टॉर्च बेचनेवाला Important Short and Long Question Class 11 Chapter-3 Book-Anta Part-1
Team Eklavya
मार्च 05, 2025
1. "टॉर्च बेचने वाले" कहानी के लेखक कौन हैं?
उत्तर:
इस व्यंग्य रचना के लेखक हरिशंकर परसाई हैं।
2. "टॉर्च बेचने वाले" कहानी का मुख्य विषय क्या है?
उत्तर:
यह कहानी धर्म और प्रवचन के व्यापारिक रूप पर व्यंग्य करती है।
इसमें दिखाया गया है कि कैसे धर्म और साधु प्रवचन एक धंधा बन गए हैं, जहाँ लोग दूसरों के डर और अज्ञान का फायदा उठाकर धन अर्जित करते हैं।
3. लेखक ने टॉर्च बेचने वाले व्यक्ति में क्या बदलाव देखा?
उत्तर:
लेखक ने देखा कि पहले टॉर्च बेचने वाला व्यक्ति अब चौराहे पर नहीं था।
जब वह दोबारा दिखा, तो उसकी दाढ़ी बढ़ी हुई थी, लंबा कुर्ता पहन रखा था और उसका पूरा रूप बदल चुका था।
अब वह टॉर्च नहीं, बल्कि "आत्मा का प्रकाश देने" की बात कर रहा था।
4. लेखक ने टॉर्च बेचने वाले पर व्यंग्य कैसे किया?
उत्तर:
जब टॉर्च बेचने वाले ने कहा कि "अब आत्मा के भीतर टॉर्च जल उठा है", तो लेखक ने व्यंग्य करते हुए कहा –
- "जिसकी आत्मा में प्रकाश फैल जाता है, वह हरामखोरी पर उतर आता है।"
- "क्या साहूकारों ने तंग करना शुरू कर दिया?"
- "क्या चोरी के मामले में फँस गए हो?"
लेखक ने यह सवाल किए क्योंकि वह समझ गया था कि व्यक्ति अब धर्मगुरु बनने की राह पर चल पड़ा है।
5. टॉर्च बेचने वाले और उसके मित्र ने कैसे काम शुरू किया?
उत्तर:
- दोनों दोस्त पहले बेरोज़गार थे और पैसा कमाने के लिए कुछ काम करने की सोच रहे थे।
- एक दोस्त टॉर्च बेचने लगा, और दूसरा दोस्त साधु बनकर प्रवचन देने लगा।
- दोनों ने डर और अंधकार का सहारा लेकर लोगों को प्रभावित करने की तकनीक अपनाई।
6. टॉर्च बेचने वाले ने टॉर्च कैसे बेचा?
उत्तर:
वह चौराहे पर लोगों को इकट्ठा करता और बोलता –
- "हर जगह अँधेरा है, आदमी रास्ता नहीं देख सकता।"
- "अँधेरे में शेर, चीते, साँप घूम रहे हैं, जो लोगों को खा सकते हैं।"
- "घरों में भी अँधेरा है, लोग रात को उठते हैं और साँप पर पैर पड़ जाता है।"
इस तरह अँधेरा दिखाकर डर पैदा करता और फिर कहता –
- "हमारे सूरज छाप टॉर्च में वह प्रकाश है, जो अँधेरा दूर कर सकता है।"
इस तरह लोगों को भ्रमित कर वह टॉर्च बेचने में सफल हो जाता।
7. टॉर्च बेचने वाले का मित्र साधु कैसे बन गया?
उत्तर:
टॉर्च बेचने वाले का दोस्त भव्य पंडाल में प्रवचन करने लगा।
उसने लोगों से कहा –
- "आजकल हर जगह अंधकार है, यहाँ तक कि आत्मा में भी अंधेरा है।"
- "मनुष्य पथभ्रष्ट हो गया है, उसकी आत्मा अंधकार में घुट रही है।"
पहले वह डर पैदा करता, फिर कहता –
- "जहाँ अंधकार है, वहीं प्रकाश भी है।"
- "हमारे साधना मंदिर में आकर अपनी आत्मा की ज्योति जगाओ।"
इस तरह वह धर्म का व्यापार करने लगा।
8. साधु बने व्यक्ति को देखकर टॉर्च बेचने वाला क्या सोचता है?
उत्तर:
- जब वह अपने दोस्त को भव्य पंडाल, बड़ी गाड़ी और शानदार जीवन जीते हुए देखता है, तो हैरान रह जाता है।
- वह समझ जाता है कि उसका मित्र भी वही कर रहा है जो वह करता था – अंधकार दिखाकर टॉर्च (प्रकाश) बेच रहा है।
- फर्क सिर्फ इतना था कि एक भौतिक टॉर्च बेचता था, दूसरा आध्यात्मिक टॉर्च बेच रहा था।
9. टॉर्च बेचने वाले ने आखिर में क्या निर्णय लिया?
उत्तर:
उसने अपनी टॉर्च की पेटी नदी में फेंक दी।
अब वह भी अपने मित्र की तरह संत बनने का नाटक करने और प्रवचन देने का निर्णय कर लेता है।
उसे समझ आ जाता है कि धर्मगुरु बनकर लोगों को अंधेरे से डराकर पैसे कमाना ज्यादा फायदेमंद है।
10. इस कहानी का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर:
1. धर्म का व्यापार – आजकल कई लोग धर्म को एक धंधा बना चुके हैं।
2. भ्रम और डर का उपयोग – लोग डर फैलाकर लोगों को बहकाते हैं और अपना फायदा उठाते हैं।
3. आध्यात्मिक और भौतिक टॉर्च की समानता – धर्मगुरु और व्यापारी दोनों एक ही चीज़ बेचते हैं – प्रकाश।
4. व्यंग्यात्मक शैली – हरिशंकर परसाई ने धर्म के नाम पर हो रहे पाखंड को उजागर किया है।
11. इस कहानी में लेखक ने किस पर व्यंग्य किया है?
उत्तर:
- लेखक ने उन धर्मगुरुओं और बाबाओं पर व्यंग्य किया है, जो धर्म और मोक्ष के नाम पर जनता को ठगते हैं।
- यह भी दिखाया है कि भय और अज्ञान का उपयोग करके लोग अपनी आजीविका कैसे चलाते हैं।
12. कहानी के अंत में दोनों दोस्तों के कार्यों की समानता क्या थी?
उत्तर:
- दोनों डर और अंधकार का उपयोग करके लोगों को ठगने का काम कर रहे थे।
- एक भौतिक टॉर्च बेचता था, और दूसरा आध्यात्मिक टॉर्च (मोक्ष) बेचने लगा।
- दोनों ने ही यह सिद्ध किया कि डर फैलाकर लोगों को लूटना आसान होता है।