औद्योगिक समाज में परिवर्तन और विकास Important Short and Long Question Class 12 Sociology Chapter-4 Book-2
0Team Eklavyaफ़रवरी 24, 2025
1. औद्योगिक समाज क्या है?
उत्तर:
औद्योगिक समाज वह समाज है जिसमें उत्पादन मुख्य रूप से मशीनों और कारखानों पर निर्भर होता है। यह पारंपरिक कृषि आधारित समाज से अलग होता है, जहाँ मजदूर श्रम-विभाजन के तहत कार्य करते हैं और कार्यस्थल पर रिश्ते औपचारिक होते हैं।
2. पारंपरिक और औद्योगिक समाज में क्या अंतर है?
उत्तर:
3. कार्ल मार्क्स के अनुसार ‘अलगाव’ (Alienation) क्या है?
उत्तर:
कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ को उस स्थिति के रूप में परिभाषित किया जिसमें मजदूर अपने ही काम से जुड़ाव महसूस नहीं करता। औद्योगिक समाज में मजदूर अपने बनाए उत्पाद को पूर्ण रूप से नहीं देख पाता, जिससे उसे संतोष नहीं मिलता।
4. औद्योगीकरण ने समाज में क्या बड़े बदलाव किए?
उत्तर:
पारंपरिक कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का स्थान उद्योगों ने ले लिया।
श्रमिकों के कार्यस्थल पर पारंपरिक संबंधों की जगह व्यावसायिक संबंध स्थापित हुए।
शहरों की जनसंख्या बढ़ी और नगरीकरण को बढ़ावा मिला।
समाज में वर्ग-आधारित असमानताएँ बढ़ीं।
5. भारत में औद्योगीकरण की क्या विशिष्टताएँ हैं?
उत्तर:
कृषि क्षेत्र से उद्योगों और सेवा क्षेत्र की ओर श्रमिकों का धीरे-धीरे स्थानांतरण।
असंगठित क्षेत्र का वर्चस्व, जिसमें 90% से अधिक लोग कार्यरत हैं।
स्व-रोजगार की उच्च दर (52%)।
सरकारी और निजी क्षेत्र में असमानता और सामाजिक भेदभाव की निरंतरता।
6. भारत में संगठित और असंगठित क्षेत्र क्या हैं?
उत्तर:
संगठित क्षेत्र: जहाँ श्रमिकों को नियमित वेतन, सामाजिक सुरक्षा और कानूनी संरक्षण मिलता है (जैसे सरकारी नौकरियाँ)।
असंगठित क्षेत्र: जहाँ श्रमिकों को अनिश्चित रोजगार, कम वेतन और कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं मिलती (जैसे निर्माण कार्य, घरेलू कार्य)।
7. भूमंडलीकरण और उदारीकरण का भारतीय उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
निजीकरण और विदेशी निवेश बढ़ा।
कई सरकारी कंपनियाँ निजी हाथों में चली गईं।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आगमन से घरेलू उद्योगों पर दबाव बढ़ा।
अनुबंधित और अस्थायी रोजगार में वृद्धि हुई।
8. भारत में रोजगार के प्रमुख स्रोत क्या हैं?
उत्तर:
स्व-रोज़गार: जैसे छोटे व्यापारी, कारीगर, किसान।
ठेकेदारी प्रथा: निर्माण कार्य और कारखानों में रोजगार के लिए ठेकेदारों पर निर्भरता।
अनौपचारिक श्रम: कृषि मजदूर, घरेलू श्रमिक, दिहाड़ी मजदूर।
निजी और सरकारी नौकरियाँ: संगठित क्षेत्र में सीमित लेकिन स्थायी रोजगार।
9. अनुबंधित काम (Contract Labour) क्या होता है?
उत्तर:
अनुबंधित काम वह श्रम प्रणाली है जिसमें श्रमिकों को अस्थायी रूप से काम पर रखा जाता है, लेकिन उन्हें स्थायी कर्मचारी की तरह सुरक्षा और सुविधाएँ नहीं मिलतीं।
10. भारत में महिला श्रमिकों की स्थिति क्या है?
उत्तर:
महिलाओं को समान कार्य के लिए पुरुषों की तुलना में कम वेतन मिलता है।
महिलाएँ मुख्य रूप से असंगठित क्षेत्र में काम करती हैं, जैसे घरेलू श्रम, कृषि, बीड़ी और हथकरघा उद्योग।
सेवा क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है, विशेष रूप से आईटी और हेल्थकेयर में।
कई क्षेत्रों में महिलाएँ लैंगिक भेदभाव और असुरक्षित कार्यस्थल का सामना करती हैं।
11. औद्योगीकरण से परिवार और समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
संयुक्त परिवार प्रणाली कमजोर हुई और एकल परिवार प्रणाली बढ़ी।
महिलाओं की कार्यस्थल पर भागीदारी बढ़ी।
शहरीकरण के कारण सामाजिक संबंध कमजोर हुए।
पारंपरिक कारीगरी और घरेलू उद्योगों को नुकसान पहुँचा।
12. भारत में श्रमिक संघों (Trade Unions) की भूमिका क्या है?
उत्तर:
मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करना।
वेतन और कार्य-परिस्थितियों में सुधार के लिए संघर्ष करना।
संगठित हड़तालों और विरोध प्रदर्शन के माध्यम से नियोक्ताओं पर दबाव बनाना।
कानूनी और सामाजिक सुरक्षा के लिए सरकार से मांग करना।
13. मजदूरों की हड़तालें क्यों होती हैं?
उत्तर:
बेहतर वेतन और कार्य-परिस्थितियों की माँग।
नौकरी की स्थिरता और अनुबंधित मजदूरी का विरोध।
श्रमिक अधिकारों के हनन के खिलाफ संघर्ष।
निजीकरण और विनिवेश से बेरोजगारी बढ़ने के विरोध में।
14. 1982 की बंबई टेक्सटाइल मिल हड़ताल का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:
हड़ताल दो साल चली लेकिन असफल रही।
मजदूरों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ा।
कई मजदूर गाँवों और छोटे शहरों में लौट गए।
मिल मालिकों ने मिलों को बंद कर रियल एस्टेट कारोबार में बदल दिया।
15. औद्योगीकरण के कारण किन सामाजिक असमानताओं को बढ़ावा मिला?
उत्तर:
वेतन में असमानता (उच्च जाति और निम्न जाति के बीच)।
लिंग आधारित असमानता (महिलाओं को कम वेतन और कम अवसर)।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच आय असमानता।
संगठित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के बीच असमानता।
16. भारत में काम करने की परिस्थितियों से जुड़े कौन-कौन से कानून हैं?
उत्तर:
खदान अधिनियम, 1952: खदानों में काम करने की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
कारखाना अधिनियम, 1948: मजदूरों के कार्यघंटे, सुरक्षा और स्वास्थ्य की रक्षा करता है।
मजदूरी संहिता, 2019: न्यूनतम मजदूरी और वेतन निर्धारण को सुनिश्चित करता है।
व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य संहिता, 2020: श्रमिकों की सुरक्षा और कार्यस्थल की गुणवत्ता को नियंत्रित करता है।
17. हेनरी फोर्ड के टायलरवाद (Taylorism) का श्रमिकों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
टायलरवाद ने काम को छोटे-छोटे टुकड़ों में बाँट दिया, जिससे श्रमिकों को बार-बार एक ही काम करना पड़ता है। इससे उत्पादकता तो बढ़ी, लेकिन श्रमिकों की रचनात्मकता और संतोष घट गया।
18. औद्योगीकरण के कारण भारत में कौन-कौन से नए रोजगार उत्पन्न हुए?