चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती Important Short and Long Question class 11 Book-Aroh Poem-4
0Team Eklavyaमार्च 13, 2025
लघु प्रश्न-उत्तर (Short Questions & Answers)
1. त्रिलोचन का असली नाम क्या था?
उत्तर:
त्रिलोचन का असली नाम वासुदेव सिंह था।
2. त्रिलोचन का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
त्रिलोचन का जन्म 1917 में उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में हुआ था।
3. त्रिलोचन हिंदी साहित्य में किस छंद को स्थापित करने के लिए जाने जाते हैं?
उत्तर:
वे हिंदी में "सॉनेट" छंद को स्थापित करने के लिए प्रसिद्ध हैं।
4. त्रिलोचन की कविता की भाषा कैसी होती थी?
उत्तर:
उनकी कविता की भाषा सरल, सहज और बोलचाल की होती थी।
5. "चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती" कविता में चंपा कौन है?
उत्तर:
चंपा एक ग्वाले की बेटी है, जो अनपढ़ है और अक्षरों को पहचान नहीं पाती।
6. चंपा अक्षरों को देखकर अचरज क्यों करती है?
उत्तर:
उसे आश्चर्य होता है कि काले-काले अक्षरों से आवाज़ कैसे निकलती है।
7. चंपा पढ़ाई से क्यों इनकार कर देती है?
उत्तर:
चंपा को लगता है कि गांधी बाबा अच्छे हैं, वे पढ़ने की बात नहीं कर सकते।
8. कवि चंपा को पढ़ने के लिए क्यों कहता है?
उत्तर:
कवि समझाता है कि अगर वह पढ़-लिख लेगी, तो शादी के बाद अपने पति से पत्राचार कर सकेगी।
9. चंपा कलकत्ते पर "बजर गिरने" की कामना क्यों करती है?
उत्तर:
क्योंकि वह जानती है कि कलकत्ता मजदूरों के लिए रोजगार तो देता है, लेकिन उनके परिवारों को तोड़ देता है।
दीर्घ प्रश्न-उत्तर (Long Questions & Answers)
1. त्रिलोचन के जीवन और साहित्यिक योगदान पर संक्षिप्त टिप्पणी करें।
उत्तर:
त्रिलोचन का जन्म 1917 में उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में हुआ था। वे प्रगतिशील काव्य धारा के प्रमुख कवि थे और हिंदी साहित्य में सॉनेट छंद को स्थापित करने के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी कविताएँ गाँव, समाज और आम जनता की समस्याओं से गहराई से जुड़ी हुई हैं। उनकी भाषा सरल और बोलचाल की होती थी, जिससे उनकी कविताएँ आम लोगों के करीब लगती थीं। वे शिक्षा, मजदूर वर्ग, सामाजिक विषमता और शोषण पर आधारित कविताएँ लिखते थे। उनकी कविता "चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती" शिक्षा और गरीबी के बीच की खाई को दर्शाती है।
2. कविता "चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती" का मुख्य सारांश लिखिए।
उत्तर:
यह कविता गरीबी और शिक्षा के बीच के अंतर को दिखाती है। चंपा एक ग्वाले की बेटी है, जो अक्षरों को नहीं पहचानती। जब कवि पढ़ता है, तो वह उत्सुकता से सुनती है, लेकिन उसे यह समझ नहीं आता कि काले अक्षरों से आवाज़ कैसे निकलती है। चंपा चंचल और नटखट भी है, कभी कलम चुरा लेती है तो कभी कागज़ गायब कर देती है।
जब कवि उसे पढ़ने के लिए कहता है, तो चंपा इनकार कर देती है। वह सोचती है कि गांधी बाबा अच्छे हैं, वे पढ़ने की बात नहीं कर सकते। कवि उसे समझाता है कि शिक्षा ज़रूरी है, ताकि वह शादी के बाद अपने पति से पत्राचार कर सके। लेकिन चंपा यह सुनकर गुस्सा हो जाती है और कहती है कि वह कभी शादी नहीं करेगी और अपने पति को कलकत्ता जाने नहीं देगी।
चंपा कलकत्ते पर बजर गिरने की कामना करती है, क्योंकि वह जानती है कि वहाँ जाने से मजदूरों के परिवार टूट जाते हैं।
3. कविता में चंपा की शिक्षा को लेकर क्या दृष्टिकोण है?
उत्तर:
चंपा एक अनपढ़ लड़की है, जिसे शिक्षा से कोई लगाव नहीं है। जब कवि उसे पढ़ाने की कोशिश करता है, तो वह इनकार कर देती है। उसे यह समझ नहीं आता कि गांधी बाबा अच्छे हैं, फिर वे पढ़ने की बात कैसे कह सकते हैं।
कवि उसे समझाने की कोशिश करता है कि अगर वह पढ़-लिख लेगी, तो भविष्य में उसे लाभ होगा। लेकिन चंपा इस तर्क को नहीं मानती और कहती है कि वह अपने पति को कलकत्ता नहीं जाने देगी।
चंपा का यह रवैया दिखाता है कि गरीबी के कारण शिक्षा उनके लिए प्राथमिकता नहीं होती। उनके लिए रोज़गार और परिवार की मजबूरी शिक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
4. "चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती" कविता का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर:
इस कविता का मुख्य संदेश शिक्षा से वंचित वर्ग की वास्तविकता को दिखाना है। गरीब बच्चे शिक्षा से दूर रहते हैं और उन्हें अक्षर केवल "काले-काले चीन्हों" की तरह लगते हैं। यह कविता बताती है कि शिक्षा के अभाव में गरीब समाज आगे नहीं बढ़ पाता।
चंपा की मासूमियत और विद्रोही स्वभाव यह दिखाता है कि गरीबी में जी रहे लोगों के लिए शिक्षा प्राथमिकता नहीं होती। उनके लिए रोज़गार और परिवार की मजबूरी ज्यादा बड़ी समस्या होती है।
कविता यह भी बताती है कि शहरों में काम करने के लिए मजदूरों को छोड़कर जाना पड़ता है, जिससे उनके परिवार टूट जाते हैं। इसलिए चंपा कलकत्ता पर बजर गिरने की कामना करती है।