सुमिरिनी के मनके , बालक बच गया ,घड़ी के पुर्जे , ढेले चुन लो Important Short and Long Question Class 12 Chapter-2 Book-1
Team Eklavya
फ़रवरी 27, 2025
1. ‘बालक बच गया’ पाठ का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
यह निबंध बच्चों की आयु के अनुसार ही शिक्षा देने की आवश्यकता पर बल देता है।
इसमें बताया गया है कि अत्यधिक दबाव डालने से बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास बाधित होता है।
लेखक यह दिखाते हैं कि बच्चों को स्वाभाविक रूप से सीखने देना चाहिए, न कि उन्हें रटे-रटाए उत्तर देने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए।
2. पाठशाला के वार्षिकोत्सव में लेखक ने क्या देखा?
उत्तर:
- लेखक को एक पाठशाला के वार्षिकोत्सव में आमंत्रित किया गया।
- वहां उन्होंने देखा कि प्रधानाध्यापक का आठ वर्षीय पुत्र भी उपस्थित था।
- उसकी आंखें सफेद, मुंह पीला था और वह भूमि की ओर देख रहा था।
- उससे लगातार कठिन प्रश्न पूछे जा रहे थे, जिनके वह रटे-रटाए उत्तर दे रहा था।
3. बालक से कौन-कौन से प्रश्न पूछे गए?
उत्तर:
- धर्म के दस लक्षण पूछे गए – वह सुना गया।
- नौ रसों के उदाहरण पूछे गए – वह सुना गया।
- पानी के 4 डिग्री तापमान पर फैलने और मछलियों की प्राणरक्षा का कारण पूछा गया – वह सुना गया।
- चंद्रग्रहण का वैज्ञानिक समाधान पूछा गया – वह सुना गया।
- इंग्लैंड के राजा हेनरी अष्टम की पत्नियों के नाम और पेशवाओं का इतिहास पूछा गया – वह सुना गया।
- उससे पूछा गया – "तू क्या करेगा?" उसने उत्तर दिया – "मैं यावज्जीवन लोकसेवा करूंगा।"
4. जब बालक से पुरस्कार में कुछ माँगने को कहा गया, तो उसने क्या माँगा?
उत्तर:
- जब बालक से पूछा गया कि वह पुरस्कार में क्या लेना चाहेगा, तो उसने थोड़ी देर सोचकर ‘लड्डू’ माँगा।
- यह उत्तर सुनकर उसके पिता और अध्यापक निराश हो गए, क्योंकि उन्हें लगा था कि वह कोई पुस्तक माँगेगा।
- लेखक ने इस पर सुख की सांस ली, क्योंकि यह बालक का स्वाभाविक उत्तर था और उसने कोई रटा-रटाया उत्तर नहीं दिया।
- इससे लेखक को लगा कि बालक का बचपन अभी जीवित है और वह शिक्षा के दबाव से पूरी तरह ग्रसित नहीं हुआ है।
5. ‘घड़ी के पुर्जे’ निबंध में धर्म के रहस्य को जानने की इच्छा को क्यों रोका जाता है?
उत्तर:
- धर्मोपदेशक कहते हैं कि हर व्यक्ति को धर्म के गहरे रहस्यों को नहीं जानना चाहिए।
- वे समझाते हैं कि जिसे समय जानना हो, वह केवल घड़ी देखकर समय देख ले।
- लेकिन यदि कोई घड़ी को खोलकर उसके पुर्जे गिनना चाहे, तो यह उचित नहीं माना जाता।
- इसी प्रकार, धर्म के रहस्यों को जानना केवल धर्माचार्यों का कार्य बताया जाता है।
6. लेखक धर्माचार्यों के विचारों से सहमत क्यों नहीं हैं?
उत्तर:
- लेखक कहते हैं कि धर्म का ज्ञान प्राप्त करने का अधिकार सभी को है।
- वे मानते हैं कि धर्म का रहस्य जानना उतना ही कठिन है, जितना घड़ी को खोलकर उसके पुर्जे ठीक करना।
- लेखक का मानना है कि धर्माचार्य इसलिए लोगों को धर्म का ज्ञान नहीं देना चाहते, क्योंकि वे स्वयं धर्म के विषय में पूर्ण जानकारी नहीं रखते।
- यदि आम लोगों को धर्म का ज्ञान दिया जाए, तो वे मूर्ख नहीं बन सकते।
7. ‘ढेले चुन लो’ निबंध में कौन-सा अंधविश्वास बताया गया है?
उत्तर:
1. यह निबंध प्राचीन समय में विवाह के लिए ढेले चुनने की प्रथा पर व्यंग्य करता है।
2. प्राचीन समय में कन्या को कुछ मिट्टी के ढेले चुनने के लिए कहा जाता था।
3. इन ढेलों का अर्थ इस प्रकार माना जाता था:
- वेदी का ढेला – संतान वैदिक पंडित बनेगा।
- गोबर का ढेला – संतान पशु-पालक बनेगा।
- खेती की मिट्टी – संतान जमींदार बनेगा।
4. लेखक इसे अंधविश्वास मानते हैं और कहते हैं कि आज भी ज्योतिष, कुंडली मिलान और गुणों के आधार पर विवाह तय किया जाता है, जो तर्कसंगत नहीं है।
8. ‘ढेले चुन लो’ निबंध में लेखक क्या संदेश देना चाहते हैं?
उत्तर:
- लेखक यह कहना चाहते हैं कि भविष्य पर निर्भर रहने की बजाय वर्तमान पर विश्वास करना चाहिए।
- वे बताते हैं कि भविष्य अनिश्चित होता है और हम यह नहीं जानते कि हमें भविष्य में क्या मिलेगा।
- इसलिए हमें वर्तमान के आधार पर निर्णय लेने चाहिए, न कि किसी अंधविश्वास के आधार पर।
9. ‘सुमिरिनी के मनके’ पाठ की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
- यह तीन अलग-अलग निबंधों का संग्रह है – ‘बालक बच गया’, ‘घड़ी के पुर्जे’ और ‘ढेले चुन लो’।
- इसमें अत्यधिक शिक्षा के दबाव, धर्म के रहस्यों और सामाजिक अंधविश्वासों पर व्यंग्य किया गया है।
- भाषा सरल, व्यंग्यात्मक और प्रभावशाली है।
- लेखक ने बालक की स्वाभाविकता, धर्माचार्यों की धूर्तता और समाज में व्याप्त अंधविश्वासों की आलोचना की है।
- यह पाठ व्यंग्य और तर्क की शैली में लिखा गया है।