नमक का दारोगा Important Short and Long Question Class 11 Chapter-1 Book-Aroh
0Team Eklavyaमार्च 07, 2025
1. "नमक का दारोगा" कहानी के लेखक कौन हैं?
उत्तर:
इस कहानी के लेखक मुंशी प्रेमचंद हैं।
2. "नमक का दारोगा" कहानी का मुख्य विषय क्या है?
उत्तर:
कहानी का मुख्य विषय ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और सत्य का सम्मान है। इसमें यह दर्शाया गया है कि कठिनाइयों के बावजूद ईमानदारी का मूल्य देर-सवेर समझा जाता है।
3. कहानी के मुख्य पात्र कौन-कौन हैं?
उत्तर:
1. मुंशी वंशीधर – एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी।
2. पंडित अलोपीदीन – एक धनी व्यापारी, जो अवैध रूप से नमक का व्यापार करते हैं।
3. वंशीधर के पिता – जो उन्हें यथार्थवादी शिक्षा देते हैं।
4. वंशीधर को नौकरी के बारे में उनके पिता क्या सलाह देते हैं?
उत्तर:
वंशीधर के पिता उन्हें सलाह देते हैं कि सरकारी नौकरी में वेतन कम होता है, इसलिए ऊपरी आय पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि इससे जीवन में धन और सुख-सुविधा प्राप्त होती है।
5. वंशीधर को कौन-सी नौकरी मिलती है और वे कैसे काम करते हैं?
उत्तर:
वंशीधर को नमक विभाग में दारोगा की नौकरी मिलती है। वे ईमानदारी और निष्ठा से अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं, जिससे वे विभाग में अपनी पहचान बना लेते हैं।
6. वंशीधर ने किस अवैध कार्य को रोका?
उत्तर:
वंशीधर ने रात के अंधेरे में नमक से भरी गाड़ियों को नदी पार करते हुए पकड़ा, जो अवैध रूप से व्यापार की जा रही थीं।
7. जब वंशीधर ने पंडित अलोपीदीन की गाड़ियों को पकड़ा, तो पंडितजी ने उन्हें क्या प्रस्ताव दिया?
उत्तर:
पंडित अलोपीदीन ने वंशीधर को लाखों रुपये की रिश्वत देने की पेशकश की, ताकि वे उनकी गाड़ियों को जाने दें। लेकिन वंशीधर ने इसे ठुकरा दिया।
8. अदालत में वंशीधर को क्यों दोषी ठहराया गया?
उत्तर:
अलोपीदीन बहुत प्रभावशाली व्यक्ति थे, और उन्होंने अपने प्रभाव और धन के बल पर स्वयं को निर्दोष साबित कर दिया।
वंशीधर को कठोर, अनुभवहीन और नमकहलाल कहकर उनकी ईमानदारी की आलोचना की गई।
अंततः उन्हें नौकरी से निलंबित कर दिया गया।
9. नौकरी से निकाले जाने के बाद वंशीधर को कैसा अनुभव हुआ?
उत्तर:
घर लौटने पर उनके पिता ने भी उनकी आलोचना की, क्योंकि वे यथार्थवादी सोच रखते थे।
परिवार और समाज ने भी उनकी निंदा की।
लेकिन वंशीधर को अपने सत्य और ईमानदारी पर गर्व था।
10. पंडित अलोपीदीन बाद में वंशीधर के पास क्यों आते हैं?
उत्तर:
पंडित अलोपीदीन वंशीधर की ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से प्रभावित होकर स्वयं उनके पास आते हैं और उन्हें अपनी पूरी संपत्ति का मैनेजर बनने का प्रस्ताव देते हैं।
11. वंशीधर ने पंडित अलोपीदीन का प्रस्ताव क्यों स्वीकार किया?
उत्तर:
पहले वंशीधर ने स्वाभिमान के कारण प्रस्ताव ठुकराने की कोशिश की।
लेकिन बाद में उन्होंने पंडितजी की बदलती सोच और अपनी आर्थिक स्थिति को देखते हुए इसे स्वीकार कर लिया।
यह इस बात का प्रतीक था कि सच्चाई और ईमानदारी की जीत हमेशा होती है।
12. कहानी से क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर:
ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा हमेशा सम्मान प्राप्त करती है।
धन से अधिक महत्वपूर्ण व्यक्ति का चरित्र और नैतिकता होती है।
सच्चाई की राह कठिन होती है, लेकिन अंततः जीत सत्य की ही होती है।
ईमानदार व्यक्ति को समाज पहले अस्वीकार कर सकता है, लेकिन अंततः उसकी कद्र की जाती है।
13. "नमक का दारोगा" शीर्षक कहानी के लिए क्यों उपयुक्त है?
उत्तर:
कहानी का मुख्य पात्र वंशीधर नमक विभाग में दारोगा है।
उनका ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ आचरण कहानी का मुख्य विषय है।
उनकी ईमानदारी के कारण उन्हें कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती हैं, लेकिन अंततः सत्य की जीत होती है।
"नमक का दारोगा" शीर्षक कहानी की पूरी भावना को संक्षेप में प्रस्तुत करता है।
14. प्रेमचंद ने इस कहानी के माध्यम से समाज को क्या संदेश दिया है?
उत्तर:
मुंशी प्रेमचंद इस कहानी के माध्यम से यह संदेश देते हैं कि धन से अधिक महत्वपूर्ण ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा होती है। भले ही समाज में ईमानदार व्यक्ति को प्रारंभ में कठिनाइयाँ सहनी पड़ें, लेकिन अंततः उसकी सच्चाई और नैतिकता को मान्यता मिलती है।
15. "नमकहलाली" का अर्थ क्या है, और कहानी में इसे किस संदर्भ में इस्तेमाल किया गया है?
उत्तर:
"नमकहलाली" का अर्थ होता है स्वामीभक्ति और कर्तव्यपरायणता।
कहानी में वंशीधर की ईमानदारी को तिरस्कार की दृष्टि से "नमकहलाली" कहा गया, क्योंकि उन्होंने रिश्वत नहीं ली और अपने कर्तव्य का पालन किया।