संविधान के राजनीतिक दर्शन Important Short and Long Question Class 11 Chapter-10 Book-1
0Team Eklavyaमार्च 06, 2025
1. संविधान के दर्शन का क्या आशय है?
उत्तर:
संविधान के दर्शन से आशय संविधान में निहित मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांतों से है, जो सामाजिक न्याय, समानता, स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता, संघवाद और राष्ट्रीय एकता को प्रतिबिंबित करते हैं। यह केवल एक कानूनी दस्तावेज़ नहीं है बल्कि इसके पीछे एक नैतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण भी होता है।
2. क्या संविधान केवल कानूनी नियमों का समूह है?
उत्तर:
नहीं, संविधान केवल कानूनी नियमों का समूह नहीं है, बल्कि यह नैतिक और राजनीतिक मूल्यों से भी प्रेरित होता है। उदाहरण के लिए—
संविधान धर्म के आधार पर भेदभाव को रोकता है, जो समानता के सिद्धांत से जुड़ा हुआ है।
संविधान मौलिक अधिकारों की सुरक्षा करता है, जो व्यक्ति की स्वतंत्रता और गरिमा को सुनिश्चित करता है।
3. भारतीय संविधान को पढ़ते समय संविधान सभा की बहसों को क्यों देखना चाहिए?
उत्तर:
संविधान सभा की बहसों को पढ़ने से यह स्पष्ट होता है कि संविधान निर्माताओं ने कौन-से मूल्य और आदर्श अपनाए और उनके पीछे क्या तर्क थे। यह समझने में मदद मिलती है कि कौन-से सुधार आवश्यक हैं और संविधान के मौलिक उद्देश्यों को कैसे संरक्षित किया जा सकता है।
4. संविधान को लोकतांत्रिक बदलाव का साधन क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
संविधान केवल सत्ता को नियंत्रित करने के लिए नहीं है, बल्कि यह समाज में बदलाव लाने का एक उपकरण भी है। यह—
कमजोर और वंचित वर्गों को सशक्त करने का कार्य करता है।
जाति, धर्म और लैंगिक भेदभाव को समाप्त कर समानता स्थापित करता है।
लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत कर लोकतंत्र को स्थायी बनाता है।
5. नेहरू ने संविधान सभा को कैसे परिभाषित किया?
उत्तर:
नेहरू के अनुसार, संविधान सभा केवल वकीलों और जन-प्रतिनिधियों का समूह नहीं था, बल्कि यह स्वयं में ‘राह पर चल पड़ा एक राष्ट्र’ था, जो अपने पुराने सामाजिक ढांचे को छोड़कर नए युग में प्रवेश कर रहा था।
6. अमेरिका और भारत के संविधान में क्या अंतर है?
उत्तर:
अमेरिका का संविधान 18वीं सदी में बनाया गया था, जबकि भारत का संविधान आधुनिक लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है।
अमेरिका में क्रांतिकारी बदलाव आए, लेकिन भारत में संविधान निर्माण के समय जो परिस्थितियाँ थीं, वे आज भी काफी हद तक वैसी ही बनी हुई हैं।
भारत का संविधान एक विविधतापूर्ण और बहुलतावादी समाज को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
7. भारतीय संविधान के राजनीतिक दर्शन के मुख्य तत्व क्या हैं?
उत्तर:
भारतीय संविधान निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित है—
1. व्यक्ति की स्वतंत्रता – मौलिक अधिकारों के रूप में संरक्षित।
2. सामाजिक न्याय – अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण।
3. धर्मनिरपेक्षता – राज्य किसी धर्म का पक्ष नहीं लेता।
4. संघवाद – केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्ति-विभाजन।
5. राष्ट्रीय एकता – देश की अखंडता और विविधता का सम्मान।
8. व्यक्ति की स्वतंत्रता को संविधान में क्यों महत्त्व दिया गया है?
उत्तर:
भारतीय संविधान ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मौलिक अधिकार बनाया है।
मनमानी गिरफ्तारी के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान की गई है।
रौलट एक्ट जैसी दमनकारी नीतियों के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लड़ाई लड़ी गई थी, जिससे यह सिद्ध होता है कि स्वतंत्रता भारतीय लोकतंत्र का आधार है।
9. संविधान सामाजिक न्याय को कैसे सुनिश्चित करता है?
उत्तर:
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए विधानसभा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण।
आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए संवैधानिक संरक्षण।
समानता का अधिकार और अस्पृश्यता उन्मूलन।
10. भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को क्यों शामिल किया गया है?
उत्तर:
भारत एक बहुलतावादी समाज है, जहाँ अनेक धर्म, भाषाएँ और संस्कृतियाँ हैं।
अल्पसंख्यकों को अपनी संस्कृति और परंपराओं को बनाए रखने का अधिकार दिया गया है।
धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को अपने शैक्षिक संस्थान स्थापित करने और संचालित करने का अधिकार दिया गया है।
11. भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता का क्या अर्थ है?
उत्तर:
भारतीय धर्मनिरपेक्षता का मतलब है कि—
राज्य किसी एक धर्म को बढ़ावा नहीं देगा।
सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखा जाएगा।
धार्मिक स्वतंत्रता की सुरक्षा होगी।
राज्य धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा, जब तक कि यह समाज के लिए आवश्यक न हो।
12. सार्वभौम मताधिकार क्या है और इसका संविधान में क्या महत्व है?
उत्तर:
सार्वभौम मताधिकार का अर्थ है कि 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के मतदान का अधिकार प्राप्त है।
यह लोकतंत्र की आधारशिला है और इसे भारतीय संविधान ने सुनिश्चित किया है।
13. संघवाद क्या है और भारतीय संविधान में इसे कैसे अपनाया गया है?
उत्तर:
संघवाद एक शासन प्रणाली है जिसमें सत्ता केंद्र और राज्यों के बीच विभाजित होती है। भारतीय संविधान में—
तीन स्तर की सरकार (केंद्र, राज्य, स्थानीय)।
संविधान द्वारा स्पष्ट शक्ति-विभाजन।
राज्यों को स्वायत्तता, लेकिन केंद्र को अधिक शक्तियाँ।
14. संविधान राष्ट्रीय पहचान को कैसे सुनिश्चित करता है?
उत्तर:
सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करता है।
भाषा, धर्म और संस्कृति की विविधता को स्वीकार करता है।
भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए केंद्र को विशेष शक्तियाँ प्रदान करता है।
15. संविधान की कुछ प्रमुख आलोचनाएँ क्या हैं?
उत्तर:
1. संविधान बहुत विस्तृत है – इसमें कई प्रशासनिक विवरण शामिल किए गए हैं, जिससे यह बहुत लंबा हो गया है।
2. संविधान पूरी तरह से सार्वभौम नहीं था – संविधान सभा का गठन सार्वभौम मताधिकार से नहीं हुआ था, बल्कि समाज के उच्च वर्ग के लोग इसमें शामिल थे।
3. संविधान भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं – कुछ आलोचकों का मानना है कि भारतीय संविधान पश्चिमी देशों से प्रेरित है और पूरी तरह से भारतीय परिस्थितियों को नहीं दर्शाता।
16. भारतीय संविधान में कौन-सी सीमाएँ हैं?
उत्तर:
संघीय व्यवस्था में केंद्र को अधिक शक्तियाँ दी गई हैं।
1. लैंगिक समानता के मुद्दे – पारिवारिक कानूनों में सुधार की आवश्यकता।
2. सामाजिक - आर्थिक अधिकारों को मौलिक अधिकारों में शामिल नहीं किया गया (उन्हें नीति-निर्देशक तत्त्वों में रखा गया है)।