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खेलों में प्रशिक्षण और डोपिंग Notes in Hindi Class 11 Physical Education Chapter-10 Training and doping in sports

खेलों में प्रशिक्षण और डोपिंग Notes in Hindi Class 11 Physical Education Chapter-10 Training and doping in sports


खेल प्रशिक्षण का अर्थ

खेल प्रशिक्षण उच्चतर प्रदर्शन के लिए खिलाड़ियों को तैयार करने की एक जटिल प्रक्रिया है। यह पूरी प्रक्रिया के माध्यम से खेल प्रशिक्षण की सहायता से खिलाड़ियों के स्तर को सुधारा जाता है।


खेल प्रशिक्षण के सिद्धांत

अतिभार का सिद्धांत:

  • इसका अर्थ है कि खिलाड़ियों के प्रदर्शन में बढ़ोतरी करने के लिए प्रशिक्षण भार को बढ़ाना चाहिए।
  • उदाहरण के लिए सहन क्षमता को बढ़ाने के लिए मांसपेशियों को उससे अधिक लंबी अवधि तक कार्य करना चाहिए, जितना वे अभ्यस्त हो चुकी हैं।

प्रगति क्रम का सिद्धांत:

  • इस सिद्धांत के अनुसार, अतिभार को धीरे-धीरे क्रमबद्ध रूप से बढ़ाना चाहिए, जिससे खिलाड़ियों को इसे संभालने में आसानी हो।
  • यह सिद्धांत उचित विश्राम और पुनः शक्ति प्राप्ति का भी एहसास कराता है।

निरंतरता का नियम:

  • प्रशिक्षण की प्रक्रिया निरंतर होनी चाहिए।
  • इसमें किसी प्रकार का लंबा अवकाश नहीं होना चाहिए।
  • दो प्रशिक्षण सत्रों के बीच का अंतराल बहुत ज्यादा लंबा नहीं होना चाहिए।

विविधता का सिद्धांत:

  • प्रशिक्षण को रोचक और प्रेरणादायक बनाए रखने के लिए उसमें विविधता होनी चाहिए।
  • इसमें व्यायाम की प्रकृति, समय, और पर्यावरण में बदलाव शामिल किए जा सकते हैं।
  • विविधता खिलाड़ियों को ऊबने से बचाती है और प्रदर्शन को सुधारती है।

व्यक्तिगत भेद का सिद्धांत:

  • इस सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक खिलाड़ी की आवश्यकताएं और क्षमताएं अलग होती हैं।
  • अलग-अलग शारीरिक संरचना, क्षमता, और सहनशक्ति के कारण सभी खिलाड़ियों के प्रशिक्षण की प्रक्रिया अलग हो सकती है।
  • पुनः शक्ति प्राप्त करने में भी अलग-अलग खिलाड़ियों को अलग समय लगता है।

विशिष्टता का सिद्धांत:

  • इस सिद्धांत के अनुसार यदि शरीर के किसी विशेष अंग या भाग का व्यायाम किया जाए, तो वह अंग अधिक विकसित होता है।
  • विशिष्ट खेल या क्रिया के अनुसार, संबंधित मांसपेशियों और अंगों को लक्षित व्यायाम के माध्यम से विकसित किया जाता है।

सक्रिय ग्रस्तता का सिद्धांत:

  • इस सिद्धांत के अनुसार, प्रभावी प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए खिलाड़ियों को पूर्ण सक्रियता, क्रियाशीलता और अपनी इच्छा से भाग लेना चाहिए।
  • प्रशिक्षण का बेहतर परिणाम तभी प्राप्त होता है जब खिलाड़ी मन से इसमें शामिल होते हैं।

चक्रीयता का सिद्धांत:

खेल प्रशिक्षण कार्यक्रम को विभिन्न चरणों या चक्रों में विभाजित किया जाता है।

यह चक्र मुख्य रूप से मेसो चक्र (मध्य अवधि), मैक्रो चक्र (लंबी अवधि), और माइक्रो चक्र (छोटी अवधि) के आधार पर बनाए जाते हैं।

  • मैक्रो चक्र: सबसे लंबी अवधि (आमतौर पर महीनों में)।
  • मेसो चक्र: मध्यम अवधि।
  • माइक्रो चक्र: सबसे छोटी अवधि (3 से 10 दिन)।

यह चक्र प्रशिक्षण को व्यवस्थित और प्रभावी बनाते हैं।

सामान्य व विशिष्ट तैयारी का सिद्धांत:

  • प्रदर्शन में सुधार के लिए सामान्य और विशिष्ट दोनों प्रकार की तैयारियां समान रूप से महत्वपूर्ण होती हैं।
  • सामान्य तैयारी, विशिष्ट तैयारी के लिए आधार का काम करती है।

आराम तथा पुनः शक्ति प्राप्त करने का सिद्धांत:

  • इस सिद्धांत के अनुसार, प्रशिक्षण कार्यक्रम को इस प्रकार बनाना चाहिए कि खिलाड़ियों को प्रशिक्षण संबंधित क्रियाओं के बीच उचित अंतराल और आराम मिल सके।
  • यह शरीर और मन दोनों को पुनः ऊर्जा और शक्ति प्राप्त करने का अवसर देता है।


प्रशिक्षण भारः अतिभार, अनुकूलन और पुनः शक्ति प्राप्ति

प्रशिक्षण भार 

 प्रशिक्षण भार का मतलब होता है  एक एथलीट (खिलाड़ी) द्वारा किए जाने वाले सभी व्यायाम और उनकी तीव्रता (कठिनाई स्तर)।


प्रशिक्षण भार के प्रकार

1. सामान्य भार (Normal Load)

2. क्रेस्ट शिखर भार (Crest Load)

3. अति भार (Over Load)

1. सामान्य भार (Normal Load)

  • यह वह अभ्यास या मेहनत (लोड) है जिसे खिलाड़ी बिना किसी बड़ी परेशानी के आसानी से कर सकता है।
  • उदाहरण: रोज़ के बेसिक वॉर्म-अप या हल्के अभ्यास, जिन्हें करने में शरीर को ज़्यादा तनाव महसूस न हो।

2. क्रेस्ट शिखर भार (Crest Load)

  • यह सामान्य भार से थोड़ा ज़्यादा होता है, मगर खिलाड़ी इसे अपनी क्षमता के अनुसार एडजस्ट या संभाल सकता है।
  • इसका उद्देश्य खिलाड़ी को सामान्य से कुछ अधिक मेहनत करवाकर प्रदर्शन बेहतर करना होता है।

3. अति भार (Over Load)

  • यह खिलाड़ी की शारीरिक और मानसिक क्षमता से काफी अधिक होता है।
  • अगर इसे सही योजना के तहत इस्तेमाल किया जाए तो यह उच्च स्तर का प्रदर्शन दिला सकता है, लेकिन ज़्यादा या गलत तरीके से करने पर चोट या मानसिक दबाव बढ़ सकता है।


अति भार के लक्षण

  • मांसपेशियों में लगातार दर्द
  • अधिक हृदय दर
  • लगातार थकान
  • मानसिक थकान
  • चोटें लगने की अधिक संभावना
  • अवसाद


अनुकूलन (Adaptation)

  • जब भी हम कोई नई गतिविधि या व्यायाम शुरू करते हैं, तो हमारा शरीर और दिमाग शुरुआत में उस काम में समय और मेहनत लगाते हैं।
  • लेकिन धीरे-धीरे शरीर उस नए माहौल में खुद को ढाल लेता है, ताकि आगे चलकर वह काम आसानी से किया जा सके। इसी प्रक्रिया को अनुकूलन कहते हैं।


पुनःशक्ति प्राप्ति (Recovery)

  • खेलों के संदर्भ में, प्रशिक्षण अथवा प्रतियोगिता के पश्चात शरीर की पहले जैसी सामान्य स्थिति में लौटने की प्रक्रिया को रिकवरी कहते हैं।
  • प्रशिक्षण या प्रतियोगिता के दौरान शरीर को हुए नुकसान/क्षति की मरम्मत की प्रक्रिया को रिकवरी कहते हैं।
  • तीव्र शारीरिक गतिविधियों के बाद शरीर को पुनः पहले जैसी सामान्य स्थिति में आने के लिए कुछ समय लगता है, इसलिए रिकवरी को पुनर्प्राप्ति भी कहते हैं।

गर्माना (Warming up):

  • गर्माना एक कम अवधि की गतिविधि होती है जो कि किसी भी गंभीर एवं निपुणतापूर्ण गतिविधि करने से पहले की जाती है।
  • व्यायाम से पहले वार्म अप करना ज़रूरी होता है एवं इसमें दस मिनट के हल्के व्यायाम जैसे धीमी दौड़, खाली हाथ कुछ व्यायाम एवं मांसपेशियों का खिंचाव आदि शामिल होते हैं।

वार्मअप / गर्माना का महत्व 

  • शरीर के तापमान में वृद्धि
  • चिंता और तनाव को कम करता है
  • वार्मअप चोट से बचाता है
  • मांसपेशियों की कार्य क्षमता में वृद्धि।
  • लचीलेपन को बढ़ाता है।
  • शक्ति को बढ़ाता है।
  • सहन क्षमता को बढ़ाता है।
  • प्रदर्शन के स्तर में सुधार करता है। 


गर्माने के दो मुख्य प्रकार

सामान्य गर्माना 

  • इसमें पूरे शरीर को हल्की गतिविधियों से तैयार किया जाता है, जैसे– धीमी दौड़, जंपिंग जैक, हल्के स्ट्रेच, इत्यादि।
  • उद्देश्य: शरीर के तापमान को बढ़ाना, रक्त-संचार सुधारना, और मांसपेशियों तथा जोड़ों को लचीला बनाना।

विशिष्ट गर्माना 

  • इसमें खेल या गतिविधि से जुड़ी विशेष अभ्यास/गतिविधियाँ शामिल की जाती हैं, जैसे– बैडमिंटन से पहले रैकेट स्विंग करना, बास्केटबॉल से पहले ड्रिब्लिंग और शॉट प्रैक्टिस।
  • उद्देश्य: उन मांसपेशियों और गतिविधियों को तैयार करना जिनका उपयोग मुख्य खेल या अभ्यास में होना है।

शिथिलीकरण 

  • शिथिलीकरण का मतलब है किसी भी व्यायाम या खेल गतिविधि के बाद शरीर को धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में लाना।
  • किसी प्रतियोगिता अथवा प्रशिक्षण कार्य समाप्त होने पर एथलीटों को प्रायः कुछ गतिविधियाँ, जोगिंग अथवा चलने आदि के रूप में की जाती हैं।

शिथिलीकरण का महत्व 

  • शरीर का तापमान सामान्य हो जाता है।
  • तनाव में कमी।
  • चक्कर आने या बेहोशी की संभावना को कम करता है।
  • ऑक्सीजन की उचित आपूर्ति।
  • मांसपेशियों में जकड़न नहीं रहती हैं।
  • हृदय गति प्रारंभिक चरण में वापस आ जाती है।


कौशल, तकनीक, युक्तियों और रणनीतियों की अवधारणा

कौशल

  • कौशल का मतलब है कि लगातार अभ्यास से किसी गतिविधि को इतने अच्छे से सीख लिया जाए कि वह लगभग अपने आप (स्वचालित) होने लगे। क्योंकि कोई भी बच्चा किसी खास कौशल के साथ जन्म से नहीं आता, उसे अभ्यास के जरिए ही सीखा और निपुण बनाया जाता है।
  • कौशल एक एथलीट की सही समय पर, सफलतापूर्वक, नियमित रूप से और न्यूनतम प्रयास के साथ सही तकनीकों को चुनने एवं प्रदर्शन करने की क्षमता है।
  • एक पूरी गतिविधि को प्रभावी ढंग से करने की क्षमता को कौशल के रूप में जाना जाता है। 

तकनीक (Technique)

  • तकनीक किसी भी खेल या घटना की मौलिक / बुनियादी गतिविधियाँ हैं।
  • तकनीक, कौशल को प्रदर्शित करने का एक तरीका है। एक कौशल को, एक से अधिक तकनीकों का उपयोग करके प्रदर्शित किया जा सकता है। 

युक्तियाँ

  • युक्ति वे तरीके हैं, जिनके द्वारा खिलाड़ी प्रतिद्वंद्वी को मात देने (बेहतर होने, हराने) की कोशिश करते हैं।
  • युक्तियाँ रणनीति को निष्पादित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले विशिष्ट उपकरण हैं। 

रणनीति

  • रणनीति एक प्रतियोगिता में सफल भागीदारी के लिए समग्र योजना है। यह एक दीर्घकालिक योजना होती है, जो विभिन्न प्रकार की युक्तियों का उपयोग करके लक्ष्य प्राप्ति पर केंद्रित रहती है।
  • रणनीति एक बड़ी योजना होती है, जो भविष्य की स्थिति को ध्यान में रखती है और लक्ष्य को पूरा करने के लिए विभिन्न युक्तियों पर विचार करती है। 


डोपिंग का अर्थ 

डोपिंग का अर्थ (Meaning of Doping)

  • जब एथलीट प्रतिबंधित पदार्थ या विधियों का प्रयोग करके अपना खेलों में प्रदर्शन बढ़ाता है उसे डोपिंग कहते हैं।
  • उदाहरण: नशीली दवाएँ, स्टेरॉइड्स (Steroids) आदि।



डोपिंग के दुष्प्रभाव 

उत्तेजक (Stimulants):

  • भूख में कमी, सिरदर्द, तनाव आदि।
  • रक्तचाप बढ़ना और तापमान में वृद्धि।
  • सतर्कता (Alertness) बढ़ती है।

एनाबोलिक स्टेरॉयड्स (Anabolic Steroids):

  • चेहरे पर अधिक बाल आना, मानसिक धर्म में अनियमितता।
  • मूड का बदलना, तनाव, गुस्सा, मानसिक अवसाद (Depression)।
  • पुरुषों में गंजापन।
  • उच्च रक्तचाप।

कैन्नाबिनोइड्स (Cannabinoids):

  • एकाग्रता (Concentration) की कमी।
  • जीभ, गले, फेफड़ों का कैंसर।
  • याददाश्त की समस्याएँ।
  • फेफड़ों की क्षमता में कमी।

बीटा ब्लॉकर्स (Beta Blockers):

  • खिलाड़ी की सहनशक्ति में कमी आना।
  • पाचन शक्ति कमजोर होना, सिरदर्द होना।
  • रक्तचाप, पेट संबंधी रोगों का होना।

नशीली दवाएं या नारकोटिक्स (Narcotics):

  • मानसिक और शारीरिक संतुलन बिगड़ना।
  • उल्टी, कब्ज जैसी समस्याएँ।
  • बेहोशी की अवस्था में जाना।

डायूरेटिक्स (Diuretics):

डायूरेटिक्स के सेवन से खिलाड़ी को निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है—

  • पानी की कमी हो जाना।
  • चक्कर आना।
  • मांसपेशियाँ फट जाना।
  • पोटैशियम की कमी आना।

बीटा-2 एगोनिस्ट (Beta-2 Agonists):

बीटा-2 एगोनिस्ट के सेवन से खिलाड़ी को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता है—

  • हाथ ठंडे पड़ना, चक्कर आना।
  • सिरदर्द, उल्टी आना।
  • नींद कम आना, अवसाद आदि।

ब्लड डोपिंग:

यह लाल रक्त कणिकाओं (RBC) की संख्या में वृद्धि करने की एक विधि है, जिसे गलत और प्रतिबंधित प्रक्रिया माना गया है। इसके दो प्रकार हैं:

1. ऑटोलोगस ब्लड डोपिंग:

इस विधि में खेल प्रतियोगिता से कुछ हफ्ते पहले खिलाड़ी के अपने रक्त को वापस शरीर में चढ़ाया जाता है।

2. होमोलोगस ब्लड डोपिंग:

इस विधि में एक व्यक्ति से ताजा रक्त लेकर उसे किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर में चढ़ाया जाता है। इसका उद्देश्य लाल रक्त कणिकाओं की संख्या बढ़ाकर शारीरिक सहनशक्ति और प्रदर्शन क्षमता को बढ़ाना होता है।


जीन डोपिंग 

  • जीन डोपिंग खिलाड़ियों के खेल प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए कोशिकाओं या जीन का जोड़-तोड़ करने की प्रक्रिया है।
  • इससे सामान्य स्वस्थ कोशिकाओं के कार्य को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।


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