढ़ी चीज़ भूल जाते, या जब अचानक हमें कोई पुरानी कविता पूरी याद आ जाती है।
मनोवैज्ञानिकों ने लंबे समय से यह समझने की कोशिश की है कि जानकारी स्मृति में कैसे रखी जाती है, कब और क्यों भूल जाते हैं, और स्मृति को बेहतर बनाने के तरीके क्या हैं। स्मृति पर शोध का इतिहास लगभग 100 साल पुराना है। सबसे पहले हर्मन एबिन्गहास (1885) ने इस पर अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि हम चीज़ों को एक समान गति से नहीं भूलते; शुरुआत में भूलना तेज होता है, फिर धीरे-धीरे कम हो जाता है। इस अध्याय में हम स्मृति के काम करने के तरीके, सिद्धांतों और उसे सुधारने की तकनीकों को समझेंगे।
स्मृति का स्वरूप
स्मृति वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम किसी सूचना को कुछ समय तक धारित करते हैं और आवश्यकता पड़ने पर उसे पुनः स्मरण करते हैं। यह तीन मुख्य अवस्थाओं में घटित होती है: कूट संकेतन (Encoding), जिसमें सूचना को पहली बार स्मृति तंत्र में दर्ज कर अर्थपूर्ण रूप में परिवर्तित किया जाता है; भंडारण (Storage), जिसमें सूचना को कुछ समय तक सुरक्षित रखा जाता है; और पुनरुद्धार (Retrieval), जिसमें संचित सूचना को समस्या समाधान, निर्णय आदि के लिए चेतना में वापस लाया जाता है। स्मृति की विफलता इन तीनों में से किसी भी अवस्था में हो सकती है, जैसे गलत कूट संकेतन, कमजोर भंडारण या पुनरुद्धार की असफलता।
सूचना प्रक्रमण उपागम: अवस्था मॉडल
शुरुआत में माना जाता था कि स्मृति एक विशाल भंडार है जहाँ सभी सीखी या अनुभव की गई सूचनाएँ संचित रहती हैं। कंप्यूटर के आविष्कार के बाद मानव स्मृति को भी एक प्रक्रमण तंत्र के रूप में समझा गया, जो कंप्यूटर की तरह सूचना का पंजीकरण, भंडारण और फेरबदल करता है। जैसे कंप्यूटर में अस्थायी (RAM) और स्थायी स्मृति (हार्ड डिस्क) होती है, वैसे ही मनुष्य भी सूचना को संचित कर आवश्यकता अनुसार उपयोग करता है। उदाहरण के लिए, गणितीय समस्या हल करते समय संबंधित जानकारी स्मृति से लेकर समाधान बनाया जाता है। इसी सादृश्य के आधार पर एटकिंसन और शिफ्रिन ने 1968 में स्मृति का अवस्था मॉडल (Stage Model) प्रस्तुत किया।
स्मृति तंत्र: संवेदी, अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक स्मृतियाँ
अवस्था मॉडल के अनुसार स्मृति तीन तंत्रों में विभाजित है: संवेदी स्मृति, जो संवेदी सूचनाओं को कुछ क्षणों के लिए रखती है; अल्पकालिक स्मृति, जहाँ सूचना थोड़े समय तक सक्रिय रहकर प्रक्रमित होती है; और दीर्घकालिक स्मृति, जहाँ सूचना लंबे समय तक संग्रहीत रहती है। प्रत्येक तंत्र की अपनी विशेषताएँ और कार्य होते हैं।
संवेदी स्मृति
नई सूचना सबसे पहले संवेदी स्मृति में आती है, जिसकी क्षमता बहुत अधिक लेकिन अवधि एक सेकंड से भी कम होती है। यह उद्दीपक की सटीक प्रतिकृति को संग्रहित करती है, इसलिए इसे संवेदी पंजिका कहते हैं। जैसे बल्ब बुझने के बाद दिखाई देने वाला दृश्य-उत्तर-बिंब या आवाज बंद होने के बाद सुनी जाने वाली प्रतिध्वनि, क्रमशः चित्रात्मक और प्रतिध्वन्यात्मक पंजिका के उदाहरण हैं।
अल्पकालिक स्मृति
हम सभी सूचनाओं पर ध्यान नहीं देते; जिन पर ध्यान देते हैं, वे अल्पकालिक स्मृति में जाती हैं। यह स्मृति सीमित सूचना को लगभग 30 सेकंड तक धारण कर सकती है और इसका कूट संकेतन मुख्यतः ध्वन्यात्मक होता है। यदि अभ्यास न किया जाए तो सूचना शीघ्र लुप्त हो जाती है। यह संवेदी स्मृति से अधिक स्थायी है, परंतु फिर भी कमजोर होती है।
दीर्घकालिक स्मृति
1. दीर्घकालिक स्मृति (Long-Term Memory)
अल्पकालिक स्मृति से आगे बढ़ी सूचनाएँ दीर्घकालिक स्मृति में जाती हैं, जिसकी क्षमता असीमित और अवधि स्थायी होती है। यहाँ सूचनाएँ अर्थ के आधार पर (शब्दार्थ कूट संकेतन) संग्रहित होती हैं। भूलने का कारण प्रायः पुनरुद्धार में विफलता होता है।
2. सूचना का प्रवाह (कैसे पहुँचती है?)
Atkinson और Shiffrin के अनुसार, सूचना का प्रवाह नियंत्रण प्रक्रियाओं से होता है। सभी संवेदी सूचनाएँ पंजीकृत नहीं होतीं; केवल चयनात्मक अवधान से ध्यान दी गई सूचना अल्पकालिक स्मृति (STM) में जाती है। अनुरक्षण पूर्वाभ्यास द्वारा सूचना दोहराई जाती है, लेकिन रुकते ही भूलने की संभावना रहती है। खंडीयन (chunking) से जानकारी समूहों में बाँटी जाती है। STM की क्षमता लगभग 7 ± 2 इकाई होती है।
3. STM से LTM में प्रवेश
विस्तारपरक पूर्वाभ्यास में नई सूचना को पुराने ज्ञान से जोड़कर याद किया जाता है, जैसे ‘मानवता’ को करुणा और सत्य से जोड़ना। इसमें सूचना को तार्किक ढाँचे, संबंधों या मानसिक छवियों में व्यवस्थित किया जाता है।
4. अवस्था मॉडल पर शोध
प्रयोगों से पता चला कि पहले माना गया था STM ध्वन्यात्मक और LTM शब्दार्थ संकेतों पर आधारित है, लेकिन बाद में दोनों में दोनों संकेत संभव पाए गए। KF केस (1970) में मस्तिष्क क्षति से STM प्रभावित था, फिर भी LTM सुरक्षित रही, जिससे सवाल उठा कि STM खराब होने पर LTM कैसे बनी? निष्कर्ष निकला कि स्मृति प्रक्रियाएँ सभी सूचनाओं के लिए समान हो सकती हैं और अलग भंडार मानने के बजाय स्मृति को नई दृष्टि से समझना चाहिए।
प्रक्रमण स्तर
प्रक्रमण स्तर दृष्टिकोण क्रैक और लॉकहार्ट (1972) के अनुसार, हम किसी जानकारी को कितनी देर तक याद रखते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसे किस तरह से समझा और विश्लेषित किया गया है। उन्होंने बताया कि सूचना का विश्लेषण तीन स्तरों पर हो सकता है:
निम्न स्तर – केवल बाहरी गुणों पर ध्यान देना, जैसे अक्षरों का आकार या रंग।
मध्य स्तर – शब्द की ध्वनि या संरचना पर ध्यान देना।
इन दोनों स्तरों पर याददाश्त कमजोर रहती है।
गहन स्तर – सूचना का अर्थ समझना और उसे अनुभव या तथ्यों से जोड़ना। यह तरीका सबसे प्रभावी है और स्मृति लंबे समय तक रहती है।
इसलिए, पढ़ाई करते समय रटने के बजाय अर्थ समझकर सीखना और उसे अपने अनुभव से जोड़ना दीर्घकालिक स्मृति का सबसे अच्छा तरीका है।
दीर्घकालिक स्मृति के प्रकार
दीर्घकालिक स्मृति एकसमान नहीं होती, इसमें अलग-अलग प्रकार की सूचनाएँ होती हैं। इसे दो मुख्य भागों में बाँटा गया है:
घोषणात्मक (Declarative) स्मृति – इसमें तथ्य और जानकारी आती है, जैसे "रिक्शा के तीन पहिए होते हैं", "भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ"। इसे शब्दों में आसानी से बताया जा सकता है।
घटनापरक (Episodic) स्मृति – हमारे जीवन से जुड़ी घटनाएँ, जैसे परीक्षा में प्रथम आने पर कैसा महसूस हुआ। यह भावनाओं से जुड़ी होती है।
आर्थी (Semantic) स्मृति – सामान्य ज्ञान और नियम, जैसे "अहिंसा का अर्थ क्या है" या "2+6 = 8"। इसमें तिथि याद नहीं रहती।
प्रक्रियामूलक (Procedural) स्मृति – इसमें कौशल से जुड़ी बातें होती हैं, जैसे साइकिल चलाना, चाय बनाना। इन्हें शब्दों में समझाना मुश्किल होता है।
संक्षेप में, घोषणात्मक स्मृति को हम आसानी से बता सकते हैं, लेकिन प्रक्रियामूलक स्मृति को करना आसान है, समझाना नहीं। घटनापरक स्मृति भावनाओं से जुड़ी होती है, जबकि आर्थी स्मृति सामान्य ज्ञान और तर्क से जुड़ी होती है।
विस्मरण के स्वरूप एवं कारण
हम सभी रोज़ विस्मरण का अनुभव करते हैं और प्रश्न उठता है—क्या जानकारी LTM से खो गई, सही तरह से याद नहीं हुई, कूट संकेतन ठीक से नहीं हुआ या भंडारण में गड़बड़ी हुई? विस्मरण को समझने के लिए कई सिद्धांत दिए गए हैं। हर्मन एबिंगहास ने निरर्थक शब्दांशों (CVC) पर प्रयोग कर पाया कि विस्मरण की दर पहले 9 घंटों में, खासकर पहले घंटे में सबसे अधिक होती है, फिर धीमी हो जाती है और कई दिनों बाद भी कुछ स्मृति बनी रहती है। उनके निष्कर्षों से पता चला कि स्मृति शुरू में तेजी से घटती है, बाद में धीरे-धीरे।
चिह्न ह्रास के कारण विस्मरण
चिह्न हास सिद्धांत के अनुसार, स्मृति मस्तिष्क में शारीरिक परिवर्तन (स्मृति चिह्न) बनाती है, जो उपयोग न होने पर धूमिल हो जाते हैं। लेकिन यह सिद्धांत अपर्याप्त पाया गया, क्योंकि शोध से पता चला कि याद करने के बाद सोने वालों में विस्मरण कम होता है जबकि जागने वालों में अधिक, जो इस सिद्धांत के विपरीत है। बाद में अवरोध सिद्धांत आया, जिसके अनुसार नई सूचना पूर्व जानकारी के पुनःस्मरण में बाधा डालती है, इसलिए विस्मरण का मुख्य कारण अवरोध माना गया।
अवरोध के कारण विस्मरण
विस्मरण का प्रमुख कारण अवरोध माना जाता है, जिसमें स्मृति में संग्रहीत सामग्री पुनरुद्धार के समय एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करती है। जब नई जानकारी पुरानी जानकारी को याद करने में बाधा डाले, तो इसे पूर्वलक्षी (retroactive) अवरोध कहते हैं, और जब पुरानी जानकारी नई जानकारी को याद करने में बाधा डाले, तो इसे अग्रलक्षी (proactive) अवरोध कहते हैं। उदाहरणतः, अंग्रेजी जानने के बाद फ्रेंच सीखने में कठिनाई अग्रलक्षी अवरोध है, जबकि फ्रेंच सीखने के बाद अंग्रेजी शब्द याद न आना पूर्वलक्षी अवरोध है।
पुनरुद्धार असफलता के कारण विस्मरण
विस्मरण का कारण केवल स्मृति चिह्नों का हास या अवरोध नहीं, बल्कि पुनरुद्धार संकेतों की अनुपस्थिति या अनुपयुक्तता भी हो सकता है। टलविंग के अनुसार, स्मृति की सामग्री तभी याद आती है जब सही संकेत उपलब्ध हों। उदाहरणतः, यदि शब्दों की सूची याद करने के बाद श्रेणियों के नाम बताए जाएँ, तो पुनःस्मरण बेहतर होता है। इस प्रकार, श्रेणी नाम या भौतिक संदर्भ प्रभावी पुनरुद्धार संकेत का कार्य करते हैं।
स्मृति वृद्धि
हम सभी एक मजबूत और विश्वसनीय स्मृति चाहते हैं ताकि भूलने से होने वाली कठिनाइयों से बच सकें। स्मृति प्रक्रियाओं को समझने के बाद स्वाभाविक है कि हम जानना चाहें कि इसे कैसे बेहतर बनाया जाए। स्मृति सुधार के लिए कई युक्तियाँ हैं, जिन्हें स्मृति-सहायक संकेत कहा जाता है। इनमें कुछ प्रतिमाओं (images) का उपयोग करते हैं, जबकि कुछ अधिगम सामग्री के संगठन पर जोर देते हैं। आइए, इन युक्तियों और अन्य सुझावों को देखें।
प्रतिमाओं के उपयोग से स्मृति-सहायक संकेत
स्मृति सुधार के लिए प्रतिमाओं पर आधारित दो प्रमुख विधियाँ हैं: मुख्य शब्द विधि और स्थान विधि। मुख्य शब्द विधि में विदेशी शब्द को उस अंग्रेजी शब्द से जोड़ते हैं जिसकी ध्वनि उससे मिलती है, जैसे स्पैनिश शब्द Pato (बत्तख) को अंग्रेजी Pot से जोड़कर एक बर्तन में बत्तख की कल्पना करें। स्थान विधि में याद रखने वाली वस्तुओं को परिचित स्थानों से जोड़ते हैं, जैसे ब्रेड और अंडा रसोईघर में, टमाटर मेज पर, और साबुन स्नानघर में कल्पना करें। बाद में इन स्थानों को मानसिक रूप से देखकर वस्तुएँ याद करें।
संगठन के उपयोग से स्मृति-सहायक संकेत
1. संगठन का महत्व
याद रखने के लिए सामग्री में क्रम और संरचना लाना संगठन कहलाता है। इससे बने ढाँचे पुनरुद्धार को आसान बनाते हैं।
2. स्मृति-सहायक तकनीकें (Mnemonic Techniques)
(अ) खंडीयन विधि (Chunking)
छोटी इकाइयों को मिलाकर बड़े खंड बनाना खंडीयन (chunking) कहलाता है, जैसे 194719492004 को 1947, 1949, 2004 में विभाजित करना। यह STM की क्षमता बढ़ाने और स्मृति सुधार में सहायक है।
(ब) प्रथम अक्षर तकनीक
प्रत्येक शब्द के पहले अक्षर से नया शब्द या वाक्य बनाना स्मृति युक्ति है, जैसे VIBGYOR से इंद्रधनुष के रंग याद रखना।
3. आधुनिक सुझाव (Modern Approaches)
स्मृति-सहायक संकेतों की बजाय स्मृति प्रक्रियाओं के ज्ञान पर जोर।
4. स्मृति सुधार के लिए आवश्यक कार्य
(अ) गहन स्तर का प्रक्रमण (Deep Processing)
स्मृति मजबूत करने के लिए सतही गुणों की बजाय अर्थ पर ध्यान दें, जानकारी को पूर्व ज्ञान से जोड़ें और गहन प्रश्न पूछें।
(ब) अवरोध घटाइए (Reduce Interference)
समान विषय लगातार न पढ़ें, अध्ययन में विविधता रखें और बीच-बीच में विराम (distributed practice) लें।
(स) पुनरुद्धार संकेत (Retrieval Cues)
पढ़ाई के दौरान संकेत पहचानकर उन्हें सामग्री से जोड़ें, क्योंकि संकेत याद रखना आसान होता है और पुनरुद्धार बेहतर बनता है।
5. PQRST विधि (Thomas & Robinson)
P = Preview (अध्याय का पूर्व-अवलोकन)।
Q = Question (प्रश्न बनाना)।
R = Read (उत्तर ढूँढ़ते हुए पढ़ना)।
S = Self-Recitation (खुद से दोहराना)।
T = Test (स्वयं परीक्षण)।
6. महत्वपूर्ण चेतावनी
कोई एक विधि स्मृति समस्याओं का पूरा समाधान नहीं कर सकती, क्योंकि स्मृति स्वास्थ्य, रुचि, प्रेरणा और सामग्री से परिचय जैसे कारकों पर निर्भर करती है।
स्मृति सुधार तकनीकों का चयन सामग्री की प्रकृति के अनुसार करें।