अरे इन दोहुन राह न पाई बालम, आवो हमारे गेह रे Important Short and Long Question Class 11 Poem-1 Book-Antra Part-1
Team Eklavya
मार्च 05, 2025
1. कबीरदास जी ने हिंदुओं और मुसलमानों की किन कुरीतियों की आलोचना की है?
उत्तर:
हिंदुओं की कुरीतियाँ:
- हिंदू अपने बर्तन को दूसरों से छूने नहीं देते, क्योंकि वे इसे अपवित्र मानते हैं।
- दूसरी ओर, वे वेश्याओं के पास जाने में संकोच नहीं करते, जो उनकी तथाकथित शुद्धता पर सवाल उठाता है।
मुसलमानों की कुरीतियाँ:
- मुसलमान पीर और औलिया मांसाहार करते हैं, जो उनके धार्मिक सिद्धांतों के विपरीत है।
- वे अपनी माँ की बहन की बेटी से विवाह कर रिश्तों को अपने घर में ही सीमित कर लेते हैं।
- वे बाहर से मुर्दा मांस लाकर खाते हैं और पूरे परिवार के साथ उसकी प्रशंसा करते हैं।
2. कबीरदास जी ने हिंदू और मुसलमानों के आचरण को देखकर क्या प्रश्न उठाया?
उत्तर:
कबीरदास जी कहते हैं कि उन्होंने हिंदुओं का हिंदूपन और मुसलमानों का मुसलमानपन देख लिया, लेकिन इनमें से किसी भी धर्म की राह सही नहीं है।
वे पूछते हैं कि अब कौन-सी राह अपनाई जाए? क्योंकि दोनों ही रास्ते बाह्याडंबर और पाखंड से भरे हुए हैं।
3. कबीरदास जी के अनुसार धर्म का वास्तविक रूप क्या होना चाहिए?
उत्तर:
- कबीरदास जी के अनुसार धर्म का उद्देश्य सच्ची भक्ति, प्रेम, और मानवता होना चाहिए।
- बाहरी आडंबर और दिखावे से मुक्त होकर ईश्वर की सच्ची साधना ही धर्म का वास्तविक स्वरूप है।
4. कबीरदास जी ने इस पद में आत्मा और परमात्मा के संबंध को किस रूप में प्रस्तुत किया है?
उत्तर:
- कबीरदास जी ने आत्मा को प्रेमिका (पत्नी) और परमात्मा को प्रियतम (पति) के रूप में प्रस्तुत किया है।
- आत्मा अपने प्रियतम परमात्मा से मिलने के लिए व्याकुल है और उनकी अनुपस्थिति में दुखी रहती है।
5. आत्मा परमात्मा के वियोग में कैसी पीड़ा महसूस करती है?
उत्तर:
- आत्मा को भोजन अच्छा नहीं लगता।
- घर और वन दोनों स्थानों पर धैर्य नहीं रहता।
- प्रियतम के बिना जीवन निरर्थक लगता है।
- प्यासे को जल की तरह आत्मा को परमात्मा प्रिय लगते हैं।
6. कबीरदास जी आत्मा की व्यथा को किससे कहना चाहते हैं?
उत्तर:
- कबीरदास जी चाहते हैं कि कोई परोपकारी व्यक्ति उनकी व्यथा को परमात्मा तक पहुँचाए।
- वे कहते हैं कि परमात्मा को देखे बिना उनका जीवन व्यर्थ है और वे व्याकुल हैं।
7. कबीरदास जी के अनुसार परमात्मा से मिलन के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर:
- परमात्मा से मिलने के लिए सच्ची भक्ति, प्रेम, और समर्पण आवश्यक है।
- बाहरी कर्मकांड और आडंबर से मुक्त होकर हृदय की शुद्धता के साथ उनकी आराधना करनी चाहिए।
8. "बालम, आवो हमारे गेह रे" में 'बालम' से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
- 'बालम' शब्द का अर्थ प्रियतम या पति है, यहाँ यह शब्द परमात्मा (ईश्वर) के लिए प्रयुक्त हुआ है।
- आत्मा परमात्मा को अपने हृदय में निवास करने के लिए बुला रही है।
9. इस पद का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर:
- यह पद आत्मा और परमात्मा के मिलन की तड़प को दर्शाता है।
- आत्मा परमात्मा से अलग रहकर व्याकुल हो जाती है और उनके बिना कुछ भी अच्छा नहीं लगता।
- कबीरदास जी का संदेश है कि परमात्मा से सच्चा प्रेम ही भक्ति का सर्वोच्च रूप है।