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शिरीष के फूल Class 12 Chapter-14 Book-Aroh Chapter Summary

 

शिरीष के फूल Class 12 Chapter-14 Book-Aroh Chapter Summary





 शिरीष के फूल 


लेखक ने शिरीष के पेड़ को अपने लेखन का केंद्र बनाया है और इसके विभिन्न गुणों और प्रतीकों को विस्तार से वर्णित किया है।

शिरीष का प्राकृतिक सौंदर्य

शिरीष के पेड़ बड़े और छायादार होते हैं। जेठ की जलती धूप में, जब सब कुछ तप रहा होता है, तब भी शिरीष अपने फूलों से लद जाता है। यह अन्य फूलों की तरह कुछ दिनों के लिए नहीं, बल्कि वसंत से आषाढ़ तक अपनी खूबसूरती और मस्ती बनाए रखता है। भयंकर लू और उमस के बीच यह पेड़ जीवन की अजेयता का प्रतीक बनकर खड़ा रहता है।

शिरीष और साहित्यिक संदर्भ

कालिदास ने शिरीष की कोमलता को विशेष रूप से सराहा है। यह फूल इतना कोमल है कि केवल भौंरों के हल्के दबाव को ही सहन कर सकता है। इसके फूल कोमल होते हैं, लेकिन इसके फल मजबूत होते हैं, जो नए फूलों के आने पर भी अपनी जगह नहीं छोड़ते। लेखक को इसके पुराने फलों से उन नेताओं की याद आती है, जो नई पीढ़ी के लिए जगह नहीं बनाते।

शिरीष का प्रतीकात्मक महत्व

शिरीष को एक अवधूत (संसार से परे रहने वाला) की तरह प्रस्तुत किया गया है, जो वायुमंडल से रस खींचकर, बिना किसी सहारे के अपनी ऊर्जा बनाए रखता है। लेखक इसे गांधीजी जैसे महापुरुषों के प्रतीक के रूप में देखता है, जो कठिन परिस्थितियों में भी अडिग और मस्त बने रहते हैं।

कवि और अनासक्ति

कवि कालिदास और उनके साहित्य का उदाहरण देते हुए, लेखक बताते हैं कि महान कवि अनासक्त (निरपेक्ष) होते हैं और वे सृजन को अपनी मस्ती और फक्कड़ता से जोड़ते हैं। लेखक शिरीष को फक्कड़ता और स्थिरता का प्रतीक मानते हैं और इसे जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ बताते हैं।

शिरीष और जीवन का संदेश

शिरीष हमें सिखाता है कि सुख-दुख में स्थिर रहते हुए जीवन को जीना चाहिए। बाहरी परिस्थितियाँ चाहे कैसी भी हों, आंतरिक ऊर्जा और स्थिरता बनाए रखना आवश्यक है। लेखक शिरीष के माध्यम से महात्मा गांधी जैसे व्यक्तित्वों की सराहना करते हैं और उनकी अनुपस्थिति पर गहरी हूक अनुभव करते हैं।

निष्कर्ष

शिरीष केवल एक वृक्ष नहीं, बल्कि जीवन की अजेयता, अनासक्ति, और मस्ती का प्रतीक है। यह कठिन परिस्थितियों में भी स्थिरता और ऊर्ध्वमुखी ऊर्जा का आदर्श प्रस्तुत करता है।





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