मियाँ नसीरुद्दीन Class 11 Chapter-2 Book-Aroh Chapter Summary
0Team Eklavyaदिसंबर 19, 2024
मियाँ नसीरुद्दीन
प्रस्तावना
यह कहानी पुरानी दिल्ली के मटियामहल के प्रसिद्ध नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन की है, जिनकी कला और जीवन के प्रति दृष्टिकोण हमें उनकी पेशेवर और व्यक्तिगत यात्रा के साथ जोड़ती है। कहानी उनकी खानदानी नानबाई परंपरा, उनकी रोटियाँ पकाने की कला और उनके स्वाभाविक अंदाज़ का दिलचस्प वर्णन करती है।
मुख्य पात्र
1. मियाँ नसीरुद्दीन: एक खानदानी नानबाई, जो अपने विशिष्ट अंदाज और व्यावसायिक कौशल के लिए प्रसिद्ध हैं।
2. प्रश्नकर्ता (लेखक): एक जिज्ञासु व्यक्ति जो मियाँ नसीरुद्दीन के बारे में जानने के लिए उनसे सवाल करता है।
कहानी का आरंभ
कहानी लेखक के मटियामहल की गलियों से गुजरने और मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान पर रुकने से शुरू होती है। मियाँ अपनी दुकान पर बैठे बीड़ी पी रहे होते हैं। लेखक उनके "छप्पन किस्म की रोटियों" की प्रसिद्धि से प्रभावित होकर उनसे बातचीत शुरू करता है।
मियाँ नसीरुद्दीन की पृष्ठभूमि
मियाँ अपने खानदानी पेशे को गर्व से याद करते हैं और बताते हैं कि उन्होंने यह हुनर अपने पिता मियाँ बरकत और दादा मियाँ कल्लन से सीखा।
वह बताते हैं कि उनका परिवार बादशाहों के दरबार में भी अपनी कला का प्रदर्शन करता था।
व्यावसायिक दृष्टिकोण
मियाँ नसीरुद्दीन इस बात पर जोर देते हैं कि उनका काम केवल एक पेशा नहीं, बल्कि एक कला है।उन्होंने अपने अनुभवों से सीखा कि काम की शुरुआत छोटी-छोटी बातों को सीखने से होती है, जैसे कि भट्ठी जलाना और बर्तन धोना।उनका मानना है कि किसी भी बड़े काम की नींव बुनियादी कौशल और समर्पण से रखी जाती है।
प्रसिद्धि और कला
मियाँ अपनी रोटियों की किस्मों और उनके पकाने के तरीके को बड़े गर्व से बताते हैं।वह बताते हैं कि उनके बुजुर्गों ने बादशाह के दरबार में विशेष पकवान बनाए थे, जिनमें "आग और पानी के बिना पकने वाली रोटी" भी शामिल थी।उनकी कला का स्तर इतना ऊँचा था कि कहावत बनी, "खानदानी नानबाई कुएँ में भी रोटी पका सकता है।"
बदलते समय का दुख
मियाँ नसीरुद्दीन पुराने जमाने के कद्रदानों और स्वाद-समझने वालों को याद करते हुए उदास होते हैं। वह कहते हैं कि आज के लोग केवल खाना निगलते हैं, उसका आनंद नहीं लेते।
अंतिम निष्कर्ष:
मियाँ नसीरुद्दीन की बातचीत उनके पेशे के प्रति समर्पण, उनकी कला और बदलते समय के प्रति उनकी नाराज़गी को व्यक्त करती है। कहानी न केवल उनके जीवन और पेशे की झलक देती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि किसी भी कला को उसकी सही समझ और सम्मान देना कितना महत्वपूर्ण है।
शिक्षा
कहानी हमें यह सिखाती है कि हर पेशे में उत्कृष्टता और समर्पण का महत्व है। किसी भी कला को उसके मूल रूप में बनाए रखना और उसकी इज्जत करना जरूरी है।