गजल Important Short and Long Question class 11 Book-Aroh Poem-5
0Team Eklavyaमार्च 13, 2025
लघु प्रश्न-उत्तर (Short Questions & Answers)
1. दुष्यंत कुमार का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
दुष्यंत कुमार का जन्म 1933 में उत्तर प्रदेश के राजपुर नवादा गाँव में हुआ था।
2. दुष्यंत कुमार हिंदी साहित्य में किस विधा को स्थापित करने के लिए प्रसिद्ध हैं?
उत्तर:
वे हिंदी ग़ज़ल विधा को स्थापित करने के लिए प्रसिद्ध हैं।
3. दुष्यंत कुमार की प्रमुख कृतियाँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
उनकी प्रमुख कृतियाँ "साये में धूप" (ग़ज़ल संग्रह) और "एक कंठ विषपायी" (गीतिनाट्य) हैं।
4. ग़ज़ल की पहली पंक्ति में कवि किस विडंबना को उजागर करता है?
उत्तर:
पहली पंक्ति में कवि बताता है कि हर घर में रोशनी लाने का वादा किया गया था, लेकिन हकीकत में पूरे शहर में ही चिराग (आशा) नहीं है। यह नेताओं की वादाखिलाफी को दर्शाता है।
5. ग़ज़ल में "यहाँ दरख़्तों के साये में धूप लगती है" का क्या अर्थ है?
उत्तर:
इसका अर्थ है कि जहाँ छाँव और सुकून होना चाहिए, वहाँ भी तकलीफ और परेशानी है। यह समाज की दयनीय स्थिति को दर्शाता है।
6. ग़ज़ल में कवि गरीबों की मजबूरी को कैसे दिखाता है?
उत्तर:
कवि बताता है कि गरीब लोग अगर तन ढकने के लिए कमीज़ नहीं है, तो वे पेट छिपाने के लिए पैर मोड़ लेंगे। यह उनकी मजबूरी और सहनशक्ति को दर्शाता है।
7. "तेरा निज़ाम है सिल दे जुबान शायर की" का क्या अर्थ है?
उत्तर:
इसका अर्थ है कि सत्ता कवियों की आवाज़ दबाने की कोशिश कर रही है, ताकि वे अन्याय के खिलाफ बोल न सकें।
8. "मरें तो गैर की गलियों में गुलमोहर के लिए" का क्या अर्थ है?
उत्तर:
इसका अर्थ है कि अगर मरना भी पड़े तो किसी उद्देश्य के लिए बलिदान देना चाहिए।
दीर्घ प्रश्न-उत्तर (Long Questions & Answers)
1. दुष्यंत कुमार के जीवन और साहित्यिक योगदान पर संक्षिप्त टिप्पणी करें।
उत्तर:
दुष्यंत कुमार का जन्म 1933 में उत्तर प्रदेश के राजपुर नवादा गाँव में हुआ था। वे हिंदी साहित्य में ग़ज़ल विधा को स्थापित करने वाले प्रमुख कवि माने जाते हैं। उन्होंने अपनी ग़ज़लों में राजनीतिक भ्रष्टाचार, सामाजिक अन्याय, और जन-संघर्षों को सशक्त रूप में प्रस्तुत किया। उनकी ग़ज़लों ने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी और आम जनता की आवाज़ को बुलंद किया।
उनकी प्रमुख कृतियाँ "साये में धूप" (ग़ज़ल संग्रह) और "एक कंठ विषपायी" (गीतिनाट्य) हैं। उनकी रचनाएँ क्रांतिकारी विचारों, विरोध और परिवर्तन की आकांक्षा से भरी हुई हैं। वे साहित्यिक गुणवत्ता से समझौता किए बिना व्यापक लोकप्रियता प्राप्त करने वाले कवियों में से एक थे।
2. ग़ज़ल "कहाँ तो तय था चिरागाँ हरेक घर के लिए" का सारांश लिखिए।
उत्तर:
यह ग़ज़ल राजनीतिक और सामाजिक अन्याय को उजागर करती है। इसमें बताया गया है कि जनता से किए गए बड़े-बड़े वादे पूरे नहीं होते। हर घर को रोशनी देने का वादा किया गया था, लेकिन पूरे शहर में ही चिराग मयस्सर नहीं है।
कवि यह भी कहता है कि जहाँ सुकून मिलना चाहिए, वहाँ भी तकलीफ है। गरीबी इतनी अधिक है कि लोग तन ढकने के लिए पाँव मोड़ लेते हैं। कवि कहता है कि भगवान नहीं सही, लेकिन कम से कम इंसान को सपने देखने की आज़ादी होनी चाहिए।
सत्ता यह सोचती है कि व्यवस्था कभी नहीं बदलेगी, लेकिन कवि अपनी आवाज़ से इसे बदलने की उम्मीद रखता है। सत्ता कवियों की आवाज़ दबाने की कोशिश करती है, लेकिन कवि फिर भी सच कहने को तैयार रहता है।
अंत में कवि कहता है कि अगर जीना है, तो गुलमोहर की छाँव में जिएँ, और मरें तो किसी उद्देश्य के लिए बलिदान दें।
3. ग़ज़ल में कवि सत्ता के प्रति क्या दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है?
उत्तर:
इस ग़ज़ल में कवि सत्ता की नाकामियों, अन्याय और जनता की मजबूरी को उजागर करता है। वह दिखाता है कि राजनीतिज्ञ बड़े-बड़े वादे तो करते हैं, लेकिन जनता की वास्तविक स्थिति नहीं बदलती।
सत्ता यह सोचती है कि कोई बदलाव नहीं आएगा और व्यवस्था हमेशा ऐसी ही रहेगी। लेकिन कवि मानता है कि अगर आवाज़ उठाई जाए, तो बदलाव संभव है। सत्ता कवियों और बुद्धिजीवियों की आवाज़ को दबाना चाहती है, लेकिन कवि फिर भी सच कहने के लिए तैयार रहता है।
यह ग़ज़ल तानाशाही के खिलाफ प्रतिरोध, क्रांति की आवश्यकता और जनता के अधिकारों की रक्षा का संदेश देती है।
4. ग़ज़ल "कहाँ तो तय था चिरागाँ हरेक घर के लिए" का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर:
इस ग़ज़ल का मुख्य संदेश सामाजिक और राजनीतिक अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने की जरूरत को दिखाना है। कवि बताता है कि नेताओं के बड़े-बड़े वादे झूठे साबित होते हैं और जनता की स्थिति में कोई सुधार नहीं होता।
कवि यह भी बताता है कि गरीब जनता हर चीज़ सहने के लिए मजबूर है। वे अपने हालातों से समझौता कर लेते हैं, लेकिन यह सही नहीं है। कवि चाहता है कि लोग अन्याय के खिलाफ खड़े हों और बदलाव लाने की कोशिश करें।