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आवारा मसीहा Important Short and Long Question Class 11 Chapter-2 Book-2

आवारा मसीहा Important Short and Long Question Class 11 Chapter-2 Book-2


संक्षिप्त (Short) महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उत्तर


प्रश्न 1: शरत्चंद्र का बचपन कैसा था?

उत्तर: 

उनका बचपन शरारतों, जिज्ञासा और स्वतंत्र सोच से भरा था।


प्रश्न 2: शरत्चंद्र के पिता का स्वभाव कैसा था?

उत्तर: 

उनके पिता मोतीलाल स्वप्नदर्शी और स्वतंत्र विचारों वाले थे, लेकिन आर्थिक रूप से अस्थिर थे।


प्रश्न 3: शरत्चंद्र की प्रारंभिक शिक्षा कहाँ हुई?

उत्तर: 

उन्होंने भागलपुर के दुर्गाचरण एम.ई. स्कूल में पढ़ाई की।


प्रश्न 4: वे स्कूल में कौन-सी शरारतें करते थे?

उत्तर: 

वे घड़ी को आगे कर देते ताकि छुट्टी जल्दी हो जाए।


प्रश्न 5: शरत्चंद्र को यात्रा करने की प्रेरणा कहाँ से मिली?

उत्तर: 

उन्हें बचपन से ही जंगलों, बागों और नई जगहों पर घूमने का शौक था।


प्रश्न 6: शरत्चंद्र ने पहला उपन्यास कौन-सा लिखा?

उत्तर: 

उनका पहला उपन्यास काशीनाथ था।


प्रश्न 7: उन्हें साहित्य की प्रेरणा कहाँ से मिली?

उत्तर: 

उन्हें कुसुमकामिनी की गोष्ठी में साहित्य का पहला परिचय मिला, जहाँ बंकिमचंद्र और रवींद्रनाथ की रचनाएँ पढ़ी जाती थीं।


प्रश्न 8: समाज के प्रति उनकी संवेदनशीलता कैसे झलकी?

उत्तर: 

उन्होंने समाज के बहिष्कृतों के प्रति संवेदना रखते हुए उनके जीवन को अपने लेखन में स्थान दिया।


प्रश्न 9: शरत्चंद्र के साहित्य की मुख्य विशेषता क्या थी?

उत्तर: 

उन्होंने सामाजिक अन्याय और तिरस्कृत लोगों की पीड़ा को उकेरा।


प्रश्न 10: उनके लेखन की कौन-सी कृति समाज पर करारा प्रहार थी?

उत्तर: 

चरित्रहीन उपन्यास समाज की निर्दयता को उजागर करता है।


विस्तृत (Long) महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उत्तर


प्रश्न 1: शरत्चंद्र के बचपन के प्रमुख पहलू क्या थे?

उत्तर: 

शरत्चंद्र का बचपन शरारतों, जिज्ञासा और स्वतंत्र सोच से भरा था। वे स्कूल की छुट्टियों में अपने मामा सुरेंद्र के साथ बागों में घूमते थे और प्रकृति से गहरा लगाव रखते थे। वे पेड़ों से बातें करते और विदाई के समय लौटने का वादा करते। उनका स्वभाव साहसी था और वे अपने दुख को छिपाने में माहिर थे।


प्रश्न 2: शरत्चंद्र के पिता का जीवन और स्वभाव कैसा था?

उत्तर: 

उनके पिता, मोतीलाल, स्वप्नदर्शी और स्वतंत्र विचारों वाले व्यक्ति थे। वे एक जगह टिककर काम नहीं कर पाते थे और बार-बार नौकरियाँ बदलते थे। कला और साहित्य में रुचि होने के बावजूद आर्थिक अस्थिरता के कारण उनका परिवार कठिनाइयों से जूझता रहा। उनकी माँ भुवनमोहिनी को परिवार के भरण-पोषण के लिए अपने पिता के पास जाना पड़ा, जिससे मोतीलाल को घर-जमाई बनकर रहना पड़ा।


प्रश्न 3: शरत्चंद्र के बचपन की शरारतें कौन-कौन सी थीं?

उत्तर: 

शरत्चंद्र शरारती स्वभाव के थे। वे स्कूल में घड़ी को आगे कर देते ताकि छुट्टी जल्दी हो जाए और पकड़े जाने पर मासूम बनने का नाटक करते। वे जीव-जंतुओं से लगाव रखते थे, तितलियों के बक्से बनाते और गुप्त उपवन लगाते। पतंगबाजी और लट्टू घुमाने में वे माहिर थे। वे चोरी से फल तोड़ते लेकिन दंड वीरता से स्वीकारते थे।


प्रश्न 4: शरत्चंद्र के यात्रा प्रेम और समाज अवलोकन की क्या विशेषताएँ थीं?

उत्तर: 

शरत्चंद्र को यात्रा करने का जुनून बचपन से था। वे सरस्वती नदी के घाट से नाव में बैठकर दूर के गाँवों तक पहुँच जाते थे। उन्होंने जंगलों और बागों में घूमने की आदत विकसित की। एक बार उन्होंने अपने मित्र नयन के साथ बसंतपुर की यात्रा की, जहाँ लुटेरों से सामना हुआ। इस अनुभव ने उनके भीतर साहस विकसित किया और समाज की वास्तविकताओं को समझने में मदद की।


प्रश्न 5: शरत्चंद्र को साहित्य में रुचि कैसे हुई?

उत्तर: 

उनका साहित्य से पहला परिचय कुसुमकामिनी की गोष्ठी में हुआ, जहाँ बंकिमचंद्र और रवींद्रनाथ की रचनाएँ पढ़ी जाती थीं। रवींद्रनाथ की कविता प्रकृतिर प्रतिशोध सुनकर वे अत्यधिक भावुक हो गए। यह अनुभव उनके साहित्यिक जीवन की नींव बना। वे गहराई से सोचने लगे और समाज के विभिन्न पहलुओं को समझने लगे।


प्रश्न 6: गरीबी और संघर्ष ने शरत्चंद्र के लेखन को कैसे प्रभावित किया?

उत्तर: 

गरीबी और संघर्ष उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा रहे। वे चोरी-छिपे किताबें पढ़ते और खुद कहानियाँ गढ़ते। उन्होंने समाज में कमजोरों के साथ होने वाले अन्याय को देखा, जो उनके लेखन में झलकता है। उनकी कहानियाँ समाज के उपेक्षित और तिरस्कृत लोगों के प्रति संवेदना प्रकट करती हैं।


प्रश्न 7: शरत्चंद्र ने अपने उपन्यासों के माध्यम से समाज की कौन-कौन सी समस्याएँ उठाईं?

उत्तर: 

शरत्चंद्र ने अपने उपन्यासों में समाज की कठोर सच्चाइयों को उजागर किया। चरित्रहीन में उन्होंने समाज की निर्दयता और दोगलेपन को दिखाया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि समाज सच्चे प्रेम और त्याग को तिरस्कार की दृष्टि से देखता है। उनके लेखन में उन लोगों की पीड़ा प्रमुखता से स्थान पाती है, जिन्हें समाज ने तिरस्कृत कर दिया था।


प्रश्न 8: शरत्चंद्र का साहित्य आज भी प्रासंगिक क्यों है?

उत्तर: 

शरत्चंद्र का साहित्य समाज की वास्तविकताओं को दर्शाता है। उन्होंने अपने लेखन में अन्याय, गरीबी, सामाजिक रूढ़ियों और तिरस्कृत वर्गों की समस्याओं को उजागर किया। उनकी कहानियाँ आज भी समाज के सामने आईना रखती हैं और समाज में सुधार की प्रेरणा देती हैं। इसीलिए, उनका साहित्य कालजयी और प्रासंगिक बना हुआ है।

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