क्षेत्रीय आकांक्षाएं Chapter-7 Class 12 BOOK-2 Political Science Important Questions
0Team Eklavyaदिसंबर 14, 2024
प्रश्न - आजादी के तुरंत बाद देश के सामने मुख्य समस्या
उत्तर-
1. विभाजन
2. देसी रियासतों की समस्या
3. विस्थापन
प्रश्न - द्रविण आन्दोलन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर -
दक्षिण भारत में द्रविण आन्दोलन चला
द्रविण आन्दोलन में तमिलनाडु में हिंदी भाषा का विरोध किया गया
तमिल भाषा को महत्व दिया गया
प्रश्न - आनंदपुर साहिब प्रस्ताव से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर -
इसमें क्षेत्रीय स्वायत्तता की बात उठाई गई (1973 में )
केंद्र राज्य संबंधों को पुनर्भाषित करने की मांग की गई
सिखों के वर्चस्व के ऐलान हुआ
लेकिन इसे एक अलग सिख राष्ट्र की मांग के रूप में भी देखा जाता है
इस प्रस्ताव का सिख समुदाय पर कम असर है
1980 में अकाली दल की सरकार बर्खास्त हुई
अकाली दल ने पंजाब तथा पड़ोसी राज्यों के बीच पानी के बंटवारे के मुद्दे में आंदोलन चलाया
प्रश्न - असम में चले बाहरी लोगों के खिलाफ़ आंदोलन पर चर्चा कीजिये ?
अथवा
असम में चले आंदोलन पर विस्तार से चर्चा कीजिये ?
उत्तर -
पूर्वोत्तर में बड़े पैमाने पर आप्रवासी आए हैं। इससे एक खास समस्या पैदा हुई है।
स्थानीय जनता इन्हें 'बाहरी' समझती है और 'बाहरी' लोगों के खिलाफ़ उसके मन में गुस्सा है।
भारत के दूसरे राज्यों अथवा किसी अन्य देश से आए लोगों को यहाँ की जनता रोजगार के अवसरों और राजनीतिक सत्ता के एतबार से एक प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखती है।
स्थानीय लोग, बाहर से आए लोगों के बारे में मानते हैं कि ये लोग यहाँ की जमीन हथिया रहे हैं। पूर्वोत्तर के कई राज्यों में इस मसले ने राजनीतिक रंग ले लिया है और कभी-कभी इन बातों के कारण हिंसक घटनाएँ भी होती हैं।
असमी लोगों को संदेह था कि बांग्लादेश से आकर बहुत-सी मुस्लिम आबादी असम में बसी हुई है।
इन विदेशी लोगों को पहचानकर उन्हें अपने देश नहीं भेजा गया तो स्थानीय असमी जनता अल्पसंख्यक हो जाएगी।
असम में तेल, चाय और कोयले जैसे प्राकृतिक संसाधनों की मौजूदगी के बावजूद व्यापक गरीबी थी।
यहाँ की जनता ने माना कि असम के प्राकृतिक संसाधन बाहर भेजे जा रहे हैं और असमी लोगों को कोई फ़ायदा नहीं हो रहा है।
प्रश्न - आँसू क्या था ? इसकी प्रमुख मांगे बताइए ?
अथवा
असम का आन्दोलन सांस्कृतिक स्वाभिमान और आर्थिक पिछड़ेपन की मिली जुली अभिव्यक्ति था इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिये ?
उत्तर -
1979 में ऑल असम स्टूडेंटस् यूनियन (आसू-AASU) ने विदेशियों के विरोध में एक आंदोलन चलाया।
'आसू' एक छात्र संगठन था और इसका जुड़ाव किसी भी राजनीतिक दल से नहीं था।
'आसू' का आंदोलन अवैध आप्रवासी, बंगाली और अन्य लोगों के दबदबे तथा मतदाता सूची में लाखों आप्रवासियों के नाम दर्ज कर लेने के खिलाफ था।
आंदोलन को माँग थी कि
1951 के बाद जितने भी लोग असम में आकर बसे हैं उन्हें असम से बाहर भेजा जाए।
इस आंदोलन को पूरे असम में समर्थन मिला।
आंदोलन के दौरान हिंसक और त्रासद घटनाएँ भी हुई।
बहुत से लोगों को जान गंवानी पड़ी और धन-संपत्ति का नुकसान हुआ।
आंदोलन के दौरान रेलगाड़ियों की आवाजाही तथा तेलशोधक कारखाने को तेल-आपूर्ति रोकने की भी कोशिश की गई।
छह साल की सतत अस्थिरता के बाद राजीव गाँधी के नेतृत्व वाली सरकार ने 'आसू'के नेताओं से बातचीत शुरू की। इसके परिणामस्वरूप 1985 में एक समझौता हुआ।
समझौते के अंतर्गत तय किया गया कि –
जो लोग बांग्लादेश बुद्ध के दौरान अथवा उसके बाद के सालों में असम आए है उनकी पहचान की जाएगी और उन्हें वापस भेजा जाएगा।
आंदोलन की कामयाबी के बाद 'आसू' और असम गण संग्राम परिषद् ने साथ मिलकर अपने को एक क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी के रूप में संगठित किया।
इस पार्टी का नाम 'असम गण परिषद्' रखा गया।
असम गण परिषद् 1985 में इस वायदे के साथ सत्ता में आई थी कि विदेशी लोगों की समस्या को सुलझा लिया जाएगा और एक 'स्वर्णिम असम' का निर्माण किया जाएगा।
आजादी के बाद से जम्मू कश्मीर की राजनीति सदैव विवादग्रस्त एवं संघर्ष युक्त रही है ? वर्णन कीजिये ?
उत्तर -
पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देना पाकिस्तान आतंकियों को हमेशा से धन , हथियार और प्रशिक्षण देता है जो की भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहते हैं और आतंकवाद सबसे अधिक कश्मीर में देखने को मिलता है
अलगाववाद की समस्या कश्मीर में अलगाववाद की समस्या देखने को मिलती है यहाँ कुछ ऐसे ग्रुप है जो पाकिस्तान के समर्थक है जो की लोगों को उकसाते है
अनुच्छेद 370 द्वारा विशेष राज्य का दर्जा जम्मू और कश्मीर को अनुच्छेद 370 द्वारा विशेष राज्य का दर्जा
मिला हुआ था जिससे वो भारत के दूसरे राज्यों से अलग हो जाता था और भारत सरकार के सारे नियम यहाँ नहीं चलते थे * अब अनुच्छेद 370 हटा दिया गया है *
पाकिस्तान का कश्मीर पर दावा करना पाकिस्तान और भारत के बीच में जम्मू और कश्मीर को लेकर हमेशा से तनातनी रहती थी , पाकिस्तान कश्मीर को अपना अंग बताता है जिसको लेकर विवाद है
कश्मीर के तीन सामाजिक , आर्थिक क्षेत्र जम्मू , कश्मीर और लद्दाख तीन प्रमुख क्षेत्र है लेकिन सबसे अधिक ध्यान कश्मीर पर दिया जाता था जिसको लेकर जम्मू और लदाख की जनता उपेक्षित महसूस करती थी लेकिन अब लद्दाख को अलग से UT बना दिया गया है
पाकिस्तान सेना द्वारा कबायली हमले पाकिस्तान अपनी सेना से यहाँ आक्रमण करवाता है उसे लगता था कश्मीर के लोग उसका साथ देंगे
प्रश्न - किन कारणों से भारतीय लोकतंत्र की सफलता के लिए क्षेत्रवाद पर नियंत्रण लगाना आवश्यक है ?
उत्तर -
क्षेत्रवाद की भावना में राष्ट्रीय एकता में बाधा उत्पन्न करती है
क्षेत्रवाद के कारण हिंसात्मक आन्दोलन होते हैं
देश के विकास में बाधा उत्पन्न होती है
केंद्र और राज्य सरकार के बीच कटु सम्बन्ध
देश की आर्थिक प्रगति में बाधा
राष्ट्रीय हितों की अनदेखी
प्रश्न - पंजाब समझौता के बारे में चर्चा कीजिये ?
उत्तर -
पंजाब समझौता , राजीव गांधी -लोंगोवाल समझौता भी कहा जाता है, यह समझौता 1985 में हुआ था
भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और अकाली दल के प्रमुख संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के बीच हुआ था।
यह समझौता पंजाब में चल रहे सिख उग्रवाद और अशांति को समाप्त करने के लिए किया गया था।
पंजाब समझौता के मुख्य बिंदु -
चंडीगढ़ ,पंजाब को दे दिया जाएगा
पंजाब , हरियाणा के बीच सीमा विवाद के सुलझाव के लिए आयोग बनाया जाएगा
पंजाब, हरियाणा, राजस्थान के बीच नदी जल बंटवारे को लेकर न्यायअधिकार बिठाया जाएगा
उग्रवाद से प्रभावित लोगों को मुआवजा दिया जाएगा
पंजाब में विशेष सुरक्षा बल अधिनियम वापस लिया जाएगा
प्रश्न - पूर्वोत्तर भारत के राज्य संवेदनशील क्यों है ?
उत्तर -
1. यह क्षेत्र पूरे भारत से अलग थलग है
2. यहाँ विकास भी काफी कम हुआ है
3. जटिल सामाजिक संरचना
4. आर्थिक पिछड़ापन
5. लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा
प्रश्न - सात बहनों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर -
उत्तर पूर्व में 7 राज्य होने के कारण इन्हें सात बहने कहा जाता है
इस क्षेत्र की सीमाएं चीन , म्यांमार और बांग्लादेश से लगती हैं
यह क्षेत्र भारत के लिए दक्षिण पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार है
त्रिपुरा, मणिपुर, मेघालय का खासी पहाड़ी क्षेत्र पहले अलग रियासतें थी
आजादी के बाद भारत संघ में इनको शामिल किया गया
पूर्वोत्तर राज्य में बड़े स्तर पर राज्य पुनर्गठन हुआ
नागालैंड 1963 में राज्य बना
मेघालय , मणिपुर , त्रिपुरा 1972 में राज्य बने
अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम 1987 में राज्य बने
पूर्वोत्तर राज्य भारत के राज्यों का विकास नहीं हो पाया
यह इलाका शेष भारत से अलग-थलग पड़ा था
प्रश्न- क्षेत्रवाद का क्या अर्थ है ?
उत्तर -
क्षेत्रवाद एक ऐसी विचारधारा है, जिसमें व्यक्ति अपने क्षेत्र की पहचान, समस्याओं, हितों और आकांक्षाओं को प्राथमिकता देता है
यह विचारधारा कभी कभी देश के एकता के लिए खतरा बन सकती है
प्रश्न- क्षेत्रीय आकांक्षा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर -
क्षेत्रीय आकांक्षा किसी विशिष्ट क्षेत्र के लोगों के द्वारा उनकी सांस्कृतिक पहचान, आर्थिक विकास, राजनीतिक स्वायत्तता और सामाजिक सम्मान की इच्छाओं और मांगों के रूप में देखी जाती है
यह क्षेत्र विशेष के लोगों की अपेक्षाओं और अधिकारों को बढ़ावा देने की प्रक्रिया है।
प्रश्न- मिजोरम के अलगाववादी आन्दोलन पर चर्चा कीजिये ?
उत्तर -
1959 में मिजो पर्वतीय इलाके में अकाल पड़ा असम सरकार अकाल में सही प्रबंध नहीं करा पाई
इससे जनता और नाराज हुई जनता ने अलगाव की मांग को समर्थन किया
मिजो लोगों ने गुस्से में आकर लालडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट बनाया
1966 में मिजो नेशनल फ्रंट ने आजादी की मांग करते सशस्त्र अभियान शुरू किया
भारतीय सेना और मिजो विद्रोह हुआ यह लड़ाई दो दशकों तक चली
मिजो नेशनल फ्रंट ने गुरिल्ला युद्ध किया भारतीय सेना ने कार्यवाही की मिजो नेशनल फ्रंट को पाकिस्तान का समर्थन मिला
पूर्वी पाकिस्तान में मिजो विद्रोहियों ने अपने ठिकाने बनाएं भारतीय सेना की जवाबी कार्यवाही में आम जनता को भी नुकसान पहुंचा
दो दशकों तक चली बगावत में हर पक्ष को नुक्सान हुआ ।
इसी बात को भाँपकर दोनों पक्षों के नेतृत्व ने समझदारी से काम लिया।
पाकिस्तान में निर्वासित जीवन जी रहे लालडेंगा भारत आए और उन्होंने भारत सरकार के साथ बातचीत शुरू की।
राजीव गाँधी ने इस बातचीत को एक सकारात्मक समाधान तक पहुँचाया। 1986 में राजीव गाँधी और लालडेंगा के बीच एक शांति समझौता हुआ।
समझौते के अंतर्गत मिजोरम को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और उसे कुछ विशेष अधिकार दिए गए।
मिजो नेशनल फ्रंट अलगाववादी संघर्ष की राह छोड़ने पर राजी हो गया। लालडेंगा मुख्यमंत्री बने।
यह समझौता मिजोरम के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ।
आज मिजोरम पूर्वोत्तर का सबसे शांतिपूर्ण राज्य है और उसने कला, साहित्य तथा विकास की दिशा में अच्छी प्रगति की है।