धर्मनिरपेक्षता Important Short and Long Question Class 11 Chapter-8 Book-2
0Team Eklavyaमार्च 06, 2025
1. धर्मनिरपेक्षता क्या है?
उत्तर:
धर्मनिरपेक्षता (Secularism) एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें राज्य धर्म से पृथक रहता है और सभी धर्मों के प्रति समान दृष्टिकोण अपनाता है। इसका उद्देश्य किसी भी व्यक्ति या समूह को उनके धर्म के आधार पर विशेषाधिकार या भेदभाव से बचाना है।
2. धर्मनिरपेक्षता का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार
धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी
राज्य और धर्म के बीच पृथक्करण
धार्मिक भेदभाव और वर्चस्व को रोकना
3. धर्मनिरपेक्षता के बिना समाज में क्या समस्याएँ हो सकती हैं?
उत्तर:
धार्मिक भेदभाव और असमानता
अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न
धार्मिक टकराव और सांप्रदायिक हिंसा
राजनीति और धर्म का मिश्रण, जिससे धार्मिक कट्टरता बढ़ती है
4. धर्मनिरपेक्षता के दो प्रमुख मॉडल कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
1. यूरोपीय (पश्चिमी) मॉडल – धर्म और राज्य को पूरी तरह अलग रखता है।
2. भारतीय मॉडल – धर्मनिरपेक्षता राज्य को धर्म से उचित दूरी बनाए रखने और सामाजिक सुधार में हस्तक्षेप की अनुमति देता है।
5. भारतीय और पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता में क्या अंतर है?
उत्तर:
6. भारत में धर्मनिरपेक्षता का क्या महत्व है?
उत्तर:
धार्मिक विविधता के बावजूद एकता बनाए रखना
सभी नागरिकों को समान अधिकार सुनिश्चित करना
अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता
सांप्रदायिकता और धार्मिक कट्टरता को रोकना
7. भारत में धर्मनिरपेक्षता से जुड़े संवैधानिक प्रावधान कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
1. अनुच्छेद 14 – समानता का अधिकार
2. अनुच्छेद 15 – धर्म के आधार पर भेदभाव का निषेध
3. अनुच्छेद 25-28 – धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार
4. अनुच्छेद 30 – अल्पसंख्यकों को अपने शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने का अधिकार
5. अनुच्छेद 44 – समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को बढ़ावा देना
8. धर्म के भीतर वर्चस्ववाद से क्या आशय है?
उत्तर:
धर्म के भीतर वर्चस्ववाद का अर्थ है जब किसी धर्म के भीतर ही कुछ वर्ग या समूह दूसरों पर नियंत्रण रखते हैं और भेदभाव करते हैं। उदाहरण:
1. हिंदू धर्म में जातिगत भेदभाव – दलितों को मंदिर प्रवेश से रोका जाना।
2. इस्लाम में लैंगिक भेदभाव – महिलाओं को धार्मिक नेतृत्व से वंचित रखना।
ईसाई धर्म में पादरियों के लिए केवल पुरुषों की पात्रता।
9. भारत में धार्मिक भेदभाव और सांप्रदायिक हिंसा के उदाहरण कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
1. 1984 – सिख विरोधी दंगे
2. 1992 – बाबरी मस्जिद विध्वंस और उसके बाद हिंसा
3. 2002 – गुजरात दंगे
4. कश्मीरी पंडितों का पलायन
10. धर्मनिरपेक्ष राज्य की क्या विशेषताएँ होनी चाहिए?
उत्तर:
सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार
राज्य और धर्म का पृथक्करण
धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी
अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा
11. धर्मनिरपेक्षता को लेकर क्या आलोचनाएँ की जाती हैं?
उत्तर:
1. धर्म-विरोधी होने का आरोप – कुछ लोग इसे धर्म विरोधी मानते हैं, जबकि यह धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करता है।
2. अल्पसंख्यक तुष्टिकरण – यह आरोप लगाया जाता है कि सरकारें धर्मनिरपेक्षता के नाम पर अल्पसंख्यकों का पक्ष लेती हैं।
3. पश्चिमी अवधारणा – कुछ लोग इसे भारत के लिए विदेशी विचारधारा मानते हैं, जबकि भारत में यह ऐतिहासिक रूप से मौजूद रही है।
4. वोट बैंक की राजनीति – कुछ राजनीतिक दल धर्मनिरपेक्षता का उपयोग वोट बैंक की राजनीति के लिए करते हैं।
12. धर्मनिरपेक्षता को मजबूत करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
उत्तर:
धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देना।
शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम चलाना।
सांप्रदायिक हिंसा रोकने के लिए कड़े कानून लागू करना।
राजनीति में धर्म के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना।
13. यूरोपीय धर्मनिरपेक्षता मॉडल की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
राज्य और धर्म का पूर्ण पृथक्करण।
धार्मिक संस्थाओं को सरकारी मदद नहीं।
धर्म को निजी मामला माना जाता है।
सार्वजनिक नीति को धार्मिक तर्कों के आधार पर नहीं बनाया जाता।
14. भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता का क्या स्वरूप है?
उत्तर:
भारतीय संविधान एक सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता को अपनाता है, जिसमें राज्य न केवल धर्म से दूरी बनाए रखता है, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक सुधार को भी प्रोत्साहित करता है।
15. धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के बीच क्या संबंध है?
उत्तर:
धर्मनिरपेक्षता लोकतंत्र की आधारशिला है क्योंकि यह सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करती है।
धार्मिक भेदभाव के बिना सभी को वोट डालने और सरकार में भाग लेने का अधिकार होता है।
लोकतंत्र में धर्म को व्यक्तिगत मामला माना जाता है और राज्य निष्पक्षता से कार्य करता है।
16. क्या भारतीय धर्मनिरपेक्षता भविष्य में बनी रहेगी?
उत्तर:
भारतीय धर्मनिरपेक्षता समय के साथ विकसित हो रही है, और इसकी सफलता इस पर निर्भर करेगी कि –
राजनीति में धर्म का उपयोग कितना कम होता है।
सांप्रदायिक हिंसा पर कितना नियंत्रण किया जाता है।
धर्मनिरपेक्षता को वोट बैंक की राजनीति से अलग रखा जाता है या नहीं।