गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफात Important Short and Long Question Class 12 Chapter-4 Book-1
0Team Eklavyaफ़रवरी 27, 2025
1. ‘गांधी, नेहरू और यास्सर अराफात’ पाठ का मुख्य विषय क्या है?
उत्तर:
यह पाठ भीष्म साहनी की आत्मकथा ‘आज के अतीत’ का एक अंश है।
इसमें लेखक ने गांधी जी, नेहरू जी और यास्सर अराफात के साथ अपने निजी अनुभवों को साझा किया है।
गांधी जी के साथ सेवाग्राम में बिताए दिनों, नेहरू जी की विनम्रता और यास्सर अराफात के आतिथ्य प्रेम का उल्लेख किया गया है।
पाठ में मानवीय संवेदनाओं, देशभक्ति, अहिंसा और मैत्री जैसे मूल्यों को दर्शाया गया है।
2. लेखक की गांधी जी से पहली मुलाकात कब और कहाँ हुई थी?
उत्तर:
लेखक की गांधी जी से पहली मुलाकात सेवाग्राम आश्रम में हुई थी।
वे अपने भाई के साथ वहाँ गए थे।
गांधी जी बिल्कुल वैसे ही लगे जैसे चित्रों में दिखाई देते थे।
वे बहुत तेज चलते थे और धीमी आवाज में हँसते हुए बातचीत करते थे।
3. सेवाग्राम आश्रम का वातावरण कैसा था?
उत्तर:
सेवाग्राम आश्रम का वातावरण देशभक्ति से भरा हुआ था।
वहाँ रोज़ शाम को प्रार्थना होती थी।
लेखक को वहाँ कस्तूरबा गांधी माँ जैसी लगती थीं।
आश्रम में लेखक को कई स्वतंत्रता सेनानियों से मिलने का अवसर मिला, जैसे – पृथ्वीसिंह आज़ाद, मीरा बेन, अब्दुल गफ्फार खान, राजेन्द्र बाबू आदि।
4. गांधी जी की सेवा भावना का परिचय कब और कैसे मिलता है?
उत्तर:
गांधी जी बीमार और जरूरतमंद लोगों की सेवा में सदैव तत्पर रहते थे।
जब एक बालक के पेट में असहनीय दर्द हुआ, तो उसने गांधी जी को बुलाया।
गांधी जी ने देखा कि उसने अधिक मात्रा में गन्ने का रस पी लिया था।
उन्होंने उसे उल्टी करवाई, जब तक कि वह ठीक नहीं हो गया।
इसी प्रकार, वे तपेदिक के मरीजों का भी हालचाल लेते रहते थे।
5. नेहरू जी के व्यक्तित्व की क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर:
नेहरू जी बहुत उदार और विनम्र स्वभाव के थे।
वे देर रात तक काम करते और सुबह चरखा कातते थे।
हर विषय पर उनकी गहरी पकड़ थी।
वे हर व्यक्ति से नरमी से पेश आते थे।
एक घटना में जब लेखक ने उन्हें अख़बार नहीं दिया, तब उन्होंने विनम्रता से कहा – "यदि आपने देख लिया हो तो क्या मैं एक नज़र देख सकता हूँ?"
6. धर्म के प्रति नेहरू जी के क्या विचार थे?
उत्तर:
नेहरू जी धर्म को संकीर्ण रूप में देखने के विरोधी थे।
वे मानते थे कि ईश्वर की आराधना का अधिकार सभी को है।
उन्होंने हमेशा साम्प्रदायिकता और अंधविश्वास का विरोध किया।
7. यास्सर अराफात का आतिथ्य प्रेम किस प्रकार प्रकट होता है?
उत्तर:
जब लेखक अफ्रोज़ियेशियाई लेखक संघ के सम्मेलन में ट्यूनिस गए, तब यास्सर अराफात स्वयं उनकी अगवानी करने आए।
भोजन के समय वे खुद फल छीलकर खिलाने लगे और शहद की चाय बनाई।
जब लेखक गुसलखाने में हाथ धोने गए, तो अराफात तौलिया लेकर बाहर खड़े हो गए।
यह उनकी अतिथि सत्कार की भावना को दर्शाता है।
8. यास्सर अराफात गांधी जी के बारे में क्या सोचते थे?
उत्तर:
अराफात गांधी जी को अहिंसक आंदोलन का जन्मदाता मानते थे।
वे मानते थे कि गांधी जी केवल भारत के ही नहीं, बल्कि उनके भी नेता थे।
वे चाहते थे कि फिलीस्तीन के प्रति साम्राज्यवादी शक्तियों के अन्याय को अहिंसा के मार्ग से समाप्त किया जाए।
9. गांधी जी, नेहरू जी और यास्सर अराफात के बीच क्या समानताएँ थीं?
उत्तर:
तीनों नेताओं में सेवा भावना थी – गांधी जी गरीबों और रोगियों की सेवा करते थे, नेहरू जी जनसेवा में समर्पित थे, और अराफात अपने देशवासियों के लिए संघर्षरत थे।
तीनों को देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत थे।
तीनों का दृष्टिकोण मानवीय था – वे इंसानियत को धर्म से ऊपर मानते थे।
तीनों ने अहिंसा और न्याय का समर्थन किया।
तीनों का व्यक्तित्व करिश्माई था और लोग उनसे प्रभावित थे।
10. ‘गांधी, नेहरू और यास्सर अराफात’ पाठ से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर:
यह पाठ देशभक्ति, सेवा, त्याग और मानवता के मूल्यों को उजागर करता है।
यह दिखाता है कि महान नेता विनम्र और दूसरों के प्रति संवेदनशील होते हैं।
अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने से विश्व में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
मानवीय संबंध और प्रेम किसी भी राष्ट्र की सीमाओं से ऊपर होते हैं।
11. इस पाठ की भाषा और शैली की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
भाषा सरल, सहज और प्रभावशाली है।
शैली संस्मरणात्मक (यादों पर आधारित) और वर्णनात्मक है।
भाषा में भावुकता और प्रेरणा का मिश्रण है।
लेखक ने व्यक्तिगत अनुभवों को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है।
12. ‘गांधी, नेहरू और यास्सर अराफात’ पाठ के मुख्य पात्र कौन-कौन हैं?
उत्तर:
1. महात्मा गांधी – स्वतंत्रता संग्राम के नायक, अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने वाले।
2. जवाहरलाल नेहरू – भारत के पहले प्रधानमंत्री, जो विनम्र, उदार और कर्तव्यनिष्ठ थे।
3. यास्सर अराफात – फिलीस्तीन के नेता, जो आतिथ्य प्रेम और गांधी जी की अहिंसा के समर्थक थे।
4. भीष्म साहनी (लेखक) – जिन्होंने इन महान नेताओं के साथ बिताए पलों को संस्मरण के रूप में प्रस्तुत किया।