प्रश्न - बंजर भूमि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर -
- बंजर व व्यर्थ-भूमि (Barren and wastelands) : वह भूमि जो प्रचलित
- प्रौद्योगिकी की मदद से कृषि योग्य नहीं बनाई जा सकती, जैसे- बंजर पहाड़ी भूभाग, मरुस्थल, खड्डआदि को कृषि अयोग्य व्यर्थ-भूमि में वगीकृत किया गया है।
प्रश्न - कृषि योग्य व्यर्थ भूमि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर -
- कृषि योग्य व्यर्थ भूमि (Culturable waste land) : वह भूमि जो पिछले पाँच वर्षों तक या अधिक समय तक परती या कृषिरहित है, इस संवर्ग में सम्मिलित की जाती है। भूमि उद्धार तकनीक द्वारा इसे सुधार कर कृषि योग्य बनाया जा सकता है।
प्रश्न - पुरातन परती भूमि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर -
पुरातन परती भूमि (Fallow other than current fallow) :
- यह भी कृषि योग्य भूमि है जो एक वर्ष से अधिक लेकिन पाँच वर्षों से कम समय तक कृषिरहित रहती है। अगर कोई भूभाग पाँच वर्ष से अधिक समय तक कृषि रहित रहता है तो इसे कृषि योग्य व्यर्थ भूमि संवर्ग में सम्मिलित कर दिया जाता है।
प्रश्न - निवल बोया क्षेत्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर -
निवल बोया क्षेत्र (Net area sown) :
- वह भूमि जिस पर फ़सलें उगाई व काटी जाती हैं, वह निवल बोया गया क्षेत्र कहलाता है।
प्रश्न - भारत में भू-संसाधनों का महत्व उन लोगों के लिए अधिक है जिनकी आजीविका कृषि पर निर्भर है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
- कृषि पूरी तरह से भूमि पर आधरित है। भूमिहीनता का ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी से प्रत्यक्ष संबंध है।
- भूमि की गुणवत्ता कृषि उत्पादन को प्रभावित करती है अन्य कार्यों की नही।
- ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि का स्वामित्व आर्थिक मूल्य के साथ-साथ सामाजिक सम्मान से भी जुडा है।
प्रश्न - भारत में कृषि योग्य भूमि का निम्नीकरण किस प्रकार कृषि की गंभीर समस्याओं में से एक है ? कारण एंव परिणाम लिखिये ।
उतर -
1. भूमि संसाधनों के निम्नीकरण के कारण
- नहर द्वारा अत्यधिक सिंचाई जिसके कारण लवणता एंव क्षारीयता में वृद्धि होती है।
- कीटनाशकों का अत्याधिक प्रयोग ।
- जलाक्रांतता (पानी का भराव होना)।
- फसलों को हेर-फेर करके न बोना, दलहन फसलों को कम बोना। सिंचाई पर अत्याधिक निर्भर फसलों को उगाना।
2. भूमि संसाधनों के निम्नीकरण के परिणाम
- मिट्टी की उर्वरता शक्ति कम होना।
- मिट्टी का अपरदन।
प्रश्न - भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् कृषि विकास की महत्वपूर्ण नीतियों का वर्णन कीजिए ?
उत्तर -
- स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले भारतीय कृषि मुख्यतः जीविकोपार्जी थी, जिसके अंतर्गत किसान बड़ी मुश्किल से अपने तथा अपने परिवार के सदस्यों के लिए ही फसलें उगा सकता था।
- इस अवधि में सूखा तथा अकाल आम घटनाएं हुआ करती थी और लोगों को खाद्यांनों की कमी का सामना करना पड़ता था।
- सवतंत्रता प्राप्ति के तुरंत बाद सरकार ने खाद्यान्नों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए जिनका उद्देश्य निम्नलिखित है।
1. व्यापारिक फसलों के स्थान पर खाद्यान्नों की कृषि को बढ़ावा देना
2 . कृषि गहनता को बढ़ाना
3 . कृषि योग्य बंजर तथा परती भूमि को कृषि भूमि में परिवर्तित करना।
4. केंन्द्र सरकार में 1960 में गहन क्षेत्र विकास कार्यक्रम (Intensive area Development Programme (ADP) तथा गहन कृषि क्षेत्र कार्यक्रम (Intensive Agricultural Area programme IAAP) आरम्भ किया।
5. गेंहूँ तथा चावल के अधिक उपज देने वाले बीज (HYV High Yielding Variety) भारत में लाए गए।
6. रासायनिक उर्वरकों का उपयोग और सिंचाई की सुविधाओं में सुधार एवं उनका विकास किया गया। इन सबके संयुक्त प्रभाव को हरित क्रांति (Green Revolution) के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न - 'हरित क्रांति’ का वर्णन कीजिए ।
उत्तर -
- भारत में 1960 के दशक में खाद्यान संकट की समस्या आई
- ऐसे में फसलों के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए अधिक उत्पादन देने वाली नई किस्मों के बीज किसानों को उपलब्ध कराये गये।
- जिसके फलस्वरूप पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात, राज्यों में खाद्यान्नों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। इसे हरित क्रान्ति के नाम से जाना जाता है।
हरित क्रान्ति की निम्नलिखित विशेषताएं :-
1. उन्नत किस्म के बीज
2. सिंचाई की सुविधा
3. रासायनिक उर्वरक
4. कीटनाशक दवाईयां
5. कृषि मशीनें
प्रश्न - भारतीय कृषि की मुख्य समस्याएँ क्या हैं ?
उत्तर -