संध्या के बाद Important Short and Long Question Class 11 Poem-4 Book-Antra Part-1
Team Eklavya
मार्च 05, 2025
1. प्रस्तुत कविता का मुख्य भाव क्या है?
उत्तर:
- यह कविता संध्या के समय गंगा नदी के किनारे के प्राकृतिक सौंदर्य का चित्रण करती है।
- इसमें सूर्यास्त, पक्षियों की घर वापसी, किसानों की थकान, और समाज में व्याप्त गरीबी को दर्शाया गया है।
2. संध्या का चित्रण कवि ने किस प्रकार किया है?
उत्तर:
- सूर्य की लालिमा वृक्षों की चोटियों पर बैठती प्रतीत होती है।
- पीपल के पत्ते ताँबे जैसे दिखते हैं।
- गंगा का जल साँप की केंचुल-सा प्रतीत होता है।
- मंदिरों में शंख और घंटियों की ध्वनि से वातावरण गूँज उठता है।
3. "शंख घंट बजते मंदिर में, लहरों में होता लय कंपन" – इस पंक्ति का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर:
संध्या के समय मंदिरों में बजने वाले शंख और घंटियों की आवाज़ से गंगा की लहरों में भी कंपन उत्पन्न हो जाता है।
ऐसा लगता है कि पूरा वातावरण भक्ति और आध्यात्मिकता से भर गया है।
4. मंदिर के कलश का कौन-सा रूप चित्रित किया गया है?
उत्तर:
मंदिर का ऊँचा कलश दीपक की शिखा के समान प्रतीत होता है।
यह कलश आकाश में जलते हुए दीपक के समान दिखता है, जिससे ऐसा लगता है कि यह आकाश को भी प्रकाशमान कर रहा है।
5. संध्या के समय गंगा तट पर विधवाओं का क्या चित्रण किया गया है?
उत्तर:
- विधवाएँ सफ़ेद वस्त्र धारण किए बगुलों की तरह एक पंक्ति में बैठी ध्यान कर रही हैं।
- वे अपने दुःख और जीवन की पीड़ा के साथ गंगा तट पर दीपदान कर रही हैं।
- गंगा की धीमी लहरों में उनके मन की व्यथा प्रतिबिंबित होती प्रतीत होती है।
6. "स्वर्ण चूर्ण-सी उड़ती गोरज किरणों की बादल-सी जलकर" – इस पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर:
- गायों के खुरों से उड़ने वाली धूल सूर्य की किरणों से स्वर्ण चूर्ण जैसी दिखती है।
- यह ऐसा प्रतीत होता है जैसे सूर्य की किरणों से बना कोई स्वर्णिम बादल आकाश में तैर रहा हो।
7. "लौटे खग, गायें घर लौटीं" – पंक्ति का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर:
- दिनभर भोजन की तलाश में भटकने वाले पक्षी अपने घोंसलों की ओर लौट रहे हैं।
- गायें भी अपने मालिकों के साथ घर वापस जा रही हैं।
- यह संकेत देता है कि संध्या हो चुकी है और सभी जीव-जंतु अपने-अपने घरों को लौट रहे हैं।
8. "लौट पैंठ से व्यापारी भी जाते घर, उस पार नाव पर" – इस पंक्ति का क्या अर्थ है?
उत्तर:
- गाँव में दिनभर चलने वाली हाट (पैंठ) समाप्त हो चुकी है।
- व्यापारी अपना सामान बेचकर अपने ऊँटों और घोड़ों के साथ नाव पर बैठकर अपने घर लौट रहे हैं।
9. जाड़ों की रात का चित्रण कवि ने कैसे किया है?
उत्तर:
- शीत ऋतु की रात में घना अंधकार और ठंडी हवा पूरे वातावरण को गंभीर बना देती है।
- खेत, बाग, घर, पेड़, और नदी की लहरें अंधेरे में डूब जाती हैं।
- कुत्तों के भौंकने और सियारों के हुआँ-हुआँ करने से वातावरण और भयावह हो जाता है।
10. गरीब दुकानदार (लाला) के मनोभावों को कवि ने कैसे चित्रित किया है?
उत्तर:
- दुकानदार दिनभर झूठ बोलकर भी अपने परिवार का सही से पालन नहीं कर पा रहा है।
- वह सोचता है कि क्यों वह शहरी बनियों की तरह बड़ा महाजन नहीं बन सकता।
- उसे लगता है कि उसकी गरीबी ही उसके सारे दुःखों की जड़ है।
11. "दैन्य दुःख अपमान ग्लानि, चिर क्षुधित पिपासा, मृत अभिलाषा" – इन शब्दों का संदर्भ समझाइए।
उत्तर:
- गरीब दुकानदार हमेशा भूख, अपमान और अभिलाषाओं के मरने की पीड़ा झेलता है।
- उसकी आय इतनी कम है कि वह अपनी बुनियादी ज़रूरतें भी पूरी नहीं कर सकता।
12. दुकानदार की गरीबी से मुक्ति के लिए कवि ने क्या सुझाव दिया है?
उत्तर:
- व्यक्ति की बजाय समाज की आर्थिक उन्नति पर ध्यान देना चाहिए।
- श्रम का समान वितरण होना चाहिए ताकि हर व्यक्ति को उसका हक मिले।
- सामाजिक परिवर्तन से ही गरीबी और शोषण का अंत किया जा सकता है।
13. "घुसे घरौंदों में मिट्टी के अपनी-अपनी सोच रहे जन" – इस पंक्ति का क्या अर्थ है?
उत्तर:
गरीब लोग अपने-अपने छोटे-छोटे घरों में घुसकर अपने जीवन की परेशानियों के बारे में सोच रहे हैं।
वे अपने सपनों और संघर्षों को लेकर चिंतित हैं।
14. दुकानदार का स्वप्न कैसे टूट जाता है?
उत्तर:
जब एक बुजुर्ग महिला आधा पाव आटा लेने आती है, तो वह अपने विचारों से बाहर आ जाता है।
वह फिर से कम तोलकर बेईमानी करने लगता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह गरीबी के जाल से बाहर नहीं निकल सकता।
15. कविता के अंत में "गाढ़ अलस निद्रा का अजगर" – इस पंक्ति का क्या संकेत है?
उत्तर:
- पूरे गाँव पर नींद और अंधकार का साम्राज्य छा जाता है।
- यह इस बात का प्रतीक है कि गरीबी और शोषण का जाल अभी भी टूटा नहीं है।