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समाजशास्त्र में प्रयुक्त शब्दावली, संकल्पनाएँ एवं उनका उपयोग Class 11 chapter 2 sociology important questions samaajashaastr mein prayukt shabdaavalee, sankalpanaen evan unaka upayog


प्रश्न- सामाजिक समूह से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर-

  • एक सामाजिक समूह ऐसे व्यक्तियों के समूह को संदर्भित करता है 
  • जो एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हैं, 
  • पहचान या अपनेपन की भावना साझा करते हैं 
  • समान हित, मानदंड और मूल्य रखते हैं।
  • ये समूह छोटे मैत्री मंडलों से लेकर बड़े संगठनों या समुदायों तक आकार में भिन्न हो सकते हैं।


प्रश्न- अर्ध समूह से आप क्या समझते हैं ?  

उत्तर-

  • सिर्फ लोगों का जमावड़ा होता है 
  • जो एक समय में एक ही स्थान पर एकत्र होते हैं लेकिन एक दूसरे से कोई निश्चित संबंध नहीं रखते।
  • इनको समुच्चय भी कहा जाता है।  


प्रश्न- संदर्भ समूह किसे कहते हैं ?

उत्तर-

  • कुछ लोगों के लिए हमेशा ऐसे दूसरे समूह होते हैं जिनको वे अपने आदर्श की तरह देखते हैं और उनके जैसे बनना चाहते हैं। 
  • वे समूह जिनकी जीवन शैली का अनुकरण किया जाता है, संदर्भ समूह कहलाते हैं।
  • मध्यवर्गीय भारतीय बिलकुल अंग्रेजों की तरह व्यवहार करने का प्रयत्न करते थे
  • यह प्रक्रिया लिंग-भेद पर आधारित थी
  • भारतीय पुरुष अंग्रेज पुरुषों की तरह बनाना चाहते थे। 
  • परंतु वे यह चाहतेथे कि भारतीय महिलाएँ अपना रहन-सहन 'भारतीय' ही रखें।


प्रश्न- भूमिका से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर-

  • एक व्यक्ति द्वारा समाज में निभाई जाने वाली उन जिम्मेदारियों, कर्तव्यों, और अपेक्षाओं से है जो उसकी सामाजिक स्थिति के आधार पर निर्धारित होती हैं। 
  • समाज में प्रत्येक व्यक्ति की एक या अधिक सामाजिक भूमिकाएँ होती हैं।


प्रश्न- प्रस्थिति से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर-

  • सामाजिक स्थिति और इन स्थितियों से जुड़े निश्चित अधिकार और कर्तव्य से है।


प्रश्न- प्रदत्त तथा अर्जित प्रस्थिति में अंतर बताइए ।

उत्तर-

 प्रदत्त प्रस्थिति: यह प्रस्थिति जन्म से या अनैच्छिक रूप से प्राप्त होती है, जिसे व्यक्ति स्वयं नहीं चुनता।

उदाहरण:

  • आयु 
  • जाति 
  • प्रजाति 
  • नातेदारी 

अर्जित प्रस्थिति: यह प्रस्थिति व्यक्ति अपनी मेहनत, क्षमता, कौशल और चुनावों के माध्यम से अर्जित करता है।

उदाहरण:

  • शैक्षणिक योग्यता 
  • आय 
  • व्यावसायिक विशेषता


प्रश्न- जाति और वर्ग में अंतर बताइए।

उत्तर-

जाति 

  • जाति का निर्धारण व्यक्ति के जन्म से होता है।
  • जाति एक बंद समूह है जिसमें प्रवेश या बदलाव संभव नहीं होता।
  • विवाह, खान-पान आदि पर कड़े नियम होते हैं।
  • जाति व्यवस्था स्थिर और पीढ़ियों से चलने वाली है।
  • यह प्रजातंत्र और राष्ट्रवाद के विपरीत मानी जाती है।

वर्ग 

  • वर्ग का निर्धारण व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा से होता है।
  • वर्ग व्यवस्था में व्यक्ति अपने प्रयासों से ऊपर या नीचे जा सकता है।
  • वर्ग में उतने कठोर नियम नहीं होते जितने जाति में।
  • वर्ग व्यवस्था जाति के मुकाबले कम स्थिर होती है।
  • यह प्रजातंत्र और राष्ट्रवाद के अनुकूल होती है।


प्रश्न – सामाजिक स्तरीकरण से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर - 

  • समाज में लोगों के बीच भेद होता है , 
  • समाज में ऊंच – नीच या छोटे बड़े के आधार पर समाज विभिन्न स्तरों 
  • में बंट जाना ही सामाजिक स्तरीकरण होता है   


प्रश्न – सामाजिक नियंत्रण को समझाएँ ?

उत्तर - 

  • व्यक्तियों और समूहों के व्यवहार को नियमित करने के लिए बल प्रयोग से और समाज में व्यवस्था के लिए मूल्यों व प्रतिमानों को लागू करना ही सामाजिक नियंत्रण है।


प्रश्न – सामाजिक नियंत्रण के प्रकारों की चर्चा उदाहरणों सहित कीजिए।

उत्तर -

सामाजिक नियन्त्रण  के प्रकार 

  • औपचारिक नियन्त्रण : जब नियंत्रण के संहिताबद्ध, व्यवस्थित साधन प्रयोग किए जाते हैं तो यह औपचारिक सामाजिक नियंत्रण के रूप में जाना जाता है। 
  • उदाहरण के लिए, कानून और राज्य।
  • अनौपचारिक नियन्त्रण : यह व्यक्तिगत, अशासकीय और असंहिताबद्ध होता है।
  • अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण के विभिन्न माध्यम होते हैं अर्थात परिवार, धर्म, नातेदारी आदि


प्रश्न – भूमिका स्थिरीकरण को उदाहरण सहित समझाएँ।

उत्तर - 

  • जिसमें व्यक्ति अपनी सामाजिक भूमिका को अच्छे से समझता है, उस भूमिका के अनुसार अपने व्यवहार को ढालता है, और समाज के द्वारा उस भूमिका में स्वीकार किया जाता है।
  • उदाहरण 
  • शिक्षक की भूमिका स्थिरीकरण
  • माता-पिता की भूमिका स्थिरीकरण


प्रश्न – "जाति एक बंद स्तरीकरण है जबकि वर्ग एक खुला स्तरीकरण।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -

जाति

  • आधार:जन्म पर आधारित
  • अवसरों तक पहुंच:जाति के अनुसार सीमित
  • विवाह और सामाजिक संबंध:अंतर-जातीय विवाह पर पाबंदी
  • परिवर्तन की संभावना:जन्म के आधार पर स्थायी, परिवर्तन संभव नहीं
  • संसाधनों का वितरण:उच्च जातियों को अधिक संसाधन और अवसर, निम्न जातियों को कम

वर्ग

  • आधार:आर्थिक स्थिति, शिक्षा, और व्यक्तिगत उपलब्धियों पर आधारित
  • अवसरों तक पहुंच:योग्यता और आर्थिक स्थिति के आधार पर अवसर उपलब्ध
  • विवाह और सामाजिक संबंध:अंतर-वर्गीय विवाह और संबंध सामान्य
  • परिवर्तन की संभावना:शिक्षा, मेहनत, और योग्यता से स्थिति में बदलाव संभव
  • संसाधनों का वितरण:विभिन्न वर्गों के बीच संसाधन और अवसरों का वितरण


प्रश्न – द्वैतीयक समूह क्या है? द्वैतीयक समूहों की कोई दो विशेषताएँ बताइए।

उत्तर - 

  • इन समूहों का गठन किसी विशेष उद्देश्य या लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए होता है, और इनमें आपसी संबंध आमतौर पर औपचारिक और लक्ष्य-उन्मुख होते हैं।
  • विशेषताएँ
  • आकार में अपेक्षाकृत बड़े
  • लक्ष्य उन्मुख
  • औपचारिक और अवैयक्तिक संबंध
  • विद्यालय, सरकारी कार्यालय, अस्पताल, छात्र संघ


प्रश्न – जाति आधारित स्तरीकरण से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर - 

  • व्यक्ति की स्थिति जन्म द्वारा निर्धारित होती है 
  • विभिन्न जातियाँ सामाजिक श्रेष्ठता का अधिक्रम बनाती थी। 
  • जाति संरचना में प्रत्येक स्थान दूसरों के संबंध में इसकी शुद्धता या अपवित्रता के द्वारा परिभाषित था।
  • पुरोहित जाति ब्राह्मण जोकि सबसे अधिक पवित्र हैं, बाकी सबसे श्रेष्ठ हैं और पंचम, जिनको कई बार 'बाह्य जाति' कहा गया, सबसे निम्न हैं।
  • परंपरागत व्यवस्था को सामान्यतः ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र के चार वर्णों के रूप में संकल्पित किया गया है।



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