चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती Class 11 Book-Aroh Poem-4 Chapter wise Summary
0Team Eklavyaमार्च 13, 2025
त्रिलोचन का जीवन परिचय:
त्रिलोचन का असली नाम वासुदेव सिंह था। उनका जन्म 1917 में उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में हुआ। वे प्रगतिशील काव्य धारा के प्रमुख कवि थे और हिंदी में "सॉनेट" छंद को स्थापित करने के लिए जाने जाते हैं। उनकी कविताएँ गाँव, समाज और आम जनता की समस्याओं से गहराई से जुड़ी हुई हैं। उनकी भाषा सरल और बोलचाल की होती थी।
कविता "चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती" का सारांश:
इस कविता में शिक्षा और गरीबी के बीच की खाई को दिखाया गया है।
चंपा का चरित्र:
चंपा एक ग्वाले की बेटी है, जो अनपढ़ है।
जब कवि पढ़ता है, तो वह उत्सुकता से सुनती है लेकिन अक्षरों को नहीं पहचान पाती।
उसे अचरज होता है कि इन "काले काले चीन्हों" से आवाज़ कैसे निकलती है।
वह चंचल और नटखट है, कभी कलम चुरा लेती है, कभी कागज़ गायब कर देती है।
शिक्षा पर चंपा का नजरिया:
कवि चंपा को पढ़ने के लिए कहता है, लेकिन वह इनकार कर देती है।
वह कहती है कि गांधी बाबा अच्छे हैं, वे पढ़ने की बात कैसे कह सकते हैं?
कवि समझाता है कि पढ़ना ज़रूरी है, ताकि जब उसका विवाह हो और उसका पति कलकत्ता चला जाए, तो वह चिट्ठियाँ पढ़ सके।
लेकिन चंपा यह सुनकर गुस्सा हो जाती है और कहती है कि वह कभी शादी नहीं करेगी और अपने पति को कलकत्ता जाने नहीं देगी।
वह कलकत्ते पर "बजर गिरने" की कामना करती है, क्योंकि वह जानती है कि वहाँ जाने से परिवार टूट जाते हैं।
मुख्य संदेश:
गरीबी के कारण शिक्षा से वंचित बच्चे अक्षरों को रहस्यमय मानते हैं।
मजदूर वर्ग को शिक्षा से दूर रखा जाता है, जिससे वे अपनी परिस्थितियाँ सुधार नहीं पाते।
चंपा की मासूमियत और उसका विद्रोही स्वभाव यह दिखाता है कि गरीबों के लिए शिक्षा से पहले रोज़गार और परिवार की मजबूरी बड़ी समस्या है।
कलकत्ते पर "बजर गिरने" की कामना इस बात का प्रतीक है कि मजदूर वर्ग के लिए शहर रोजगार तो देता है, लेकिन उनके परिवारों को तोड़ देता है।