जल संसाधन Short and long question class 12 chapter 4 geography book 2 jal sansaadhan
0Team Eklavyaअक्टूबर 20, 2024
प्रश्न - भारत में कुछ राज्यों में भौम जल संसाधन के अत्याधिक उपयोग के दुष्परिणामों का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
भौम जल संसाधन के अत्यधिक उपयोग के दुष्परिणाम :-
पंजाब, हरियाण और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भौम जल संसाधन के अत्याधिक उपयोग से भौमजल स्तर नीचा हो गया है।
राजस्थान और महाराष्ट्र में अधिक जल निकालने के कारण भूमिगत जल में फ्लुरोइड की मात्रा बढ़ गई है।
पं. बंगाल और बिहार के कुछ भागों में संखिया की मात्रा बढ़ गई है।
पानी को प्राप्त करने में अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
प्रश्न - जल संभर प्रबन्धन के लिए सरकार द्वारा उठाये गये प्रमुख कदम कौन से हैं?
उत्तर -
जल संभर प्रबंधन :-
धरातलीय एवं भौम जल संसाधनों का दक्ष प्रबन्धन, जिसमें कि वे व्यर्थ न हो, जल संभर प्रबन्धन कहलाता है।
इससे भूमि, पौधे एवं प्राणियों तथा मानव संसाधन के संरक्षण को भी विस्तृत अर्थ में शामिल करते हैं।
प्रमुख कदम :-
'हरियाली' केन्द्र सरकार द्वारा प्रवर्तित जल संभर विकास परियोजना है। इस योजना से ग्रामीण जल संरक्षण करके पेय जल की समस्या को दूर करने के साथ-साथ वनरोपण, मत्स्य पालन एवं सिंचाई की सुविधा भी प्राप्त कर सकते हैं।
नीरू-मीरु कार्यक्रम आन्ध्रप्रदेश में चलाया गया है। जिसका तात्पर्य है 'जल और आप'। इस कार्यक्रम में स्थानीय लोगों को जल संरक्षण की विधियाँ सिखाई गई है।
अरवारी पानी संसद ( राजस्थान ) में जोहड़ की खुदाई एवं रोक बांध बनाकर जल प्रबन्धन किया गया है।
तमिलनाडु में सरकार द्वारा घरों में जल संग्रहण संरचना आवश्यक कर दी गई है।
उपर्युक्त सभी कार्यक्रमों में स्थानीय निवासियों को जागरूक करने उनका सहयोग लिया गया है।
उद्देश्य:-
कृषि और कृषि से संबंधित क्रियाकलापों जैसे उद्यान, कृषि, वानिकी और वन संवर्धन का समग्र रूप से विकास करना।
कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए।
पर्यावरणीय हास को रोकना तथा लोगों के जीवन को ऊँचा उठाना।
प्रश्न - भारत में "वर्षा जल संग्रहण" धरातलीय जल संसाधनों के दक्ष प्रबंधन और संरक्षण की विधियाँ किस प्रकार है, स्पष्ट कीजिए ।
वर्षा जल संग्रहण:-
ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत वर्षा जल संग्रहण, जलाशयों, जैसे-झीलों, तालाबों आदि में किया जाता है।
राजस्थान में वर्षा जल संग्रहण ढाँचे जिन्हें कुंड अथवा टाँका के नाम से जानी जाती है, निर्माण घर में संग्रहीत वर्षा जल को एकत्र करने के लिए किया जाता है
जल संग्रहण पानी की उपलब्धता को बढ़ाता है, भूमिगत जल स्तर को नीचा होने से रोकता है, फ्लोराइड और नाइट्रेटस जैसे संदूषकों को कम करने और भूमिगत जल की गुणवत्ता बढ़ाता है।
प्रश्न - भारत में जल संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक हैं? किन्हीं तीन कारणों को स्पष्ट कीजिए?
उत्तर -
अलवणीय जल की घटती उपलब्धता
शुद्ध जल की घटती उपलब्धता।
जल की बढ़ती मांग ।
तेजी से फैलते हुए प्रदूषण से जल की गुणवत्ता का हास
वर्षा जल संग्रहण किसे कहते है? वर्षा जल संग्रहण के आर्थिक व सामाजिक मूल्यों का विश्लेषण कीजिए। (किन्हीं चार का)
अथवा
वर्षा जल संग्रहण के किन्हीं पांच उपयोगों का वर्णन करें।
वर्षा जल संग्रहण विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा के जल को रोकने और एकत्र करने की विधि है।
वर्षा जल संग्रहण के आर्थिक व सामाजिक मूल्य :-
1) पानी के उपलब्धता को बढ़ाता है जिसे सिंचाई तथा पशुओं के लिए उपयोग किया जाता है।
2) भूमिगत जल स्तर को नीचा होने से रोकता है।
3) मृदा अपरदन और बाढ़ को रोकता है।
4) लोगों में सामूहिकतारी भावना को बढ़ाता है।
5) भौम जल को पम्प करके निकालने में लगने वाली ऊर्जा की बचत करता है।
6) लोगों में समस्या समाधान की प्रवृत्ति बढ़ाता है।
7) प्रकृति से मधुर संबंध बनाने में सहायक होता है।
8) लोगों को एक-दूसरे के पास लाता है।
9) फ्लुओराइड और नाइट्रेटस जैसे संदूषकों को कम कर के भूमिगत जल की गुणवत्ता को बढ़ाता है।
प्रश्न - भारत में सिंचाई की बढ़ती हुई माँग के लिए उत्तरदायी कारकों का वर्णन कीजिए?
भारत एक उष्ण कटिबन्धीय प्रदेश है इसलिए यहाँ सिंचाई की माँग अधिक है। सिंचाई की बढ़ती माँग के कारण निम्नलिखित है :-
1. वर्षा का असमान वितरण :- देश में सारे वर्ष वर्षा का अभाव बना रहता है। अधिकांश वर्षा केवल (मानसून) वर्षा के मौसम में ही होती है इसलिए शुष्क ऋतु में सिंचाई के बिना कृषि संभव नहीं।
2. वर्षा की अनिश्चितता :- केवल वर्षा का आगमन ही नहीं बल्कि पूरी मात्रा भी अनिश्चित है। इस उतार-चढ़ाव की कमी को केवल सिंचाई द्वारा ही पूरा किया जा सकता है।
3. परिवर्तन शीलता :- वर्षा की भिन्नता व परिवर्तनशीलता अधिक है। किन्हीं क्षेत्रों में वर्षा अधिक होती है तो कहीं कम, कहीं समय से पहले तो कहीं बाद में। इसलिए सिंचाई के बिना भारतीय कृषि 'मानसून का जुआ' बनकर रह जाती है।
4. मानसूनी जलवायु :- भारत की जलवायु मानसूनी है जिसमें केवल तीन से चार महीने तक ही वर्षा होती है। अधिकतर समय शुष्क ही रहता है जबकि कृषि पूरे वर्ष होती है इसलिए सिंचाई पर भारतीय कृषि अधिक निर्भर है।
5. खाद्यान्न व कृषि प्रधान कच्चे माल की बढ़ती माँग :- देश की बढ़ती जनसंख्या के कारण खाद्यान्नों व कच्चे माल की माँग में निरन्तर वृद्धि हो रही है। इसलिए बहुफसली कृषि जरूरी है जिसके कारण सिंचाई की माँग बढ़ रही है।