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भरत-राम का प्रेम, पद Important Short and Long Question Class 12 Poem-6 Book-1

भरत-राम का प्रेम, पद Important Short and Long Question Class 12 Poem-6 Book-1


1. 'भरत राम का प्रेम' (रामचरितमानस – अयोध्या कांड)


1. ‘भरत राम का प्रेम’ पाठ का मुख्य विषय क्या है?

उत्तर:

  • इस पाठ में भरत के राम के प्रति अपार प्रेम का वर्णन किया गया है।
  • राम के वनवास के बाद भरत अत्यंत दुखी और व्याकुल हो जाते हैं।
  • वे राम को अयोध्या वापस लाने के लिए चित्रकूट जाते हैं और अपने मन की वेदना व्यक्त करते हैं।
  • यह पाठ भक्ति, त्याग और कर्तव्य की भावना को उजागर करता है।


2. भरत अपने मन की बात कहने में संकोच क्यों कर रहे थे?

उत्तर:

  • गुरु वशिष्ठ के कहने पर भी भरत अपने मन की बात कहने में संकोच कर रहे थे।
  • वे भावुक होकर रोने लगे और राम के प्रति अपने प्रेम और श्रद्धा को याद करने लगे।
  • उन्होंने कहा कि राम ने कभी किसी पर क्रोध नहीं किया, यहाँ तक कि अपराधियों पर भी नहीं।
  • बचपन में भी राम ने कभी उनका मन नहीं दुखाया।
  • उनका मन और नयन राम के प्रेम के लिए तड़प रहे थे।


3. भरत कैकेयी को दोष क्यों नहीं देते?

उत्तर:

  • भरत स्वयं को ही राम के वनवास के लिए जिम्मेदार मानते हैं।
  • वे कहते हैं कि कैकेयी को दोष देना उचित नहीं है, क्योंकि वे उनकी माता हैं।
  • वे यह भी मानते हैं कि यदि कैकेयी नीच हैं, तो उनका पुत्र (भरत) भी अच्छा नहीं हो सकता।
  • वे अपने भाग्य को दोष देते हैं और स्वयं को अभागा मानते हैं।


4. भरत को राम के वनवास से किस बात का सबसे अधिक कष्ट था?

उत्तर:

  • भरत को यह देखकर अत्यंत पीड़ा हुई कि राम, लक्ष्मण और सीता बिना जूते पहने जंगल में चले गए।
  • वे चित्रकूट में श्रीराम के पैरों के निशान देखते ही रोने लगते हैं।
  • वे सोचते हैं कि इतना बड़ा अन्याय सहकर भी राम ने कोई विरोध नहीं किया।
  • वे स्वयं को कठोर हृदय वाला मानते हैं, क्योंकि निषादराज के प्रेम को देखकर भी उनका हृदय नहीं पिघला।


5. ‘भरत राम का प्रेम’ पाठ की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर:

  • भरत के राम के प्रति गहरे प्रेम और भक्ति का चित्रण किया गया है।
  • यह पाठ त्याग, धर्म और कर्तव्य की भावना को दर्शाता है।
  • संवादों में गहरी भावनाएँ व्यक्त की गई हैं।
  • भाषा सरल और काव्यात्मक है।
  • भरत के चरित्र की महानता को दर्शाया गया है।


2. 'भरत-राम का प्रेम और पद' (गीतावली से)


6. माता कौशल्या राम के वनगमन के बाद कैसी मनोदशा में थीं?

उत्तर:

  • माता कौशल्या अत्यंत दुखी थीं और राम के बचपन की यादों में खो जाती थीं।
  • वे राम के धनुष-बाण और उनकी छोटी जूतियों को अपने हृदय से लगाकर रोती थीं।
  • वे राम को पुकारकर जगाने का नाटक करती थीं, मानो वे अभी भी अयोध्या में ही हों।
  • उन्हें यह विश्वास नहीं हो रहा था कि राम अब अयोध्या में नहीं हैं।


7. माता कौशल्या ने राम से लौटने की प्रार्थना क्यों की?

उत्तर:

  • माता कौशल्या ने राम से एक बार वापस अयोध्या लौटने की प्रार्थना की।
  • उन्होंने कहा कि राम के घोड़े बहुत कमजोर और दुखी हो गए हैं।
  • भरत उनकी अत्यंत देखभाल कर रहे हैं, फिर भी वे राम के बिना निर्जीव से लगते हैं।
  • उन्होंने एक यात्री (पथिक) से विनती की कि यदि उसे राम मिले, तो उन्हें यह संदेश दे।


8. ‘राघौ! एक बार फिरि आवौ’ – इस पंक्ति का क्या अर्थ है?

उत्तर:

  • यह पंक्ति माता कौशल्या के राम के प्रति गहरे प्रेम और वात्सल्य को दर्शाती है।
  • वे रो-रोकर राम से एक बार अयोध्या लौटने की प्रार्थना करती हैं।
  • वे कहती हैं कि अपने घोड़ों को देख लो और फिर चले जाना।
  • इससे माता की असीम ममता और राम के प्रति अटूट स्नेह का पता चलता है।


9. ‘भरत-राम का प्रेम और पद’ पाठ की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर:

  • माता कौशल्या की वात्सल्य भावना का सुंदर चित्रण किया गया है।
  • राम के प्रति प्रेम और भक्ति को गहराई से व्यक्त किया गया है।
  • यह पाठ गीतावली के पदों का भावपूर्ण अनुवाद है।
  • भाषा अत्यंत सरल, मधुर और काव्यात्मक है।
  • इसमें तुलसीदास की भक्ति भावना झलकती है।


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