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खेलों में प्रशिक्षण Notes in Hindi Class 12 Physical Education Chapter-10 Training in Sports khelon mein prashikshan

खेलों में प्रशिक्षण Notes in Hindi Class 12 Physical Education Chapter-10 Training in Sports khelon mein prashikshan


खेलों में प्रतिभा की पहचान 

खेलों में प्रतिभा की पहचान का तात्पर्य उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा कम आयु के खिलाड़ियों में से ऐसे प्रतिभावान खिलाड़ियों की खोज की जाती हैं जिनकी भविष्य में किसी विशिष्ट खेल में अच्छा और सफल खिलाड़ी बनने की अधिक संभावना एवं क्षमता होती हैं।


खेलों में प्रतिभा की पहचान का महत्व और लाभ 

  • भविष्य के संभावित बेहतरीन खिलाड़ियों की खोज।
  • छिपी प्रतिभा की पहचान ।
  • प्रारंभिक अवस्था में ही प्रतिभावन खिलाड़ी को पहचाने से उसकी प्रतिभा को और अधिक निखारा जा सकता हैं।
  • कम आयु के प्रतिभावन खिलाड़ियों की खोज देश के लिए एक बड़ी संपत्ति खोजने के समान हैं।

सही समय पर युवा प्रतिभावन खिलाड़ियों की खोज के कारण खिलाड़ी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए स्वयं को तैयार करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता हैं। 

जिसके चलते उसके पदक (medal) जीतने की संभावना बढ़ जाती है।

समय रहते प्रतिभावान खिलाडियों को खोजने से उन्हें उनकी प्रतिभा के अनुरूप ऐसे खेलों में ढालने में ज्यादा आसानी होती है जहाँ उनकी सफलता की संभावना अधिक होती हैं।


खेलों में प्रतिभा पहचान के मापदंड 

  • शारीरिक संरचना - युवा खिलाड़ी की शारीरिक आकृति किस खेल के लिए सबसे उपयुक्त हैं। 
  • मनोवैज्ञानिक धारणा - युवा खिलाड़ी की किस खेल के प्रति अधिक रुचि हैं।
  • तकनीकी  समझ - युवा खिलाड़ी खेल संबंधी तकनीकों को कितना समझ सकता हैं। 
  • परिणाम - प्रतिभावन खिलाड़ियों की खोज के लिए जो मापदंड निर्धारित किए गए हैं उनके परिणाम क्या हैं। 


खेल प्रशिक्षण चक्र 

"खेल प्रशिक्षण चक्र का अर्थ विभिन्न अवधि के प्रशिक्षण व्यवस्थाओं के संयोजन से है जो एक एथलीट  खिलाड़ी को प्रतियोगिता के दौरान बेहतर प्रदर्शन प्राप्त करने में मदद करता है।"

खेल प्रशिक्षण चक्र 

1) माइक्रो साइकिल -

2) मेसो  साइकिल -

3) मैक्रो  साइकिल -

माइक्रो साइकिल -

  • माइक्रो का अर्थ है "छोटा" एक सूक्ष्म चक्र एक साप्ताहिक प्रशिक्षण कार्यक्रम है। 
  • यह 7 दिनों तक की सबसे छोटी प्रशिक्षण अवधि है। 
  • सूक्ष्म चक्र सबसे महत्वपूर्ण और कार्यात्मक उपकरण है क्योंकि इसकी संरचना (बनावट) और मात्रा प्रशिक्षण की गुणवत्ता निर्धारित करती है।

मेसो  साइकिल -

  • एक मेसो  साइकिल  2-6 सप्ताह के बीच की अवधि के प्रशिक्षण के एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है। 
  • एक मेसोसायकल को कई निरंतर हफ्तों के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है जहां प्रशिक्षण कार्यक्रम एक ही प्रकार के शारीरिक अनुकूलन पर जोर देता है, उदाहरण के लिए मांसपेशियों और अनाक्सीय क्षमता (Anaerobic Capacity) ।

मैक्रो  साइकिल -

  • मैक्रो का अर्थ है “बड़ा" चक्र यह वार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम है। 
  • इसके तीन चरण है तैयारी ,  प्रतिस्पर्धा , ज्ञान स्थानांतरण 


शक्ति क्या है - 

शक्ति मनुष्य की वह योग्यता है जो किसी प्रतिरोध के विरुद्ध कार्य करने में सहायता  करती है 

शक्ति के प्रकार 

1. गतिशील शक्ति

  • अधिकतम शक्ति
  • विस्फोटक शक्ति
  • शक्ति सहनक्षमता 

2. स्थिर  शक्ति

1. गतिशील शक्ति

  • अधिकतम शक्तिः- अधिकतम अवरोध के विरुद्ध कार्य करने की योग्यता। 
  • विस्फोटक शक्तिः- अवरोध के विरुद्ध तेजी से कार्य करने की योग्यता। 
  • शक्ति सहनशीलताः- अवरोद्व के विरुद्ध थकावट की स्थिति में कार्य करने की योग्यता


शक्ति को विकसित करने की विधियाँ 

1. आइसोमेट्रिक व्यायाम   

2. आइसोटोनिक व्यायाम   

3. आइसोकाइनेटिक व्यायाम   

आइसोमेट्रिक व्यायाम -   

यह ऐसा व्यायाम है जिसमें मांसपेशियों को सक्रिय किया जाता है लेकिन मांसपेशियों की लंबाई या जोड़ों की स्थिति में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं होता। 

इसमें मांसपेशियों को एक निश्चित स्थिति में तनाव में रखा जाता है। यह व्यायाम ताकत और सहनशक्ति को बढ़ाने के लिए उपयोगी है और अक्सर चोटों के बाद पुनर्वास के लिए किया जाता है।

आइसोमेट्रिक व्यायाम के उदाहरण -   

  • तीरंदाजी

आइसोटोनिक व्यायाम -   

ऐसे व्यायाम , जिनमें मांसपेशियों की लंबाई बदलती है और शरीर के जोड़ों में गति होती है, लेकिन मांसपेशियों पर तनाव (tension) समान रहता है। इन व्यायामों में मांसपेशियां सिकुड़ती हैं और आराम करती हैं, जिससे शरीर की ताकत और सहनशक्ति बढ़ती है।

आइसोटोनिक व्यायाम के उदाहरण -   

1. दौड़ना

2. गेंद फेकना  

आइसोकाइनेटिक व्यायाम -   

  • ऐसे व्यायाम , जिनमें मांसपेशियों की गति (movement) एक समान गति (speed) पर होती है, चाहे मांसपेशियों पर लगने वाला भार कितना भी हो। 
  • इसमें विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है, जो मांसपेशियों की गति को नियंत्रित करते हैं और एक समान प्रतिरोध प्रदान करते हैं।

आइसोकाइनेटिक व्यायाम के उदाहरण -   

  • स्टेशनरी एक्सरसाइज बाइक
  • लंज वर्कआउट
  • लेग प्रेस मशीन


गति  क्या है  

गति  मनुष्य की वह योग्यता है जिससे किसी कार्य करने में सहायता  को जल्द से जल्द करने में मदद मिलती है 

गति  के प्रकार -

1. प्रतिक्रिया गति योग्यताः- 

  • किसी संकेत के विरुद्ध जल्द- जल्द कार्य करने की योग्यता

2. त्वरण गति योग्यताः- 

  • अपने अधिकतम गति की स्थिति जल्द से जल्द को प्राप्त करने की योग्यता।

3. लोकोमोटर गतियोग्यताः- 

  • अधिकतम गति की स्थिति को लंबे समय तक बनाये रखने की योग्यता।

4. मूवमेंट गति योग्यताः-

  • किसी एक क्रिया को जल्द से जल्द करने की योग्यता

5. गति सहनशीलताः- 

  • थकावट की स्थिति में किसी क्रिया को जल्द से जल्द करने की योग्यता ।

गति  को बढाने की विधियाँ 

1. त्वरण दौड़ प्रशिक्षण विधि 

2. पेस दौड़ प्रशिक्षण विधि 

1. त्वरण दौड़ प्रशिक्षण विधि - 

ऐसी प्रशिक्षण तकनीक है जो धावकों की गति को बढ़ाने और उनकी प्रारंभिक त्वरण (acceleration) क्षमता को सुधारने के लिए उपयोग की जाती है। यह विधि गति के प्रारंभिक चरण पर ध्यान केंद्रित करती है, जो किसी भी दौड़ या खेल में प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।

2. पेस दौड़ प्रशिक्षण विधि 

ऐसी प्रशिक्षण तकनीक है जिसमें धावक को एक निश्चित गति (pace) पर दौड़ने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य सहनशक्ति, गति और धीरज को बढ़ाना है। इस विधि का उपयोग लंबी और मध्यम दूरी के धावकों द्वारा किया जाता है।

सहनक्षमता क्या है - 

सहनक्षमता मनुष्य की वह योग्यता है जिससे किसी कार्य को लम्बे समय तक निरंतर करने में मदद मिलती है

सहनक्षमता के प्रकार - 

1. क्रिया की प्रकृति के अनुरूप 

  • मूलभूत सहनक्षमता 
  • सामान्य सहनक्षमता 
  • विशिष्ट सहनक्षमता 

2. क्रिया के समय के अनुसार 

  • गति सहनक्षमता 
  • अल्पावधि सहनक्षमता 
  • माध्यम अवधि के लिए सहनक्षमता 
  • लम्बी अवधि के लिए सहनक्षमता 

1. आधारभूत / मूलभूत सहन क्षमता (Basic Endurance) - व्यक्ति की वह योग्यता है जिसमें बहुत सारी शारीरिक मांसपेशियों के द्वारा धीमी गति से लम्बे समय तक हलचल कर सकता है जैसे कि दौडना, चलना, तैरना इत्यादि ।

2. सामान्य सहन क्षमता (General Endurance) वह योग्यता है जिसमें व्यक्ति थकान की स्थिति में भी हलचल को करता रहे। जैसे, एरोबिक गतिविधियाँ 

3. विशिष्ट सहन क्षमता (Specific Endurance) वह योग्यता, विशिष्ट खेलों में अलग-अलग रूप में उपयोग किया जाता है उदाहरण - मुक्केबाजी और कुश्ती अलग-अलग प्रकार के विशिष्ट दमखम की आवश्यकता होती है।


क्रिया के समय के आधार पर सहनक्षमता

1. गति सहन क्षमता (Speed Endurance) - यह वह योग्यता है जिसमे व्यक्ति थकान के बावजूद किसी भी गति को 45 सैकिड तक तेजी से कर सकता है जैसे 100m Sprint

2. लघु अवधि सहन क्षमता (Short Term Endurance)- यह योग्यता 45 सैकिंड -2 मिनट तक चलने वाली गतिविधियाँ शामिल है जैसे, 800 मी दौड़ ।

3. मध्यम अवधि सहन क्षमता (Middle Term Endurance) - इस योग्यता में 2 मिनट से 11 मिनट तक चलने वाली गतिविधियाँ शामिल है। जैसे- 1500 मी दौड।

4. दीर्घ अवधि सहन क्षमता (Long Term Endurance)- इस योग्यता में 11 मिनट से अधिक चलने वाली गतिविधियों शामिल है जैसे 5000 मी क्रॉस कंट्री तथा मैराथन दौड़ आदि।

लचक क्या है - 

शरीर के जोड़ो के विस्तार को लचक कहते हैं 

लचक के प्रकार - 

1. सक्रिय लचक active flexbility

  • स्थिर  लचक – static Flexibility 
  • गतिशील  लचक - dynamic Flexibility 

2. अक्रिय लचक Passive flexbility

1. सक्रिय लचक – 

सक्रिय लचक का अर्थ है ऐसी स्थिति या क्षमता जिसमें व्यक्ति अपने शरीर के अंगों को बिना किसी बाहरी सहायता के स्वेच्छा से गतिशीलता (movement) के साथ खींचने, मोड़ने या फैलाने में सक्षम हो।

  • स्थिर लचक - Static Flexibility 
  • जब कोई खिलाडी लेटने, बैठने या खड़े होने की क्रियाएं करता है तब यह क्रियाएं स्थिर अवस्था में की जाती हैं उसे स्थिर लचक कहते हैं।
  • गतिशील  लचक - dynamic Flexibility 
  • इस प्रकार की लचक की आवश्यकता चलते या दौड़ते समय होती है गतिशील लचक को खिचांव वाले व्यायामों द्वारा बढ़ाया भी जा सकता है।

2. अक्रिय  लचक - 

अक्रिय लचक शरीर की वह योग्यता है जिसके द्वारा बाहरी सहायता से अधिक दूरी तक गतियां की  जा सकती है जैसे किसी सहयोगी द्वारा खिचांव वाले व्यायाम करना।



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