वस्त्र एवं परिधान के लिए डिज़ाइन Notes in Hindi Class 12 Chapter-8 Home Science Book 2
0Team Eklavyaदिसंबर 26, 2024
प्रस्तावना
डिज़ाइन एक ऐसा शब्द है जो आजकल फैशन और सजावट से जुड़ा दिखता है, लेकिन इसका मतलब इससे कहीं अधिक है। डिज़ाइन केवल सुंदरता नहीं है; यह उपयोगिता और कार्यक्षमता का मेल है। एक अच्छा डिज़ाइन वही होता है जो न केवल दिखने में आकर्षक हो, बल्कि अपने उद्देश्य को भी सही तरीके से पूरा करे। इसे सरल शब्दों में कहें तो डिज़ाइन का मतलब है चीज़ों की कल्पना करना, योजना बनाना और उन्हें ऐसे बनाना, जो लोगों की जरूरतों और अपेक्षाओं को पूरा करे।
मूलभूत संकल्पनाएँ
डिज़ाइन किसी वस्तु को बनाने के लिए बनाई गई योजना है, जो सिर्फ उपयोगी ही नहीं बल्कि देखने में भी सुंदर होनी चाहिए। इसका अध्ययन दो भागों में होता है:
संरचनात्मक डिज़ाइन वस्तु की बुनियाद या मूल रूप पर आधारित होता है, जिसमें रेशों का चुनाव, धागों की बुनाई, और कपड़े की कटाई जैसे पहलू शामिल होते हैं। वहीं, अनुप्रयुक्त डिज़ाइन मूल संरचना पर सजावट का काम करता है, जैसे कढ़ाई, छपाई, या अन्य सजावटी तकनीकों के माध्यम से कपड़े को सुंदर बनाना।
डिज़ाइन के दो मुख्य भाग
1. तत्त्व: रंग, बनावट, आकृति आदि।
2. सिद्धांत: सामंजस्य, संतुलन, अनुपात।
डिज़ाइन के तत्त्व
संरचनात्मक डिज़ाइन वस्तु की बुनियाद या मूल रूप पर आधारित होता है, जिसमें रेशों का चुनाव, धागों की बुनाई, और कपड़े की कटाई जैसे पहलू शामिल होते हैं, जबकि अनुप्रयुक्त डिज़ाइन मूल संरचना पर सजावट का काम करता है। इसमें कढ़ाई, छपाई, या अन्य सजावटी तकनीकों के माध्यम से कपड़े को सुंदर बनाने की प्रक्रिया शामिल होती है।
वस्त्र और रंग
कपड़ों में रंग अलग-अलग तरीकों से जोड़े जाते हैं। रेशे के स्तर पर रंगाई महंगी होती है, लेकिन जरूरी है। धागों की रंगाई से बुनाई में पट्टियाँ और चौकड़ी जैसे डिज़ाइन बनाए जाते हैं। वस्त्र की रंगाई से कपड़े को एकसमान रंग या बंधाई-बटिक जैसे डिज़ाइन दिए जाते हैं। इसके अलावा, सजावट के लिए कढ़ाई, छपाई, और गोटा-पट्टी का उपयोग किया जाता है। डिज़ाइनरों को इन रंगाई तकनीकों की समझ होनी चाहिए ताकि कपड़े आकर्षक और उपयुक्त बन सकें।
रंग योजनाएँ अथवा रंग सुमेल
रंग और बुनावट डिज़ाइन के सबसे जरूरी हिस्से हैं। सही रंग संयोजन और बुनावट से कपड़ों को न केवल सुंदर बनाया जा सकता है, बल्कि उनका उपयोग भी बेहतर किया जा सकता है। आइए इसे आसान तरीके से समझें।
रंग संयोजन (Colour Schemes)
रंग संयोजन यह तय करता है कि कौन-कौन से रंग मिलाने चाहिए और उनकी मात्रा कितनी होनी चाहिए। यह वर्णचक्र (Colour Wheel) की मदद से किया जाता है। रंग योजनाएँ मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं:
1. संबंधित रंग योजनाएँ
इन योजनाओं में एक रंग हमेशा सामान्य होता है। एक वर्णी सुमेल केवल एक रंग पर आधारित होता है, जिसमें उसकी तीव्रता या गहराई अलग हो सकती है। अवर्णी सुमेल सफेद, काले और धूसर रंगों का संयोजन होता है। विशिष्ट उदासीन सुमेल में एक सामान्य रंग और एक उदासीन रंग का उपयोग किया जाता है। अनुरूप सुमेल वर्णचक्र में पास-पास के दो या तीन रंगों का संयोजन होता है।
2. विषम रंग योजनाएँ
इन योजनाओं में अलग-अलग रंगों का संयोजन होता है। पूरक सुमेल में वर्णचक्र पर एक-दूसरे के ठीक सामने वाले दो रंगों का उपयोग किया जाता है। दोहरा पूरक सुमेल में दो पूरक रंगों के युगल शामिल होते हैं। विभाजित पूरक सुमेल में एक रंग, उसके पूरक और उसके पड़ोसी रंग का संयोजन होता है। त्राणात्मक सुमेल में वर्णचक्र पर समान दूरी पर स्थित तीन रंगों का उपयोग किया जाता है।
बुनावट (Texture)
बुनावट कपड़े की स्पर्श और दृश्य गुण को दर्शाती है। यह कपड़े की गुणवत्ता और उसकी सजावट का सबसे बड़ा हिस्सा है।
बुनावट के प्रकार
कैसा दिखता है: चमकीला, मंद, पारदर्शी, चिकना।
प्रकृति: लहराता हुआ, ढीला, कड़ा, खुरदरा।
छूने पर कैसा लगता है: नरम, कठोर, समतल, ऊबड़-खाबड़।
बुनावट को प्रभावित करने वाले कारक
रेशा: प्राकृतिक या मानव-निर्मित रेशे, उनकी लंबाई और गुणवत्ता।
धागा: धागे की बनावट, घुमाव, और संसाधन की विधि।
वस्त्र निर्माण तकनीक: बुनाई, गुँथाई, जाली बनाना आदि।
वस्त्र सज्जा: इस्तरी, माँड़ लगाना, परिष्करण।
पृष्ठीय सजावट: कढ़ाई, मुद्रण, मखमली डिज़ाइन।
बुनावट का उद्देश्य
कपड़ों में रुचि और आकर्षण बढ़ाना।
किसी व्यक्ति के गुणों को निखारना।
अवसर, वेशभूषा और आकार के अनुसार अनुकूल बनाना।
रेखा
रेखा और आकृति डिज़ाइन के बुनियादी तत्व हैं। इनका सही उपयोग किसी भी डिज़ाइन को सुंदर और आकर्षक बनाता है।
रेखा (Lines)
रेखा दो बिंदुओं को जोड़ने वाली एक चिह्न होती है। यह किसी आकृति या वस्तु की रूपरेखा भी बना सकती है। रेखाएँ गति, दिशा और डिज़ाइन में भाव व्यक्त करती हैं।
रेखाओं के प्रकार
सरल रेखाएँ सीधी होती हैं और अलग-अलग प्रभाव देती हैं। ऊर्ध्वाधर रेखाएँ ऊँचाई और सम्मान दर्शाती हैं, जबकि क्षैतिज रेखाएँ चौड़ाई और स्थिरता का एहसास कराती हैं। तिरछी रेखाएँ नाटकीय और सक्रिय प्रभाव देती हैं। वक्र रेखाएँ गोलाई दिखाती हैं, लहराती रेखाएँ लयबद्ध और सुंदर लगती हैं। बड़े गोल वक्र नाटकीय प्रभाव डालते हैं, जबकि छोटे वक्र युवा और चंचलता का एहसास कराते हैं।
रेखाओं का प्रभाव
सरल रेखाएँ दृढ़ता और सामर्थ्य दिखाती हैं, जबकि वक्र रेखाएँ कोमलता और नारीत्व का एहसास कराती हैं। डिज़ाइन में इस्तेमाल होने वाली रेखाएँ ही उसके भाव और शैली को तय करती हैं।
आकृति (Shapes)
रेखाओं को जोड़कर आकृतियाँ बनाई जाती हैं। ये द्विविमीय (2D) या त्रिविमीय (3D) हो सकती हैं।
आकृतियों के प्रकार
प्राकृतिक आकृतियाँ प्रकृति या वस्तुओं की नकल करती हैं, जबकि फ़ैशनेबल आकृतियाँ इन्हीं आकृतियों का सरलीकृत या संशोधित रूप होती हैं। ज्यामितीय आकृतियाँ गणितीय पैटर्न जैसे गोल और चौकोर होती हैं, और अमूर्त आकृतियाँ मुक्त-रूप होती हैं, जिनका कोई निश्चित आकार नहीं होता।
आकृतियों का उपयोग
आकृतियाँ कपड़ों की सजावट, अलंकरण और पैटर्न बनाने में उपयोग होती हैं।
पैटर्न (Patterns)
जब आकृतियाँ समूह में रखी जाती हैं, तो वे पैटर्न बनाती हैं। यह एक ही प्रकार की आकृतियों या अलग-अलग आकृतियों का संयोजन हो सकता है। पैटर्न प्राकृतिक, ज्यामितीय, रूढ़ शैली या अमूर्त हो सकते हैं।
डिज़ाइन के सिद्धांत (प्रिंसिपल्स ऑफ़ डिज़ाइन)
सफल डिज़ाइन बनाने के लिए डिज़ाइन सिद्धांतों की समझ बेहद जरूरी है। ये सिद्धांत बताते हैं कि कैसे डिज़ाइन के अलग-अलग तत्वों को सही तरीके से जोड़ा जाए। मुख्य सिद्धांत हैं: अनुपात, संतुलन, महत्त्व, आवर्तिता और सामंजस्यता।
1. अनुपात (Proportion)
अनुपात का मतलब है किसी वस्तु के एक भाग का दूसरे भाग से संतुलित संबंध। स्वर्णिम माध्य अनुपात (जैसे 3:5, 5:8, 8:13) सुंदरता बढ़ाता है। रंग का अनुपात सही रंगों का तालमेल बनाता है, बुनावट का अनुपात कपड़े की बनावट को शरीर के आकार के अनुसार संतुलित करता है, और आकृति का अनुपात डिज़ाइन के साइज़ और स्थिति को पहनने वाले के आकार से मेल कराता है। उदाहरण के लिए, ऊँची कमर वाली पोशाक गर्भवती महिलाओं के पेट को छुपाने में मदद करती है।
2. संतुलन (Balance)
संतुलन का मतलब है डिज़ाइन में सभी तत्वों का समान वितरण। औपचारिक संतुलन में शरीर के दोनों ओर समान डिज़ाइन होता है, अनौपचारिक संतुलन में डिज़ाइन थोड़ा असमान लेकिन संतुलित रहता है, और रेडियल संतुलन में डिज़ाइन केंद्र से समान दूरी पर होता है।
3. महत्त्व (Emphasis)
महत्त्व का मतलब है डिज़ाइन का वह हिस्सा जो सबसे पहले ध्यान खींचे। इसे रंग, रेखा, कढ़ाई, या विशेष डिज़ाइन से बनाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, पतली कमर वाली महिला चमकदार बेल्ट से अपनी कमर को उभार सकती है, जबकि बड़ी आकृति वाली महिलाएँ बेल्ट और डिज़ाइन से अपने आकार को छुपा सकती हैं।
4. आवर्तिता (Repetition)
आवर्तिता का मतलब है डिज़ाइन में रेखाओं, रंगों या आकृतियों का दोहराव। इसे बटन, कढ़ाई, पाइपिंग, या रंगों की धारियों से बनाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, स्कर्ट में चुन्नटें या योक पर समान डिज़ाइन।
5. सामंजस्यता (Harmony)
सामंजस्यता का मतलब है डिज़ाइन के सभी तत्वों का एक-दूसरे से मेल खाना। इसे सभी भागों की आकृति और सामग्री को समान रखकर बनाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, रेशमी कपड़ों के साथ सूती दुपट्टा सामंजस्य नहीं दिखाएगा।
जीविका के लिए तैयारी
वस्त्र और परिधान डिज़ाइन का क्षेत्र इतना व्यापक हो गया है कि इसे दो विशेषज्ञताओं के रूप में देखा जा सकता है। वस्त्र अब परिधान और घरेलू उपयोग के साथ अन्य वस्तुओं में भी उपयोग होता है, और परिधान में कपड़ों के अलावा अन्य पदार्थों का भी प्रयोग होता है। प्रत्येक उपयोग में डिज़ाइन के लिए टिकाऊपन, दिखावट, और लागत जैसी विशेष आवश्यकताएँ होती हैं। वस्त्र डिज़ाइनरों को रेशों के गुण, रंगाई की तकनीक, और संसाधन का पूरा ज्ञान होना चाहिए ताकि वे वांछित परिणाम प्राप्त कर सकें। वे डिज़ाइन के सिद्धांतों को भी समझते हैं। इस क्षेत्र में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, और डिग्री पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं, जिनका चयन आपकी रुचि और आवश्यकताओं पर निर्भर करता है।
कार्यक्षेत्र
डिज़ाइन उद्योग एक रचनात्मक और सक्रिय क्षेत्र है जो हमारे जीवन के कई हिस्सों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वस्त्र डिज़ाइन में काम करने के लिए बदलती प्रवृत्तियों और शैलियों की समझ और नए, आधुनिक डिज़ाइन बनाने की योग्यता जरूरी है। फैशन और परिधान डिज़ाइनों में तेजी से बदलाव होता है, जबकि सजावट की सामग्री के डिज़ाइन अपेक्षाकृत स्थिर होते हैं। वस्त्र डिज़ाइनर उद्योग में अनुसंधान करते हैं और वस्त्र-निर्माता कंपनियों, फैशन प्रतिष्ठानों, डिज़ाइन एजेंसियों, या स्वतंत्र रूप से काम करते हुए डिज़ाइन तैयार करते हैं।