मियाँ नसीरुद्दीन Important Short and Long Question Class 11 Chapter-2 Book-Aroh
0Team Eklavyaमार्च 07, 2025
1. "मियाँ नसीरुद्दीन" कहानी के लेखक कौन हैं?
उत्तर:
इस कहानी के लेखक कमलेश्वर हैं।
2. "मियाँ नसीरुद्दीन" कहानी का मुख्य विषय क्या है?
उत्तर:
कहानी का मुख्य विषय कला, परंपरा, समर्पण और बदलते समय का प्रभाव है। यह खानदानी नानबाइयों की परंपरा और उनके पेशे के प्रति लगाव को दर्शाती है।
3. कहानी के मुख्य पात्र कौन-कौन हैं?
उत्तर:
1. मियाँ नसीरुद्दीन – एक खानदानी नानबाई, जो अपने अनूठे अंदाज और व्यावसायिक कौशल के लिए प्रसिद्ध हैं।
2. प्रश्नकर्ता (लेखक) – एक जिज्ञासु व्यक्ति, जो मियाँ नसीरुद्दीन से उनके पेशे और जीवन के बारे में बातचीत करता है।
4. मियाँ नसीरुद्दीन कौन थे और वे क्या करते थे?
उत्तर:
मियाँ नसीरुद्दीन पुरानी दिल्ली के मटियामहल इलाके के प्रसिद्ध नानबाई थे। वे छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने में माहिर थे और अपने खानदानी पेशे पर गर्व करते थे।
5. मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाई का पेशा कहाँ से मिला?
उत्तर:
मियाँ नसीरुद्दीन ने यह हुनर अपने पिता मियाँ बरकत और दादा मियाँ कल्लन से सीखा। उनके पूर्वज बादशाहों के दरबार में भी अपनी कला का प्रदर्शन करते थे।
6. मियाँ नसीरुद्दीन अपने काम को क्या मानते थे?
उत्तर:
मियाँ नसीरुद्दीन अपने काम को केवल एक पेशा नहीं, बल्कि एक कला मानते थे। उनका मानना था कि नानबाई का काम केवल रोटियाँ पकाना नहीं, बल्कि एक उत्कृष्ट कला है।
7. मियाँ नसीरुद्दीन का प्रसिद्ध कथन क्या था?
उत्तर:
उन्होंने गर्व से कहा –
"खानदानी नानबाई कुएँ में भी रोटी पका सकता है।"
इसका अर्थ है कि एक सच्चा कारीगर किसी भी परिस्थिति में अपनी कला को सिद्ध कर सकता है।
8. मियाँ नसीरुद्दीन के अनुसार एक सफल नानबाई बनने के लिए क्या जरूरी है?
उत्तर:
छोटे-छोटे कामों से शुरुआत करना (जैसे – भट्ठी जलाना, बर्तन धोना)।
कला के प्रति लगाव और समर्पण रखना।
बारीकियों को समझना और अभ्यास करना।
धैर्य और अनुभव से सीखना।
9. मियाँ नसीरुद्दीन के अनुसार लोग पहले और अब के खाने में क्या अंतर है?
उत्तर:
मियाँ नसीरुद्दीन मानते थे कि पहले लोग खाने का स्वाद समझते थे, उसकी कद्र करते थे, लेकिन आज के लोग सिर्फ खाना निगलते हैं, उसका आनंद नहीं लेते। उन्हें पुराने ज़माने के समझदार ग्राहकों की कमी खलती है।
10. मियाँ नसीरुद्दीन कौन-सी विशेष रोटियों के बारे में बताते हैं?
उत्तर:
वे बताते हैं कि उनके बुजुर्गों ने बादशाह के दरबार में "आग और पानी के बिना पकने वाली रोटी" बनाई थी। यह उनकी कला के उच्च स्तर को दर्शाता है।
11. मियाँ नसीरुद्दीन को अपने खानदानी पेशे पर गर्व क्यों था?
उत्तर:
उनका परिवार बादशाहों के दरबार तक प्रसिद्ध था।
वे अपने काम को कला मानते थे, न कि सिर्फ व्यवसाय।
उनके बनाए पकवानों की कहावतें तक बन चुकी थीं।
वे मानते थे कि एक सच्चा कारीगर किसी भी स्थिति में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकता है।
12. मियाँ नसीरुद्दीन को बदलते समय से क्या शिकायत थी?
उत्तर:
आज के ग्राहक खाने की कद्र नहीं करते।
खाने का स्वाद और कला की पहचान खत्म हो रही है।
नई पीढ़ी मेहनत और धैर्य से सीखने को तैयार नहीं है।
पहले के ग्राहक स्वाद के जानकार थे, अब लोग सिर्फ पेट भरने के लिए खाते हैं।
13. "मियाँ नसीरुद्दीन" शीर्षक कहानी के लिए क्यों उपयुक्त है?
उत्तर:
कहानी मियाँ नसीरुद्दीन के जीवन, उनकी कला और उनके अनुभवों पर केंद्रित है।
उनकी बातें खानदानी परंपरा, पेशे के प्रति सम्मान और बदलते समय की हकीकत को दर्शाती हैं।
यह शीर्षक उनके नाम के माध्यम से पूरी कहानी का सार प्रस्तुत करता है।
14. "मियाँ नसीरुद्दीन" कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर:
हर पेशे में उत्कृष्टता और समर्पण महत्वपूर्ण हैं।
कला और परंपराओं की कद्र करनी चाहिए।
बदलते समय के बावजूद अपनी गुणवत्ता और मूल्यों को बनाए रखना चाहिए।
सफलता अनुभव और बुनियादी कौशल से मिलती है।
15. कहानी में लेखक और मियाँ नसीरुद्दीन के संवाद से हमें क्या समझ में आता है?
उत्तर:
मियाँ नसीरुद्दीन का आत्मसम्मान और पेशे के प्रति लगाव।
पुराने समय की कला और आज के समय के भौतिकवाद के बीच का अंतर।
नानबाई का काम केवल व्यापार नहीं, बल्कि एक समर्पित कला है।
कला की परख रखने वालों की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है।