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दोपहर का भोजन Important Short and Long Question Class 11 Chapter-2 Book-Antra Part-1

दोपहर का भोजन Important Short and Long Question Class 11 Chapter-2 Book-Antra Part-1


1. इस कहानी के मुख्य पात्र कौन-कौन हैं?

उत्तर:

1. मुंशी चंद्रिका प्रसाद – परिवार के मुखिया, जो नौकरी से निकाल दिए गए हैं।

2. सिद्धेश्वरी – मुंशीजी की पत्नी, जो परिवार के लिए त्याग और प्रेम का उदाहरण हैं।

3. रामचंद्र – 21 वर्षीय बड़ा बेटा, जो समाचार-पत्र में प्रूफ रीडरी का काम सीख रहा है।

4. मोहन – 18 वर्षीय मँझला बेटा, जो हाईस्कूल का प्राइवेट परीक्षा देने की तैयारी कर रहा है।

5. प्रमोद – 6 वर्षीय छोटा बेटा, जो अत्यंत कुपोषित और निर्धनता से प्रभावित है।


2. परिवार की आर्थिक स्थिति कैसी थी?

उत्तर:

  • परिवार निम्न मध्यवर्गीय था और आर्थिक संकट से जूझ रहा था।
  • मुंशीजी की नौकरी चली गई थी, जिससे परिवार को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था।
  • सिर्फ सात रोटियाँ बनी थीं, जिससे परिवार के सभी सदस्यों को भूखे रहना पड़ता था।
  • सिद्धेश्वरी ने भूख मिटाने के लिए पानी पिया, जिससे उसकी तकलीफ और बढ़ गई।


3. सिद्धेश्वरी की स्थिति को लेखक ने कैसे चित्रित किया है?

उत्तर:

  • सिद्धेश्वरी घर की आर्थिक स्थिति से भली-भाँति परिचित थी, फिर भी अपने परिवार को खुश रखने की कोशिश कर रही थी।
  • उसने सिर्फ सात रोटियाँ बनाई और परिवार के सभी सदस्यों को सम्मानजनक तरीके से खाने का अवसर देने का प्रयास किया।
  • खुद जूठी थाली से बचा हुआ खाना खाया और अपने छोटे बेटे प्रमोद के लिए आधी जली हुई रोटी रख दी।
  • वह अपनी तकलीफों को आँसुओं में छिपा रही थी, जिससे परिवार में कोई और दुखी न हो।


4. घर की निर्धनता को लेखक ने कैसे दर्शाया है?

उत्तर:

  • घर में सिर्फ सात रोटियाँ थीं, जिससे सभी को पेट भरने का नाटक करना पड़ा।
  • 6 वर्षीय प्रमोद कुपोषण का शिकार था – उसकी छाती और गले की हड्डियाँ दिख रही थीं, और उसके शरीर पर मक्खियाँ भिनभिना रही थीं।
  • घर में एक फटी-पुरानी साड़ी अलगनी पर टंगी थी, जिसमें कई पैबंद लगे हुए थे।
  • परिवार के सभी सदस्य अभावों से जूझ रहे थे, फिर भी एक-दूसरे को खुश रखने का प्रयास कर रहे थे।


5. सिद्धेश्वरी परिवार में भावनात्मक संतुलन कैसे बनाए रखती थी?

उत्तर:

वह सभी सदस्यों के मन में एक-दूसरे के प्रति सम्मान और प्रेम बनाए रखने के लिए कल्पित बातें बनाती थी।

  • रामचंद्र से कहती है – "बाबूजी देवता के समान हैं।"
  • मोहन से कहती है – "बड़का (रामचंद्र) तुम्हारी तारीफ कर रहा था।"
  • पति से कहती है – "रामचंद्र कह रहा था, कुछ दिनों में नौकरी लग जाएगी।"

वह अपनी पीड़ा छिपाकर परिवार को मजबूत रखने का प्रयास करती थी।


6. कहानी में परिवार के सदस्यों ने कैसे त्याग की भावना दिखाई?

उत्तर:

  • हर कोई पेट भरने का नाटक करता है, ताकि दूसरों के हिस्से की रोटी बची रहे।
  • मुंशीजी भले ही भूखे हों, लेकिन वे यह दिखाते हैं कि उनका पेट भर गया।
  • रामचंद्र और मोहन भी ऐसा ही करते हैं, ताकि किसी और को ज्यादा खाने को मिले।
  • सिद्धेश्वरी सबसे आखिर में खाती है और अपने हिस्से से भी आधी रोटी प्रमोद के लिए रख देती है।


7. कहानी में सिद्धेश्वरी के त्याग को कैसे दिखाया गया है?

उत्तर:

  • वह पहले अपने पति और बेटों को खिलाती है और खुद जूठा खाना खाती है।
  • भूख से परेशान होकर भी वह परिवार की चिंता अधिक करती है।
  • प्रमोद को मक्खियों से बचाने के लिए अपना फटा-पुराना ब्लाउज़ उसके मुँह पर डाल देती है।
  • उसकी भावनाएँ तब फूट पड़ती हैं, जब वह खुद खाने बैठती है और आँसू बहाने लगती है।


8. कहानी का मुख्य संदेश क्या है?

उत्तर:

1. त्याग और प्रेम – माता-पिता अपने बच्चों के लिए किसी भी हद तक त्याग कर सकते हैं।

2. गरीबी और संघर्ष – निम्न मध्यवर्गीय परिवार की कठिनाइयों और संघर्ष का यथार्थ चित्रण किया गया है।

3. सांस्कृतिक और पारिवारिक मूल्य – परिवार के सदस्य एक-दूसरे की खुशी के लिए अपनी इच्छाओं का त्याग करते हैं।

4. भावनात्मक धैर्य – सिद्धेश्वरी और मुंशीजी अपने बच्चों के भविष्य के लिए हर कठिनाई को सहन करते हैं।


9. कहानी का अंत कैसे होता है?

उत्तर:

  • मुंशीजी के भोजन करने के बाद सिद्धेश्वरी उनकी जूठी थाली लेकर बैठ जाती है।
  • बची हुई दाल और एक जली हुई रोटी ही उसके खाने के लिए बचती है।
  • वह आधी रोटी प्रमोद के लिए रखती है और खुद पानी के साथ रोटी खाने बैठती है।
  • खाना खाते ही उसकी आँखों से आँसू टपकने लगते हैं, जो उसके त्याग और संघर्ष को दर्शाते हैं।


10. इस कहानी को पढ़ने से हमें क्या सीख मिलती है?

उत्तर:

1. त्याग और बलिदान का महत्व – माता-पिता अपने बच्चों के लिए हर त्याग करने को तैयार रहते हैं।

2. गरीबी और संघर्ष की सच्चाई – निम्न वर्गीय परिवारों की वास्तविक परिस्थितियों को उजागर किया गया है।

3. संयुक्त परिवार का मूल्य – परिवार में स्नेह, सम्मान और समर्पण की भावना होनी चाहिए।

4. संघर्ष के बावजूद आशा – गरीबी के बावजूद परिवार साथ मिलकर अपने जीवन को सँवारने की कोशिश करता है।

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