अपना मालवा खाऊ-उजाडू Important Short and Long Question Class 12 Chapter-3 Book-2
0Team Eklavyaफ़रवरी 28, 2025
1. ‘अपना मालवा खाऊ-उजाड़ू सभ्यता में’ पाठ का मुख्य विषय क्या है?
उत्तर:
यह पाठ मालवा की प्राकृतिक संपन्नता, पारंपरिक जल प्रबंधन प्रणाली और आधुनिक समय में आई पर्यावरणीय क्षति की आलोचना करता है। लेखक अमेरिका और यूरोप की खाऊ-उजाड़ू सभ्यता की निंदा करते हुए पारंपरिक जल संरक्षण और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने पर बल देता है।
2. मालवा की धरती को किस उपमा से संबोधित किया गया है और इसका क्या अर्थ है?
उत्तर:
मालवा की धरती को "गहन गंभीर, डग-डग रोटी, पग-पग नीर" कहा गया है, जिसका अर्थ है कि यह क्षेत्र जल और कृषि संपन्न रहा है, जहाँ हर कदम पर पानी और अनाज की भरपूर उपलब्धता थी।
3. मालवा के शासकों ने जल संरक्षण के लिए क्या उपाय किए थे?
उत्तर:
विक्रमादित्य, भोज और मुंज जैसे शासकों ने जलाशयों, तालाबों और बावड़ियों का निर्माण करवाया था।
जल प्रबंधन की ऐसी पारंपरिक प्रणालियाँ बनाई गईं, जिससे जल संग्रहण और भूजल पुनर्भरण होता रहे।
इन प्रयासों से मालवा सूखे के समय भी जल संपन्न बना रहता था।
4. आधुनिक विकास ने मालवा की जल संपदा को कैसे प्रभावित किया?
उत्तर:
1. तालाबों को गाद से भरने दिया गया, जिससे वे बेकार हो गए।
2. भूजल का अत्यधिक दोहन किया गया, जिससे भूमिगत जल स्तर गिर गया।
3. नर्मदा, शिप्रा, चंबल और गंभीर जैसी नदियाँ अब गंदे पानी के नाले बन चुकी हैं।
4. औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण जलवायु असंतुलित हो गया, जिससे बारिश का पैटर्न भी बदल गया।
5. मालवा में जलवायु संकट क्यों उत्पन्न हुआ है?
उत्तर:
ग्लोबल वार्मिंग और औद्योगिक प्रदूषण के कारण जलवायु संतुलन बिगड़ गया है।
कार्बन डाइऑक्साइड और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन से धरती का तापमान बढ़ गया है।
पारंपरिक जल संरक्षण प्रणालियाँ नष्ट होने से जल संकट गहरा गया है।
अमेरिका और यूरोप की खाऊ-उजाड़ू जीवनशैली ने पर्यावरण को लगातार नुकसान पहुँचाया है।
6. नदियाँ और सभ्यता का क्या संबंध बताया गया है?
उत्तर:
नदियाँ मानव सभ्यता की जननी रही हैं और इनसे ही प्राचीन नगर और संस्कृति विकसित हुए हैं।
लेकिन आज की औद्योगिक सभ्यता ने नदियों को गंदे नालों में बदल दिया है।
तालाबों का गाद से भर जाना और पानी का अत्यधिक दोहन नदियों की प्राकृतिक धारा को समाप्त कर रहा है।
जल स्रोतों के नष्ट होने से सभ्यता का पारंपरिक स्वरूप भी संकट में पड़ गया है।
7. लेखक अमेरिका की "खाऊ-उजाड़ू" सभ्यता की आलोचना क्यों करता है?
उत्तर:
अमेरिका और यूरोप की जीवनशैली में अत्यधिक संसाधनों का उपभोग किया जाता है।
वहाँ की सभ्यता पर्यावरण संतुलन की परवाह किए बिना धरती का दोहन करती है।
उनका औद्योगिकीकरण ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ाकर जलवायु को अस्थिर कर रहा है।
उनकी इस प्रवृत्ति से दुनिया के अन्य क्षेत्रों, जैसे मालवा, पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
8. लेखक का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर:
पारंपरिक जल संरक्षण प्रणालियों को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए।
जल, धरती और पर्यावरण का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
हमें पारंपरिक धरोहरों को संरक्षित करना चाहिए और आधुनिक विकास को पर्यावरण के अनुकूल बनाना चाहिए।
यदि हमने खाऊ-उजाड़ू सभ्यता का अनुकरण किया, तो हमारी प्राकृतिक संपदा नष्ट हो जाएगी।
9. इस पाठ में नदियों और तालाबों की क्या दुर्दशा बताई गई है?
उत्तर:
नर्मदा, शिप्रा, चंबल और गंभीर नदियाँ अब गंदे पानी के नाले बन गई हैं।
तालाबों को गाद से भरने दिया गया, जिससे उनका जल संग्रहण समाप्त हो गया।
भूजल का अत्यधिक दोहन किया गया, जिससे पानी का स्तर तेजी से गिर गया।
आधुनिक विकास ने पारंपरिक जल प्रबंधन प्रणालियों को पूरी तरह नष्ट कर दिया।
10. इस पाठ का निष्कर्ष क्या है?
उत्तर:
यह पाठ मालवा की पारंपरिक समृद्धि और आज की जलवायु समस्या के बीच के अंतर को स्पष्ट करता है। लेखक पारंपरिक जल संरक्षण की महत्ता को रेखांकित करते हुए पर्यावरण और सांस्कृतिक धरोहर को बचाने की आवश्यकता पर बल देता है।