पद Important Short and Long Question Class 12 Poem-8 Book-1
Team Eklavya
फ़रवरी 27, 2025
1. ‘पद’ (कवि – विद्यापति)
1. ‘पद’ कविता का मुख्य विषय क्या है?
उत्तर:
इस कविता में प्रेम, विरह और भक्ति की भावना को अभिव्यक्त किया गया है।
इसमें तीन अलग-अलग पदों के माध्यम से नायिका की विरह-वेदना को दर्शाया गया है।
- पहला पद – नायिका नायक के वियोग में दुखी है और उसे संदेश भेजना चाहती है।
- दूसरा पद – नायिका जन्म-जन्मांतर से अपने प्रियतम के रूप को निहारने के बाद भी संतुष्ट नहीं होती।
- तीसरा पद – विरहणी नायिका को प्रकृति के आनंददायक दृश्य भी कष्टदायक लगते हैं।
2. पहले पद में नायिका की मनोदशा कैसी है?
उत्तर:
- नायिका (राधा) अपने प्रियतम (कृष्ण) के वियोग में अत्यधिक दुखी है।
- सावन का महीना आते ही उसकी विरह वेदना और अधिक बढ़ जाती है।
- वह सखी से पूछती है कि उसका संदेश (पत्र) श्रीकृष्ण तक कौन पहुँचाएगा।
- वह कहती है कि उसका मन श्रीकृष्ण अपने साथ ले गए हैं, और वे अब गोकुल छोड़कर मथुरा में बस गए हैं।
- अंत में कवि विद्यापति कहते हैं कि राधा को धैर्य रखना चाहिए, क्योंकि कार्तिक के महीने में श्रीकृष्ण लौट आएंगे।
3. ‘मोर मन हरि हर लए गेल’ – इस पंक्ति का क्या अर्थ है?
उत्तर:
इसका अर्थ है – ‘मेरा मन श्रीकृष्ण अपने साथ ले गए हैं’।
नायिका कहती है कि वह अब जीते जी अधूरी हो गई है, क्योंकि उसका मन और आत्मा श्रीकृष्ण के साथ हैं।
यह पंक्ति गहरे प्रेम और आत्मीयता को दर्शाती है।
4. दूसरे पद में नायिका की क्या भावना व्यक्त की गई है?
उत्तर:
- नायिका कहती है कि वह जन्म-जन्मांतर से श्रीकृष्ण के रूप का दर्शन कर रही है, फिर भी संतुष्ट नहीं हो पाई है।
- श्रीकृष्ण के मीठे बोल सुनने के बाद भी उसे तृप्ति नहीं मिलती।
- उसने अनगिनत रातें श्रीकृष्ण के साथ बिताई हैं, फिर भी वह उनके प्रेम को पूरी तरह नहीं समझ पाई।
- लाखों वर्षों तक उसने अपने हृदय में श्रीकृष्ण को संजोकर रखा, फिर भी प्रेम की ज्वाला नहीं बुझी।
- यह पद शाश्वत प्रेम और भक्ति को दर्शाता है।
5. ‘जनम अबधि हम रूप निहारल, नयन न तिरपित भेल’ – इस पंक्ति का क्या अर्थ है?
उत्तर:
इसका अर्थ है – ‘मैं जन्म से ही श्रीकृष्ण के रूप को देख रही हूँ, लेकिन मेरी आँखें अब तक तृप्त नहीं हुईं’।
यह प्रेम की अनंतता और अतृप्ति की भावना को दर्शाता है।
सच्चा प्रेम कभी भी पूर्ण नहीं होता, वह हर क्षण नया अनुभव देता है।
6. तीसरे पद में नायिका को प्रकृति के दृश्य क्यों कष्टदायक लगते हैं?
उत्तर:
- विरहणी नायिका (राधा) खिले हुए फूलों को देखकर अपनी आँखें बंद कर लेती है।
- वह कोयल और भौरों की आवाज़ सुनकर अपने कान ढक लेती है।
- उसे लगता है कि प्राकृतिक सौंदर्य उसका मजाक उड़ा रहा है, क्योंकि उसका प्रियतम (कृष्ण) उसके पास नहीं है।
- वह इतनी कमजोर हो गई है कि अगर वह एक बार ज़मीन पर बैठ जाती है, तो फिर उठ नहीं पाती।
- यह पद गहरे प्रेम और विरह की पीड़ा को दर्शाता है।
7. ‘धरनी धरि धनि कत बेरि बइसइ, पुनि तहि उठइ न पारा’ – इस पंक्ति का क्या अर्थ है?
उत्तर:
इसका अर्थ है – ‘मैं कई बार ज़मीन पर बैठ जाती हूँ, लेकिन फिर उठ नहीं पाती’।
यह दर्शाता है कि विरह की पीड़ा नायिका को इतना कमजोर कर देती है कि वह शारीरिक और मानसिक रूप से थक जाती है।
यह पंक्ति गहरे दुख और असहायता को प्रकट करती है।
8. ‘पद’ कविता की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
1. यह कविता प्रेम, भक्ति और विरह को दर्शाती है।
2. इसमें नायिका की मनोदशा को गहराई से व्यक्त किया गया है।
3. मैथिली भाषा का सुंदर प्रयोग किया गया है।
4. वियोग रस की प्रधानता है।
5. उपमा और अनुप्रास अलंकारों का सुंदर प्रयोग किया गया है, जैसे:
- ‘मोर मन हरि हर लए गेल’ – अनुप्रास अलंकार।
- ‘धरनी धरि धनि’ – अनुप्रास अलंकार।
6. कविता में लयात्मकता और काव्यात्मकता है।