राजनीतिक सिद्धांत एक परिचय Notes in Hindi Class 11 Political Science Chapter-1 Book 2 Political Theory: An Introduction Rajnitik Siddhant Ek Parichay
0Team Eklavyaनवंबर 14, 2024
मनुष्य दो मामलों में अद्वितीय है
मनुष्य के पास विवेक है
मनुष्य में संवाद करने की क्षमता होती है
मनुष्य अपने विचारों को भाषा के माध्यम से अभिव्यक्त कर सकता है
राजनीति क्या है ?
What is Politics ?
राजनीति के बारे में लोगों के विचार अलग-अलग हैं ।
नेता और चुनाव लड़ने वाले लोग कह सकते हैं कि राजनीति एक प्रकार की जनसेवा है।
राजनीति से जुड़े अन्य लोग राजनीति को दावपेंच से जोड़ कर देखते हैं
कई अन्य के लिए राजनीति वही है, जो राजनेता करते हैं।
कुछ लोगों का मानना है की राजनीति सत्ता तक पहुँचने का रास्ता है जब लोग नेताओं को दल-बदल करते, झूठे वायदे और बढ़े-चढ़े दावे करते, विभिन्न तबकों से जोड़ तोड़ करते, निजी या सामूहिक स्वार्थों में की पूर्ति के लिए घृणित रूप में हिंसा पर उतारू होता देखते हैं तो वे राजनीति का संबंध 'घोटालों' से जोड़ते हैं।
इस तरह की सोच इतनी प्रचलित है कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में जब हम हर संभव तरीके से अपने स्वार्थ को साधने में लगे लोगों को देखते हैं, तो हम कहते हैं कि वे राजनीति कर रहे हैं।
आपने जरूर लोगों को यह कहते सुना होगा –
"मुझे राजनीति में रुचि नहीं है या मैं राजनीति से दूर रहता हूँ।”
केवल साधारण लोग ही राजनीति से निराश नहीं है, बल्कि इससे लाभांवित होने और विभिन्न राजनीतिक दलों को चंदा देने वाले व्यवसायी और उद्यमी भी अपनी मुसीबतों के लिए आये दिन राजनीति को कोसते रहते हैं।
सिनेमा के कलाकार भी अक्सर राजनीति की बुराई करते हैं।
यह अलग बात है कि जैसे ही वे इस खेल में सम्मिलित होते हैं वैसे ही वे अपने को इस खेल की जरूरतों के अनुसार ढाल लेते हैं।
राजनीति क्या है ?
What is Politics ?
इसे परिभाषित करना आसान नहीं हैं क्योंकि विभिन्न विद्वानों के राजनीति को लेकर भिन्न मत ( विचार ) हैं कुछ विद्वान राजनीति को शासन करने की कला मानते हैं राजनीति प्रशासन ठीक से चलाने की सीख देती है।
राजनीति प्रशासन को चलाने के दौरान होने वाले विवादों को सुलझाने का कार्य करती है।
राजनीति के द्वारा जनता का कल्याण किया जा सकता है।
राजनीति देश के विकास के लिए निर्णय में सहायक होती है।
राजनीति समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है।
वर्तमान में राजनीति का जुड़ाव निजी स्वार्थ से हो गया है।
राजनीतिक सिद्धांत
Political Theory
राजनीतिक सिद्धांत क्या है ?
राजनीति सिद्धांत क्या है ? इसे परिभाषित करना आसान नहीं हैं क्योंकि विभिन्न विद्वानों के राजनीति सिद्धांत को लेकर भिन्न मत ( विचार ) हैं कुछ विद्वान राजनीति सिद्धांत को, राजनीति में सुधार का साधन मानते हैं।
राजनीतिक सिद्धांत बुनियादी प्रश्नों का विश्लेषण करता है
समाज क्या है।
समाज को कैसे एकजुट होना चाहिए हमें सरकार की जरूरत क्यों है।
सरकार का सबसे बेहतर रूप कौनसा है।
क्या कानून हमारी आजादी को सीमित करता है।
क्या कानून हमारी स्वतंत्रता को सीमित करता है।
नागरिक के रूप में हमारी क्या जिम्मेदारी है।
हम राजनीतिक सिद्धांत में क्या पढ़ते हैं ?
समानता
स्वतंत्रता
न्याय
अधिकार
लोकतंत्र
धर्मनिरपेक्षता
संविधान
विद्वानों के विचार
मार्क्सवाद
आदर्शवाद
उदारवाद
समाजवाद
हमें राजनीतिक सिद्धांत क्यों पढ़ना चाहिए ?
यदि हमें राजनीतिक सिद्धांत का ज्ञान होगा तो भविष्य में आने वाली समस्याओं के दौरान हम एक उचित निर्णय ले सकेंगे।
एक जागरूक नागरिक बनने के लिए और राजनीतिक चेतना जागृत करने के लिए राजनीतिक सिद्धांत का ज्ञान होगा आवश्यक है।
राजनीतिक सिद्धांत के जरिये हमें विभिन्न विचारधाराओं का ज्ञान होता है। जिसके माध्यम से हम अपना मत ( वोट ) देकर सही नेता को चुन सकते है।
समाज से पूर्वाग्रहों को समाप्त करने एवं एकता कायम करने के लिए भी राजनीतिक सिद्धांत को पढ़ना आवश्यक है ।
आन्दोलन को प्रेरणा व सही दिशा देने के लिए।
वाद-विवाद, तर्क-वितर्क, फायदे – नुकसान का आकलन करने के बाद सही फैसला लेने का गुण सीखने के लिए हमें राजनीतिक सिद्धांत पढ़ना चाहिए।
अधिकार एंव कर्त्तव्यों को समझने के लिए राजनीतिक सिद्धांत पढ़ना चाहिए ।
शासन व्यवस्था की जानकारी के लिए राजनीतिक सिद्धांत पढ़ना चाहिए ।
देश के लिए नीति बनाने के लिए राजनीतिक सिद्धांत पढ़ना चाहिए ।
लोकतंत्र की उपयोगिता का ज्ञान प्राप्त करने के लिए राजनीतिक सिद्धांत पढ़ना चाहिए ।
भविष्य की योजनाएं बनाने के लिए राजनीतिक सिद्धांत पढ़ना चाहिए ।
अंतर्राष्ट्रीय शांति व सहयोग को बढ़ावा देने के लिए राजनीतिक सिद्धांत पढ़ना चाहिए ।
विभिन्न शासन प्रणालियों के अध्ययन हेतु राजनीतिक सिद्धांत पढ़ना चाहिए ।
एक छात्र होने के नाते राजनीतिक सिद्धांत पढ़ना चाहिए ।
राजनीतिक सिद्धांत का महत्व
न्याय व समानता के बारे में सुव्यवस्थित सोच का विकास
तर्कसंगत व प्रभावी ढंग से संप्रेषण
कुशल व प्रभावी राजनीति निर्णय लेने में सहायक
अन्तर्राष्ट्रीय जगत की सूचना प्राप्त करने
राजनीतिक सिद्धांत को व्यवहार में उतारना
इस पुस्तक में हमने स्वयं को राजनीतिक सिद्धांत के सिर्फ एक पहलू तक सीमित रखा है-
स्वतंत्रता, समानता, नागरिकता, न्याय, विकास, राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता जैसे राजनीतिक विचारों की उत्पत्ति, अर्थ और महत्त्व के बारे में ही हमने अध्ययन करेंगे जब हम किसी मुद्दे पर बहस या तर्क-वितर्क आरंभ करते हैं, तो हम अकसर पूछते हैं कि 'इसका अर्थ क्या है?' और 'यह कैसे महत्त्वपूर्ण होता है?'
राजनीतिक सिद्धांतकारों ने बताया है कि आज़ादी या समानता क्या है और इसकी विविध परिभाषाएँ प्रस्तुत की हैं। जैसे – गणित में त्रिभुज या वर्ग की परिभाषा होती है, वैसे ही राजनीतिक सिद्धान्त में हम समानता, आज़ादी या न्याय की परिभाषाओं से रूबरू होते हैं।
समानता जैसे शब्दों का सरोकार किसी वस्तु के बजाय अन्य मनुष्यों के साथ हमारे संबंधों से होता है।
वस्तुओं के विपरीत, मनुष्य समानता जैसे मुद्दों पर अपनी राय रखता है आपने गौर किया होगा कि लोग अक्सर सरकारी कार्यालय, डॉक्टर के प्रतीक्षालय या दुकानों में कतार तोड़कर आगे बढ़ जाते हैं। कई बार ऐसा करने वालों को पंक्ति में पीछे जाने के लिए कहा जाता है, तो हमें खुशी होती है। कई बार वे आगे निकल जाते हैं और हम ठगा-सा महसूस करते हैं।
हम इसका विरोध करते हैं, क्योंकि हम जिनके लिए भुगतान करते हैं उन सामानों या सुविधाओं को पाने में समान अवसर चाहते हैं। इसलिए, जब हम अपने अनुभव पर ध्यान देते हैं, हम समझते हैं कि समानता का अर्थ सभी के लिए समान अवसर होता है।
फिर भी, अगर वृद्धों और विकलांगों के लिए अलग काउंटर हों, तो हम समझते हैं कि उनके साथ विशेष बरताव न्यायोचित है।
स्वतंत्रता और समानता को व्यवहार में उतारने का काम बहुत मुश्किल है। हमें अपने पूर्वाग्रहों का त्याग कर, इन्हें अपनाना चाहिए, राजनीतिक सिद्धांत के अध्ययन के द्वारा हम राजनीतिक व्यवस्थाओं के बारे में अपने विचारों तथा भावनाओं का परीक्षण कर सकते है.
हम यह समझ सकते है कि सचेत नागरिक ही देश का विकास कर सकते है, राजनीतिक सिद्धांत कोई वस्तु नहीं है यह मनुष्य से संबधित है उदाहरण के लिए समानता का अर्थ सभी के लिए समान अवसर है फिर भी महिलाओं, वृद्धों या विकलांगों के लिए अलग व्यवस्था की गई है अतः हम कह सकते है कि पूर्ण समानता संभव नहीं है, भेदभाव का तर्क संगत आधार जरूरी है।