शारीरिक शिक्षा में बदलती प्रवृत्तियां और करियर Notes in Hindi Class 11 Physical Education Chapter-1 Changing trends and career in physical education
0Team Eklavyaमार्च 09, 2025
शारीरिक शिक्षा क्या है?
शारीरिक शिक्षा, शिक्षा का वह भाग है जिसमें हम स्वास्थ्य, खेल, खिलाड़ी, टूर्नामेंट, पोषण, चोट, शरीर व इसमें समाहित—मस्तिष्क, अंग, आत्मा इत्यादि का अध्ययन करते हैं।
लक्ष्य :
व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करना।
उद्देश्य:
1. शारीरिक विकास
2. मानसिक विकास
3. सामाजिक तालमेल
4. भावनात्मक स्थिरता
5. आध्यात्मिक विकास
शारीरिक विकास:
शारीरिक शिक्षा हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालती है, जिससे हम मजबूत, स्वस्थ, भार, पुष्टि-शक्ति, गति, लच्क, सहनक्षमता, समन्वय के साथ हमारे सारे अंग सही तरीके से कार्य करते हैं।
मानसिक विकास:
शारीरिक शिक्षा से हमारा ध्यान, सतर्कता और योजना बनाने की क्षमता बढ़ती है। यह पढ़ाई के साथ-साथ गतिविधियों का भी ज्ञान देती है, जिससे हमारी सोचने-समझने की शक्ति और मन को अच्छा महसूस कराने वाले हार्मोन, जैसे डोपामिन, पर सकारात्मक असर होता है।
सामाजिक तालमेल:
मुकाबला व तालमेल खेलों का मुख्य बिंदु है, जिससे अनुशासन, ईमानदारी, समाजीकरण, नेतृत्व जैसे गुणों का एक व्यक्ति में समावेश होता है।
भावनात्मक स्थिरता:
हार-जीत, खुशी, धैर्य, आक्रामण, प्रेम, भय, गिरना-उठना इत्यादि। शारीरिक शिक्षा में ये सभी समाहित है। यह व्यक्ति में स्थिरता व असल जिंदगी में आने वाले उतार-चढ़ाव में सकारात्मक और स्थिर रहने की क्षमता विकसित होती है।
आध्यात्मिक विकास:
प्रकृति से लगाव, प्रकृति के नियमों के अनुसार कार्य करना, माफी देना, माफी मांगना, शांति व संतोष के साथ शिष्टाचार के साथ रहना इत्यादि। शारीरिक शिक्षा के द्वारा उपरोक्त सभी सकारात्मक प्रभाव होते हैं।
भारत में शारीरिक शिक्षा का विकास - स्वतंत्रता पश्चात्
1948 में भारत सरकार द्वारा तारा चंद समिति की स्थापना की गई।
समिति ने भारत में खेलों के स्तर में केंद्रीय शारीरिक शिक्षा एवं मनोरंजन संस्थान की स्थापना सुधार लाने के लिए अनुशंसा की।
1950 में शारीरिक शिक्षा से संबंधित मामलों के लिए केंद्रीय शारीरिक शिक्षा सलाहकार (परामर्शी) बोर्ड बनाया गया।
प्रथम एशियाई खेल 1951 में नई दिल्ली में आयोजित किए गए। इस आयोजन से भारतीय युवा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित हुए।
1954 में अखिल भारतीय खेल परिषद की स्थापना सरकार और विभिन्न राष्ट्रीय खेल महासंघों के मध्य आर्थिक मामलों में मध्यस्थता के लिए की गई।
1957 में मध्य प्रदेश के ग्वालियर में लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान बनाया गया।
विभिन्न खेलों में योग्य प्रशिक्षकों की उपलब्धता के लिए 1961 में राष्ट्रीय खेल संस्थान (NIS) की स्थापना मोती बाग, पटियाला में की गई।
भारत में एशियाई खेलों के आयोजन से 1982 में देश में खेलों की बुनियादी सुविधाओं में वृद्धि हुई।
1984 में भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) की स्थापना की गई, जिसका कार्य खेलों के दुनिया में ढांचे व सुविधाओं का रखरखाव करना है।
2010 में नई दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन किया गया। 2018 में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने शारीरिक शिक्षा को IX से XII कक्षा तक अनिवार्य विषय घोषित किया।
खेलों में बदलती प्रवृत्तियाँ
खेल सतह
1. प्राकृतिक सतह
मिट्टी
घास
लकड़ी का मैदान
2. कृत्रिम सतह
सिंथेटिक घास
मैट
सिंथेटिक ट्रैक
डामर
सिंडर ट्रैक
कृत्रिम घास 1966 में प्रमुखता से पहली बार एस्ट्रोडेम टेक्सास (यू. एस.) में उपयोग में लाई गई।
सिंथेटिक घास, मैट इत्यादि के महत्व व फायदों को देखते हुए आज हर खेल की वैधानिक संघ, समिति द्वारा ये मान्यता प्राप्त हैं।
प्राकृतिक
स्थायित्व - कम समय के लिए
रखरखाव की लागत - अधिक
जलनिकासी - जटिल
पानी की जरूरत - अधिक
उपयोगः- विराम की जरूरत
बरसात का प्रभावः- अधिक है, कीचड़ बन सकता है कीटनाशक दवाईयों का प्रयोग होता है।
कृत्रिम
अधिक समय के लिए
कम
सरल
कम
लगातार कर सकते हैं।
विपरीत प्रभाव नही पड़ता।
कीटनाशक दवाईयों का प्रयोग नही होता।
"पहनने योग्य खेल पोशाक एवं उपकरण"
खेल में सही पोशाक और उपकरण का उपयोग करना सुरक्षा और प्रदर्शन दोनों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हर खेल की अपनी विशेष आवश्यकताएँ होती हैं, और उसके अनुसार पोशाक और उपकरण तैयार किए जाते हैं।
जूते और प्रदर्शन:
शूटर के जूते पहनकर क्रिकेट खेलना न केवल मुश्किल है बल्कि खेल का मज़ा भी कम कर देता है।
एथलेटिक्स और क्रिकेट के जूतों में स्पाइक्स होते हैं, जो बेहतर पकड़ प्रदान करते हैं।
बास्केटबॉल के जूतों में हाई एंकल सपोर्ट होता है, जिससे टखने की चोटों से बचा जा सकता है।
टेनिस और बैडमिंटन के जूते कम घर्षण वाले होते हैं, जिससे तेज़ और सटीक मूवमेंट संभव होती है।
खेल-विशिष्ट पोशाक:
जिमनास्ट को लचीलेपन और सुरक्षा के लिए टाइट लियोटार्ड पहनने की ज़रूरत होती है।
बास्केटबॉल खिलाड़ियों के लिए ढीली पोशाक जरूरी होती है, जो बेहतर मूवमेंट सुनिश्चित करती है।
कपड़ों का विकास:
समय के साथ खेल पोशाक के लिए उपयोग किए जाने वाले कपड़ों में बड़ा बदलाव आया है।
बांस, कपास और ऊन जैसे पारंपरिक कपड़ों की जगह नायलॉन, पॉलिएस्टर, टेंसल और ड्राई-फिट जैसे आधुनिक कपड़ों ने ले ली है।
ये आधुनिक कपड़े आरामदायक, टिकाऊ और प्रदर्शन को बेहतर बनाते हैं, साथ ही मौसम और खेल की आवश्यकताओं के अनुकूल होते हैं।
खेल पोशाक एवं उपकरण
पोशाक
जूते
लीअटार्ड
कैंप / टोपी
टी-शर्ट
ट्रैक-पेन्ट्स
कलाई का पट्टा
माथे का पट्टा
रक्षात्मक
हेलमेट
दस्ताने
माउथ गार्ड / रक्षक
पिंडली रक्षक
कोहनी रक्षक
छाती गार्ड
तकनीक
स्मार्ट घडी
धडकन ट्रैकर
कैलोरी ट्रैकर
क्रिया ट्रैकर
"खेल उपकरण एवं तकनीकी विकास"
खेल उपकरण
खेल उपकरण
गेंद
गोल पोस्ट
विकेट
रैकेट (बल्ला)
बैट
मैट (गद्दे)
जाल (Net)
प्रशिक्षण उपकरण
रस्सा
ट्रेडमिल
डम्बल
चिन-अप बार
खिलाडी उपकरण
जूते
हेलमेट
दस्ताने
कोहनी रक्षक
छाती रक्षक
घुटना रक्षक
खेलों में भाग लेने के लिए जो चीजें इस्तेमाल होती हैं, जैसे उपकरण, मशीनें, कपड़े, और अन्य सामान, उन्हें खेल उपकरण कहते हैं। समय के साथ दर्शकों की जरूरत, नई तकनीक, खेल में सुधार, सुरक्षा, और मनोरंजन के कारण ये उपकरण भी बदलते और बेहतर होते गए हैं।
खेल तकनीक
विश्व 6G तकनीक की तरफ बढ़ रहा है, इसी प्रकार खेल भी नई तकनीकों के विकास से अछूते नही है।
तकनीकों में नवीनता आने से सही निर्णय, प्रदर्शन बढ़ोतरी, विरोधी खिलाड़ियों का मूल्यांकन, रणनीति बनाने में सहायक, उपकरणों का आविष्कार, डोपिंग जांच, दिव्यांग खिलाड़ियों की सहायता व प्रसारण अधिक सुगम व सुलभ रूप से बढ़े हैं।
Technology Advancement Examples!
Artificial intelligence
Smart bails in cricket
Snicko or edge detector
Hawk eye
Flying drones and camera movements
Photo finish camera
Video assistant referce
Athlete's clothing and equipments
Player and game graphics
GPS tracker, RFID chips
Fantasy league e-sports
Fully Automatic Timing
शारीरिक शिक्षा में करियर विकल्प
शारीरिक शिक्षा का करियर बनाने में बहुत महत्व है। यह न केवल स्वास्थ्य सुधारने में मदद करता है बल्कि इससे जुड़े कई करियर भी बन सकते हैं।
कुछ करियर सीधे शारीरिक शिक्षा से जुड़े होते हैं, जैसे – शिक्षक, कोच, खेल अधिकारी, उपकरण बनाने वाले, खिलाड़ी, प्रशासक, और फिटनेस ट्रेनर।
इसके अलावा, शारीरिक शिक्षा से कई अन्य क्षेत्रों में भी मदद मिलती है, जैसे – सेना, डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, पायलट आदि। खिलाड़ियों के लिए कुछ नौकरियों में खास कोटा और आयु में छूट भी दी जाती है।
खेलो इंडिया कार्यक्रम
खेलो इंडिया कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर खेलों के विकास के लिए शुरू किया गया एक प्रमुख कार्यक्रम है।
इसका उद्देश्य खेलों में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी और उत्कृष्टता को बढ़ावा देना है। इसे 2018 में शुरू किया गया था।
शुरुआत और पहला आयोजन:
पहली बार 2018 में खेलो इंडिया गेम्स का आयोजन दिल्ली में हुआ, जिसमें छात्रों ने 16 खेलों में 209 स्वर्ण पदकों के लिए प्रतिस्पर्धा की।
इन खेलों का प्रसारण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल चैनलों, जैसे स्टार स्पोर्ट्स पर किया गया। खिलाड़ियों के लिए सभी अंतरराष्ट्रीय सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं।
नाम में बदलाव:
पहले इसे खेलो इंडिया स्कूल गेम्स (KISG) कहा जाता था, लेकिन अब इसे खेलो इंडिया यूथ गेम्स (KIYG) के नाम से जाना जाता है।
श्रेणियां:
17 साल से कम उम्र के स्कूली छात्र।
21 साल से कम उम्र के कॉलेज के छात्र।
छात्रवृत्ति:
चयनित खेलों और खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं की तैयारी के लिए 8 वर्षों तक हर साल ₹5 लाख (लगभग $7000) की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।
यह कार्यक्रम खेल प्रतिभाओं को खोजने और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने में मदद करता है।
फिट इंडिया कार्यक्रम
फिट इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत 29 अगस्त 2019 को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा की गई। इसका उद्देश्य फिटनेस को हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाना है।
इस अभियान का मिशन लोगों की आदतों में बदलाव लाना और उन्हें एक शारीरिक रूप से सक्रिय जीवन शैली की ओर प्रेरित करना है।
उद्देश्य:
फिटनेस को आसान, मजेदार और निशुल्क बनाना।
फिटनेस और शारीरिक गतिविधियों के बारे में जागरूकता फैलाना।
स्थानीय/पारंपरिक खेलों को प्रोत्साहित करना।
फिटनेस को हर स्कूल, कॉलेज/विश्वविद्यालय, पंचायत और गांव तक पहुंचाना।
भारतीय नागरिकों के लिए एक ऐसा मंच बनाना जहां वे फिटनेस से जुड़ी जानकारी साझा कर सकें और जागरूकता बढ़ा सकें।