गजल Class 11 Book-Aroh Poem-5 Chapter wise Summary
0Team Eklavyaमार्च 13, 2025
दुष्यंत कुमार का जीवन परिचय:
दुष्यंत कुमार का जन्म 1933 में उत्तर प्रदेश के राजपुर नवादा गाँव में हुआ था। वे हिंदी साहित्य में ग़ज़ल विधा को स्थापित करने वाले प्रमुख कवि माने जाते हैं। उन्होंने साहित्यिक गुणवत्ता से समझौता किए बिना व्यापक लोकप्रियता हासिल की। उनकी प्रमुख कृतियाँ साये में धूप (ग़ज़ल संग्रह) और एक कंठ विषपायी (गीतिनाट्य) हैं।
ग़ज़ल का सारांश और मुख्य भाव:
इस ग़ज़ल में दुष्यंत कुमार ने राजनीतिक और सामाजिक अन्याय को उजागर किया है। वे जनता की उम्मीदों और हकीकत के बीच की खाई को दिखाते हैं।
1. पहली पंक्ति:
हर घर को रोशनी (सुख-संपन्नता) देने का वादा किया गया था, लेकिन हकीकत यह है कि पूरे शहर में ही चिराग (आशा) उपलब्ध नहीं है। यह नेताओं की खोखली वादाखिलाफी को दर्शाता है।
2. दूसरी पंक्ति:
यहाँ (देश/समाज) के हालात इतने खराब हैं कि जहाँ पेड़ की छाँव होनी चाहिए, वहाँ भी धूप लगती है। इससे बचने के लिए बेहतर होगा कि हम कहीं और चले जाएँ। यह बेहतर जीवन की तलाश को दर्शाता है।
3. तीसरी पंक्ति:
लोग इतने मजबूर हैं कि अगर तन ढकने के लिए कमीज़ नहीं है, तो वे पेट छिपाने के लिए पैर मोड़ लेंगे। यह गरीबी और जनता की सहनशक्ति को दर्शाता है।
4. चौथी पंक्ति:
अगर खुदा (भगवान) नहीं भी है, तो कोई बड़ी बात नहीं, लेकिन इंसान को कम से कम सपने देखने की आज़ादी होनी चाहिए। यह आशा और बेहतर भविष्य की आकांक्षा को दिखाता है।
5. पाँचवी पंक्ति:
सत्ता के लोग आश्वस्त हैं कि पत्थर (व्यवस्था) कभी नहीं बदलेगा, लेकिन कवि अपनी आवाज़ के असर से इसे बदलने की उम्मीद रखता है। यह क्रांतिकारी सोच को दर्शाता है।
6. छठी पंक्ति:
सत्ता कवियों की आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रही है, लेकिन कवि फिर भी सच बोलने के लिए तैयार है। यह तानाशाही के खिलाफ प्रतिरोध को दिखाता है।
7. सातवीं पंक्ति:
कवि चाहता है कि अगर जिएँ तो अपने घर में गुलमोहर के नीचे रहें, लेकिन अगर मरना भी पड़े, तो गैर की गलियों में गुलमोहर के लिए मरें (अर्थात् किसी उद्देश्य के लिए बलिदान हो)। यह बलिदान और संघर्ष की भावना को दिखाता है।
मुख्य संदेश:
यह ग़ज़ल सत्ता की नाकामियों, गरीबी, अन्याय और लोगों की मजबूरी को उजागर करती है।
कवि निराश नहीं है, बल्कि बदलाव की उम्मीद रखता है।
इसमें क्रांति, संघर्ष और बेहतर भविष्य की तलाश का भाव स्पष्ट रूप से झलकता है।
आम जनता के दुख-दर्द और सत्ता की हकीकत को दिखाने वाली यह ग़ज़ल हिंदी ग़ज़ल लेखन का बेहतरीन उदाहरण है।