अपू के साथ ढाई साल Class 11 Chapter-3 Book-Aroh Chapter Summary
0Team Eklavyaदिसंबर 19, 2024
अपू के साथ ढाई साल
प्रस्तावना
यह आत्मकथात्मक विवरण सत्यजित राय द्वारा लिखी गई कहानी है, जिसमें उनकी प्रसिद्ध फ़िल्म पथेर पांचाली के निर्माण के दौरान आई समस्याओं, अनुभवों और घटनाओं का वर्णन किया गया है। यह फ़िल्म उनके निर्देशन में बनी पहली फ़िल्म थी और इसे बनाने में ढाई साल का समय लगा।
आर्थिक कठिनाइयाँ
सत्यजित राय उस समय विज्ञापन कंपनी में नौकरी करते थे। फ़िल्म के निर्माण के लिए पैसे बार-बार खत्म हो जाते थे, जिसके कारण शूटिंग स्थगित करनी पड़ती थी।
कलाकारों का चयन
अपू की भूमिका के लिए उपयुक्त लड़का ढूंढना काफी चुनौतीपूर्ण साबित हुआ। कई प्रयासों के बावजूद, अखबार में विज्ञापन देने के बाद भी इस किरदार के लिए सही लड़का नहीं मिल सका। अंततः पड़ोस के एक लड़के, सुबीर बनर्जी, को इस भूमिका के लिए चुना गया।
समस्याएँ और चुनौतियाँ
फ़िल्म निर्माण के दौरान कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। काशफूलों वाले मैदान में शूटिंग के लिए दो दिन की आवश्यकता थी, लेकिन जानवरों द्वारा काशफूल खा लिए जाने के कारण यह संभव नहीं हो सका। इस वजह से, अगले साल शरद ऋतु में काशफूल खिलने पर बाकी सीन की शूटिंग की गई। इसके अलावा, फ़िल्म में 'भूलो' नामक कुत्ते का किरदार दिखाया गया, लेकिन बीच में उस कुत्ते की मृत्यु हो गई, जिसके कारण उसकी जगह दूसरे कुत्ते का इस्तेमाल करना पड़ा। वहीं, श्रीनिवास मिठाईवाले की भूमिका निभाने वाले कलाकार के देहांत के कारण उनकी जगह किसी और को लेना पड़ा।
तकनीकी जुगाड़
रेलगाड़ी के दृश्य की शूटिंग के लिए तीन अलग-अलग रेलगाड़ियों का इस्तेमाल किया गया। काले धुएँ के प्रभावशाली शॉट के लिए बॉयलर में कोयला डलवाया गया ताकि दृश्य को अधिक आकर्षक और वास्तविक बनाया जा सके।
प्राकृतिक बाधाएँ
बारिश के दृश्य की शूटिंग के लिए शरद ऋतु में अनुकूल मौसम का इंतजार करना पड़ा। ठंड के मौसम में शूटिंग के दौरान बच्चों को ठंड से बचाने के लिए उन्हें ब्रांडी मिली दूध पिलाई गई।
स्थानीय लोगों और घटनाओं का प्रभाव
शूटिंग लोकेशन बोडाल गाँव था, जो उस समय आदर्श ग्रामीण परिवेश प्रस्तुत करता था। गाँव के एक व्यक्ति 'सुबोध दा', जो मानसिक रूप से अस्थिर थे, बाद में टीम के साथ घुल-मिल गए और वायलिन बजाकर सभी का मनोरंजन करने लगे। वहीं, एक पागल धोबी राजनैतिक भाषण देने लगता था, जिससे शूटिंग में बाधा उत्पन्न होती थी।
सांप का प्रकरण
शूटिंग के दौरान टीम ने 'वास्तुसर्प' नामक सांप देखा। स्थानीय लोगों की मान्यताओं के कारण सांप को नहीं मारा गया।
निष्कर्ष:
पथेर पांचाली के निर्माण के दौरान सत्यजित राय ने आर्थिक, प्राकृतिक और मानवीय सभी प्रकार की समस्याओं का सामना किया। लेकिन उनकी लगन, रचनात्मकता और धैर्य के कारण फ़िल्म का निर्माण संभव हुआ। यह विवरण फ़िल्म निर्माण के संघर्षों और रचनात्मक समाधान की एक प्रेरणादायक कहानी है।
शिक्षा:
फ़िल्म निर्माण में धैर्य, समर्पण, और रचनात्मक सोच आवश्यक हैं। चुनौतियों को अवसरों में बदलना ही सच्ची कला है।