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उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण Important Short and Long Question Class 12 Home Science Chapter-12 Book-2

उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण Important Short and Long Question Class 12 Home Science Chapter-12 Book-2


1. उपभोक्ता (Consumer) किसे कहते हैं?

उत्तर:

उपभोक्ता वह व्यक्ति होता है जो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए वस्तुओं और सेवाओं की खरीद करता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति दूध खरीदता है, मोबाइल रिचार्ज कराता है, या टैक्सी सेवा लेता है, तो वह उपभोक्ता कहलाता है।


2. उपभोक्ता शिक्षा क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर:

उपभोक्ता शिक्षा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह:

  • उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक बनाती है।
  • धोखाधड़ी, नकली उत्पादों और भ्रामक विज्ञापनों से बचने में मदद करती है।
  • सही उत्पाद चुनने और शिकायत करने की प्रक्रिया को समझने में सहायता करती है।
  • सुरक्षित और संतुलित उपभोग को बढ़ावा देती है।


3. उपभोक्ता किन समस्याओं का सामना करते हैं?

उत्तर:

  • गुणवत्ता की कमी (Poor Quality Products)
  • मिलावट (Adulteration)
  • अत्यधिक मूल्य वसूली (Overcharging)
  • गलत तौल और माप (False Weight and Measures)
  • भ्रामक विज्ञापन (Misleading Advertisements)
  • नकली और अनुचित ब्रांड (Fake and Substandard Products)
  • बिक्री के बाद सेवा की अनुपलब्धता (Lack of After-Sale Services)


4. उपभोक्ता कैसे जागरूक बन सकते हैं?

उत्तर:

  • किसी भी वस्तु को खरीदने से पहले उसकी गुणवत्ता और कीमत की तुलना करें।
  • मिलावट और नकली उत्पादों से बचने के लिए मानकीकरण चिह्न देखें (जैसे ISI, AGMARK, FSSAI, हॉलमार्क)।
  • खरीदारी के समय रसीद लें और सुरक्षित रखें।
  • भ्रामक विज्ञापनों से सतर्क रहें।
  • यदि किसी उत्पाद में समस्या हो तो उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम में शिकायत दर्ज कराएँ।


5. उपभोक्ता संरक्षण क्या है?

उत्तर:

उपभोक्ता संरक्षण का अर्थ है उपभोक्ताओं को धोखाधड़ी, मिलावट, और अनुचित व्यापारिक प्रथाओं से बचाने के लिए कानूनी और प्रशासनिक उपाय प्रदान करना।


6. भारत में उपभोक्ताओं के कितने अधिकार हैं?

उत्तर:

भारत सरकार ने उपभोक्ताओं के छह अधिकार निर्धारित किए हैं:

1. सुरक्षा का अधिकार (Right to Safety) – खतरनाक और हानिकारक उत्पादों से बचाव।

2. सूचना का अधिकार (Right to Information) – उत्पाद की गुणवत्ता, मात्रा, और मूल्य की पूरी जानकारी प्राप्त करना।

3. चयन का अधिकार (Right to Choose) – अपनी आवश्यकता के अनुसार उचित उत्पाद या सेवा चुनना।

4. सुने जाने का अधिकार (Right to be Heard) – यदि किसी उपभोक्ता के साथ धोखाधड़ी होती है, तो उसकी शिकायत को सुना जाए।

5. शिकायत निवारण का अधिकार (Right to Seek Redressal) – हर्जाना पाने का अधिकार।

6. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार (Right to Consumer Education) – अपने अधिकारों के बारे में सीखने का अधिकार।


7. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (Consumer Protection Act) क्या है?

उत्तर:

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए बनाया गया था। इसे 2019 में संशोधित किया गया और नए प्रावधान जोड़े गए, जैसे:

  • ऑनलाइन खरीदारी के लिए सुरक्षा।
  • भ्रामक विज्ञापन देने वाले ब्रांड्स पर सख्त कार्रवाई।
  • फास्ट ट्रैक शिकायत समाधान।


8. भारत में उपभोक्ता शिकायत निवारण के लिए कौन-कौन से फोरम उपलब्ध हैं?

उत्तर:

भारत में उपभोक्ता शिकायतें तीन स्तरों पर सुनी जाती हैं:

1. जिला उपभोक्ता फोरम (District Consumer Forum) – 1 करोड़ रुपये तक की शिकायतें।

2. राज्य उपभोक्ता आयोग (State Consumer Commission) – 1 से 10 करोड़ रुपये तक की शिकायतें।

3. राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग (National Consumer Commission) – 10 करोड़ रुपये से अधिक की शिकायतें।


9. उपभोक्ता संरक्षण में मानकीकरण चिह्न (Standardization Marks) क्यों आवश्यक हैं?

उत्तर:

मानकीकरण चिह्न यह सुनिश्चित करते हैं कि उत्पाद गुणवत्तापूर्ण और सुरक्षित हैं।

1. ISI Mark – औद्योगिक उत्पादों के लिए।

2. AGMARK – कृषि उत्पादों की शुद्धता के लिए।

3. FSSAI – खाद्य उत्पादों की सुरक्षा के लिए।

4. Hallmark – सोने और चाँदी की शुद्धता के लिए।


10. उपभोक्ता संगठनों (Consumer Organizations) की क्या भूमिका होती है?

उत्तर:

  • उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना।
  • उपभोक्ता शिकायतों को दर्ज करना और उनका समाधान कराना।
  • भ्रामक विज्ञापनों और मिलावटी उत्पादों के खिलाफ कार्रवाई करना।
  • उपभोक्ता संबंधी शोध और अध्ययन करना।


11. उपभोक्ता क्या-क्या सावधानियाँ बरत सकते हैं?

उत्तर:

  • रसीद और गारंटी कार्ड प्राप्त करें और सुरक्षित रखें।
  • सही जानकारी के आधार पर उत्पाद खरीदें।
  • ऑनलाइन खरीदारी करते समय प्रामाणिक वेबसाइटों का चयन करें।
  • धोखाधड़ी या खराब उत्पाद मिलने पर तुरंत शिकायत दर्ज करें।


12. पर्यावरण अनुकूल उपभोक्तावाद (Green Consumerism) क्या है?

उत्तर:

पर्यावरण अनुकूल उपभोक्तावाद का अर्थ है ऐसे उत्पादों और सेवाओं को अपनाना जो प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करें और पर्यावरण को नुकसान न पहुँचाएँ। इसमें निम्नलिखित बातें शामिल हैं:

  • पुनः उपयोग किए जाने वाले (Reusable) और पुनः चक्रित (Recyclable) उत्पाद खरीदना।
  • बिजली और पानी की बचत करना।
  • प्लास्टिक के उपयोग को कम करना।
  • स्थानीय और जैविक उत्पादों को बढ़ावा देना।


13. उपभोक्ता संरक्षण क्षेत्र में करियर के कौन-कौन से अवसर उपलब्ध हैं?

उत्तर:

1. सरकारी संगठन – BIS, FSSAI, उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय।

2. गैर-सरकारी संगठन (NGOs) – उपभोक्ता अधिकार संगठनों में कार्य।

  • कंपनियों में ग्राहक सेवा विभाग।
  • कानूनी सलाहकार और उपभोक्ता फोरम में वकील।
  • उपभोक्ता शोधकर्ता और लेखक।


14. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के क्या प्रमुख संशोधन हैं?

उत्तर:

  • ऑनलाइन खरीदारी को अधिनियम के दायरे में लाया गया।
  • उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग की शक्तियाँ बढ़ाई गईं।
  • भ्रामक विज्ञापन और नकली उत्पादों पर कड़ी कार्रवाई।
  • उपभोक्ता शिकायतें दर्ज करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल की सुविधा।

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