घर में वापसी Class 11 Book-Antra Part-1 Poem-8 Chapter wise Summary
0Team Eklavyaमार्च 12, 2025
1. सुदामा पांडेय 'धूमिल' का परिचय
जन्म: वाराणसी के पास खेवली गाँव
शिक्षा: आई.टी.आई. वाराणसी से विद्युत डिप्लोमा
रोजगार: अनुदेशक के पद पर कार्यरत
मृत्यु: ब्रेन ट्यूमर के कारण असमय निधन
सम्मान: मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार
2. साहित्यिक योगदान
मुख्य विशेषताएँ:
गंवईपन और व्यंग्य: उनकी कविताएँ गाँव और आम जनता की तकलीफों को दर्शाती हैं।
राजनीतिक जागरूकता: 1960 के बाद की निराशा और मोहभंग को उन्होंने प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया।
आक्रोश और करुणा: उनकी कविताओं में समाज के प्रति गहरी करुणा और आक्रोश झलकता है।
मुहावरेदार भाषा: उनकी भाषा आम जनता की भाषा है, जिससे उनकी कविताएँ और प्रभावी बनती हैं।
प्रमुख काव्य-संग्रह:
संसद से सड़क तक
कल सुनना मुझे
सुदामा पांडेय का प्रजातंत्र
3. "घर में वापसी" कविता का सारांश
यह कविता गरीबी से जूझते परिवार की पीड़ा को दर्शाती है। मनुष्य जीवन की कठिनाइयों से राहत पाने के लिए घर को एक स्नेह, अपनत्व और सुरक्षा की जगह मानता है, लेकिन यहाँ गरीबी दीवार बनकर रिश्तों के बीच बाधा डाल रही है।
मुख्य विचार:
1. परिवार के सदस्यों की आँखें (जीवन की सच्चाई को दर्शाती हैं)
माँ की आँखें – सफर से पहले ही थक चुकी बस के पंचर पहियों जैसी हैं, जो उनकी असहायता को दर्शाती हैं।
पिता की आँखें – ठंडी लोहे की छड़ जैसी हैं, जो उनके कठोर और संघर्षशील जीवन को दिखाती हैं।
बेटी की आँखें – मंदिर में जलते घी के दिए की तरह हैं, जो आशा और निश्चल प्रेम का प्रतीक हैं।
पत्नी की आँखें – आँखें नहीं, बल्कि हाथ हैं, जो कवि को थामे हुए हैं यानी जीवन में सहारा देती हैं।
2. गरीबी की दीवार रिश्तों को अलग करती है
परिवार में प्रेम और अपनापन तो है, लेकिन गरीबी एक दीवार की तरह खड़ी है, जो रिश्तों को खुलकर व्यक्त नहीं होने देती।
सब एक-दूसरे के करीब होते हुए भी अलग हैं क्योंकि "हम पेशेवर गरीब हैं।"
3. रिश्तों को खोलने की चाबी नहीं
घर के लोग एक-दूसरे से प्रेम करते हैं, लेकिन भावनाओं को खुलकर व्यक्त नहीं कर पाते।
कोई इतना मजबूत नहीं कि वह लोहे से एक चाबी बनाकर इस ताले को खोल सके और रिश्तों को सहज बना सके।
4. घर की आकांक्षा
कवि चाहता है कि घर ऐसा हो जहाँ गरीबी की दीवार न हो।
वह चाहता है कि परिवार के लोग खुलकर कह सकें "यह मेरे पिता हैं, यह मेरी माँ है, यह मेरी बेटी है, यह मेरी पत्नी है।"
सबसे बड़ी इच्छा है कि वह गरीबी की दीवार पर हाथ रखकर कह सके "यह मेरा घर है।"
4. कविता का संदेश
गरीबी केवल पैसे की कमी नहीं, रिश्तों की दूरी भी पैदा कर देती है।
भावनाओं को व्यक्त करना जरूरी है, नहीं तो अपने ही घर में अजनबी बन जाते हैं।
परिवार के बीच स्नेह और अपनत्व की भावना होनी चाहिए, ताकि जीवन-संघर्ष में घर ही सबसे बड़ा सहारा बन सके।
घर केवल चार दीवारों का नाम नहीं, बल्कि प्यार और समझदारी से बना होता है।