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प्रेम घन के छाया स्मृति Important Short and Long Question Class 12 Chapter-1 Book-1

प्रेम घन के छाया स्मृति Important Short and Long Question Class 12 Chapter-1 Book-1


1. ‘प्रेमघन की छाया स्मृति’ पाठ का मुख्य विषय क्या है?

उत्तर:

  • यह एक संस्मरणात्मक निबंध है।
  • इसमें रामचंद्र शुक्ल जी ने अपने प्रारंभिक साहित्यिक जीवन, परिवार और मित्रों के बारे में बताया है।
  • उन्होंने भारतेन्दु हरिश्चंद्र और बद्रीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ जी के प्रभाव का भी उल्लेख किया है।


2. लेखक के पिता की साहित्यिक रुचि कैसी थी?

उत्तर:

  • लेखक के पिता फारसी भाषा के अच्छे जानकार थे।
  • वे पुरानी हिंदी कविता को पसंद करते थे।
  • वे रात में परिवार के लोगों को ‘रामचरितमानस’ और ‘रामचंद्रिका’ पढ़कर सुनाते थे।
  • उन्हें भारतेन्दु जी के नाटक बहुत पसंद थे।


3. बचपन में लेखक भारतेन्दु हरिश्चंद्र के बारे में क्या सोचते थे?

उत्तर:

बचपन में लेखक को लगता था कि ‘सत्य हरिश्चंद्र’ नाटक के नायक राजा हरिश्चंद्र और भारतेन्दु हरिश्चंद्र एक ही व्यक्ति हैं।

इस कारण उनके मन में भारतेन्दु हरिश्चंद्र के प्रति गहरी श्रद्धा थी।


4. आचार्य रामचंद्र शुक्ल के पिता का तबादला कब और कहाँ हुआ?

उत्तर:

  • जब लेखक 8 वर्ष के थे, तब उनके पिता का तबादला ‘राठ तहसील’ से ‘मिर्जापुर’ कर दिया गया।
  • वहां पर उन्हें पता चला कि उपाध्याय बद्रीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ भी वहीं रहते हैं।
  • तब लेखक ने प्रेमघन जी के दर्शन करने की इच्छा व्यक्त की।


5. प्रेमघन जी के प्रथम दर्शन का वर्णन कैसे किया गया है?

उत्तर:

  • लेखक अपने मित्रों के साथ डेढ़ मील का सफर तय करके प्रेमघन जी के घर पहुंचे।
  • घर का बरामदा सघन लताओं से ढका हुआ था।
  • काफी देर इंतजार करने के बाद प्रेमघन जी दिखाई दिए – उनके बाल बिखरे हुए थे, एक हाथ खंभे पर था।
  • कुछ ही देर में वे आँखों से ओझल हो गए।
  • यह लेखक के जीवन में प्रेमघन जी के प्रथम दर्शन का अनुभव था।


6. शुक्ल जी की साहित्य के प्रति रुचि कैसे बढ़ी?

उत्तर:

  • पं. केदारनाथ जी के पुस्तकालय से पुस्तकें लाकर पढ़ने से उनकी रुचि हिंदी साहित्य में बढ़ी।
  • उनकी गहरी मित्रता केदारनाथ जी से हो गई।
  • युवावस्था तक उन्हें समान विचारधारा वाले ‘हिंदी प्रेमी लेखकों’ की मंडली भी मिल गई।
  • वे उर्दूभाषी वकीलों और मुख्तारों के बीच रहते थे, जिससे उन्हें भाषा का ज्ञान मिला।


7. चौधरी बद्रीनारायण प्रेमघन की विशेषताएँ क्या थीं?

उत्तर:

  • वे खासे हिंदुस्तानी रईस थे।
  • उनकी हर बात में तबीयतदारी झलकती थी।
  • वे बसंत पंचमी, होली आदि त्योहारों पर नाच-रंग और उत्सव का आयोजन करते थे।
  • वे विलक्षण व्यंग्य शैली में बात करते थे।
  • वे प्रसिद्ध कवि और भाषा के विद्वान थे।


8. चौधरी प्रेमघन की भाषा शैली कैसी थी?

उत्तर:

  • उनकी बातों में व्यंग्य और चतुराई झलकती थी।
  • वे लोगों को हंसी-हंसी में चकमा देने में माहिर थे।
  • वे भाषा के बड़े विद्वान और कुशल कवि थे।


9. ‘प्रेमघन की छाया स्मृति’ पाठ की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर:

  • यह एक संस्मरणात्मक निबंध है।
  • इसमें आचार्य रामचंद्र शुक्ल के बचपन के अनुभवों का वर्णन है।
  • यह हिंदी साहित्य में उनकी प्रारंभिक रुचि को दर्शाता है।
  • इसमें भारतेन्दु हरिश्चंद्र और बद्रीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ के प्रभाव का उल्लेख किया गया है।
  • भाषा सरल, सहज और प्रवाहमयी है।


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