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हँसी की चोट सपना दरबार Important Short and Long Question Class 11 Poem-3 Book-Antra Part-1

हँसी की चोट सपना दरबार Important Short and Long Question Class 11 Poem-3 Book-Antra Part-1


1. प्रस्तुत पद में गोपी की विरह अवस्था का वर्णन कैसे किया गया है?

उत्तर:

  • गोपी कृष्ण के वियोग में अत्यंत पीड़ित है और उनकी हँसी ने उनके हृदय को हर लिया है।
  • वह कहती है कि कृष्ण के मुँह फेर लेने से वे हँसना भूल गई हैं।
  • उनके शरीर से पाँच तत्त्वों में से चार (वायु, जल, अग्नि, पृथ्वी) तत्त्व निकल चुके हैं, केवल आकाश तत्त्व शेष है।


2. पाँच तत्त्वों के निकलने का क्या अर्थ है?

उत्तर:

शरीर पाँच तत्त्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) से बना होता है।

गोपी के शरीर से

1. वायु तत्त्व – लंबी-लंबी साँसों से बाहर निकल गया।

2. जल तत्त्व – आँसुओं के रूप में बह गया।

3. अग्नि तत्त्व – वियोग के कारण शरीर निस्तेज़ हो गया।

4. पृथ्वी तत्त्व – शरीर दुर्बल होकर कमजोर हो गया।

केवल आकाश तत्त्व ही शेष है, जो कृष्ण से मिलने की आशा के कारण रुका है।


3. इस पद में विरह का प्रभाव किस प्रकार व्यक्त किया गया है?

उत्तर:

  • कृष्ण के वियोग में गोपियाँ भोजन, नींद, हँसी-खुशी सब भूल गई हैं।
  • उनका शरीर निर्जीव सा हो गया है।
  • वे केवल कृष्ण से मिलने की आशा पर जीवित हैं।


4. प्रस्तुत पद में नायिका ने क्या स्वप्न देखा?

उत्तर:

  • नायिका ने स्वप्न में देखा कि बारिश हो रही है और आकाश में घने बादल छाए हुए हैं।
  • श्रीकृष्ण ने उससे कहा – "चलो आज झूलने चलते हैं।"
  • यह सुनकर नायिका अत्यंत प्रसन्न हो जाती है।


5. नायिका का स्वप्न क्यों टूट जाता है?

उत्तर:

  • नायिका का स्वप्न अचानक नींद खुल जाने से टूट जाता है।
  • जब वह जागती है तो देखती है कि न तो बादल हैं, न ही कृष्ण।
  • इसके स्थान पर उसकी आँखों से आँसुओं की धारा बह रही होती है।


6. नायिका के जागने के बाद उसकी मनःस्थिति कैसी हो जाती है?

उत्तर:

  • नायिका को लगता है कि उसका सौभाग्य सो गया है और दुर्भाग्य जाग गया है।
  • वह दुखी होकर कहती है कि बादलों की बूँदों की जगह अब उसकी आँखों में आँसू हैं।
  • वह कृष्ण के वियोग में अत्यंत व्याकुल हो जाती है।


7. प्रस्तुत पद में किस दरबारी संस्कृति की आलोचना की गई है?

उत्तर:

  • इस पद में रीतिकालीन दरबारी संस्कृति की आलोचना की गई है।
  • उस समय के राजा और दरबारी रास-रंग और चाटुकारिता में लिप्त रहते थे।
  • वे समाज और देश के कल्याण की चिंता नहीं करते थे।


8. दरबार के राजा और दरबारियों को कवि ने किस रूप में चित्रित किया है?

उत्तर:

  • राजा को ज्ञानशून्य (अंधा) बताया गया है।
  • दरबारी मूक (गूंगे) और बहरे हैं, जो राजा की हाँ-में-हाँ मिलाते हैं।
  • दरबार में न तो सच्चे गुणों की परख है, न ही न्याय की भावना।


9. कवि ने कलाकार की स्थिति कैसी बताई है?

उत्तर:

  • कलाकार अगर भूल से ऐसे दरबार में आ जाए, तो वह अकेला और असहाय महसूस करेगा।
  • वहाँ कला का मूल्य नहीं समझा जाता और राजा केवल भोग-विलास में मस्त रहता है।
  • कलाकार अपनी कला प्रस्तुत करके भी कोई सम्मान प्राप्त नहीं कर सकता।


10. इस पद में कवि ने किस विडंबना को व्यक्त किया है?

उत्तर:

कवि ने यह बताया है कि जिस दरबार में कला और ज्ञान की कद्र नहीं होती, वहाँ कलाकार के लिए कोई स्थान नहीं होता।

ऐसे राजा जनता की समस्याओं से दूर केवल मौज-मस्ती में लगे रहते हैं।

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