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मनोविज्ञान और खेल Notes in Hindi Class 12 Physical Education Chapter-9 manovigyan or khel

 
मनोविज्ञान और खेल Notes in Hindi Class 12 Physical Education Chapter-9 manovigyan or khel


व्यक्तित्व शब्द से आप क्या समझते हैं ?

  • व्यक्तित्व शब्द लैटिन भाषा के शब्द परसोना (Persona) से लिया गया है, जिसका अर्थ है मुखौटा अर्थात् व्यक्तित्व वह मुखौटा है जिसे लगा कर व्यक्ति अपने वातावरण के सम्पर्क में आता है। 
  • किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व में उसके शारीरिक गुण, मानसिक गुण, सामाजिक गुण, भावनात्मक गुण, रूचियाँ, व्यवहार, योग्यताए आदि सभी विशेषताएं शामिल होती हैं। 
  • जिनके साथ व्यक्ति अपने वातावरण के सम्पर्क में आता है।


जंग के अनुसार व्यक्तित्व कितने प्रकार का होता है ?   

जंग के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार

1. अन्तर्मुखी  

  • शर्मीला 
  • कम बोलना 
  • कम घुलना मिलना 
  • समाज में बोलने से बचना 
  • सामाजिक आयोजनों में अधिक न जाना 

2.बहिर्मुखी  

  • शर्मीला न होना  
  • खुलकर बोलना 
  • लोगों से घुलना मिलना 
  • समाज में खुलकर बोलना  
  • सामाजिक आयोजनों में अधिक जाना
  • आत्म विश्वाशी
  • प्रेरित रहना 
  • ऊर्जावान 
  • जिंदादिल   

3. उभयमुखी   

  • ऐसे लोग जिनमे न तो पूरे गुण अन्तर्मुखी वाले होते है और ना ही पूरे तरह से वह अन्तर्मुखी  होते हैं ऐसे लोग उभयमुखी कहलाती है 


व्यक्तित्व के 5 बड़े सिद्धांत  –

व्यक्तित्व का आंकलन 5 लक्षणों के आंकलन के आधार पर होता है।

1. स्पष्टता सम्बंधी लक्षण

  • व्यावहारिक
  • कल्पनाशील
  • रुचि
  • बौद्धिक जिज्ञासा की चाह
  • रचनात्मकता
  • भावना

2. कर्तव्य निष्ठा सम्बंधी लक्षण

  • जीवन की चुनौतियों के साथ सक्षम
  • आत्म अनुशासन
  • कर्तव्यनिष्ठता
  • दूसरों पर निर्भरता
  • कठोर परिश्रम
  • महत्वाकांक्षा

3. बहिर्मुखता सम्बंधी लक्षण

  • ऊर्जा
  • सकारात्मक
  • भावना
  • स्वीकारात्मक
  • मिलनसार
  • बातूनी
  • ज़िंदादिल
  • स्नेह
  • मित्रतापूर्ण

4. सहमतता सम्बंधी लक्षण

  • सहयोग
  • व्यवस्थित
  • उदार

5. मनोविक्षुब्धता सम्बंधी लक्षण

  • गुस्सा
  • अवसाद
  • चिंता


प्रेरणा से क्या अभिप्राय है ? उसके प्रकार बताइए ? 

  • प्रेरणा शब्द लैटिन शब्द मोटिव्स (Motivus) से लिया गया है जिसका अर्थ है गतिमान कारण। 
  • हम जो भी करते है या नहीं करते है उसके पीछे कोई प्रेरणा होती है। 
  • प्रेरणा की दो आयाम होते है उद्देश्य और दिशा । 
  • उद्देश्य - क्यों हम कुछ करना चाहते है, और दिशा हमें बताती है कि उस उद्देश्य को पाने के लिए हमें क्या करना चाहिए। 
  • प्रेरणा हमें अपने लक्ष्य को पाने के लिए केंद्रित और दृढ़ रहने में मदद करती है। इसीलिए उद्देश्य व दिशा दोनों ही लक्ष्य की ओर होने चाहिए।

प्रेरणा को मोटे तौर पर दो श्रेणियों में बाँटा गया है—

1. आंतरिक प्रेरणा

  • जब कोई व्यक्ति अपने अंदर से प्रेरणा ले किसी लक्ष्य को पाने के लिए। कोई व्यक्ति किसी कार्य को इसलिए करता है क्योंकि वह कार्य उसे संतुष्टि देता है एवं उसे वह कार्य करने में आनंद आता है और वह किसी भी बाहरी कारकों की वजह से नहीं बल्कि उसकी खुद की इच्छा से वह करता है।

उदाहरण:

  • अगर आप स्वयं पढ़ाई करते हैं बिना किसी के कहे, तो इसका मतलब है कि आप आंतरिक रूप से प्रेरित हैं अच्छे परिणाम लाने के लिए।

2. बाहरी प्रेरणा

  • जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को करने की प्रेरणा बाहर से ले और अपने आवेग और रूचि से नहीं तो वह व्यक्ति बाहरी रूप से प्रेरित है।

उदाहरण:

  • अगर आप इसलिए पढ़ते हैं कि आपके माता-पिता आपको आपकी पसंद की कोई वस्तु दिलाएंगे, तो आप बाहरी कारकों की वजह से प्रेरित हैं। यह बाहरी कारक तोहफा या इनाम है, ना कि प्रबल इच्छा।


व्यायाम पालन से क्या अभिप्राय है ? 

व्यायाम पालन का अर्थ है व्यायाम करने के कारण तलाशना अर्थात जब कोई व्यक्ति बिना किसी बाहरी प्रेरणा के व्यायाम शुरू करता है और उस स्थिति को बनाये रखता है तो इसे व्यायाम पालन कहा जाता है 

व्यायाम के लाभ -

  • शरीर का लचीला और सुडौल होना 
  • आसन में सुधार 
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होना 
  • रोगों से बचाव
  • चिंता में कमी 
  • आत्मसम्मान में बढ़ोतरी 
  • स्वस्थ में सुधार  


आक्रामकता से क्या अभिप्राय है ?

  • यह शारीरिक तथा मौखिक व्यवहार है 
  • जिसका लक्ष्य दूसरों को शारीरिक तथा मनोवैज्ञानिक रूप से नुकसान पहुंचाना होता है।

आक्रामकता के प्रकार -

1.शत्रुतापूर्ण आक्रामकता एवं प्रतिक्रियाशील रूप से आक्रामकता

  • जानबूझ कर नुकसान पहुंचाना
  • दूसरों को घायल करना
  • शारीरिक बल का इस्तेमाल करना

2. सहायक आक्रामकता

  • अनजाने से दूसरों को शारीरिक घायल करना
  • लक्ष्य उच्चतम प्रदर्शन की प्राप्ति
  • शारीरिक बल का इस्तेमाल

3. मुखर व्यवहार आक्रामकता

  • शारीरिक रूप से नुकसान न पहुंचाना
  • वैध बलों का इस्तेमाल
  • नियम नहीं तोड़ते हैं
  • दूसरों को मनोवैज्ञानिक रूप से नुकसान पहुंचाना
  • मौखिक बल का इस्तेमाल करना


आक्रामकता को कैसे ख़त्म कर सकते है -

  • आक्रामकता न करने पर शाबासी
  • उन संकेतों को हटा देना चाहिए जिनसे आक्रामकता पैदा होती है
  • सजानात्मक क्रियाएं जैसे कि आत्मसुझाव, कल्पनाशीलता तथा अपने आप से बात करना आदि
  • तनाव को प्रबंधन करना तथा शिथिलन क्रियाएं
  • सकारात्मक सुदृढ़ीकरण प्रदान करना जब एक खिलाड़ी आक्रामकता पर नियंत्रण करे
  • खेल के महत्व पर जोर देना चाहिए न कि जीतने पर, यह बताना चाहिए कि किस प्रकार एक खिलाड़ी की आक्रामकता किस प्रकार टीम को नीचे की ओर ला सकती है
  • जो खिलाड़ी अत्यधिक आक्रामकता दिखाए, उसको दंडित किया जाना चाहिए
  • कोच को खुद का व्यवहार जरूर शांत रखना चाहिए



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