घर की याद Class 11 Book-Aroh Poem-3 Chapter wise Summary
0Team Eklavyaमार्च 13, 2025
भवानी प्रसाद मिश्र का जीवन:
भवानी प्रसाद मिश्र का जन्म 1913 में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के टिगरिया गाँव में हुआ था। वे न केवल कवि थे बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय रहे। गांधीवादी विचारों से प्रभावित होने के कारण उन्होंने कविता को सहज और सरल रूप में प्रस्तुत किया। उन्हें "कविता का गांधी" भी कहा जाता है।
उनकी काव्य-शैली:
मिश्र जी की कविता आम बोलचाल की भाषा में होती है, जिससे उनकी रचनाएँ आम लोगों के बहुत करीब लगती हैं। उनकी कविताओं में प्रकृति, परिवार, समाज और जीवन के प्रति गहरी संवेदना देखने को मिलती है। वे व्यंग्य का उपयोग भी सृजनात्मक रूप से करते थे।
कविता "घर की याद" का सारांश:
इस कविता में कवि जेल में रहते हुए अपने घर को याद कर रहे हैं। बाहर सावन का मौसम है और बारिश हो रही है, जो कवि के मन में घर लौटने की इच्छा को और बढ़ा देती है।
परिवार की याद:
कवि को अपने माता-पिता, भाई-बहनों की याद आती है।
वे बताते हैं कि उनका घर प्रेम और आपसी संबंधों से भरा हुआ है।
उनकी माँ अनपढ़ हैं, लेकिन उनका स्नेह अनमोल है।
उनके पिता बुजुर्ग होने के बावजूद मजबूत और निडर हैं।
घर से दूर रहने का दर्द:
कवि को यह अहसास होता है कि उनके न रहने से परिवार के लोग दुखी हैं।
पिता शायद उन्हें याद करके रो रहे होंगे।
माँ भी चिंता कर रही होंगी लेकिन समझाने की कोशिश करेंगी कि यह उनका कर्तव्य है।
खुद को मजबूत दिखाने का प्रयास:
कवि अपने परिवार को लिखते हैं कि वे जेल में मस्त हैं, मेहनत कर रहे हैं और दुखों का सामना कर रहे हैं।
वे अपने दुःख को छिपाकर परिवार को चिंता से बचाना चाहते हैं।
लेकिन भीतर से वे दुखी हैं और चाहते हैं कि उनके माता-पिता उन पर तरस न खाएँ।
मुख्य संदेश:
घर और परिवार का महत्व सबसे ज्यादा होता है।
जब कोई घर से दूर होता है, तो परिवार की यादें उसे सताती हैं।
कवि अपने दर्द को छिपाने की कोशिश करते हैं, लेकिन उनका प्रेम झलक ही जाता है।
यह कविता हमें घर, अपनों और उनके स्नेह की गहरी अनुभूति कराती है।