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योग Notes in Hindi Class 11 Physical Education Chapter-3 Yoga

योग Notes in Hindi Class 11 Physical Education Chapter-3 Yoga


योग का अर्थ व उसका महत्व

'योग' शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के मूल शब्द 'युज' से हुई है, जिसका अर्थ है—जोड़ना या मिलाना।

  • पतंजलि के अनुसार— "चित्तवृत्तिनिरोधः ही योग है।"
  • महर्षि वेद व्यास— "योग समाधि है।"

भगवद गीता में श्री कृष्ण ने कहा है कि "योगः कर्मसु कौशलम्।" 


योग के महत्व 

  • योग द्वारा हमारा शरीर तंदुरुस्त रह सकता है।
  • हृदय और फेफड़ों की कार्यक्षमता में वृद्धि।
  • नियमित अभ्यास से शरीर रोग मुक्त रहता है।
  • थकान को दूर करने में सहायक।
  • स्मरण शक्ति में वृद्धि।
  • शारीरिक ढांचे में सुधार।


अष्टांग योग का परिचय

योग का मुख्य उद्देश्य अपने मन पर नियंत्रण पाना है। यह सम्भव भी होता है यदि व्यक्ति अष्टांग योग के द्वारा आठ तत्वों का पालन करें, जो कि महर्षि पतंजलि द्वारा सुझाए गए हैं।

यम (Yama):

अष्टांग योग का पहला अंग है।

यम शब्द का अर्थ है इंद्रियों एवं मन को हिंसा आदि अशुभ भावों से हटाकर आत्मकेंद्रित करना।

पाँच यम हैं:

  • अहिंसा (Non-violence)
  • सत्य (Truthfulness)
  • अस्तेय (Non-stealing)
  • ब्रह्मचर्य (Celibacy/Moderation)
  • अपरिग्रह (Non-possessiveness)

नियम (Niyama):

अष्टांग योग का दूसरा अंग है।

इसका अर्थ है कि योगी को अपने जीवन में निम्नलिखित आदतें a चाहिए:

  • शौच (Cleanliness)
  • संतोष (Contentment)
  • तप (Discipline)
  • स्वाध्याय (Self-study)
  • ईश्वर प्राणिधान (Devotion to God)

आसन (Asana):

  • किसी भी मुद्रा में स्थिरता और सुखपूर्वक बैठना आसन कहलाता है।
  • इसे करने से योगी का मन स्थिर रहता है।
  • आसन से प्रत्येक अंग-प्रत्यंग को क्रियाशीलता मिलती है, जिससे वे सक्रिय, स्वस्थ और लचीले बन जाते हैं।

प्राणायाम (Pranayama):

  • आसन में स्थिर हो जाने के बाद श्वास लेने और छोड़ने की स्वाभाविक गति का नियंत्रित होना प्राणायाम कहलाता है।
  • इस प्रक्रिया को करने से तन और मन की शुद्धि होती है।

प्रत्याहार (Pratyahara):

  • प्रत्याहार के द्वारा साधक का इंद्रियों पर पूर्ण अधिकार हो जाता है।
  • शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध आदि इंद्रियों को आत्मकल्याण के रास्ते से दूर हटाना, या मन को विचलित करना रोकना है।
  • प्रत्याहार सिद्ध होने पर योगी अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त करता है और परम सुख का अनुभव करता है।

धारणा (Dharana):

प्रत्याहार के द्वारा जब इंद्रियाँ और मन स्थूल विषयों से हटाकर सूक्ष्म लक्ष्य, आत्मा-परमात्मा आदि पर ध्यान केंद्रित करते हैं, उसे धारणा कहते हैं।

ध्यान (Dhyana):

  • ध्यान के समय एकमात्र विषय या लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रहता है।
  • इस अभ्यास के माध्यम से व्यक्ति आनंद, शांति और आत्मा के स्वरूप में लीन हो जाता है।

समाधि (Samadhi):

  • अष्टांग योग का सबसे उन्नत और अंतिम चरण।
  • इस अवस्था में व्यक्ति अपनी चेतना को भौतिक अस्तित्व से परे ले जाता है।
  • आत्मा और परमात्मा का एक हो जाना।
  • इस अवस्था को पाने के लिए गहन ध्यान और मानसिक अनुशासन की आवश्यकता। 

योगिक क्रियाओं (षटकर्म) का परिचय:

  • योगिक क्रिया (शुद्धि क्रिया) वह प्रक्रिया है जिसमें छह क्रियाओं के जरिए मनुष्य के सारे शरीर का शुद्धिकरण किया जाता है।
  • इसके माध्यम से मानव के स्वास्थ्य में सुधार आता है।
  • आंतरिक रूप से शुद्धिकरण होता है।
  • इन क्रियाओं का संचालन किसी अनुभवी व्यक्ति की देखरेख में ही करना चाहिए।


यौगिक क्रियाएँ

  • नेति क्रिया
  • धौति क्रिया
  • बस्ति क्रिया
  • नौलिक्रिया
  • त्राटक क्रिया
  • कपाल भाति क्रिया

नेति (Neti):

  • नासिका मार्ग को साफ और शुद्ध करने की प्रक्रिया।

धौती (Dhauti):

  • आहार नली की सफाई।

नौली (Nauli):

  • आमाशय के अंगों की मालिश और सशक्तिकरण।

बस्ती (Basti):

  • आंत को धोने और शुद्ध बनाने की तकनीक।

कपालभाति (Kapalbhati):

  • मस्तिष्क के अग्र भाग के शुद्धिकरण के लिए श्वास तकनीक।

त्राटक (Trataka):

  • गहन ध्यान लगाने की प्रक्रिया, एकाग्रता और शक्ति के लिए।


प्राणायाम 

  • प्राणायाम दो शब्दों से बना है – प्राण (जीवन की ऊर्जा) और यम (नियंत्रण)। इसका मतलब है जीवन की ऊर्जा को सही तरीके से नियंत्रित करना ताकि हम स्वस्थ रह सकें।
  • यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हम अपनी सांसों को सही तरीके से लेते और छोड़ते हैं, जिससे शरीर को अधिक ऊर्जा मिलती है और मन शांत होता है।

प्राणायाम के तीन मुख्य चरण:

  • पूरक (सांस लेना) – गहरी सांस अंदर लेना।
  • कुंभक (सांस रोकना) – कुछ समय तक सांस को रोके रखना।
  • रेचक (सांस छोड़ना) – धीरे-धीरे सांस को बाहर निकालना।


योग के माध्यम से सक्रिय जीवन शैली और तनाव प्रबंधन

योग के माध्यम से सक्रिय जीवन शैली 

योग मन को शांत, खुश और स्वस्थ बनाने में मदद करता है। यह हमारे शरीर, मन और बुद्धि को सही तरीके से संतुलित करता है। योग हमें खुद को पहचानने और अपने काम को सही ढंग से करने में सहायता करता है।

योगासन के फायदे:

  • यह शरीर की हर पेशी (मांसपेशी), हड्डी, नसों और अंगों को मजबूत बनाता है।
  • शरीर की सभी प्रणालियों को स्वस्थ बनाए रखता है।

प्राणायाम के फायदे:

  • यह सांस लेने की एक विशेष तकनीक है, जो शरीर को नई ऊर्जा देता है।
  • मन को शांत और नियंत्रित करता है, जिससे व्यक्ति तरोताजा महसूस करता है।
  • चिंता, उच्च रक्तचाप और अन्य मानसिक-शारीरिक समस्याओं को कम करने में मदद करता है।


योगनिद्रा के माध्यम से तनाव प्रबंधन

संस्कृत में "योग" का अर्थ है मिलन या जागरूकता, और "निद्रा" का अर्थ है नींद। योगनिद्रा एक ऐसी स्थिति है, जहां शरीर सोता हुआ लगता है, लेकिन मन गहरे स्तर पर जागरूक रहता है और सक्रिय होता है।


योगनिद्रा के फायदे

  • यह गहरी शांति देता है और तनाव व चिंता को कम करता है।
  • डिप्रेशन और बुरी आदतों को कम करने में मदद करता है।
  • दर्द और दवाइयों पर निर्भरता को घटाता है।
  • अनिद्रा से राहत देता है और नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।
  • सीखने की क्षमता और नए कौशल को बेहतर करने में सहायता करता है।


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