यायावार साम्राज्य
दो महाद्वीपों में फैला हुआ था
- यूरोप
- एशिया
- यायावार लोग घुमक्कड़ थे ,यह मध्य एशिया के मंगोल थे
- इन्होंने चंगेज खान के नेतृत्व में तेरहवीं और चौदहवीं शताब्दी में पारमहाद्वीपीय साम्राज्य की स्थापना की थी
- इनका साम्राज्य यूरोप और एशिया महाद्वीप तक फैला हुआ था
- इन्होंने चंगेज खान के नेतृत्व में एक मजबूत सैनिक तंत्र खड़ा कर दिया था
- मंगोलो ने शासन संचालन की प्रभावी पद्धति का सूत्रपात किया
- तेरहवीं शताब्दी के प्रारंभिक दशकों में जब चंगेज़ खान ने मंगोलों को संगठित किया।
- मध्य एशिया के स्टेपी प्रदेश में चंगेज खान के नेतृत्व में एक नयी राजनैतिक शक्ति का उदय हुआ
- इससे यूरोप और एशियाई महाद्वीप के महान साम्राज्यों ने एक बड़े खतरे का अनुभव किया।
- चंगेज़ खान की राजनैतिक दूरदर्शिता सिर्फ मंगोल जातियों का एक महासंघ बनाने तक सीमित नहीं थी बल्कि वह कहीं अधिक दूरगामी सोच रखता था ।
- ऐसा कहा जाता है की उसे ईश्वर से विश्व पर शासन करने का आदेश प्राप्त था।
- चंगेज खान का अपना जीवन मंगोल जातियों पर कब्ज़ा जमाने में और साम्राज्य के क्षेत्र
- जैसे - उत्तरी चीन, तुरान , अफ़गानिस्तान, पूर्वी ईरान, रूसी स्टेपी प्रदेशों के विरुद्ध युद्ध अभियानों के नेतृत्व में बीता;
- बाद में चंगेज खान के वंशजों ने इस क्षेत्र से और आगे जाकर चंगेज़ खान के स्वप्न को सार्थक किया एवं दुनिया के सबसे विशाल साम्राज्य का निर्माण किया।
- चंगेज़ खान के आदर्शों के मुताबिक उसके पोते, मोन्के (1251-60) ने
- फ्रांस के शासक लुई नौवें (1226-70) को चेतावनी दी थी
- चंगेज खान के एक दूसरे पोते बाटू (Batu) ने अपने 1236-1241 के अभियानों में रूस की भूमि को मास्को तक रौंद डाला
- और पोलैंड, हंगरी पर विजय प्राप्त की ।
- तेरहवीं शताब्दी तक यह लगने लगा कि शाश्वत आकाश मंगोलों के पक्ष में था।
- चीन के अधिकांश भाग, मध्यपूर्व एशिया और यूरोप यह मानने लगे कि
- चंगेज खान की दुनिया पर विजय 'ईश्वर का गुस्सा है और यह कयामत के दिन की शुरुआत है।
यायावार समाज के बारे में जानकारी के स्रोत
यायावार समाज के ऐतिहासिक स्रोत
- यात्रा वृतांत -
- इतिवृत्त -
- नगरीय साहित्यकारों की रचनाएँ -
- चीनी भाषाओं में प्राप्त स्रोत -
- मंगोल भाषाओं में प्राप्त स्रोत -
- अरबी भाषाओं में प्राप्त स्रोत -
मंगोलों की सामाजिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि
- मंगोल विविध जनसमुदाय का एक निकाय था।
- ये लोग पूर्व में तातार, खितान और मंचू लोगों से और पश्चिम में तुर्की कबीलों से भाषागत समानता होने के कारण ये परस्पर सम्बद्ध थे।
- कुछ मंगोल पशुपालक थे मंगोल कृषक नहीं थे कुछ शिकारी संग्राहक थे। यह पशुपालक घोड़ों, भेड़ों , बकरी और ऊँटों को भी पालते थे।
- उनका यायावरीकरण मध्य एशिया की चारण भूमि (स्टेपीज) में हुआ यह वर्तमान में आधुनिक मंगोलिया राज्य का हिस्सा है।
- इस क्षेत्र का दृश्य आज भी अत्यंत मनोरम था और यह क्षेत्र मैदानों से घिरा था जिसके पश्चिमी में अल्ताई पहाड़ों की बर्फीली चोटियाँ थीं।
- दक्षिण भाग में शुष्क गोबी का मरुस्थल उत्तर और पश्चिम क्षेत्र में ओनोन और सेलेंगा जैसी नदियों और बर्फीली पहाड़ियों से निकले सैकड़ों झरनों के पानी से सिंचित हो रहा था।
- पशुओं को चराने के लिए यहाँ पर अनेक घास के मैदान और प्रचुर मात्रा में छोटे-मोटे शिकार अनुकूल ऋतुओं में उपलब्ध हो जाते थे।
- शिकारी-संग्राहक लोग, पशुपालक कबीलों के आवास क्षेत्र के उत्तर में साइबेरियाई वनों में रहते
- वे पशुपालक लोगों की तुलना में अधिक गरीब होते थे और गर्मियों में पकड़े गए जानवर की खाल के व्यापार से अपना जीविका चलाते थे।
- इस क्षेत्र के अधिकतम और न्यूनतम तापमान में बहुत अंतर पाया जाता था कठोर और लंबे शीत के मौसम के बाद अल्पकालीन और शुष्क गर्मियों की अवधि आती थी।
- यहाँ छोटे समय के लिए खेती करना संभव था लेकिन मंगोलों ने खेती को नहीं अपनाया।
- इस प्रकार से पशुपालन और शिकार के कार्य से , अर्थव्यवस्था बड़ी जनसंख्या वाले क्षेत्रों का भरण पोषण करने में समर्थ नहीं थी इसलिए इन क्षेत्रों में कोई नगर विकसित नहीं हो पाए ।
- मंगोल लोग तंबुओं में रहते थे मंगोल लोग अपने पशुओं के साथ शर्दियों में अपने निवास स्थल से ग्रीष्मकालीन
- चारण भूमि की तरफ चले जाते थे।
- मंगोलों के पास संसाधनों की कमी थी , कुछ परिवार धनी होते थे, धनि परिवार काफी विशाल होते थे इनके पास अधिक संख्या में पशु और चारण भूमि होती थी। इस कारण उनके अनेक अनुयायी होते थे और स्थानीय राजनीति में उनका अधिक दबदबा होता था।
- यहाँ समय समय पट प्राकृतिक आपदा आती रहती थी और शिकार सामग्रियाँ और अन्य भंडार में रखी हुई सामग्रियाँ ख़त्म हो जाने की स्थिति में या बारिश न होने पर घास के मैदानों के सूख जाने पर उन्हें चरागाहों की खोज में भटकना पड़ता था।
- इस दौरान उनमें झगड़े हो जाते थे पशु को प्राप्त करने के लिए वे लूटपाट भी करते थे अधिकतर परिवारों के समूह आक्रमण करने और अपनी रक्षा करने के लिए अधिक शक्तिशाली और संपन्न परिवारों से मित्रता कर लेते थे और परिसंघ बना लेते थे ऐसे परिसंघ प्रायः बहुत छोटे और अल्पकालिक होते थे।
- चंगेज़ खान द्वारा मंगोल और तुर्की कबीलों को मिलाकर परिसंघ बनाया गया था यह संघ पाँचवीं शताब्दी के अट्टीला द्वारा बनाए गए परिसंघ के बराबर था।
- स्टेपी क्षेत्र में संसाधनों की भारी कमी होने के कारण मंगोलों और मध्य एशिया के यायावरों को व्यापार और वस्तु-विनिमय के लिए उनके पड़ोसी चीन के स्थायी निवासियों के पास जाना पड़ता था।
- यायावार समाज के लोग कृषि उत्पाद और लोहे का सामान चीन से आयात करते थे और घोड़े , फर या अन्य शिकार में मिले जानवर का निर्यात कर देते थी और कभी कभी यह लूटपाट भी कर देते थे
- जो समाज स्थायी निवास करते थे , वो कमजोर पड़ने लगे थे क्योंकि यायावार लोग यहाँ लूटपाट करते थे । मंगोलों ने कृषि को अव्यवस्थित कर दिया और नगरों को लूटा। यायावर, लूटपाट करके दूर भाग जाते थे जिससे उन्हें बहुत कम नुकसान होता था।
- पूरे इतिहास में चीन को इन यायावरों से विभिन्न शासन कालों में बहुत अधिक क्षति पहुँची। आठवीं शताब्दी ई.पू. से ही अपनी प्रजा की रक्षा के लिए चीनी शासकों ने किलेबंदी करना प्रारंभ कर दिया था। जिसे आज 'चीन की महान दीवार' के रूप में जाना जाता है।
चंगेज खान
- चंगेज़ खान का बचपन का नाम तेमुजिन था।
- उसका जन्म 1162 ई. के आसपास आधुनिक मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन नदी के निकट हुआ था।
- चंगेज़ खान के पिता का नाम येसूजेई (Yesugel) था जो कियात कबीले का मुखिया था।
- यह एक परिवारों का समूह था और बोरजिगिद (Borjigid) कुल से संबंधित था।
- उसके पिता की अल्पायु में ही हत्या कर दी गई थी
- उसकी माता ओलुन-इके (Oelun-eke) ने तेमुजिन और उसके सगे तथा सौतेले भाइयों का लालन-पालन किया था।
- 1170 का दशक में तेमुजिन का अपहरण कर उसे दास बना लिया गया और उसकी पत्नी बोरटे (Borte) का भी विवाह के बाद अपहरण कर लिया गया और अपनी पत्नी को छुड़ाने के लिए उसे लड़ाई लड़नी पड़ी।
- विपत्ति के इन वर्षों में भी चंगेज खान ने कई मित्र बनाये बोघूरचू (Boghurchu) उसका पहला मित्र था और हमेशा उसके साथ रहा। उसका सगा भाई जमूका भी उसका एक और विश्वसनीय मित्र था।
- तेमुजिन ने कैराईट लोगों के शासक व अपने पिता के वृद्ध सगे भाई तुगरिल उर्फ ओंग खान के साथ पुराने रिश्तों की पुनर्स्थापना की।
- जमूका उसका पुराना मित्र था लेकिन बाद में वह उसका दुश्मन बन गया।
- 1180 और 1190 के दशकों में तेमुजिन , ओंग खान का मित्र रहा और उसने इस मित्रता का इस्तेमाल जमूका जैसे शक्तिशाली प्रतिद्वंद्वियों को परास्त करने के लिए किया। जमूका को पराजित करने के बाद तेमुजिन में काफी आत्मविश्वास आ गया
- अब चंगेज खान दूसरे कबीलों के विरुद्ध युद्ध के लिए निकल पड़ा। उसके बाद चंगेज खान अपने पिता के हत्यारे, शक्तिशाली तातार कैराईट और खुद ओंग खान के विरुद्ध उसने 1203 में युद्ध छेड़ा।
- 1206 में शक्तिशाली जमूका और नेमन लोगों को निर्णायक रूप से पराजित करने के बाद तेमुजिन स्टेपी- क्षेत्र की राजनीति में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में उभरा। उसकी इस प्रतिष्ठा को मंगोल कबीले के सरदारों की एक सभा (कुरिलताई) में मान्यता मिली और उसे चंगेज़ खान 'समुद्री खान' या 'सार्वभौम शासक' की उपाधि के साथ मंगोलों का महानायक (Qa'an/Great Khan) घोषित किया गया।
- चंगेज खान ने मंगोल लोगों की मजबूत अनुशासित सेना बना ली थी चंगेज खान चीन को जीतना चाहता था , चीन जो उस समय तीन राज्यों में विभक्त था।
- इन आक्रमणों से बचने के लिए चीन की दीवार बनाई गयी थी
- मंगोलों ने अमु दरिया , तूरान , ख्वारिज्म तक अपना साम्राज्य फैला दिया था
- मंगोल सेनाओं के सामने – ओट्रार , बुखारा , समरकंद , बलख , निशापुर , हेरात की सेनाओं ने समर्पण कर दिया था
- जिन नगरों ने चंगेज खान का विरोध किया , उन नगरों को तहस - नहस कर दिया गया
- एक मंगोल राजकुमार की हत्या के बाद चंगेज खान ने नरसंहार का आदेश दे दिया था
- चंगेज खान ने रूस , अफ़ग़ानिस्तान , असम , अजरबैजान तक आक्रमण किये थे
- चंगेज खान ने अपना जीवन युद्ध करने में बिताया और 1227 में चंगेज खान की मृत्यु हो गयी
चंगेज खान की सैनिक उपलब्धियां
- कुशल सेना
- तीरंदाजी सेना
- कुशल घुडसवार सैनिक
- सशक्त और अनुशासित सैन्य शक्ति
- घेराबंदी यंत्र
- सैन्य अभियान
- सशक्त और अनुशासित सैन्य शक्ति
- सैन्य अभियान
- प्रभावशाली रणनीति
चंगेज खान के बाद मंगोल
चंगेज खान की मृत्यु के बाद मंगोल साम्राज्य
1. पहला चरण 1236-1242
- रूस के स्टेपी-क्षेत्र बुलधार, कीव, पोलैंड तथा हंगरी
2. दूसरा चरण 1255-1300
- चीन , ईरान, इराक और सीरिया पर विजय
- मंगोल सेनाओं के लिए सन् 1260 के दशक के बाद पश्चिम के सैन्य अभियानों में तेजी जारी रखना संभव नहीं हो पाया।
- वियना और पश्चिमी यूरोप एवं मिस्र मंगोल सेनाओं के अधिकार में ही रहे।
- लेकिन मंगोल सेना हंगरी के स्टेपी-क्षेत्र से पीछे हट गयी तथा मिस्र की सेनाओं द्वारा पराजित हो गयी
- इसके बाद नई राजनीतिक प्रवृत्तियों के उदय होने के संकेत मिले।
इसके दो प्रमुख कारण थे
पहला कारण -
- चंगेज खान के बाद मंगोल परिवार में उत्तराधिकार को लेकर आंतरिक राजनीति थी।
- जब प्रथम दो पीढ़ियाँ जोची और ओगोदेई के उत्तराधिकारी महान खान के राज्य पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए एकजुट हो गए।
- अब यह यूरोप में अभियान करने की अपेक्षा अपने इन हितों की रक्षा करना अधिक महत्त्वपूर्ण हो गया।
दूसरा कारण -
- यह स्थिति तब सामने आई , जब चंगेज़ खान के वंश की तोलूविंद शाखा के उत्तराधिकारियों ने जोची और ओगोदेई वंशों को कमजोर कर दिया।
- मोंके जो चंगेज़ खान के सबसे छोटे पुत्र तोलूई का वंशज था
- उसके राज्याभिषेक के बाद 1250 के दशक में ईरान में शक्तिशाली अभियान किए गए।
- परंतु 1260 ई. के दशक में तोलूई के वंशजों ने चीन में अपने हितों बढाया तो उसी समय सैनिकों और सामग्रियों को मंगोल साम्राज्य के मुख्य भागों की ओर भेज दिया गया।
- इसके बाद मिस्र की सेना का सामना करने के लिए मंगोलों ने एक छोटी अपर्याप्त सेना भेजी।
- मंगोलों की हार और तोलूई परिवार की चीन की तरफ बढ़ती हुई रुचि से उनका पश्चिम की ओर विस्तार रुक गया।
- इसी दौरान रूस और चीन की सीमा पर जोची और तोलूई वंशजों के अंदरूनी झगड़ों ने जोची वंशजों का ध्यान उनके संभावित यूरोपीय अभियानों से हटा दिया।
सामाजिक , राजनैतिक और सैनिक संगठन
- मंगोलों और दूसरे अनेक यायावर समाजों में हर तंदुरुस्त वयस्क सदस्य हथियारबंद होते थे।
- जब आवश्यकता होती थी तो इन्हीं लोगों से सशस्त्र सेना बनती थी।
- विभिन्न मंगोल जनजातियों के एकीकरण और उसके पश्चात विभिन्न लोगों के खिलाफ अभियानों से चंगेज खान की सेना में नए सदस्य शामिल हुए।
- इससे उनकी सेना जो कि छोटी होती थी अब वह एक विशाल विषमजातीय संगठन में परिवर्तित हो गई।
- चंगेज़ खान ने प्राचीन जनजातीय समूहों को विभाजित कर उनके सदस्यों को नवीन सैनिक इकाइयों में विभक्त कर दिया।
- उस व्यक्ति को जो अपने अधिकारी से अनुमति लिए बिना बाहर जाने का प्रयास करता था, उसे कठोर दंड दिया जाता था।
- सैनिकों को सबसे बड़ी इकाई लगभग दस हजार सैनिकों की थी
- जिसमें अनेक कबीलों और कुलों ( परिवार ) के लोग शामिल होते थे।
- चंगेज खान ने अपने नए जीते हुए लोगों पर शासन करने की जिम्मेदारी अपने चार पुत्रों को सौंप दी थी
- नयी सैनिक टुकडियां जो उसके चार पुत्रों के अधीन कार्य करती थी नोयान कहलाती थी
- सबसे बड़े पुत्र जोची को रूस का स्टेपी क्षेत्र शासन के लिए मिला
- दूसरे पुत्र चघताई को तुरान का स्टेपी क्षेत्र तथा पामीर के पहाड़ के उत्तरी क्षेत्र शासन के लिए मिला
- चंगेज खान ने संकेत दिए की उसका तीसरे पुत्र ओगोदेई को उत्तराधिकारी घोषित किया गया और उसे महान खान की उपाधि दी गई राज्यभिषेक के बाद अपनी राजधानी काराकोरम में बनाई
- चौथे पुत्र तोलोए ने मंगोलिया पर शासन किया
- जीते हुए लोगों को अपने नए यायावर शासकों से कोई लगाव नहीं था।
- तेरहवीं शताब्दी के शुरुवात में हुए युद्धों में अनेक नगर नष्ट कर दिए गए कृषि भूमि को हानि हुई, व्यापार चौपट हो गया
- हजारों लोगों की जान चली गयी और इससे कहीं अधिक दास बना लिए गए।
- इसकी वास्तविक संख्या पूर्ण तथ्यों के जाल में खो गई है।
- अमीर लोगों से लेकर कृषक वर्ग तक सभी को बहुत कष्टों का सामना करना पड़ा।
चंगेज खान के प्रति विभिन नजरिये
पहला
- विजेता
- नगरो को तबाह करने वाला
- हजारो लोगों का हत्यारा
- निर्दयी
दूसरा
- महान शासक
- कबीलों को संगठित किया
- चीनियों के शोषण से
- मुक्ति दिलाई
- विशाल साम्राज्य बनाया
- व्यापार के रास्तों में सुधार