फ़ैशन डिज़ाइन और व्यापार Notes in Hindi Class 12 Chapter-9 Home Science Book 2
0Team Eklavyaदिसंबर 26, 2024
प्रस्तावना
फैशन डिज़ाइन और व्यापार आज के समय में सबसे आकर्षक करियर विकल्पों में से एक हैं। भारत जैसे देश, जहां वस्त्र निर्माण का पुराना इतिहास है, में हाल के वर्षों में फैशन डिज़ाइन के क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ है। फैशन उद्योग न केवल लोगों की रचनात्मकता को प्रोत्साहित करता है, बल्कि उनकी ज़रूरतों को भी पूरा करता है। फैशन व्यापार की शुरुआत वस्त्रों के साधारण विनिमय से हुई, लेकिन 1920 में 'पहनने के लिए तैयार' कपड़ों के आने के बाद यह एक बड़ा व्यवसाय बन गया। धीरे-धीरे, फैशन परिधान बड़े पैमाने पर दुकानों का अहम हिस्सा बन गए, और इसके आर्थिक अवसरों ने फैशन व्यापार को एक खास पेशे के रूप में स्थापित किया।
महत्त्व
फैशन डिज़ाइन और व्यापार से आप समझ सकते हैं कि फैशन व्यवसाय कैसे काम करता है। इसमें कच्चे माल, परिधान और सहायक सामग्री के उत्पादन से लेकर दुकानों तक, जो जनता को फैशन के उत्पाद बेचती हैं, सभी प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं। यह व्यवसाय कपड़े और रेशों के निर्माण के साथ-साथ यह भी सिखाता है कि कोई शैली कब और क्यों फैशन बनती है। फैशन व्यापार नियोजन, क्रय, और विक्रय में मदद करता है और खुदरा विक्रय व उसकी समय-सीमा के लिए उपयुक्तता तय करता है।
मूलभूत संकल्पनाएँ
फैशन आज एक बड़ा व्यवसाय है, जो डिज़ाइन, निर्माण, वितरण, विपणन, विक्रय, विज्ञापन, और परामर्श जैसे क्षेत्रों में लाखों लोगों को रोजगार देता है। इसे समझने के लिए फैशन की प्रकृति, उसके काम करने के तरीके, और फैशन को प्रभावित करने वाले कारकों के संबंधों को समझना जरूरी है।
फ़ैशन संबंधी शब्दावली
फैशन एक जटिल विषय है, जिसे समझने के लिए कई शब्दों और संकल्पनाओं को जानना जरूरी है। फैशन वह शैली है जो किसी समय में सबसे ज्यादा प्रचलित होती है। शैली परिधान या सहायक सामग्री की विशेष दिखावट होती है, जो समय के साथ बदलती है, लेकिन कुछ विशिष्ट शैलियाँ हमेशा बनी रहती हैं। अस्थायी फैशन (फ़ैड्स) कम समय के लिए होते हैं, जैसे हॉट पैंट्स और बैगी पैंट्स, जो लंबे समय तक आकर्षण नहीं बना पाते। चिरसम्मत (क्लासिक) शैली, जैसे ब्लेज़र जैकेट, पोलो शर्ट्स, और चैनल सूट, कभी पूरी तरह अप्रचलित नहीं होती और लंबे समय तक स्वीकार्य रहती है।
फैशन का विकास
फैशन उद्योग की कार्यशैली समझने के लिए उसके मूल सिद्धांत और इतिहास को जानना जरूरी है। फैशन का इतिहास डिजाइनरों को वर्तमान और भविष्य के फैशन से जुड़े निर्णय लेने में मदद करता है, क्योंकि पुराने विचारों को अक्सर नए फैशन में शामिल किया जाता है। फैशन एक अपेक्षाकृत नया विषय है। प्राचीन और मध्यकाल में शैलियाँ शताब्दियों तक नहीं बदलती थीं, लेकिन नवजागरण काल में पश्चिमी सभ्यता ने विभिन्न संस्कृतियों, रीति-रिवाजों, और पोशाकों की खोज से फैशन परिवर्तन को तेज़ी दी। नए कपड़ों और विचारों की उपलब्धता ने लोगों को नई चीजों के लिए उत्सुक बना दिया।
फैशन का केंद्र- फ्रांस
फ्रांस ने 18वीं शताब्दी की शुरुआत में अंतर्राष्ट्रीय फैशन पर अपना प्रभाव जमाना शुरू किया। इस समय केवल अमीर वर्ग ही फैशन के कपड़े खरीद सकते थे। राजा लुईस चौदहवें के दरबार ने पेरिस को यूरोप की फैशन राजधानी बना दिया। रेशमी वस्त्र, रिबन, और लेस फ्रांस के विभिन्न शहरों से तैयार होकर पेरिस आते थे।
मुख्य घटनाएँ और विकास
18वीं शताब्दी में कपड़े हाथ से बनाए जाते थे और नाप के अनुसार सिलाई होती थी। शाही न्यायालय ने रेशम उद्योग को बढ़ावा दिया, जिससे फ्रांस फैशन का केंद्र बना। इसे 'कूटुअर' कहा गया, और डिज़ाइनर पुरुष "कूटुरियर" व महिला "कूरियरे" कहलाती थीं। औद्योगिक क्रांति में कातने वाले यंत्र और करघों ने कपड़े तेजी से बनाने में मदद की। 1859 में इसाक सिंगर ने सिलाई मशीन बनाई, जिससे फैशन सबके लिए सुलभ हो गया। 1849 में लेवी स्ट्रॉस ने मज़बूत 'डेनिम' पैंट बनाई, जो मजदूरों के लिए थी और आज भी लोकप्रिय है। 1880 के दशक में महिलाओं ने स्कर्ट और ब्लाउज़ पहनना शुरू किया, जिन्हें माप के अनुसार बदला जा सकता था। 19वीं शताब्दी में सस्ते कपड़े मेलों और बाज़ारों में मिलने लगे, और बड़े शहरों में खुदरा दुकानों ने फैशन को हर वर्ग के लिए उपलब्ध बना दिया।
फैशन का विकास
फ़ैशन चक्र उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें फ़ैशन बदलता है और प्रवेश से लेकर अप्रचलन तक पाँच चरणों से गुजरता है। पहला चरण है शैली की प्रस्तुति, जब डिज़ाइनर नए विचारों को परिधान में ढालकर जनता को पेश करते हैं। दूसरा चरण है लोकप्रियता में वृद्धि, जब नया फ़ैशन लोगों द्वारा अपनाया जाने लगता है। तीसरे चरण में लोकप्रियता की पराकाष्ठा पर फ़ैशन सबसे ज्यादा मांग में होता है, और निर्माता उसकी नकल या सस्ते रूपांतरण बनाने लगते हैं। चौथे चरण में लोकप्रियता में कमी आती है, जब लोग उस शैली से ऊबकर कुछ नया खोजने लगते हैं, और इसे कम कीमत पर बेच दिया जाता है। अंतिम चरण में शैली का परित्याग होता है, जब उपभोक्ता नई शैली अपनाते हैं और एक नया फ़ैशन चक्र शुरू हो जाता है।
फ़ैशन व्यापार
फैशन व्यापार का मतलब है सही समय, सही जगह और सही कीमत पर फैशन उत्पादों की योजना और बिक्री करना। यदि सभी बातों की सही योजना बनाई जाए, तो लाभ को अधिकतम किया जा सकता है।
फैशन व्यापार में मुख्य घटक
1. विनिर्माण (Manufacturing)
फैशन व्यापारी डिज़ाइनर की कल्पना को हकीकत में बदलने में मदद करता है। वह कपड़ों का चुनाव, उत्पादन प्रक्रिया, और लागत पर ध्यान देता है और ग्राहकों की जरूरतों और लक्षित बाजार के हिसाब से डिज़ाइन तैयार करता है।
2. क्रय (Buying)
फैशन व्यापारी दुकानों के लिए फैशन उत्पाद खरीदता है और बाजार की प्रवृत्तियों व फैशन के भविष्य का अनुमान लगाता है। वह डिज़ाइनर और बाजार के बीच कड़ी के रूप में काम करता है।
3. संवर्धन (Promotion)
डिज़ाइनर के कपड़ों को बाजार में लाने के लिए संवर्धन जरूरी है। फैशन शो और प्रचार माध्यमों से उत्पाद को लोकप्रिय बनाया जाता है और बच्चों के कपड़ों की दुकान या विभागीय दुकानों जैसे लक्षित बाजारों की पहचान की जाती है।
4. विक्रय (Sales)
फैशन व्यापारी उत्पाद की बिक्री में मदद करता है। वह सुनिश्चित करता है कि दुकानें उत्पादों को सही तरीके से प्रदर्शित करें और ग्राहक की जरूरतों व प्रवृत्तियों के अनुसार उत्पादन की सिफारिश करता है।
फैशन व्यापार के तीन स्तर
खुदरा संगठन (Retail Organization)
यह ग्राहक तक उत्पाद पहुंचाने का काम करता है और सुनिश्चित करता है कि सही मूल्य पर पर्याप्त माल उपलब्ध हो।
क्रय एजेंसी (Buying Agency)
ये एजेंसियां उत्पाद खरीदने में मदद करती हैं, विक्रेताओं की पहचान करती हैं, मोलभाव करती हैं, गुणवत्ता जांचती हैं, और समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करती हैं।
निर्यात उद्यम (Export Enterprise)
क्रय एजेंट: खरीदार और उत्पादक के बीच मध्यस्थ का काम करते हैं।
उत्पादक व्यापारी: उत्पाद को समय पर और खरीदार की जरूरतों के अनुसार तैयार करते हैं।
फैशन व्यापार की अन्य आवश्यकताएँ
लक्षित बाजार (Target Market)
उपभोक्ताओं की उस श्रेणी पर ध्यान केंद्रित करना जो आपके उत्पाद खरीद सकते हैं। बाजार विभाजन के जरिए बड़े बाजार को छोटे समूहों में बांटकर उनकी आवश्यकताओं पर ध्यान दिया जाता है।
उपभोक्ता मांग (Consumer Demand)
उपभोक्ता की खरीदारी की प्रेरणाओं को समझकर उसी के अनुसार उत्पाद तैयार किया जाता है।
फैशन के खुदरा संगठन
संगठनात्मक ढाँचा प्राधिकरण और कार्यों की जिम्मेदारियों को स्पष्ट करता है और व्यापार के प्रकार, स्टोर के आकार, और ग्राहकों के अनुसार बदलता है। छोटे एकल-इकाई स्टोर परिवार द्वारा चलाए जाने वाले पड़ोस की दुकानें होती हैं। विभागीय स्टोर अलग-अलग विभागों में बंटे होते हैं, जैसे कपड़े, खेल का सामान, स्वास्थ्य उत्पाद, और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, और कुछ खाद्य उत्पाद भी बेचते हैं। स्टोर श्रृंखलाएँ एक ही ब्रांड और केंद्रीय प्रबंधन के तहत मानकीकृत पद्धतियों के साथ काम करती हैं।
प्रमुख विभाग
1. व्यापारिक प्रभाग - क्रय, व्यापारिक नियोजन और नियंत्रण, विक्रय, फैशन समन्वय
2. विक्रय और संवर्धन प्रभाग - विशेष घटनाएँ, प्रचार और जनसंपर्क विज्ञापन, दृश्य व्यापार
3. वित्त और नियंत्रण प्रभाग - जमा, खातादेय और सामान- सूची नियंत्रण
4. प्रचालन प्रभाग - सुविधाओं, भंडार / दुकानों और व्यापार सामग्री के सुरक्षा की देखभाल
5. कार्मिक और शाखा स्टोर प्रभाग - यदि स्टोर प्रचालन बहुत बड़े हैं तो यह प्रभाग अलग से कार्य कर सकता है।
जीविका (करिअर) के लिए तैयारी
फैशन उद्योग में सफलता सिर्फ रचनात्मकता पर निर्भर नहीं करती, बल्कि इसमें व्यापारिक समझ और सही कौशल का होना भी बेहद जरूरी है। डिज़ाइनर, व्यापारी, और बाज़ार चलाने वालों के लिए तीन प्रमुख कौशल आवश्यक हैं।
जरूरी कौशल
पूर्वानुमान योग्यता फैशन प्रवृत्तियों को पहचानने और उनका सही पूर्वानुमान लगाने की क्षमता है, जिसमें विगत और वर्तमान ट्रेंड्स की समझ और उनके भविष्य के प्रभाव का आकलन शामिल है। यह समय से पहले ट्रेंड्स का उपयोग कर लाभ कमाने में मदद करती है। विश्लेषणात्मक योग्यता बाजार और उपभोक्ता की जरूरतों को समझने, अर्थव्यवस्था और बजट के अनुसार शैलियों का चयन करने, और कंपनी के लिए अधिकतम लाभ सुनिश्चित करने की क्षमता है। संप्रेषण योग्यता में उत्पादकों और उपभोक्ताओं के साथ प्रभावी बातचीत, विज्ञापन, प्रेस विज्ञप्ति, और उपभोक्ताओं से संपर्क के लिए उत्कृष्ट संवाद कौशल शामिल हैं।
फैशन शिक्षा के विकल्प
फैशन उद्योग में प्रवेश के लिए प्रमाण-पत्र, डिप्लोमा, और डिग्री जैसे कई पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। प्रमाण-पत्र/डिप्लोमा (6 महीने से 1 साल) छोटे पाठ्यक्रम हैं, जो फैशन व्यापार पर केंद्रित होते हैं और जल्दी करियर शुरू करने के लिए उपयुक्त हैं। स्नातक उपाधियाँ (2 साल) फैशन और व्यापार का गहन ज्ञान देती हैं। स्नातक डिग्री (4 साल) फैशन, व्यापार, और व्यापक शिक्षा का संतुलित संयोजन है, जो लंबे समय तक पढ़ाई करने और बेहतर करियर अवसर चाहने वालों के लिए उपयुक्त है।
कार्यक्षत्र
फैशन उद्योग में करियर बनाना न केवल आकर्षक है, बल्कि इसमें आय के बेहतरीन अवसर भी मिलते हैं। यह उद्योग उन लोगों के लिए आदर्श है, जिनमें रचनात्मकता और कलात्मकता का स्वाभाविक गुण होता है। फैशन उद्योग में करियर की संभावनाएँ विविध हैं, और आप अपनी रुचि के अनुसार किसी एक क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं।
फैशन उद्योग में करियर विकल्प
विज़ुअल मर्चेंडाइज डिज़ाइनर दुकानों में कपड़ों की व्यवस्था, शोकेस सजाने, पुतलों को आकर्षक बनाने, और विज्ञापन सामग्री को क्रिएटिव बनाने का काम करता है। फैशन डिज़ाइनर कपड़ों और परिधानों की रचना करता है, कुछ बड़े ब्रांड्स के लिए और कुछ अपने ब्रांड के तहत काम करते हैं। सेट डिज़ाइनर फिल्म, टीवी, थिएटर, प्रदर्शनी, और संग्रहालयों के लिए सेट तैयार करता है। आंतरिक डिज़ाइनर घर, दफ़्तर, होटल और अस्पतालों के लिए इंटीरियर डिजाइन करता है, जिससे जगह सुंदर, सुरक्षित और उपयोगी बनती है।
फैशन उद्योग में सफलता के लिए जरूरी बातें
रचनात्मकता नए और अनोखे डिज़ाइन तैयार करने की क्षमता है। प्रवृत्ति की समझ फैशन ट्रेंड्स को पहचानने और बदलते बाजार के अनुसार खुद को अपडेट रखने में मदद करती है। विशेषज्ञता किसी विशेष क्षेत्र, जैसे परिधान डिज़ाइन, आंतरिक डिज़ाइन, या सेट डिज़ाइन में महारत हासिल करना है।