महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आन्दोलन Important Short and Long Question History Chapter-11 Class 12
0Team Eklavyaदिसंबर 23, 2024
प्रश्न - असहयोग आन्दोलन कब चलाया गया ? इसके कारण बताओ ? इसे वापिस क्यों लिया गया ?
उत्तर -
असहयोग आन्दोलन कब 1921-22 में चलाया गया
असहयोग आन्दोलन के प्रमुख कारण -
रोलेक्ट एक्ट
जलियावाला बाग़ हत्याकांड
अंग्रेजों की दमनकारी नीति
स्वराज की मांग
प्रश्न - असहयोग आन्दोलन को वापिस क्यों लिया गया ?
उत्तर -
चौरी-चौरा काण्ड के कारण
उत्तर प्रदेश के चौरी-चौरा गांव में प्रदर्शनकारियों ने गुस्से में आकर पुलिस थाने को जला दिया, जिसमें 22 पुलिसकर्मी मारे गए
इस घटना से निराश होकर गांधीजी ने इस आन्दोलन को वापिस ले लिया
प्रश्न - महात्मा गांधी को जानने के प्रमुख स्रोत कौनसे हैं ?
उत्तर -
1. निजी लेखन / भाषण :
हरिजन अखबार में गांधी उन पत्रों को शामिल करते हैं जिन लोगों से उन्हें मिलते थे तथा भाषणों से भी हमें गांधी जी के बारे में पता चलता है।
(नेहरू संकलन - Bunch Of Old Letters )
2. विभिन्न समाचार पत्र :
अंग्रेजी तथा अन्य भाषाओं में छपने वाले अखबार भी राष्ट्रीय आंदोलन का एक स्त्रोत थे तथा ये अखबार गांधी जी की प्रत्येक गतिविधियों पर नजर रखते थे।
3. सरकारी रिकॉर्ड :
औपनिवेशिक शासक ऐसे तत्वो पर सदा कड़ी नजर रखते थे जिन्हें वे अपने विरुद्ध मानते थे तथा पुलिस रिपोर्टों में भी हमें गांधी जी के संदर्भ में जानकारियां मिलती है।
4. आत्मकथाएं -
आत्मकथाएं उस अतीत का ब्यौरा देते हैं जो समृद्ध होता है यह कथाएं स्मृति के आधार पर लिखी जाती है जिनसे पता चलता है कि लिखने वाले को क्या याद रहा एवं क्या महत्वपूर्ण लगा तथा हमें पढ़ते समय यह ध्यान रखना चाहिए यह लेखक ने क्या नहीं लिखा।
प्रश्न - कैबिनेट मिशन भारत कब आया था ? इसकी प्रमुख सिफारिशें बताइए ?
उत्तर -
कैबिनेट मिशन 1946 में भारत में आया था
कैबिनेट मिशन की मुख्य सिफारिशें -
भारत में संघीय सरकार का गठन किया जाये
संविधान निर्माण हेतु संविधान सभा का गठन किया जाये
कांग्रेस और मुस्लिम लीग में समझौता करने का प्रयास
प्रश्न - गांधीजी की चमत्कारिक शक्तियों की अफवाह कौनसी थी?
उत्तर -
राजा के द्वारा किसानों के दुख तकलीफों में सुधार के लिए गाँधी जी को भेजा गया है उनके पास सभी स्थानीय अधिकारियों के निर्देशों को अस्वीकृत करने की शक्ति है गांधी जी की शक्ति अंग्रेज बादशाह से अधिक है उनके आने से औपनिवेशिक शासक जिले से भाग जाएंगे।
गांधी जी की आलोचना करने वाले गांव के लोगों के घर रहस्यात्मक रूप से गिर गए और उनकी फसल भी चौपट हो गई।
बस्ती गांव के सिकंदर साहू ने 15 फरवरी को कहा कि वह महात्मा जी में तब विश्वास करेगा जब उसके कारखाने ( जहां गुड़ का उत्पादन होता है) में गन्ने के रस से भरा कड़हा (उबलता हुआ) दो भागों में टूट जाएगा तुरंत ही कड़हा वास्तव में बीच में से दो हिस्सों में टूट गया।
आजमगढ़ के किसान ने कहा कि वह महात्मा जी की प्रमाणिकता में तब विश्वास करेगा जब उसके खेत में लगाए गए गेहूं तिल में बदल जाएंगे अगले दिन उस खेत का सहारा गेहूं तिल में बदल गया।
गोरखपुर से एक सज्जन ने चरखा चलाए जाने की आवश्यकता पर प्रश्न उठाया। उनके घर में आग लग गई
अप्रैल 1921 में उत्तर प्रदेश के एक गाँव में कुछ लोग जुआ खेल रहे थे। किसी ने उन्हें ऐसा करने से रोका। जुआ खेल रहे समूह में से एक ने रुकने से मना कर दिया और गाँधीजी को अपशब्द कहा। अगले दिन उसकी बकरी को उसके ही चार कुत्तों ने काट खाया।
गोरखपुर के एक गाँव में किसानों ने शराब पीना छोड़ने का निश्चय किया। एक व्यक्ति अपने निश्चय पर कायम नहीं रहा। जब वह शराब की दुकान की तलाश में जा रहा था तो उसके रास्ते में रोड़ों की बारिश होने लगी। ज्योंही उसने गाँधीजी का नाम लिया रोड़ों की बारिश बंद हो गई।
प्रश्न - नमक आन्दोलन के कारण और परिणामों पर चर्चा कीजिये ?
उत्तर -
सभी भारतीय घर में नमक का प्रयोग होता है भारतीयों को नमक कानून के तहत घरेलू प्रयोग के लिए नमक बनाने पर रोक लगा दी गयी थी। भारतीय दुकानों से अधिक मूल्य पर नमक खरीदने को बाध्य थे ।
नमक उत्पादन और विक्रय पर राज्य का एकाधिकार था अंग्रेज सरकार नमक द्वारा लाभ कमा रही थी
गाँधी जी ने नमक पर एकाधिकार के मुद्दे का चयन किया और आन्दोलन शुरू कर दिया नमक कानून आम जनता में बेहद अलोकप्रिय ।
परिणाम –
नमक आन्दोलन से महात्मा गाँधी दुनिया की नजर में आए।
अमेरिकी समाचार पत्रिका टाइम ने गाँधीजी का "तकुए जैसे शरीर और मकड़ी जैसे पेडू" शब्दों से मजाक बनाया।
दाण्डी यात्रा के पश्चात् इस पत्रिका की सोच में बदलाव।
गाँधीजी को मिला जनसमर्थन देख सभी हैरान थे
गाँधीजी एक ऐसे राजनेता जो "ईसाई धर्माबलंबियों के खिलाफ ईसाई तरीकों का ही हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।"
इस यात्रा का यूरोप और अमेरिकी प्रेस द्वारा व्यापक कवरेज किया
पहली राष्ट्रवादी गतिविधि जिसमें औरतों की भागीदारी देखी गयी
अंग्रेजी हुकूमत को आन्दोलन की व्यापकता का अहसास हुआ
उनका राज बहुत दिन तक कायम नहीं।
भारतीयों को भी सत्ता में हिस्सा देना निश्चित।
प्रश्न - 1922 तक महात्मा गाँधी एक नेता बन गए थे ? वर्णन कीजिये ?
उत्तर -
1915 में गाँधीजी अफ्रीका से भारत वापिस आये थे जब गांधीजी अफ्रीका से वापिस आये तो उन्होंने पाया की 1893 के अपेक्षाकृत भारत राजनीतिक दृष्टि से अधिक सक्रिय ।
अधिकांश शहरों और कस्बों में राष्ट्रीय कांग्रेस की शाखाएँ मौजूद थी 1905-07 के स्वदेशी आंदोलन से मध्यम वर्ग प्रभावित हुआ प्रमुख नेता- बाल, लाल और पाल उभर रहे थे
गाँधीजी के राजनीतिक परामर्शदाता गोपाल कृष्ण गोखले की सलाह पर गाँधीजी ने एक वर्ष ब्रिटिश भारत की यात्रा की भारत को जमीनी स्तर पर समझा
1916 में गाँधीजी की पहली सार्वजनिक उपस्थिति BHU के उद्घाटन समारोह में हुई थीवहां उन्होंने किसानों और मजदूरों पर चिंता व्यक्त की थी उन्होंने कहा मुक्ति केवल किसानों के माध्यम से सम्भव।
गाँधीजी ने भारतीय राष्ट्रवाद में 'सम्पूर्ण भारतीयों' का प्रतिनिधित्व होने की बात की गाँधीजी ने 1917 में चम्पारण व 1918 में खेड़ा और अहमदाबाद में आन्दोलन किया
गाँधीजी की गरीबों के प्रति सहानुभूति का आम लोगों पर गहरा असर हुआ ।
1914-18 में पहले विश्व युद्ध में अंग्रेजों द्वारा प्रेस पर प्रतिबन्ध।
बिना जाँच कारावास की अनुमति दी थी
1919 में 'रॉलेट एक्ट लगाया 'रॉलेट एक्ट के खिलाफ गाँधीजी ने अभियान चलाया ।
बंद और विरोध प्रदर्शन के कारण उत्तरी व पश्चिमी भारत से जीवन ठप्प ।
गाँधीजी की गिरफ्तारी की गयी स्थानीय कांग्रेसजनों की भी गिरफ्तारी हुई ।
1919 में जलियावाला बाग़ हत्याकांड
1921-22 का असहयोग आन्दोलन जिससे गांधीजी एक राष्ट्रवादी नेता बनकर उभरे
प्रश्न - महात्मा गाँधी ने राष्ट्रीय आन्दोलन को जन आन्दोलन में बदल दिया ? वर्णन कीजिये ?
उत्तर -
रॉलेट एक्ट का विरोध करके गाँधी जी एक जननेता के रूप में उभरे थे
अंग्रेजी शासन के खिलाफ उन्होंने असहयोग आन्दोलन किया सभी भारतीयों से स्कूल, कॉलेज और न्यायालय न जाने का आग्रह किया ।
असहयोग आन्दोलन और खिलाफत आन्दोलन को जोड़ दिया गया
विद्यार्थियों ने सरकार द्वारा चलाये जा रहे स्कूल और कॉलेजों का बहिष्कार किया।
वकीलों ने अदालतों में जाने से मना कर दिया ।
नगरों और कस्बों में श्रमिक-वर्ग हड़ताल पर चला गया ।
पहाड़ी जनजातियों द्वारा वन्य कानूनों की अवहेलना।
अवध के किसानों द्वारा कर देने से इन्कार।
कुमाऊं के किसानों द्वारा औपनिवेशिक अधिकारियों का सामान न ढोना।
हर वर्ग द्वारा आन्दोलन में अपने तरीके से भागीदारी।
असहयोग प्रभाव की दृष्टि से सकारात्मक साबित हुआ ।
1857 के विद्रोह के बाद पहली बार अंग्रेजों की नींव हिल गई।
सभी वर्गों के साथ आने से राष्ट्रीय आन्दोलन एक जन आन्दोलन में परिवर्तित हुआ
प्रश्न -भारत छोड़ो आन्दोलन पर चर्चा कीजिये ?
उत्तर -
अगस्त 1942 में शुरू हुआ तीसरा बड़ा आन्दोलन को “अंग्रेजों भारत छोडो” का नाम दिया गया।
गाँधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन देश भर के युवा कार्यकर्ता हड़तालों तथा तोड़फोड़ करते रहे।
कांग्रेस में जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी सदस्य सबसे ज्यादा सक्रीय थे।
पश्चिम में सतारा और पूर्व में मेदिनीपुर जैसे कई जिलों में स्वतंत्र सरकार की स्थापना कर दी गई।
अंग्रेजों ने आन्दोलन के प्रति सख्त रवैया अपनाया फिर भी इस विद्रोह को दबाने में साल भर का समय लग गया।
इस आन्दोलन में लाखों आम हिन्दुस्तानी शामिल थे इस आन्दोलन में युवाओं ने कॉलेज को छोड़ कर जेल का रास्ता अपनाया।
जून 1944 तक विश्वयुद्ध समाप्त होने वाला था इस समय गांधीजी को जेल से रिहा कर दिया गया जेल से निकलने के बाद गांधीजी ने कांग्रेस और लीग के बीच की समस्याओं को सुलझाने का प्रयास किया जिसके तहत उन्होंने कई बार जिन्ना से बात की
1945 में ब्रिटेन में लेबर पार्टी की सरकार बनी, यह सरकार भारत की आजादी के पक्ष में थी
उस समय के वायसराय लार्ड वेवेल ने कांग्रेस और मुस्लिम लीग के नेताओं के साथ कई मीटिंग की |