Chapter - 8
भारतीय राजनीति नए बदलाव
1990 के दशक में आये प्रमुख बदलाव
- 1980 के दशक में बहुत से महत्वपूर्ण
राजनितिक बदलाव देखने को मिले।
1. कांग्रेस के प्रभुत्व की समाप्ति
- जंहा कांग्रेस पार्टी 1984 में लोकसभा की 415 सीटें जीती थीं वाही 1989 में केवल 197 सीटें ही जित पाई।
- कांग्रेस पार्टी में चली आ रही 'कांग्रेस प्रणाली' की समाप्ति हो गई
।
- कांग्रेस की एक दलीय प्रणाली की प्रमुखता अब पहले के
दिनों जैसी नहीं रही
।
2. 'मंडल मुद्दे' का उदय
- राष्ट्रीय राजनीति में 'मंडल मुद्दे' की शुरुआत हुई
।
- 1990 में राष्ट्रीय मोर्चा सरकार ने
मंडल आयोग की केंद्र सरकार की नौकरियों में 'अन्य पिछड़ा वर्ग' को आरक्षण की सिफ़ारिशों को लागू किया
।
- आरक्षण के समर्थक और विरोधियों के बीच मंडल-विरोधी हिंसक प्रदर्शन देश भर
में देखने को मिले
।
3. नयी आर्थिक नीतियो की शुरुआत
- नयी आर्थिक नीतियों की शुरुआत राजीव गांधी की सरकार के नेतृत्व 1991 में हुई
।
- इस अवधि में जो भी सरकारें बनीं सबने नयी आर्थिक नीति पर अमल जारी रखा।
4. अयोध्या विवाद
- अयोध्या स्थित बावरी मस्जिद जो हिन्दुओ और मुसलमानों के लिए एक विवादित
ढाँचा था 1992 में विध्वंस कर दिया गया
।
- इस घटना से भारतीय राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता को लेकर बहस का माहोल
बना और राजनीति में कई परिवर्तनों का आरंभ हुआ।
- इसी समय भाजपा के उदय और हिंदुत्व की राजनीति की शुरुआत हुई।
5. कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में परिवर्तन
- मई 1991 में राजीव गाँधी की हत्या लिट्टे से जुड़े श्रीलंकाई तमिलों ने उस समय कर
दी जब वो चुनाव
अभियान के सिलसिले में तमिलनाडु के दौरे पर थे
।
- इस कारण कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में परिवर्तन देखने को मिला।
- 1991 के चुनावों में कांग्रेस
पार्टी जीती और नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री चुना गया।
गठबंधन का युग
1. गठबंधन सरकार 1989 से 1998 तक
1. 1989 नौवी लोकसभा चुनाव परिणाम
1. कांग्रेस – 197
2. जनता दल – 143
3. भाजपा – 85
4. सीपीआई मार्क्सवादी – 33
5. सीपीआई - 12
2. गठबंधन सरकार , राष्ट्रीय मोर्चा ( National Front )
- समर्थन - लेफ्ट फ्रंट और भारतीय जनता पार्टी।
- National front को राइट विंग तथा लेफ्ट विंग दोनों
ने सपोर्ट किया।
- वी. पी सिंह कांग्रेसी नेता थे।
- लेकिन इन्होंने बोफोर्स घोटाला उजागर किया।
- इन्होंने कांग्रेस का विरोध किया।
- यह राजीव गांधी की सरकार में रक्षा मंत्री भी थे।
- बाद में राजीव गांधी के खिलाफ मोर्चा खोला।
3. वी. पी सिंह के कार्यकाल की कुछ बड़ी घटनाएं
- मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू किया।
- जिसके तहत 27% आरक्षण ओबीसी वर्ग को मिला।
- इसका देशव्यापी विरोध हुआ।
- राम रथ यात्रा ( लालकृष्ण आडवाणी द्वारा)
- अयोध्या आंदोलन।
2. चंद्रशेखर (10 नवम्बर 1990 - जून 1991)
- जनता दल छोड़ा और समाजवादी जनता दल बनाया।
- इनको 64 सांसदों का समर्थन प्राप्त था इन्हें कांग्रेस ने बाहर से सपोर्ट किया
जिससे सरकार बनाई।
- बाद में कांग्रेस ने सपोर्ट खींच लिया जिससे इनकी सरकार गिर गयी।
चंद्रशेखर के कार्यकाल की कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं
- चंद्रशेखर के कार्यकाल की कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं
।
1. 1991 में आर्थिक संकट।
2. महंगाई दर बढ़ी।
3. सकल घरेलू उत्पाद ( GDP) गिरा ।
4. इनकी नीतियां सही नहीं थी जिससे अर्थव्यवस्ता पर संकट बढ़ा ।
3. पी.वी नरसिम्हा राव (21 जून 1991 - 16 मई 1996)
- मई 1991 में राजीव गांधी की हत्या हो गई उसके बाद इलेक्शन हुए।
- 1991 दसवी लोकसभा चुनाव परिणाम।
1. CONGRESS - 244
2. BJP - 120
- अगले प्रधानमंत्री कांग्रेस ने पी.वी नरसिम्हा राव को बनाया 21 जून 1991 - 16 मई 1996
- नई आर्थिक नीति अपनाई गई वित्त मंत्री - मनमोहन सिंह ने आई.एम.एफ से लोन लिया।
विवाद के मुद्दे
- इस समय यू.पी
में बीजेपी की सरकार थी.
- मुख्यमंत्री
- कल्याण सिंह.
- 6 दिसंबर 1992 को बाबरी
मस्जिद गिराई गई.
- नरसिम्हा राव
की सरकार में कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे.
4. 1996 का चुनाव
- 1996 ग्यारहवीं
लोकसभा चुनाव परिणाम.
- भाजपा सबसे
बड़ी पार्टी बनकर उभरी.
- भाजपा - 161 सीट.
- कांग्रेस - 140 सीट.
- 1996 में चुनाव
हुए.
5. यूनाइटेड फ्रंट ( संयुक्त मोर्चा )
- कांग्रेस तथा सी.पी.आई का बाहरी समर्थन तथा अन्य
क्षेत्रीय पार्टी का समर्थन
- ए.डी देवगौड़ा से कांग्रेस खुश नहीं थी.
- कांग्रेस का कहना था कि कांग्रेस से बिना पूछे देवगौड़ा फैसले लेते हैं.
- इसलिए कांग्रेस ने अपना समर्थन खींचा.
- ए.डी देवगौड़ा से कांग्रेस खुश नहीं थी.
- कांग्रेस का कहना था कि कांग्रेस से बिना पूछे देवगौड़ा फैसले लेते हैं.
- इसलिए कांग्रेस ने अपना समर्थन खींचा.
6. N.D.A
National Democratic Alliance राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन.
1) NDA एक राजनीतिक समूह है.
2) यह कई पार्टियों का गठबंधन है.
3) इसमें सबसे बड़ी पार्टी भाजपा है.
4) NDA की स्थापना 1998 में हुई.
5) स्थापना के समय इसमें 13 पार्टी शामिल थी.
6) NDA – I सरकार 1998 -1999 तक चली.
7) NDA - II सरकार 1999 - 2004 तक चली.
- अटल बिहारी
वाजपेई की सरकार 1999 में गिर गई.
- अप्रैल - 1999 में AIADMK की जय ललिता
ने अपना समर्थन खींचा.
- जिसके कारण अटल बिहारी वाजपेई की सरकार मात्र 13 महीने में गिर गई.
- 1999 के मई से जुलाई में पाकिस्तान
से कारगिल युद्ध हो गया.
- ऐसे में ऑपरेशन विजय चलाया गया जिसमें पाकिस्तान की हार हुई.
- इससे एक बार फिर वाजपेई जी को राजनीतिक फायदा हुआ.
7. 1999 में 13वीं लोकसभा चुनाव के परिणाम
1. BJP – 182 NDA - 269
2. Congress - 114.
इस बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया
N.D.A गठबंधन - I & II
1. विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया गया
2. LPG की नीति को आगे बढ़ाया
3. नेशनल हाइवे बनवाए
4. स्वर्णिम चतुर्भुज योजना
5. पाकिस्तान से वार्ता
6. सर्व शिक्षा अभियान
7. अमेरिका से संबंध सुधारे
8. 2001 में संसद पर हमला
9. 2002 में गुजरात में दंगे
अन्य पिछड़ा वर्ग की राजनीति
- यह अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति से अलग स्तर है जिसमे शैक्षणिक और सामाजिक रूप से पिछड़े लोगो को शामिल किया गया।
- पिछड़ी जातियों के अनेक समुदाय कांग्रेस की नीतियों के कारण उनसे दूर हो रहे थे एसे में गैर-कांग्रेसी दलों ने इनका समर्थन हासिल किया।
- भारतीय क्रांतिदल और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का ग्रामीण स्तर पर अन्य पिछड़े वर्ग में अच्छा खासा जनाधार था।
1. 'मंडल' आयोग और अन्य पिछड़े वर्ग
- राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार में अन्य पिछड़ा वर्गों की स्थिति को सुधारने
के लिए एक आयोग बनाया जिसके अध्यक्ष बिन्देशवरी प्रसाद मंडल को बनाया गया।
- इस आयोग को मंडल आयोग कहा गया इसने 1980 में अपनी सिफ़ारिशों पेश की, राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार ने इन सिफ़ारिशों को लागू किया।
- जनता दल ने 1980 के दशक में अन्य पिछड़ा वर्गों को एकजुट किया साथ ही इस दौर में ऐसी अनेक
पार्टियाँ आगे आयीं जो अन्य पिछड़ा वर्ग को बेहतर अवसर की मांग उठाई।
2. राजनीतिक परिणाम
- 1980 के दशक में दलित जातियों से
सम्बंधित राजनीतिक संगठनों का उदय हुआ।
- 'बामसेफ' (बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी
कम्युनिटीज एम्पलाइज फेडरेशन) जैसे संगठन ने 'बहुजन' यानी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों के विकास और कल्याण की बात कही ।
- 'बामसेफ' बाद में 'दलित-शोषित समाज संघर्ष समिति' बन गया और फिर बाद में बहुजन
समाज पार्टी के रूप में पहचान बनायी।
- कांशीराम ने की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को संगठित किया और इसे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के
दलित मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ।
- 1989 और 1991 के चुनावों में इस पार्टी ने
उत्तर प्रदेश के राजनीती में सफलता हासिल की और एक से ज्यादा दफे यहाँ सरकार
बनायी।
- इस पार्टी का
सबसे ज्यादा समर्थन दलित मतदाता थे।
सांप्रदायिकता, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र
1. धार्मिक पहचान पर आधारित राजनीति का उदय
- आपातकाल के
बाद भारतीय जनसंघ, जनता पार्टी में शामिल हो गयी थी परन्तु जनता पार्टी की समाप्ति के बाद जनसंघ के समर्थकों ने 1980 में भारतीय जनता पार्टी
(भाजपा) बनाई।
- भाजपा शुरुआती समय में 'गाँधीवादी समाजवाद' की विचारधारा से आगे बढ़ी, 1980 और 1984 के चुनावों में ज्यादा सफलता हाशिल नहीं हुई ।
- भाजपा ने 1986 के बाद हिंदू राष्ट्रवाद और 'हिंदुत्व' की राजनीति पर जोर दिया और
हिंदुओं को लामबंद किया।
2. हिंदुत्व की राजनीती
- 'हिंदुत्व' शब्द को वी.डी. सावरकर ने दिया और कहा की यह भारतीय राष्ट्र की बुनियाद
है।
- सावरकर ने
कहा भारत राष्ट्र का नागरिक वही हो सकता है जो इसे 'पितृभूमि' ही नहीं बल्कि अपनी 'पुण्यभूमि' भी स्वीकार करे।
- सावरकर का
मानना था मजबूत राष्ट्र सिर्फ़ एकीकृत राष्ट्रीय संस्कृति ही हो सकती है और
इसकी बुनियाद केवल हिंदू संस्कृति ही है।
3. हिंदूवादी पार्टी के रूप में भाजपा
1986 में ऐसी दो बातें हुई जिसने भाजपा की राजनीती में महत्वपूर्ण बदलाव किये ।
1. शाहबानो मामला
- 1985 में 62 वर्षीया तलाकशुदा मुस्लिम महिला ने भूतपूर्व पति से गुजारा भत्ता हासिल
करने के लिए अदालत में अर्जी दायर की और सर्वोच्च अदालत ने शाहबानो के पक्ष में फ़ैसला दिया पुरातनपंथी
मुसलमानों ने इसे अपने 'पर्सनल लॉ' की खिलाफ माना ।
- मुस्लिम
नेताओं की माँग पर सरकार ने मुस्लिम महिला अधिनियम (1986) पास कर
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले निरस्त कर दिया।
- सरकार के इस
फ़ैसले का महिला संगठनों, मुस्लिम महिलाओं की जमात तथा अधिकांश बुद्धिजीवियों ने विरोध किया।
- भाजपा ने इस
मुद्दे को जोरो से उठाया और अल्पसंख्यक समुदाय को दी गई गैर जरुरी रियायत तथा 'तुष्टिकरण' करार दिया।
2. अयोध्या विवाद
- अयोध्या
स्थित बाबरी मस्जिद को लेकर हमेशा विवाद रहा इसे मीर बाकी ने 16वीं सदी में बनया था हिंदू
मान्यता के अनुसर इसे राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई गई थी।
- यह विवाद
सालो तक अदालत में चलता रहा 1940 के दशक में यहाँ ताला लगा दिया गया।
- यह विवाद तब
और बढ़ गया जब फैजाबाद जिला न्यायालय द्वारा फरवरी 1986 में यह फैसला सुनाया गया की
ताला खोल दिया जाना चाहिए, ताकि हिंदू यहाँ पूजा पाठ कर सकें।
- जैसे ही
बाबरी मस्जिद के अहाते का ताला खुला, वैसे ही हिंदू और मुस्लिम संगठन इस मसले पर अपने-अपने समुदाय को लामबंद
करने में जुट गए और पूरे देश में माहौल तनावपूर्ण हो गया।
4. बाबरी मस्जिद विध्वंस और उसके बाद
- राम मंदिर के
निर्माण का समर्थन कर रहे संगठनो ने 1992 के दिसंबर में एक 'कारसेवा' का आयोजन किया और रामभक्तों से 'राम मंदिर' के निर्माण में श्रमदान करने का आह्वान किया।
- राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ , विश्व हिंदू परिषद् और भाजपा ने जनसमर्थन जुटाने के लिए गुजरात स्थित सोमनाथ से उत्तर प्रदेश स्थित
अयोध्या तक बड़ी 'रथयात्रा' निकली।
- 6 दिसंबर 1992 को देश के विभिन्न भागों से लोग आ जुटे और इन लोगों ने मस्जिद को गिरा
दिया जबकि,सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिया था की वह उसकी रक्षा करे।
- मस्जिद के
विध्वंस की खबर के बाद देश के कई भागों में हिंदू और मुसलमानों में झड़प शुरू हुई और
कई प्रदेश इसकी चपेट में आ गए।
- उत्तर प्रदेश, मुंबई और गुजरात में
सांप्रदायिक हिंसा हुई जिसमे सेकड़ो लोग मारे गए।
5. धर्मनिरपेक्षता पर बहस
- अयोध्या की
घटना से कई राजनितिक बदलाव आये उत्तर प्रदेश में भाजपा की राज्य सरकार को केंद्र ने
बर्खास्त कर दिया साथ ही भाजपा की सरकार जिस भी प्रदेश में थी राष्ट्रपति
शासन लागू कर दिया गया।
- भाजपा ने
आधिकारिक तौर पर अयोध्या की घटना पर अफ़सोस जताया।
- सर्वोच्च
न्यायालय के आदेश के बावजूद 'विवादित स्थल' की सुरक्षा न केर पाने पर त्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ़ अदालत की
अवमानना का मुकदमा दायर हुआ।
- भारत में
धर्मनिरपेक्षता पर गंभीर बहस चल पड़ी की क्या बहुसंख्यक धार्मिक समुदाय का
अल्पसंख्यकों पर दबदबा कायम होगा या फिर से सभी धर्म का हो भारत में समान रूप से
कानून की सुरक्षा तथा बराबरी के नागरिक अधिकार दिए जायेंगे।
6. विधिक कार्यवाही से मैत्रीपूर्ण स्वीकृति
- यह समझना महत्वपूर्ण है कि किसी भी समाज में विवाद होते ही हैं।
- परन्तु एक बहु-धार्मिक और बहु-सांस्कृतिक लोकतांत्रिक समाज में इन विवादों का हल सामान्यतः विधि की उचित प्रक्रिया से होता है।
- अनेक लोकतान्त्रिक और विधिक प्रक्रियाओं के जरिये जिसमें न्यायालय में सुनवाईयां, मध्यस्थता के प्रयास तथा जन आन्दोलन सम्मिलित हैं
- अन्ततः 9 नवम्बर 2019 को उच्चतम न्यायालय की संवैधानिक पीठ के 5-0 के निर्णय के फलस्वरूप अयोध्या विवाद का समाधान हो गया।
- इस निर्णय ने इस विवाद से सम्बन्धित विभिन्न हित धारकों के विरोधाभासी हितों का सामंजस्यपूर्ण समाधान किया।
- इस निर्णय ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को विवादित स्थल राम मन्दिर निर्माण के लिए आवंटित कर दिया और संबंधित सरकार को सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड को एक मस्जिद निर्माण के लिए उपयुक्त भूमि आवंटित करने का आदेश दिया।
2004 में 14वीं लोकसभा चुनाव के परिणाम
Congress - 145 BJP – 138.
U.P.A गठबंधन - I & II
- 2004 के चुनावों
में कांग्रेस भी पूरे जोर के साथ गठबंधन में शामिल हुई।
- राजग की हार
हुई और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) को वाममोर्चा ने समर्थन दिया
- 2004 के चुनावों
में एक हद तक कांग्रेस का पुनरुत्थान भी हुआ।
- 1991 के बाद इस
दफा पार्टी की सीटों की संख्या एक बार फिर बड़ी, 2004 के चुनावों
में राजग और संप्रग को मिले कुल वोटों का अंतर बड़ा कम था।
- इस तरह दलीय
प्रणाली सत्तर के दशक की तुलना में एकदम ही बदल गई है ।
2004 – 2009 - ( UPA – I & UPA – II )
- 2004 के चुनाव के बाद यूपीए का जन्म
हुआ
- यूपीए कांग्रेस का एक गठबंधन था जिसमें कई पार्टियां शामिल थी
- कई कांग्रेसी चाहते थे सोनिया गांधी पीएम बने लेकिन कई विपक्षी इसके खिलाफ
थे
- इसके बाद इस समस्या को सुलझा लिया गया और मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया गया
- मनमोहन सिंह एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री है
- वे 2 बार प्रधानमंत्री रहे है
- वे वित्त मंत्री भी रह चुके हैं
- 2004 – 2009 - ( UPA – I )
भारतीय अर्थव्यवस्था के सुधारक 2 बार प्रधानमंत्री रहे है
2004 – 2009 - ( UPA – I )
2009 – 2014 - ( UPA – II )
2004 – 2009 - ( UPA – I & UPA – II )
- आधार कार्ड परियोजना
- राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन
- मनरेगा परियोजना
- सूचना का अधिकार
- शिक्षा का अधिकार
- अमेरिका से संबंधों में सुधार,
- व्यापार में बढ़ोतरी ,न्यूक्लियर डील पर समझौते
- महंगाई बढी
- जीडीपी - गिरने लगी
- कई घोटाले सामने आए
- अन्ना हजारे आंदोलन
⊗ N.D.A
N.D.A गठबंधन - III & IV
- 2014 के चुनाव
परिणाम ऐतिहासिक थे. क्युकी 30 वर्षों बाद किसी पार्टी को
पूर्ण बहुमत मिला था.
- इस बार भाजपा अपने दम पर सरकार बनाने के योग्य थी क्युकी भाजपा को 282 सीट मिली थी.
- लेकिन भाजपा ने NDA गठबंधन के साथ अपनी सरकार बनाई.
- NDA गठबंधन को 336 सीट मिली थी.
1. 2014 में 16 वीं लोकसभा चुनाव के परिणाम
1. BJP – 282.
2. NDA – 336.
3. Congress - 44.
2 . 2019 में 17 वीं लोकसभा चुनाव के परिणाम
1. BJP – 303.
2. NDA – 353.
3. Congress - 52.
3. साथ सबका विकास नारा दिया गया ( NDA –III )
सरकार ने कई योजनाएं लागू की
- उज्ज्वला योजना.
- जन धन योजना.
- मेक इन इंडिया, आत्म निर्भर भारत.
- आयुष्मान योजना.
- मुद्रा योजना.
- योजना आयोग समाप्त कर नीति आयोग लाना.
- अनुच्छेद - 370 खत्म करना.
- बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ.
- किसान फसल बीमा.
- स्वच्छ भारत अभियान
बढ़ती सहमती
अनेक महत्वपूर्ण मसलों पर अधिकतर दलों के बीच व्यापक सहमति थी ऐसे चार मुद्दे प्रमुख थे
पहला मुद्दा
- नई आर्थिक नीति देश समृद्ध होगा
- भारत विश्व की आर्थिक शक्ति
दूसरा मुद्दा
- पिछड़ी जातियों के राजनीतिक और सामाजिक दावे
- अन्य पिछड़े वर्ग का उदय
तीसरा मुद्दा