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खाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा Notes in Hindi Class 12 Home Science Chapter-5 Book-1

खाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा Notes in Hindi Class 12 Home Science Chapter-5 Book-1


प्रस्तावना

भोजन हमारे स्वास्थ्य, पोषण और काम करने की क्षमता का मुख्य आधार है। इसलिए, जो भोजन हम खाते हैं, वह पौष्टिक और सुरक्षित होना चाहिए। असुरक्षित भोजन से कई बीमारियाँ हो सकती हैं। अखबारों में आपने मिलावटी और दूषित खाने से होने वाली समस्याओं के बारे में पढ़ा होगा। दुनिया भर में यह एक बड़ी समस्या है। जैसे, 2005 में दस्त जैसी बीमारियों से 18 लाख लोगों की मृत्यु हुई। भारत में, 2015-16 के सर्वेक्षण के अनुसार, हर साल 5 साल से कम उम्र के बच्चों में 9 लाख से अधिक दस्त के मामले सामने आते हैं। ऐसी बीमारियाँ न केवल जानलेवा होती हैं, बल्कि व्यापार, पर्यटन, रोजगार और अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर डालती हैं। इस वजह से, दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।


महत्त्व

खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हैं, खासकर बड़े पैमाने पर खाद्य उत्पादन और संसाधन के समय। पहले, ज्यादातर खाद्य पदार्थ घर पर ही बनाए और संसाधित किए जाते थे, इसलिए उनकी शुद्धता पर ज़्यादा ध्यान नहीं देना पड़ता था। लेकिन आज, तकनीक और बढ़ती मांग के कारण खाद्य उत्पाद बड़े पैमाने पर बन रहे हैं, जैसे - पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड। इनकी सुरक्षा का आकलन करना ज़रूरी हो गया है।

घरेलू खाद्य पदार्थ बनाम प्रोसेस्ड फूड

पहले मसाले और तिलहन घरों में संसाधित होते थे। अब बाजार में पिसे हुए मसाले, पैकेज्ड मसाले और उनके मिश्रणों की मांग बढ़ गई है। इनकी शुद्धता और सुरक्षा पर ध्यान देना जरूरी है क्योंकि ये जन स्वास्थ्य से जुड़े हैं।

बाहर खाने की आदतें और जोखिम

तेजी से बदलती जीवनशैली के कारण लोग अब बाहर खाना ज़्यादा पसंद करने लगे हैं। व्यावसायिक तौर पर बनाए गए खाद्य पदार्थों को कई घंटे पहले तैयार किया जाता है, और सही ढंग से भंडारण न होने पर वे खराब हो सकते हैं। यह खाद्य जनित बीमारियों को बढ़ावा देता है।

खाद्य जनित बीमारियाँ और वैश्विक चुनौतियाँ

आज कई नए खाद्य जनित रोगाणु सामने आ रहे हैं। इनमें से आधे पिछले 25-30 वर्षों में खोजे गए हैं। इन रोगाणुओं पर कड़ी निगरानी और उनकी पहचान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास जरूरी है।

भारत में खाद्य सुरक्षा की जरूरत

भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) के साथ समझौते किए हैं, जिससे वैश्विक बाजार में प्रवेश बढ़ा है। इस कारण, खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता बनाए रखना और आयातित खाद्य पदार्थों को जांचना बेहद जरूरी हो गया है। इसके लिए प्रभावी मानकों और नियंत्रण प्रणालियों की आवश्यकता है।

कृषि उत्पादों का संदूषण

मिट्टी, जल, और वायुमंडल के प्रदूषण तथा कीटनाशकों के उपयोग से खाद्य उत्पादों में हानिकारक तत्व आ सकते हैं। साथ ही, पैकेज्ड खाद्य पदार्थों में परिरक्षक, रंग और सुगंध जैसे रसायन मिलाए जाते हैं। इनका विश्लेषण करना जरूरी है ताकि खाद्य पदार्थ सुरक्षित और पोषक हों।


मूलभूत संकल्पनाएँ

खाद्य सुरक्षा

खाद्य सुरक्षा का मतलब है कि जो भोजन हम खाते हैं, वह सुरक्षित और खाने के लिए उपयुक्त हो। इसे समझने के लिए हमें यह जानना जरूरी है कि भोजन से नुकसान कैसे हो सकता है। नुकसान तीन तरह के हो सकते हैं: भौतिक संकट, जैसे लकड़ी, पत्थर, बाल, या कीड़े का अंश; रासायनिक संकट, जैसे कीटनाशक, रंग, परिरक्षक, या अन्य हानिकारक पदार्थ; और जैविक संकट, जैसे सूक्ष्मजीव या बैक्टीरिया, जो संक्रमण या विषाक्तता पैदा कर सकते हैं।

खाद्य जनित रोग और उनके कारण

संक्रमण तब होता है जब बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करके बढ़ते हैं, जैसे साल्मोनेला। विषाक्तता तब होती है जब कुछ बैक्टीरिया गर्म या ठंडे वातावरण में हानिकारक विष बनाते हैं, जैसे स्टैफिलोकोकस।

खाद्य सुरक्षा के लिए चुनौतियाँ

बदलती खान-पान की आदतें और बड़े पैमाने पर उत्पादन से भोजन खराब हो सकता है, खासकर जब भंडारण में लापरवाही हो। साथ ही, नए रोगाणु लगातार सामने आ रहे हैं, जिन्हें पहचानना और नियंत्रित करना जरूरी है।

खाद्य गुणवत्ता का मतलब

खाद्य गुणवत्ता में वे विशेषताएं शामिल हैं जो उपभोक्ताओं को प्रभावित करती हैं, जैसे रंग, स्वाद, सुगंध, और बनावट जैसे सकारात्मक गुण। वहीं, सड़न, संदूषण, और अपमिश्रण जैसे नकारात्मक गुण भी ध्यान में आते हैं। सुरक्षा खाद्य गुणवत्ता का सबसे जरूरी हिस्सा है, इसलिए खाद्य मानकों का पालन करना जरूरी है।

खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय

  • कच्चे माल और पानी की गुणवत्ता पर ध्यान दें।
  • उत्पादन स्थल और उपकरणों की साफ-सफाई।
  • भोजन को उचित तापमान पर भंडारित करें।
  • खाद्य स्वास्थ्य विज्ञान का पालन करें।
  • भोजन को सही तरीके से परोसें।


खाद्य मानक

खाद्य की गुणवत्ता को सुधारने, स्वच्छ और पौष्टिक भोजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी खाद्य मानकों और नियंत्रण प्रणालियों की जरूरत होती है। खाद्य मानकों के चार स्तर होते हैं:

कंपनी मानक: ये किसी कंपनी द्वारा अपने उपयोग के लिए बनाए जाते हैं, आमतौर पर राष्ट्रीय मानकों पर आधारित होते हैं।

राष्ट्रीय मानक: इन्हें राष्ट्रीय मानक संगठन द्वारा तैयार किया जाता है।

क्षेत्रीय मानक: समान भौगोलिक या जलवायु वाले क्षेत्रों के कानूनी मानकीकरण।

अंतर्राष्ट्रीय मानक: इन्हें आईएसओ (ISO) और कोडेक्स ऐलिमेंटेरियस कमीशन (CAC) जैसे संगठनों द्वारा जारी किया जाता है।


भारत में खाद्य और मानक नियमन

स्वैच्छिक उत्पादन प्रमाणीकरण में आई.एस.आई. मार्क (बी.आई.एस. द्वारा) और ऐगमार्क शामिल हैं। बी.आई.एस. खाद्य उत्पादों समेत उपभोक्ता सामग्रियों के मानकीकरण और प्रमाणीकरण के लिए आई.एस.आई. योजना चलाता है, जबकि ऐगमार्क कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

खाद्य नियमों को सरल और एकीकृत करने के लिए सरकार ने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम (एफ.एस.एस.ए.), 2006 लागू किया। इसके तहत एफ.एस.एस.ए.आई. की स्थापना हुई, जो खाद्य निर्माण, भंडारण, वितरण, विक्रय, और आयात के लिए वैज्ञानिक और सुरक्षित मानक तय करता है। इस अधिनियम ने पुराने कानूनों की जगह लेकर आधुनिक और अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर आधारित समेकित नियम पेश किए।


खाद्य मानकों, गुणवत्ता, शोध और व्यापार से संबद्ध अंतर्राष्ट्रीय संस्थान और समझौते

खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने कई कदम उठाए हैं। भारत में 1954 में खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम (PFA) लागू किया गया, जिसे समय-समय पर संशोधित किया गया। बाद में, खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के तहत सभी नियमों को एकीकृत किया गया।

खाद्य सुरक्षा के लिए प्रमुख नियम और आदेश

फल और सब्जी उत्पाद आदेश फलों और सब्जियों की गुणवत्ता के लिए मानक तय करता है। मांस खाद्य उत्पाद आदेश मांस के प्रसंस्करण के लिए लाइसेंस प्रदान करता है। वनस्पति तेल उत्पाद आदेश वनस्पति तेल और मार्जरीन के लिए मानक निर्धारित करता है।

अंतर्राष्ट्रीय संगठन और उनकी भूमिका

कोडेक्स ऐलिमेन्टैरियस कमीशन (CAC) उपभोक्ताओं की सुरक्षा और खाद्य व्यापार को आसान बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक बनाता है। भारत, स्वास्थ्य मंत्रालय के माध्यम से, इसका सदस्य है। अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) एक गैर-सरकारी संगठन है जो अंतरराष्ट्रीय मानक तैयार करता है, जिसमें ISO 9000 गुणवत्ता प्रबंधन के लिए प्रमुख है। ये मानक स्वैच्छिक होते हैं, लेकिन व्यापार और गुणवत्ता सुनिश्चित करने में सहायक हैं। विश्व व्यापार संगठन (WTO), 1995 में स्थापित, व्यापार समझौतों को लागू करने, विवाद सुलझाने और खाद्य सुरक्षा के सख्त मानकों को बढ़ावा देने का काम करता है।

खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय

खाद्य निरीक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि खाद्य पदार्थों का उत्पादन, भंडारण, और वितरण तय मानकों के अनुसार हो। इसके लिए सरकार द्वारा नियुक्त खाद्य निरीक्षक नियमित जांच करते हैं। विश्लेषणात्मक क्षमता के तहत खाद्य परीक्षण के लिए मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं की आवश्यकता होती है, जहाँ प्रशिक्षित स्टाफ और आधुनिक उपकरणों का उपयोग करके रासायनिक, जैविक, और भौतिक विश्लेषण किया जाता है।

खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणालियाँ

आज खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता केवल रोगाणुओं और रासायनिक खतरों तक सीमित नहीं है। यह पूरी आहार श्रृंखला को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर जोर देती है। खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए तीन प्रमुख पद्धतियाँ अपनाई जाती हैं:

1. उत्तम निर्माण पद्धतियाँ (GMP)

GMP उत्पाद की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने का एक तरीका है। यह सुनिश्चित करता है कि निर्माता साफ-सुथरी और नियंत्रित प्रक्रियाओं का पालन करें, जिससे संदूषण का खतरा कम हो, गलत लेबलिंग से बचा जा सके, और उपभोक्ताओं को गुमराह होने से रोका जा सके।

2. उत्तम हस्तन पद्धतियाँ (GHP)

GHP खाद्य पदार्थों की पूरी प्रक्रिया, खेत से लेकर उपभोक्ता तक, में संभावित जोखिमों की पहचान करता है। यह सुनिश्चित करता है कि खाद्य पदार्थों को संभालने वाले लोग स्वच्छता का पालन करें और सही तरीके से उनका भंडारण व परिवहन करें, जिससे खाद्य संदूषण का खतरा कम हो।

3. संकट विश्लेषण और नियंत्रण बिंदु (HACCP)

HACCP खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का एक वैज्ञानिक तरीका है, जो कच्चे माल से लेकर निर्माण, भंडारण और वितरण तक हर प्रक्रिया का विश्लेषण करता है। यह खतरों की पहचान और नियंत्रण में मदद करता है, उत्पादन के हर चरण में समस्याओं को पकड़ता है, और समय व लागत बचाता है। यह निर्यातकों, वितरकों और उत्पादकों को सुरक्षित उत्पाद बनाने में सहायता करता है।

FSSAI और खाद्य सुरक्षा

भारत में FSSAI (2006) ने खाद्य सुरक्षा के लिए GMP, GHP और HACCP को अनिवार्य बनाया है। यह उपभोक्ता संरक्षण और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है। इसके फायदे हैं: लगातार अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पाद और उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ाना।


कार्यक्षेत्र

भारत में खाद्य उद्योग देश के GDP का 26% योगदान देता है और यह तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से एक है। इसके विकास ने न केवल अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा दिया है बल्कि खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भी बढ़ा दी है।

  • भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम (FSSAI), 2006
  • यह कानून आहार श्रृंखला के हर स्तर पर खाद्य सुरक्षा और पौष्टिकता सुनिश्चित करता है।
  • उपभोक्ता संरक्षण के साथ-साथ खाद्य उद्योग में करियर के अवसर और उद्यमशीलता के नए विकल्प भी प्रदान करता है।

खाद्य उद्योग में करियर के विकल्प

  • सरकारी नौकरियाँ: खाद्य सुरक्षा अधिकारी, खाद्य विश्लेषक, और Agmark व BIS जैसी नियामक एजेंसियों में पद।
  • निजी क्षेत्र: खाद्य गुणवत्ता नियंत्रण विशेषज्ञ, एयरलाइन किचन और उद्योगों में गुणवत्ता टीम, और खाद्य लेखा परीक्षक।
  • स्वरोजगार: अपनी खाद्य विश्लेषण प्रयोगशाला या परामर्श केंद्र शुरू करना और खाद्य सुरक्षा व स्वच्छता शिक्षा में योगदान देना।
  • शिक्षा और प्रशिक्षण: खाद्य विज्ञान, पोषण, और सुरक्षा पर पाठ्यक्रम पढ़ाना और विद्यार्थियों को खाद्य खतरों के प्रबंधन में प्रशिक्षित करना।

जरूरी कौशल और योग्यता

खाद्य उद्योग में काम करने के लिए खाद्य रसायन और संसाधन, खाद्य विश्लेषण और गुणवत्ता नियंत्रण, खाद्य सूक्ष्मजैविकी, खाद्य कानून और मानक, और संवेदी मूल्यांकन जैसे क्षेत्रों का ज्ञान होना जरूरी है।


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