बारहमासा Important Short and Long Question Class 12 Poem-7 Book-1
Team Eklavya
फ़रवरी 27, 2025
1. ‘बारहमासा’ (कवि – मालिक मुहम्मद जायसी)
1. ‘बारहमासा’ कविता का मुख्य विषय क्या है?
उत्तर:
- यह कविता ‘पद्मावत’ के नागमती वियोग खंड से ली गई है।
- इसमें रानी नागमती के राजा रत्नसेन से वियोग की पीड़ा को बारह महीनों में व्यक्त किया गया है।
- हर महीने की विशेषताओं के अनुसार नागमती की विरह वेदना और अधिक बढ़ जाती है।
- इस कविता में प्राकृतिक परिवर्तनों और विरह की मनोदशा का सुंदर चित्रण किया गया है।
2. ‘अगहन’ महीने में नागमती की मनोदशा कैसी थी?
उत्तर:
- अगहन महीने में दिन छोटे और रातें लंबी हो जाती हैं, जिससे विरह और अधिक दुखदायी हो जाता है।
- विरह की अग्नि नागमती को दीपक की बाती की तरह जलाने लगती है।
- सर्दी से बचने के लिए घर में गर्म कपड़े तैयार किए जा रहे हैं, लेकिन नागमती को लगता है कि उसका रूप-सौंदर्य उसके पति के साथ चला गया है।
- वह कहती हैं कि यदि उनके पति वापस आए तो उनका रूप और रंग भी लौट आएगा।
- विरह की आग उनके तन-मन को जलाकर राख बना रही है।
3. नागमती विरह में अपने सौंदर्य के बारे में क्या कहती हैं?
उत्तर:
- नागमती कहती हैं कि उनका सौंदर्य राजा रत्नसेन के साथ चला गया है।
- उनके बिना वह फीकी, पीली और मुरझाई हुई लगती हैं।
- वे कहती हैं कि अगर उनके प्रिय लौट आते हैं, तो उनका रूप और रंग भी वापस आ जाएगा।
4. ‘पूस’ महीने में नागमती की मनोदशा कैसी थी?
उत्तर:
- पूस की कड़ाके की सर्दी विरह की वेदना को और अधिक बढ़ा देती है।
- नागमती ठंड से कांपती हैं और उन्हें मृत्यु जैसा अनुभव होता है।
- उन्हें अपने प्रियतम के आलिंगन की आवश्यकता महसूस होती है।
- वे कहती हैं कि उनकी सखियाँ रात में अपने घर चली जाती हैं, लेकिन वे अकेली रह जाती हैं।
- विरह रूपी बाज (बाज़ पक्षी) उन्हें शिकार की तरह पकड़कर जीते जी मार रहा है।
5. ‘माघ’ महीने में नागमती का हृदय कैसा अनुभव करता है?
उत्तर:
- माघ के महीने में ओस और पाले की ठंड से नागमती की पीड़ा और बढ़ जाती है।
- वे कहती हैं कि सर्दी से उनका शरीर रूई की तरह कांप रहा है।
- वे अपने पति से कहती हैं कि उनके बिना यह सर्दी और भी असहनीय हो गई है।
- वे अपने आंसुओं को ओले की तरह गिरते देखती हैं और कहती हैं कि विरह की आग उनके तन-मन को राख बना रही है।
- वे पवन से अनुरोध करती हैं कि उनकी राख को उनके प्रियतम के मार्ग में बिखेर दे ताकि वे उनके चरणों का स्पर्श कर सकें।
6. नागमती ने ‘फागुन’ महीने में कैसी पीड़ा महसूस की?
उत्तर:
- फागुन की तेज़ हवा विरह की वेदना को और बढ़ा देती है।
- वे कहती हैं कि उनका शरीर पतझड़ के पत्तों की तरह पीला और कमजोर हो गया है।
- वसंत के आगमन पर लोग होली खेलते हैं और आनंद मनाते हैं, लेकिन नागमती के लिए यह और अधिक कष्टदायक हो जाता है।
- उन्हें लगता है कि होली की अग्नि उनके हृदय को जला रही है।
- वे चाहती हैं कि उनकी राख उनके प्रियतम के मार्ग में बिखर जाए, ताकि वे उनके चरणों का स्पर्श कर सकें।
7. नागमती ने अपने दुख को व्यक्त करने के लिए कौन-कौन सी उपमाएँ दी हैं?
उत्तर:
1. दीपक की बाती – विरह की अग्नि उन्हें दीपक की बाती की तरह जला रही है।
2. पीला पत्ता – विरह में उनका शरीर पीले पत्ते की तरह मुरझा गया है।
3. ओले की बूँदें – उनके आँसू ओले की बूँदों की तरह गिर रहे हैं।
4. विरह रूपी बाज – विरह बाज की तरह उन्हें पकड़कर मार रहा है।
5. होली की अग्नि – यह अग्नि उनके हृदय को जला रही है।
8. ‘बारहमासा’ कविता की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
1. यह कविता ‘पद्मावत’ के नागमती वियोग खंड का एक अंश है।
2. नागमती के राजा रत्नसेन से वियोग की पीड़ा को महीनों के आधार पर व्यक्त किया गया है।
3. भाषा अवधि है, जो सरल और प्रवाहमयी है।
4. वियोग रस का सुंदर चित्रण किया गया है।
5. प्राकृतिक और ऋतु संबंधी उपमाओं का प्रयोग किया गया है।
6. अलंकारों का सुंदर प्रयोग किया गया है, जैसे:
- उपमा अलंकार – “तन जस पियर पात भा मोरा” (शरीर पीले पत्ते की तरह हो गया है)।
- अनुप्रास अलंकार – “पवन झकोरै बहा” (ध्वनि सौंदर्य उत्पन्न हुआ है)।
7. भावनात्मकता और चित्रात्मकता का सुंदर समावेश है।