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स्थानीय सरकार Important Short and Long Question Class 2 Chapter-8 Book-1

स्थानीय सरकार Important Short and Long Question Class 2 Chapter-8 Book-1


1. स्थानीय शासन क्या होता है?

उत्तर: 

स्थानीय शासन वह शासन प्रणाली है जो गाँव और नगर स्तर पर काम करती है। यह आम लोगों के सबसे नज़दीक होता है और उनके रोजमर्रा के कार्यों को सुगम बनाता है, जैसे –

  • गलियों और मोहल्लों में बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराना।
  • प्राथमिक चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करना।
  • स्ट्रीट लाइट, सड़क और सफाई की व्यवस्था करना।
  • प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना और रखरखाव।


2. भारत में स्थानीय शासन कितने स्तरों पर काम करता है?

उत्तर: 

भारत में स्थानीय शासन दो स्तरों पर काम करता है –

ग्रामीण स्तर पर (पंचायती राज व्यवस्था)

  • ग्राम पंचायत

ब्लॉक/तालुका पंचायत (खंड पंचायत)

  • जिला पंचायत

नगर स्तरीय शासन (नगरपालिका प्रणाली)

  • नगर निगम
  • नगर पालिका
  • नगर परिषद


3. हमें स्थानीय शासन की आवश्यकता क्यों है?

उत्तर: 

स्थानीय शासन की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से होती है –

  • लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए।
  • राजनीतिक और आर्थिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए।
  • सामान्य नागरिकों की प्रतिनिधियों तक पहुँच आसान बनाने के लिए।
  • जन-कल्याणकारी कार्यों को अधिक प्रभावी बनाने के लिए।
  • स्थानीय समस्याओं का त्वरित समाधान करने के लिए।


4. भारत में स्थानीय शासन का ऐतिहासिक विकास कैसे हुआ?

उत्तर:

  • प्राचीन भारत में स्थानीय शासन ‘सभा’ और ‘समिति’ के रूप में कार्यरत था।
  • 1882 में लार्ड रिपन ने पहली बार संगठित स्थानीय शासन की शुरुआत की।
  • 1919 और 1935 के गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट के तहत ग्राम पंचायतों को और मजबूत किया गया।
  • महात्मा गांधी ने स्थानीय स्वशासन और विकेंद्रीकरण की वकालत की।
  • 1952 में सामुदायिक विकास कार्यक्रम शुरू हुआ।
  • 1992 में 73वें और 74वें संविधान संशोधन द्वारा इसे संवैधानिक दर्जा दिया गया।


5. संविधान के 73वें और 74वें संशोधन क्या थे?

उत्तर:

  • 73वाँ संशोधन (1992): यह ग्राम पंचायतों से संबंधित है और त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था स्थापित करता है।
  • 74वाँ संशोधन (1992): यह नगरपालिकाओं से संबंधित है और शहरी निकायों को अधिक शक्तियाँ प्रदान करता है।
  • 1993 में ये संशोधन लागू हुए।


6. 73वें संशोधन की विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर:

1. त्रि-स्तरीय पंचायत प्रणाली:

  • ग्राम पंचायत (गाँव स्तर)
  • खंड/तालुका पंचायत (ब्लॉक स्तर)
  • जिला पंचायत (जिला स्तर)

2. चुनाव प्रणाली: पंचायती राज के तीनों स्तरों के चुनाव सीधे जनता द्वारा किए जाते हैं।

3. आरक्षण:

  • महिलाओं के लिए 1/3 सीटें आरक्षित।
  • अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए जनसंख्या के आधार पर आरक्षण।
  • राज्यों को OBC के लिए भी आरक्षण देने का अधिकार।

4. विषयों का हस्तांतरण:

  • 29 विषयों को राज्य सूची से पंचायतों को सौंपा गया (जैसे – कृषि, सिंचाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क निर्माण)।

5. आदिवासी क्षेत्रों के लिए विशेष प्रावधान:

  • आदिवासी क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को अधिक अधिकार दिए गए हैं।


7. 74वें संशोधन की विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर:

शहरी स्थानीय शासन की स्थापना:

  • नगर निगम
  • नगर पालिका
  • नगर परिषद

चुनाव प्रक्रिया:

  • पंचायती चुनावों की तरह नगर निकायों के चुनाव भी हर 5 वर्ष में होते हैं।

वित्तीय शक्तियाँ:

  • नगरपालिकाओं को कर वसूलने और वित्तीय संसाधन जुटाने की स्वतंत्रता दी गई।

राज्य वित्त आयोग:

  • राज्य सरकार हर 5 साल में एक राज्य वित्त आयोग नियुक्त करती है, जो स्थानीय निकायों को धन प्रदान करने की प्रक्रिया की समीक्षा करता है।

शहरी योजना और विकास:

  • नगर निकायों को शहरी गरीबी उन्मूलन, सार्वजनिक परिवहन, स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण जैसे विषय सौंपे गए।


8. राज्य चुनाव आयुक्त और राज्य वित्त आयोग की क्या भूमिका है?

उत्तर:

राज्य चुनाव आयुक्त:

  • स्थानीय निकायों के चुनाव कराने का जिम्मेदार होता है।
  • इसे स्वायत्त (स्वतंत्र) बनाया गया है।

राज्य वित्त आयोग:

  • यह स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करता है।
  • यह राज्य और स्थानीय शासन के बीच संसाधनों का वितरण सुनिश्चित करता है।


9. स्थानीय शासन के क्या विषय होते हैं?

उत्तर: 

स्थानीय शासन के प्रमुख विषय हैं –

  • पेयजल आपूर्ति
  • गरीबी उन्मूलन और सामाजिक कल्याण
  • सड़क और यातायात व्यवस्था
  • शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ
  • ग्रामीण विद्युतीकरण
  • महिला और बाल विकास
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS)


10. स्थानीय शासन के सामने कौन-कौन सी समस्याएँ हैं?

उत्तर:

1. धन का अभाव – स्थानीय निकायों के पास अपने संसाधन कम होते हैं, जिससे वे राज्य सरकार पर निर्भर रहते हैं।

2. आर्थिक मदद की निर्भरता – स्थानीय सरकारें स्वयं पर्याप्त आय अर्जित नहीं कर पातीं और राज्य तथा केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता लेनी पड़ती है।

3. जनता में जागरूकता की कमी – लोग स्थानीय निकायों की योजनाओं और उनके अधिकारों के बारे में पूरी तरह जागरूक नहीं होते।

4. अधिकारों का सीमित उपयोग – कई बार राज्य सरकारें स्थानीय निकायों को पूरी स्वतंत्रता नहीं देतीं, जिससे वे प्रभावी रूप से कार्य नहीं कर पाते।


11. पंचायती राज व्यवस्था में आदिवासी क्षेत्रों के लिए क्या विशेष प्रावधान किए गए हैं?

उत्तर:

  • 1996 में एक विशेष अधिनियम बनाया गया, जिससे आदिवासी क्षेत्रों को अलग अधिकार दिए गए।
  • ग्राम सभा को अधिक शक्तियाँ प्रदान की गईं।
  • जल, जंगल और ज़मीन के अधिकारों को संरक्षित किया गया।
  • पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार निर्णय लेने का अधिकार दिया गया।


12. भारतीय लोकतंत्र में स्थानीय शासन का क्या महत्त्व है?

उत्तर:

  • यह जनभागीदारी को बढ़ाता है।
  • स्थानीय समस्याओं का त्वरित समाधान करता है।
  • गाँव और शहरों के विकास में योगदान देता है।
  • लोकतंत्र को जमीनी स्तर तक पहुँचाता है।
  • वंचित वर्गों (SC, ST, OBC, महिलाएँ) को राजनीति में भागीदारी का अवसर देता है।

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