Who द्वारा विभिन्न आयु वर्गों के लिए व्यायाम से सम्बंधित दिशा निर्देश
5 वर्ष से कम आयु वर्गों के लिए व्यायाम से सम्बंधित दिशा निर्देश
1 वर्ष से कम आयु वर्गों के लिए व्यायाम
- 1 घंटे से ज्यादा बच्चे को निष्क्रिय न रहने दे
- बच्चे से बात करे
- उसे कहानी सुनाएँ
- TV न दिखाएँ
शारीरिक गतिविधि -
- समतल सतह पर खेलने दें
- दिन में अधिक समय तक सक्रिय रखना
- आधे घंटे के लिए पेट के बल लेटना
नींद
- 14 – 17 घंटे ( 0 – 3 month )
- 12 -16 घंटे (4 - 11 month )
1 – 2 वर्ष से की आयु
- 1 घंटे से ज्यादा निष्क्रिय न रहने दे
- बच्चे से बात करे
- उसे कहानी सुनाएँ
- TV या मोबाइल न दिखाएँ
- 2 साल तक बच्चे को 1 घंटे से ज्यादा स्क्रीन न देखने दे
शारीरिक गतिविधि -
- 3 घंटे तक के माध्यम तीव्र हल्की गतिविधि में भाग लेने दें
नींद
- 11 -14 – घंटे की नींद
3 से 4 वर्ष की आयु
- 1 घंटे से ज्यादा निष्क्रिय न रहने दे
- बच्चे से बात करे
- उसे कहानी सुनाएँ
- 1 घंटे से ज्यादा स्क्रीन न देखने दे
शारीरिक गतिविधि -
- 3 घंटे तक के तीव्र गतिविधि में भाग लेने दें
- 1 घंटे की गतिविधि माध्यम गति की होनी चाहिए
नींद
- 10 -13 – घंटे की नींद
5 से 17 वर्ष के बच्चे और युवा
व्यायाम की अवधि
- कम से कम 1 घंटे की गतिविधि
- यदि 1 घंटे से अधिक गतिविधि करते है तो स्वास्थ्य को अतिरिक्त फायदे होंगे
गतिविधि के प्रकार
- एरोबिक , कूदना , दौड़ना , फेकना इत्यादि
लाभ -
- नियमित व्यायाम से हड्डियां विकसित और मजबूत होती है
- मांसपेशियों का विकास
- हृदय प्रणाली सही होगी
- लचीलापन बढेगा
- भावनाओं पर नियंत्रण होगा
- चिंता , अवसाद का प्रबंधन
18 से 64 वर्ष के आयु वर्ग के लिए व्यायाम
व्यायाम की तीव्रता
- 1 घंटे से ज्यादा बच्चे को निष्क्रिय न रहने दे
- बच्चे से बात करे
- उसे कहानी सुनाएँ
- TV न दिखाएँ
शारीरिक गतिविधि -
- समतल सतह पर खेलने दें
- दिन में अधिक समय तक सक्रिय रखना
- आधे घंटे के लिए पेट के बल लेटना
नींद
- 14 – 17 घंटे ( 0 – 3 month )
- 12 -16 घंटे (4 - 11 month )
व्यायाम
- एरोबिक व्यायाम करने चाहिए
- एक सप्ताह में 150 से 300 मिनट के
- मध्यम तीव्रता के व्यायाम करने चाहिये
- मांसपेशियों की शक्ति बढ़ने
- सप्ताह में दो या दो से अधिक दिन के लिए शरीर की बड़ी मांसपेशियों के लिए व्यायाम
व्यायाम के नाम -
1. टहलना
2. तैरना
3. भार प्रशिक्षण
4. नृत्य
5. कार धुलाई
6. बागवानी
7. खेल
8. समुदाय के साथ व्यायाम
व्यायाम की तीव्रता |
मध्यम से तीव्र गति |
व्यायाम के प्रकार |
मांसपेशियों शक्ति एरोबिक व्यायाम और संतुलन
बढ़ाने के व्यायाम |
एरोबिक व्यायाम |
प्रत्येक सप्ताह 150 से 300 मिनट मध्यम
तीव्रता के व्यायाम अथवा 75 से 150 मिनट अधीक तीव्रता के साथ जिसमें से एक
एरोबिक व्यायाम की अवधि कम से कम 10 मिनट होनी चाहिए। |
मांसपेशिय शक्ति बढ़ाने के व्यायाम संतुलन
बढ़ाने के व्यायाम |
शरीर की बड़ी मांसपेशियों की शक्ति को बढ़ाने
वाले व्यायाम, 1 सप्ताह में दो या
दो अधिक दिन के लिए। अधिक आयु के वयस्कों को गिरने से बचने के लिए संतुलन बढ़ाने
के लिए और गतिशीलता में कमी से बचने के लिए 3 या 3 से अधिक दिन
व्यायाम करना चाहिए। |
व्यायाम के लाभ -
- मधुमेय ,रक्तचाप , ह्रदय रोग , स्ट्रोक की सम्भावना कम रहेगी
- हृदय और श्वसन तंत्र सही रहेगा
- लचीलापन बढेगा
- गैर संचारी रोग की सम्भावना कम रहेगी
- चिंता , अवसाद का प्रबंधन
- कूल्हे की हड्डी में फ्रेक्चर की सम्भावना कम रहेगी
आसन संबंधी सामान्य विकृतियाँ
- सपाट पैर
- घुटने का टकराना
- धनुष आकार टाँगे
- झुके हुए कंधें
- आगे की ओर कूबड़
- स्कोलिओसिस
- पीछे की ओर कूबड़
घुटने का टकराना एक आसान संबंधी विकृति है
- इसमें जब कोई व्यक्ति सामान्य रूप से खड़ी अवस्था में होता है तब ऐसा लगता है जैसे उसके घुटने आपस में मिल रहे हैं या फिर चलने के दौरान दोनों घुटने आपस में टकराते हैं जिस कारण व्यक्ति सही ढंग से चल और दौड़ नहीं पता है
घुटने के टकराने के कारण
- आहार में कमी
- मोटापा
- अविकसित पैर
घुटने के टकराने के लक्षण
- खड़े रहने पैर दोनों घुटने आपस में स्पर्श होना
- चलते और दौड़ते समय घुटने का आपस में टकराना
सावधानियां
- उचित आहार लेना चाहिए
- कम उम्र में शिशु को न चलायें
सुधारात्मक उपाय / व्यायाम
- घुड़सवारी
- साईकिल चलाना
- पदमासन
- गोमुखासन
- दोनों पैरो के बीच में तकिया रखना
चपटे पैर / सपाट पैर
- नवजात शिशुओं के पर अक्सर चपटे होते हैं लेकिन समय के साथ यह विकृति का रूप ले सकते हैं इस समस्या से ग्रस्त व्यक्ति के पैरो में दर्द महसूस होता है उन्हें खड़े रहने में और चलने में समस्या का सामना करना पड़ता है
चपटे पैर के कारण
- मांसपेशियों में कमजोर
- अत्यधिक शारीरिक भार
- गलत जूते
चपटे पैर के लक्षण
- खड़े होते समय पैर में दर्द
- गीले पैर से चलते समय पैर का पूरा निशान दिखना
सावधानियां
- बच्चों को मोटापे से बचाएं
- कम उम्र में बच्चों को न चलायें
- उचित आहार
सुधारात्मक उपाय / व्यायाम
- विटामिन डी युक्त भोजन
- रेत पर दौड़ना
- अभ्यास
झुके हुए कंधे
- यह एक आसान संबंधी विकृति है इसमें कंधे गोल होकर आगे की तरफ झुक जाते हैं
झुके हुए कंधे के कारण
- आनुवंशिकता
- झुकी अवस्था में उठाना , बैठना
- व्यायाम न करने से
झुके हुए कंधे के लक्षण
- कंधे गोल होकर आगे की तरफ झुक जाना
- कंधे और कान एक सीध में न दिखना
सावधानियां
- कभी भी झुकी स्थिति में बैठना नहीं चाहिए
- कभी भी झुकी स्थिति में चलना नहीं चाहिए
- अधिक तंग कपडे नहीं पहनने चाहिए
सुधारात्मक उपाय / व्यायाम
- रस्से पर लटकना
- कंधे का व्यायाम करना
- चक्रासन करना
- धनुरासन करना
आगे तथा पीछे की ओर कूबड़
- इसमें व्यक्ति के शरीर में आगे या पीछे की और कूबड़ हो सकता है
- कूबड़ के कारण
- असंतुलित आहार
- व्यायाम न करना
- मांसपेशियों में समस्या
कूबड़ के लक्षण
- पीठ पर कूबड़ निकलना
- छाती पर कूबड़ निकलना
सावधानियां
- मोटापे से बचना चाहिए
- भार ढोते समय शरीर को सीधा रखना चाहिए
- संतुलित आहार लेना चाहिए
सुधारात्मक उपाय / व्यायाम
- व्यायाम करना
- योग करना
स्कोलिओसिस
- इसमें व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी मुड़ जाती है
- कूबड़ के कारण
- जोड़ो के रोग के कारण
- एक ही कंधे पर अधिक वजन डालने से
- मेरुदंड में समस्या के कारण
कूबड़ के लक्षण
- एक कूल्हा ऊपर एक नीचा दिखता है
- शरीर का वजन एक पैर पर ज्यादा होता है
- शरीर एक तरफ झुका दिखता है
सावधानियां
- कैल्सियम युक्त आहार लेना चाहिए
- एक ही तरफ भार पकड कर लम्बे समय तक बचना चाहिए
सुधारात्मक उपाय / व्यायाम
- व्यायाम करना
- योग करना
- तैराकी
- त्रिकोण आसन
खेलों में महिलाओं की भागीदारी के लाभ
- शारीरिक लाभ
- मनोवैज्ञानिक लाभ
- सामाजिक लाभ
- हमारा समाज पुरुष प्रधान समाज है यहां लैंगिक भिन्नता स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है
- ऐसा माना जाता रहा है कि महिलाओं का शरीर कोमल होता है महिलाएं शारीरिक रूप से पुरुषों की अपेक्षा दुर्बल होती हैं और उनका कार्य शिशु जन्म एवं पालन पोषण है
- इस प्रकार की मानसिकता में यह माना जाता है कि महिलाओं का खेलों में भाग लेना उचित नहीं है
- परंतु आज के समय में महिलाओं को सभी खेलों और प्रतियोगिताओं में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेते देखा जा सकता है
- वर्तमान समय में लोगों की मानसिकता में बदलाव आया है महिलाओं ने घर से बाहर निकल कर खेल के मैदान में पहुंचना शुरू कर दिया है
- प्राचीन समय समाज में यह माना जाता था कि महिलाएं केवल बच्चा पैदा करने का कार्य करती हैंलेकिन अब महिलाओं को घरेलू कार्य तक सीमित नहीं रखा जाता
- भारत में खेलों में महिलाओं की भागीदारी का समृद्ध रिकॉर्ड है
- भारत खेलो इंडिया योजना और राष्ट्रीय खेल प्रतिभा योजना जैसे कार्यक्रम चलाता है ताकि भारत में खेलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई जा सके और उन्हें मुख्य धारा में लाया जा सके
- खेल भागीदारी न केवल स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है बल्कि समग्र विकास को बढ़ावा देती है
- खेल - रंग, जाति, पंथ, लिंग, नस्ल आदि के आधार पर भेदभाव नहीं करता
- खेलों में महिलाओं की भागीदारी उन्हें फिट रहने में मदद करती है और बीमारियों की संभावना को कम करती है
- खेलों में भाग लेने वाली महिलाओं के लिए कुछ शारीरिक लाभ हैं
खेलों में महिलाओं की भागीदारी के शारीरिक लाभ -
- मांसपेशियाँ मजबूत होती है
- हृदय प्रणाली में सुधार आता है
- मोटापे का नियंत्रण
- हड्डियों का घनत्व बढ़ता है
खेलों में महिलाओं की भागीदारी के मनोवैज्ञानिक लाभ -
- तनाव प्रबंधन
- आत्म सम्मान
- आत्म विश्वास
- नेतृत्व
खेलों में महिलाओं की भागीदारी के सामाजिक लाभ -
- संप्रेषण कौशल में वृद्धि
- अच्छे सम्बन्ध
- सहयोग में वृद्धि
महिला खिलाड़ी की विशेष परिस्थितियां
1. प्रथम रजोदर्शन
- प्रथम रजोदर्शन का अर्थ है लड़कियों का पहली बार मासिक रक्त स्राव आनायह रक्तस्राव हर 26 से 28 दिन के अंतराल पर होता है यह मासिक धर्म कहलाता है
किशोरियों में मासिक धर्म की शुरुआत
- लगभग 12 से 14 वर्ष की आयु के बीच होता है
- मासिक धर्म की अवधि 3 से 7 दिन तक हो सकती है
- आयु बढ़ने के अनुसार धीरे-धीरे कम होती जाती है
- और यह प्रक्रिया लगभग 40 से 50 वर्ष की आयु तक चलती है
महिला खिलाड़ियों पर मासिक धर्म के प्रभाव
- तेज शारीरिक गतिविधियों वाले खेलों में भाग लेने से महिला खिलाड़ियों के प्रजनन संसथान पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है
- मासिक धर्म की अवस्था के दौरान महिला खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव दिखता है
- मासिक धर्म की स्थिति में महिला खिलाड़ी अक्सर घबराहट, बेचैनी महसूस करती हैं
- इस अवस्था की शुरुआती दिन में महिला के पेट में दर्द और उल्टी की शिकायत हो सकती है
2. असामान्य मासिक धर्म
- मासिक धर्म में अनियमितता ही असामान्य मासिक धर्म कहलाता है
- इसमें मासिक धर्म नियमित अन्तराल पर नहीं होता है
कारण –
- खान पान में कमी
- कोई बीमारी
- आनुवंशिक
महिला खिलाड़ियों पर असामान्य मासिक धर्म के प्रभाव
- शरीर में खून की कमी
- शरीर में कंपन महसूस होना
- खिलाड़ी का जल्दी थक जाना
- चिडचिडापन
- बेचैनी होना
महिला एथलीट त्रय
- महिला एथलीट त्रय शारीरिक समस्याओं का एक लक्षण समूह है
- इसमें रक्तहीनता ( एनीमिया ) अस्थि सुशिरीरता ( ओस्टियोपोरोसिस ) तथा ऋतुरोध उपस्थित है
- यह समस्या बहुत गंभीर होती है जिसके दुष्परिणाम पीड़ित महिला को जीवन भर झेलने पड़ते हैं
- कई बार इसके कारण महिला की मृत्यु तक हो सकती है
अस्थि सुशिरीरता ( ओस्टियोपोरोसिस )
- ओस्टियोपोरोसिस हड्डी से सम्बंधित रोग है इसमें हड्डियाँ इतनी कमजोर होने लगती है की आसानी से टूट सकती है
- यह रोग पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक होता है
कारण
- हारमोंस के कारण
- आहार में कैल्शियम की कमी के कारण
- मासिक राजोरोध के कारण
- नशा करना
ऋतुरोध ( राजोरोध )
- ऋतुरोध महिलाओं में वह अवस्था है जिसमें प्रजनन योग्य आयु होने के बावजूद भी उनमें मासिक स्राव नहीं होता इसमें किसी महिला का मासिक धर्म 3 महीने या उससे अधिक समय के लिए रुक जाता है
ऋतुरोध ( राजोरोध ) के कारण
- असंतुलित आहार
- कम कैलोरी वाला भोजन
- हारमोंस में बदलाव
- अधिक व्यायाम
ऋतुरोध ( राजोरोध ) के प्रभाव
- महिला अक्सर तनाव ग्रस्त रहती है
- महिला के खेल प्रदर्शन में गिरावट आती है
- महिला गर्भधारण नहीं कर पाती है
- महिला में रक्तहीनता की समस्या देखने को मिलती है
- महिला में थकान का अनुभव होता है
भोजन संबंधी विकार
- जब व्यक्ति सामान्य से अधिक मात्रा में या बहुत कम मात्रा में भोजन करने लगे तो इसे भोजन संबंधी विकार कहते हैं
- ये एक प्रकार की मानसिक बीमारी हैं।
इस के दो प्रकार होते हैं।
1. एनोरेक्सिया नर्वोसा-क्षुधा अभाव
2. बुलिमिया-अति क्षुधा
1. एनोरेक्सिया नर्वोसा-क्षुधा अभाव
- इस रोग से पीड़ित व्यक्ति अपने शारीरिक भार को कम करने के उद्देश्य से भोजन की मात्रा बहुत कम कर देता है
- जिसके कारण वह दुबला पतला प्रतीत होने लगता है वजन कम करने के लिए वह कई गलत तरीके भी अपनाते हैं जिससे उसे विभिन्न प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं
एनोरेक्सिया नर्वोसा-क्षुधा अभाव के कारण
- सामाजिक कारक
- व्यक्तिगत कारक
- जैविक
- कारक
सामाजिक कारक -
- माता – पिता , मित्र आदि के द्वारा शारीरिक आकार को लेकर मजाक बने जाता है / मोडलिंग , जिम्नास्टिक के कारण
व्यक्तिगत कारक -
- हर व्यक्ति अच्छा दिखना चाहता है , समूह में खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए भी वह इससे ग्रसित हो जाता है
जैविक कारक -
- यदि कोई गर्भवती महिला इस रोग से पीड़ित है और वह बच्चे को जन्म देती है तो उसे भी यह हो सकता है
एनोरेक्सिया नर्वोसा-क्षुधा अभाव के लक्षण
- शारीरिक भार में तेजी से कमी आती हैं जिसके कारण शारीरिक स्वरूप से पतला प्रतीत होता है।
- किशोरियों के मासिक धर्म में अनियमितता होने लगती है।
- उल्टी, शरीर के फूलने का अहसास तथा कब्ज की शिकायत रहती है।
- रक्तहीनता हो जाती है।
- नाड़ीगति तथा रक्तचाप धीमा रहने लगता है।
- दांतो की समस्याएँ, लार ग्रंथि सूजन की आशंका बढ़ जाती हैं।
- कई बार अधिक भोजन का सेवन कर लेते है
एनोरेक्सिया नर्वोसा-क्षुधा अभाव से बचाव
- भार कम करने के लिये सुनी-सुनाई बातों या किताबों के ज्ञान की अपेक्षा विशेषज्ञ की सलाह ले।
- बच्चों को यह समझाना चाहिये की भारी शरीर होने के बावजूद भी वह चुस्त तथा आकर्षक बने रह सकते हैं।
- समस्या से ग्रस्त व्यक्ति से दर रहें।
- मनोवैज्ञानिक की सहायता भी ली जा सकती है डॉक्टर के परामर्श अनुसार दवाईयाँ भी ली सकती है।
2. बुलिमिया नर्वोसा
- यह खाने से सम्बंधित एक विकार है
- इससे ग्रसित व्यक्ति अत्यधिक रूप से भोजन करता है
बुलिमिया नर्वोसा के कारण
1. वंशानुक्रम कारक -
- यदि किस व्यक्ति के परिवार में किसी को यह रोग है ,
- तो उसके बच्चो को भी यह रोग हो सकता है
2. खेल कारक -
- जिम्नास्टिक , भार प्रशिक्षण के खिलाडियों को वजन अधिक चाहिए इसलिए यह अधिक खाते हैं
मनोवैज्ञानिक कारक -
- स्वादिष्ट भोजन के प्रति मनुष्य का लालच
अन्य कारक -