रजनी
यह अध्याय एक मध्यवर्गीय परिवार की रोजमर्रा की जिंदगी और उनके सामने आने वाली समस्याओं को दर्शाता है।
प्रारंभिक दृश्य: कहानी लीला के घर से शुरू होती है, जहां वह रसोई में काम कर रही है। उनकी पड़ोसन रजनी बाजार जाने के लिए आती है। लीला बताती है कि उनके बेटे अमित का रिजल्ट आने वाला है, इसलिए वह घर पर रुकना चाहती है।
अमित का रिजल्ट: अमित स्कूल से वापस आता है लेकिन खुश नहीं है। वह अपना रिपोर्ट कार्ड माँ के पास फेंक देता है और रोते हुए कहता है कि मैथ्स में खराब नंबर आए हैं क्योंकि उसने ट्यूशन नहीं ली थी।
लीला की आर्थिक स्थिति: लीला उसे समझाने की कोशिश करती है कि उन्होंने अंग्रेजी में ट्यूशन इसलिए करवाई क्योंकि उसे उसमें दिक्कत थी, लेकिन दो विषयों की ट्यूशन लेना उनकी आर्थिक स्थिति के कारण संभव नहीं था।
रजनी की प्रतिक्रिया: रजनी स्थिति को समझते हुए अमित को ढांढस बंधाती है। उसे पता चलता है कि मैथ्स के शिक्षक ट्यूशन लेने वाले बच्चों को अच्छे नंबर देते हैं और बाकी बच्चों के नंबर कम कर देते हैं।
संघर्ष: रजनी स्पष्ट करती है कि यह शिक्षक की गलत हरकत है और अमित तथा लीला को शिक्षकों के खिलाफ बोलने के लिए प्रेरित करती है। अमित और लीला डरते हैं कि ऐसा करने से स्थिति और खराब हो सकती है।
अंतिम निर्णय: रजनी गुस्से में कहती है कि अन्याय को सहना गलत है और अगली सुबह अमित को लेकर स्कूल जाने का निर्णय करती है ताकि स्थिति का समाधान निकाला जा सके। लीला और अमित इस फैसले से असहज और चिंतित महसूस करते हैं।
मुख्य विषय:
शैक्षणिक असमानता: अध्याय दिखाता है कि कैसे ट्यूशन प्रणाली और शिक्षकों की पक्षपातपूर्ण मानसिकता छात्रों के आत्मविश्वास और प्रदर्शन को प्रभावित करती है।
मध्यवर्गीय संघर्ष: लीला की आर्थिक तंगी और अमित के भविष्य की चिंता को अच्छी तरह से प्रस्तुत किया गया है।
अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना: रजनी का चरित्र साहस और सच्चाई के लिए खड़े होने का प्रतीक है।
अध्याय इस बात पर समाप्त होता है कि रजनी स्कूल जाकर इस अन्याय का विरोध करने का निर्णय लेती है, जबकि लीला और अमित चिंतित हैं।
नया दृश्य
"स्कूल में रजनी का विरोध"
यह दृश्य स्कूल के हेडमास्टर के कमरे में रजनी और हेडमास्टर के बीच हुए तीखे संवाद को दर्शाता है, जिसमें रजनी स्कूल में चल रही अनियमितताओं का विरोध करती है।
प्रारंभिक दृश्य: स्कूल के हेडमास्टर का कमरा एक औपचारिक वातावरण दिखाता है। रजनी, अमित के मैथ्स की उत्तरपुस्तिका देखने की अनुमति मांगने के लिए हेडमास्टर से मिलती है।
रजनी की माँग: रजनी का कहना है कि अमित ने पूरे पेपर सही किए थे, लेकिन फिर भी कम नंबर आए। वह उत्तरपुस्तिका देखकर यह समझना चाहती है कि गलती अमित की थी या परीक्षक की।
हेडमास्टर का रवैया: हेडमास्टर रजनी की बात को हल्के में लेते हुए नियमों का हवाला देते हैं। वे कहते हैं कि स्कूल के नियमों के अनुसार ईयरली परीक्षा की कॉपियाँ नहीं दिखाई जा सकतीं।
रजनी का तर्क: रजनी इस पर जोर देती है कि अमित का पिछला रिकॉर्ड बहुत अच्छा है और उसने पेपर सही किया था। वह हेडमास्टर से कहती है कि नंबर कटने का कारण जानने का अधिकार है।
ट्यूशन का मुद्दा: रजनी स्कूल में ट्यूशन के दबाव और पक्षपातपूर्ण व्यवहार पर सवाल उठाती है। वह कहती है कि ट्यूशन न लेने वाले बच्चों के नंबर काटना और उन्हें जबरदस्ती ट्यूशन के लिए मजबूर करना गलत है।
विवाद का चरम: हेडमास्टर रजनी को गुस्से में कमरे से बाहर जाने को कहते हैं। रजनी इसे अन्याय करार देते हुए कहती है कि वह इस धांधली के खिलाफ कदम उठाएगी।
अध्याय का अंत: रजनी तमतमाते हुए कमरे से बाहर चली जाती है। हेडमास्टर अपनी असहायता और गुस्से को चपरासी पर निकालते हैं।
मुख्य विषय
शिक्षा व्यवस्था में भ्रष्टाचार: यह दृश्य दिखाता है कि कैसे स्कूलों में ट्यूशन के दबाव और पक्षपातपूर्ण रवैये से छात्रों को नुकसान होता है।
अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना: रजनी का किरदार साहस और दृढ़ता का प्रतीक है, जो अन्याय के खिलाफ लड़ने को तैयार है।
प्रशासन की असंवेदनशीलता: हेडमास्टर का रवैया शिक्षा प्रणाली में प्रशासन की उदासीनता और अनियमितताओं को उजागर करता है।
यह दृश्य संघर्ष और सामाजिक अन्याय के खिलाफ रजनी की लड़ाई को और भी मजबूती से प्रस्तुत करता है।
नया दृश्य
"रजनी और रवि का संवाद"
यह दृश्य रजनी के फ्लैट में पति-पत्नी के बीच हुए संवाद को प्रस्तुत करता है, जिसमें रजनी अन्याय के खिलाफ अपनी जिम्मेदारी का बचाव करती है और रवि की उदासीनता पर नाराजगी जताती है।
प्रारंभिक दृश्य: रवि, रजनी के पति, काम से घर लौटते हैं और पूछते हैं कि रजनी दिन में बाहर गई थी। वह खीज और गुस्से के साथ यह भी बताते हैं कि उनकी फाइल घर पर छूट गई थी, लेकिन कोई उसे लेने के लिए घर पर मौजूद नहीं था।
रजनी का उत्तर: रजनी बताती है कि वह एक स्कूल गई थी। रवि इस पर सवाल करते हैं कि उसे स्कूल जाने की क्या जरूरत थी। रजनी इसे टालते हुए पहले चाय बनाने की बात करती है।
स्कूल में हुई घटना: चाय और नाश्ते के दौरान रजनी बताती है कि उसने स्कूल के हेडमास्टर को ट्यूशन के मुद्दे पर जवाब दिया। वह गर्व महसूस करती है कि उसने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई, लेकिन रवि इसे गैर-जरूरी हस्तक्षेप मानते हैं।
रवि की असहमति:
रवि का कहना है कि रजनी को इस मामले में हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं थी, खासकर जब उनका खुद का बेटा अभी स्कूल नहीं जा रहा है।
रजनी की नाराजगी: रजनी गुस्से में रवि पर तंज कसती है। वह कहती है कि अन्याय के खिलाफ खड़े होना हर किसी की जिम्मेदारी है। गलत काम को सहन करने वाले लोग भी उतने ही दोषी होते हैं जितने गलत काम करने वाले।
संवाद का चरम: रजनी रवि को ताने मारती है कि उनकी उदासीनता और "हमारा इससे क्या लेना-देना" जैसे रवैये के कारण ही देश में बदलाव संभव नहीं हो पाता। गुस्से में वह रवि को छोड़कर भीतर चली जाती है।
अध्याय का अंत: रवि, हताश और असहाय महसूस करते हुए, अपने दोनों हाथों से माथा थाम लेते हैं।
मुख्य विषय
अन्याय के खिलाफ खड़े होने की जिम्मेदारी: रजनी का चरित्र यह संदेश देता है कि अन्याय को सहना भी एक प्रकार का अपराध है।
मध्यवर्गीय मानसिकता: रवि का व्यवहार उन लोगों का प्रतिनिधित्व करता है जो समाज की समस्याओं से बचकर रहना चाहते हैं।
वैचारिक संघर्ष: पति-पत्नी के बीच संवाद समाज में सक्रियता और उदासीनता के बीच का टकराव दिखाता है।
यह दृश्य रजनी के साहसी और जिम्मेदार स्वभाव को उजागर करता है, जबकि रवि के चरित्र से उन लोगों की झलक मिलती है जो सामाजिक अन्याय को देखकर भी चुप रहते हैं।
नया दृश्य
"रजनी का संघर्ष: शिक्षा में भ्रष्टाचार के खिलाफ़"
यह दृश्य रजनी के शिक्षा प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार और ट्यूशन माफिया के खिलाफ लड़ाई को दर्शाता है।
प्रारंभिक दृश्य: रजनी, शिक्षा निदेशक के ऑफिस के बाहर प्रतीक्षारत है। उसके चेहरे पर बेचैनी साफ झलकती है, क्योंकि मिलने का समय समाप्त हो रहा है। चपरासी रिश्वत लेकर दूसरे व्यक्ति को पहले अंदर भेज देता है, जिससे रजनी नाराज हो जाती है। वह चपरासी की बात अनसुनी करते हुए सीधे ऑफिस में प्रवेश कर जाती है।
रजनी और निदेशक के बीच बातचीत: रजनी शिक्षा निदेशक से ट्यूशन के नाम पर हो रहे शोषण और भ्रष्टाचार की शिकायत करती है। वह बताती है कि प्राइवेट स्कूलों में कैसे शिक्षकों द्वारा ट्यूशन न लेने पर छात्रों के नंबर काटे जाते हैं।
निदेशक शुरू में ट्यूशन को मामूली समस्या मानते हुए इसे पेरेंट्स और शिक्षकों के बीच का निजी मामला बताते हैं। रजनी तर्क करती है कि यह एक संगठित रैकेट है जो बच्चों के भविष्य को बर्बाद कर रहा है और बोर्ड को इस पर सख्त कदम उठाने चाहिए।
निदेशक का रवैया: निदेशक इस मामले को गंभीरता से लेने के बजाय अपने व्यस्त कार्यक्रम और नई शिक्षा प्रणाली पर हो रहे सेमिनार्स की चर्चा करते हैं। उनका कहना है कि इस तरह की कोई शिकायत अब तक नहीं आई है। रजनी इसे प्रशासन की उदासीनता करार देती है।
रजनी का विरोध: रजनी व्यंग्यपूर्ण लहजे में निदेशक की लापरवाही और बोर्ड की निष्क्रियता की आलोचना करती है। वह स्पष्ट करती है कि यदि शिकायत का अभाव समस्या है, तो वह सुनिश्चित करेगी कि पेरेंट्स की शिकायतों का ढेर लगाया जाए।
अध्याय का अंत:
रजनी ऑफिस से बाहर निकलती है और एक अभियान शुरू करती है। मोंटाज में दिखाया गया है कि वह पेरेंट्स से मिल रही है, फोन कॉल्स कर रही है, और शिकायतें दर्ज करवा रही है। अन्य महिलाएँ भी उसके साथ इस अभियान में जुड़ती हैं।
मुख्य विषय:
शिक्षा प्रणाली में भ्रष्टाचार: दृश्य ट्यूशन माफिया और शिक्षकों द्वारा शोषण की समस्या को उजागर करता है।
प्रशासनिक उदासीनता: निदेशक और बोर्ड की निष्क्रियता शिक्षा व्यवस्था में बड़े पैमाने पर व्याप्त लापरवाही को दिखाती है।
सामाजिक जागरूकता: रजनी का संघर्ष दर्शाता है कि कैसे एक व्यक्ति अपने प्रयासों से अन्याय के खिलाफ आंदोलन शुरू कर सकता है।
संगठित प्रयासों की शक्ति: रजनी अकेले से सामूहिक संघर्ष की ओर बढ़ती है, जिससे बदलाव की संभावना दिखती है।
यह दृश्य रजनी के दृढ़ संकल्प और साहस को प्रदर्शित करता है, साथ ही यह शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।
नया दृश्य
"रजनी का अखबार से सहयोग"
यह दृश्य शिक्षा प्रणाली में भ्रष्टाचार और ट्यूशन माफिया के खिलाफ रजनी के संघर्ष को नए स्तर पर ले जाता है, जब वह इस मुद्दे को व्यापक जनसमर्थन दिलाने के लिए एक प्रमुख अखबार के संपादक से मिलती है।
प्रारंभिक दृश्य: रजनी और कुछ महिलाएँ अखबार के संपादक से मिलती हैं। संपादक रजनी के प्रयासों की सराहना करते हुए इस समस्या को "आंदोलन का रूप" देने की बात स्वीकार करते हैं।
रजनी की अपील: रजनी संपादक से इस मुद्दे को अपने अखबार में प्रमुखता से उठाने का अनुरोध करती है। वह जोर देती है कि जब मीडिया किसी समस्या को उठाता है, तो वह सभी की समस्या बन जाती है और उस पर आँख मूँदकर बैठना संभव नहीं होता।
शिक्षा प्रणाली सुधार का उद्देश्य: रजनी भावुक होकर बताती है कि इस आंदोलन का उद्देश्य बच्चों को उनकी मेहनत का वास्तविक फल दिलाना है, न कि पैसे के आधार पर नंबरों का खेल। वह चाहती है कि शिक्षा को व्यावसायिक सोच से मुक्त किया जाए और बच्चों में सच्चे मूल्यों का विकास हो।
संपादक का समर्थन: संपादक रजनी के तर्कों से सहमत होते हैं और कहते हैं कि वे इस मुद्दे पर एक लेख तैयार करवाकर पीटीआई (प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया) के माध्यम से इसे फ्लैश करेंगे। साथ ही, वे इस मुद्दे को व्यापक स्तर पर उठाने का आश्वासन देते हैं।
पेरेंट्स मीटिंग की योजना: रजनी बताती है कि 25 तारीख को पेरेंट्स की एक मीटिंग आयोजित की जा रही है। वह संपादक से आग्रह करती है कि इस मीटिंग की सूचना भी अखबार में प्रकाशित की जाए ताकि अधिकतम लोग इसमें शामिल हो सकें। संपादक इसे स्वीकार करते हैं।
अध्याय का अंत:
संपादक का समर्थन मिलने पर रजनी उत्साहित और गद्गद हो जाती है। सभी उपस्थित लोग प्रसन्नता व्यक्त करते हैं।
मुख्य विषय:
मीडिया की भूमिका: यह दृश्य दिखाता है कि कैसे मीडिया एक सामाजिक मुद्दे को जन-आंदोलन में बदल सकता है।
सामाजिक बदलाव का प्रयास: रजनी का संघर्ष शिक्षा प्रणाली में व्याप्त अन्याय को खत्म करने और बच्चों के भविष्य को सुधारने के लिए है।
सामूहिक भागीदारी: अखबार और पेरेंट्स मीटिंग के माध्यम से रजनी यह मुद्दा व्यापक जनसमर्थन की ओर ले जाती है।
महिलाओं की सक्रियता: यह अध्याय महिलाओं के नेतृत्व में सामाजिक बदलाव के प्रयासों को रेखांकित करता है।
यह दृश्य रजनी के आंदोलन में मीडिया के सहयोग को जोड़ते हुए संघर्ष को एक निर्णायक मोड़ पर ले आता है।
नया दृश्य
"मीटिंग और प्रस्ताव"
यह दृश्य रजनी द्वारा आयोजित पेरेंट्स मीटिंग को दिखाता है, जिसमें ट्यूशन माफिया के खिलाफ जागरूकता और एकजुटता का माहौल बनाया गया है।
प्रारंभिक दृश्य: मीटिंग स्थल पर एक बड़ा बैनर लगा है, और लोगों की भीड़ उमड़ी हुई है। अंदर हॉल खचाखच भरा है, लोगों में जोश है, और प्रेस के लोग भी उपस्थित हैं। माहौल में विरोध और बदलाव की ऊर्जा है।
रजनी का संबोधन: रजनी मंच पर माइक लेकर सभा को संबोधित करती है। वह लोगों की उपस्थिति और जोश को सराहते हुए कहती है कि उनकी मंजिल अब दूर नहीं है।
वह स्वीकार करती है कि कुछ परिस्थितियों में ट्यूशन जरूरी हो सकती है, जैसे:
माँओं की असमर्थता: कई माँएँ बच्चों को पढ़ाने में सक्षम नहीं होतीं।
पिता की भूमिका: पिता घरेलू काम और बच्चों की पढ़ाई में मदद नहीं करते। (इस पर सभा में हँसी छूटती है, और कैमरा उसके पति पर जाता है।)
वह बताती है कि कुछ प्राइवेट स्कूलों में शिक्षकों को इतनी कम तनख्वाह मिलती है कि वे मजबूरी में ट्यूशन करते हैं। कई स्कूल शिक्षकों से ज्यादा वेतन पर दस्तखत करवाकर कम वेतन देते हैं।
टीचर्स के लिए समर्थन: रजनी शिक्षकों से अपील करती है कि वे संगठित होकर अपने हक के लिए आंदोलन चलाएँ और इस अन्याय का पर्दाफाश करें।
प्रमुख प्रस्ताव:
रजनी इस समस्या के समाधान के लिए बोर्ड को एक प्रस्ताव पेश करने की बात करती है:
नियम: कोई भी शिक्षक अपने ही स्कूल के छात्रों को ट्यूशन नहीं पढ़ाएगा।
सख्त कार्रवाई: जो शिक्षक इस नियम का उल्लंघन करेंगे, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
सभा की प्रतिक्रिया: पूरा हॉल "एप्रूव्ड, एप्रूव्ड" की आवाजों और तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता है, जो इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार करता है।