शरीर रचना (Anatomy) और शरीर क्रिया विज्ञान (Physiology) का अर्थ
शरीर रचना (Anatomy):
शरीर रचना मानव शरीर की संरचना (Structure) का अध्ययन है। इसमें हड्डियों, मांसपेशियों, अंगों, कोशिकाओं और ऊतकों (Tissues) की संरचना और उनकी स्थिति का अध्ययन किया जाता है।
शरीर क्रिया विज्ञान (Physiology):
शरीर क्रिया विज्ञान मानव शरीर के कार्यों (Functions) का अध्ययन है। इसमें यह समझा जाता है कि शरीर कैसे काम करता है और कैसे यह अलग-अलग परिस्थितियों में प्रतिक्रिया करता है।
व्यायाम और खेलों में शरीर रचना और शरीर क्रिया विज्ञान का महत्व
स्वस्थ शरीर को बनाए रखने में मदद:
यदि किसी व्यक्ति को मानव शरीर की शारीरिक रचना और शरीर विज्ञान का ज्ञान है तो वह अपने स्वास्थ्य को बनाए रख सकता है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करने में सहायता:
खेलों में प्रशिक्षण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और किसी व्यक्ति की शारीरिक संरचना और कार्यात्मक क्षमता को जाने बिना प्रशिक्षण कार्यक्रम का विकास संभव नहीं है।
प्रदर्शन को बेहतर बनाना:
शरीर की मांसपेशियों, हड्डियों और ऊर्जा प्रणालियों की जानकारी से एथलीट अपनी ताकत, सहनशक्ति और लचीलापन बढ़ा सकते हैं, जिससे प्रदर्शन में सुधार होता है।
चोटों की रोकथाम:
शरीर रचना का ज्ञान कमजोर क्षेत्रों को पहचानने, सही व्यायाम तकनीक अपनाने और मांसपेशियों में खिंचाव, मोच और जोड़ की समस्याओं जैसी चोटों से बचाने में मदद करता है।
शारीरिक फिटनेस का अनुकूलन:
हृदय प्रणाली और श्वसन प्रणाली जैसे शरीर के कार्यों को समझकर सहनशक्ति और स्टैमिना को बढ़ाया जा सकता है, जो खेल प्रदर्शन के लिए आवश्यक है।
कंकाल प्रणाली के कार्य
- शरीर को आकार देना: यह शरीर को एक निश्चित आकार और संरचना प्रदान करती है।
- सहारा और समर्थन: मांसपेशियों और आंतरिक अंगों को सहारा देती है।
- संरक्षण: यह मस्तिष्क, हृदय, फेफड़ों और अन्य नाजुक अंगों की रक्षा करती है।
- आंदोलन में मदद: मांसपेशियां हड्डियों से जुड़ी होती हैं, जिससे शरीर हिलने-डुलने और चलने-फिरने में सक्षम होता है।
- खून बनाना: अस्थिमज्जा (Bone Marrow) में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण होता है।
- खनिज भंडारण: यह कैल्शियम और फॉस्फोरस जैसे खनिजों को संरक्षित करती है, जो शरीर के लिए आवश्यक हैं।
हड्डियों का वर्गीकरण
लंबी हड्डियाँ (Long Bones):
उदाहरण: फीमर (जांघ की हड्डी), ह्यूमरस (बाजू की हड्डी)
छोटी हड्डियाँ (Short Bones):
उदाहरण: कार्पल (हाथ की कलाई), टार्सस (पैर की कलाई)
चपटी हड्डियाँ (Flat Bones):
उदाहरण: खोपड़ी (स्कल), पसलियाँ (रिब्स)
असामान्य आकार की हड्डियाँ (Irregular Bones):
उदाहरण: कशेरुका (रीढ़ की हड्डी), खोपड़ी की हड्डी
तिल्ली हड्डियाँ (Sesamoid Bones):
ये छोटी और गोल होती हैं जो मांसपेशियों के अंदर पाई जाती हैं
उदाहरण: घुटना (पेटेला), हाथ और पैर की कुछ हड्डियाँ।
शरीर के विभिन्न जोड़
शरीर में जोड़ (Joints) वे स्थान होते हैं जहां दो या अधिक हड्डियाँ मिलती हैं। जोड़ शरीर को गति और लचीलापन प्रदान करते हैं। इन्हें मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित किया जाता है:
अचल जोड़ (Immovable Joints):
- ये जोड़ हड्डियों को एक साथ मजबूती से जोड़ते हैं और कोई गति की अनुमति नहीं देते।
- उदाहरण: खोपड़ी (स्कल) की हड्डियाँ।
अर्ध-चल जोड़ (Slightly Movable Joints):
- इन जोड़ों में सीमित गति होती है और वे आंशिक रूप से हिलते हैं।
- उदाहरण: रीढ़ की हड्डी (वर्टिब्रल कॉलम)।
गेंद और सॉकेट जोड़ (Ball and Socket Joint):
- हड्डी सभी दिशाओं में घूम सकती है।
- उदाहरण: कंधा और कूल्हा।
हिंज जोड़ (Hinge Joint):
- यह आगे और पीछे की दिशा में गति देता है।
- उदाहरण: घुटना और कोहनी।
पिवट जोड़ (Pivot Joint):
- इसमें एक हड्डी दूसरी हड्डी के चारों ओर घूम सकती है।
- उदाहरण: गर्दन।
ग्लाइडिंग जोड़ (Gliding Joint):
- हड्डियाँ एक-दूसरे के ऊपर आसानी से फिसल सकती हैं।
- उदाहरण: कलाई और टखना।
मांसपेशियों के गुण और कार्य
"मांसपेशी एक संकुचनशील ऊतक होती है, जो कंकाल तंत्र के साथ मिलकर सभी प्रकार की गतियों के लिए उत्तरदायी होती है।"
मांसपेशियों के गुण
उत्तेजनशीलता (Excitability):
मांसपेशियों की सक्रिय होने की योग्यता उनकी उत्तेजनशीलता कहलाती है। यदि मांसपेशी की उत्तेजनशीलता ज्यादा होती है, तो इसकी शक्ति, वेग व सहनशमता भी ज्यादा होते हैं।
संकुचनशीलता (Contractibility):
उत्तेजना की क्रिया के परिणामस्वरूप आकार में परिवर्तन करने की शक्ति की संकुचनशीलता कहते हैं। अतः मांसपेशी का उत्तेजित होने पर आकार परिवर्तन होता है।
प्रसार योग्यता (Extensibility):
- मांसपेशी की खिंचने या फैलने की क्षमता को प्रसार योग्यता कहा जाता है।
- मांसपेशी तंतु संकुचन के दौरान छोटे हो जाते हैं, लेकिन विश्राम के दौरान वे अपनी सामान्य लंबाई से अधिक फैल सकते हैं।
- यदि मांसपेशी में यह गुण न हो तो शरीर में गति संभव नहीं हो पाएगी।
लचीलापन (Elasticity):
खिंचाव अथवा प्रसार की क्रिया के बाद मांसपेशी रेशों का अपने मूल आकार में पुनः लौट आना ही लचीलापन है। यदि मांसपेशी में लचीलापन का गुण न हो, तो मांसपेशी एक बार खिंचाव के बाद उसी अवस्था में रह जाएगी।
मांसपेशियों के कार्य (Functions of Muscles)
गतिशीलता:
यह मांसपेशियों का प्रमुख कार्य है क्योंकि मानव शरीर में गति तभी संभव है जब मांसपेशियों में संकुचन हुआ हो।
शरीर को आकार देना:
मांसपेशियां हड्डियों और अंगों को उक कर हमारे शरीर को आकार देती हैं।
तापमान नियमन
मांसपेशियां तापमान नियमन में सहायक होती हैं।
अंगों की रक्षा करना:
मांसपेशियां उनकी रक्षा के लिए कई अंगों को ढकती हैं।
शरीर को सहारा देती हैं:
चूंकि कंकाल की मांसपेशियां हड्डियों से जुड़ी होती हैं, इसलिए वे हमेशा शरीर को अलग-अलग स्थिति में रहने के लिए सहारा देती हैं।
परिसंचरण तंत्र और हृदय की संरचना एवं कार्य
- परिसंचरण तंत्र (Circulatory System) शरीर का एक महत्वपूर्ण तंत्र है जो रक्त, पोषक तत्वों, ऑक्सीजन और हार्मोनों को शरीर के विभिन्न भागों में पहुंचाने का कार्य करता है।
- यह तंत्र शरीर से अवांछित अपशिष्ट पदार्थों को हटाने में भी मदद करता है। परिसंचरण तंत्र का मुख्य अंग हृदय (Heart) है, जो रक्त संचार को नियंत्रित करता है।
- परिसंचरण तंत्र धमनियों (Arteries) और शिराओं (Veins) की एक संख्या से मिलकर बना होता है।
परिसंचरण तंत्र में तीन प्रमुख सर्किट होते हैं:
- पल्मोनरी परिसंचरण (Pulmonary Circulation): हृदय और फेफड़ों के बीच रक्त का प्रवाह।
- सिस्टेमिक परिसंचरण (Systemic Circulation): हृदय से पूरे शरीर तक रक्त का प्रवाह।
- कोरोनरी परिसंचरण (Coronary Circulation): हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति।
हृदय की संरचना (Structure of the Heart):
- हृदय एक खोखला, पेशीय (muscular) अंग है जो रक्त को पूरे शरीर में पंप करता है। यह छाती के बाईं ओर स्थित होता है ।
- हृदय मुख्य रूप से चार कक्षों (चैंबर्स) में विभाजित होता है ।
- एक सेप्टम (Septum) इसे बाएं और दाएं हिस्से में विभाजित करता है।
प्रत्येक भाग को दो भागों में बांटा जाता है:
- ऊपरी कक्ष (Upper Chambers): इन्हें आलिंद (Left and Right Atrium) कहा जाता है।
- निचले कक्ष (Lower Chambers): इन्हें निलय (Left and Right Ventricles) कहा जाता है।
परिसंचरण तंत्र और हृदय के कार्य
हृदय परिसंचरण तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण और मुख्य अंग है, और इनके कार्य आपस में जुड़े हुए हैं। निम्नलिखित हृदय और परिसंचरण तंत्र के प्रमुख कार्य हैं:
अन्य अंगों और प्रणालियों के कार्य का समर्थन
- कोई भी अंग और प्रणाली ऑक्सीजन और रक्त के बिना कार्य नहीं कर सकती।
- परिसंचरण तंत्र शरीर के विभिन्न अंगों तक ऑक्सीजन और रक्त पहुंचाता है और उन्हें कार्य करने में मदद करता है।
रक्त का पंपिंग (Pumping of Blood):
- हृदय संकुचित होकर शरीर में लगातार रक्त प्रवाहित करता है और यह जीवन भर बिना रुके चलता रहता है।
- औसतन, मानव हृदय प्रति मिनट 72 बार धड़कता है, जिसे हृदय दर (Heart Rate) कहा जाता है।
रक्त का परिसंचरण (Circulate the blood):
- हृदय रक्त को पंप करता है और परिसंचरण तंत्र इसे तीन अलग-अलग सर्किटों के माध्यम से पूरे शरीर में पहुंचाता है ।
शरीर के परिवहन तंत्र के रूप में कार्य करना
परिसंचरण तंत्र शरीर के परिवहन प्रणाली के रूप में कार्य करता है।
यह कोशिकाओं तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाता है और अवांछित अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालता है।
सक्रिय मांसपेशियों को अधिक ऑक्सीजन की आपूर्ति
- जब हम शारीरिक गतिविधियां करते हैं, तो सक्रिय मांसपेशियों को अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
- परिसंचरण तंत्र केशिकाओं (capillaries) के माध्यम से सक्रिय मांसपेशियों तक अधिक रक्त पहुंचाता है।
श्वसन तंत्र की संरचना और कार्य (Structure and Functions of Respiratory System)
श्वसन तंत्र (Respiratory System):
- श्वसन तंत्र हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण तंत्र है जो बाहरी वातावरण से ऑक्सीजन प्राप्त कर शरीर को उपलब्ध कराता है। यह अंगों और ऊतकों का एक नेटवर्क है जो हमें सांस लेने में सहायता करता है।
श्वसन तंत्र की संरचना (Structure of Respiratory System):
- श्वसन तंत्र विभिन्न अंगों और भागों से मिलकर बना होता है, जो निम्नलिखित हैं:
मुख और नाक (Mouth and Nose):
- यह श्वसन तंत्र की शुरुआत है, जो बाहरी वातावरण से वायु को शरीर के अंदर खींचता है।
साइनस (Sinuses):
- नाक की हड्डियों में स्थित खोखले स्थान होते हैं, जो हमारी सांस में नमी और तापमान को नियंत्रित करने में सहायता करते हैं।
ग्रसनी :
- यह नाक, मुंह और श्वासनली (ट्रेकिया) के बीच एक पुल का कार्य करता है और वायु के प्रवाह को सुगम बनाता है।
श्वासनली
यह 10-13 सेमी लंबी एक नली होती है जो ग्रसनी से जुड़ी होती है और निचले सिरे पर ब्रोंकियल ट्यूब में विभाजित होती है।
ब्रोंकियल ट्यूब (Bronchial Tubes):
यह श्वासनली के निचले हिस्से से जुड़ती हैं और फेफड़ों में प्रवेश करती हैं, जहां यह दो भागों में विभाजित होती हैं।
फेफड़े (Lungs):
फेफड़े श्वसन तंत्र का मुख्य अंग हैं। ये दो होते हैं और ऑक्सीजन को वायु से निकालकर रक्त में पहुंचाने का कार्य करते हैं।
ब्रोंकिओल्स (Bronchioles):
यह ब्रोंकियल ट्यूब की छोटी शाखाएं होती हैं, जो फेफड़ों के अंदर स्थित होती हैं और हवा को अल्वियोली तक पहुंचाती हैं।
एल्युविओली (Alveoli):
यह फेफड़ों में स्थित छोटे वायुकोष होते हैं, जहां ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान रक्त कोशिकाओं के साथ होता है।
डायफ्राम (Diaphragm):